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विश्व बैंक की गरीबी और समानता रिपोर्ट: 10 वर्षों में 17.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

विश्व बैंक ने हाल ही में स्प्रिंग 2025 गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट (Spring 2025 Poverty and Equity Brief report) जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार:

अत्यधिक गरीबी दर

  • पिछले 10 वर्षों में भारत में लगभग 17.1 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी के स्तर से बाहर आ चुके हैं. यह भारत के लिए सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है.
  • अत्यधिक गरीबी के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क (प्रतिदिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों का अनुपात)  2011-12 के 16.2 प्रतिशत से तेजी से गिरकर 2022-23 में केवल 2.3 प्रतिशत रह गया.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 18.4 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.8 प्रतिशत हो गई.
  • इसी अवधि में शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गयी.
  • ग्रामीण और शहरी गरीबी के बीच का अंतर 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक रह गया है तथा 2011-12 और 2022-23 के बीच वार्षिक गिरावट दर 16 प्रतिशत है.

निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी दर

  • भारत में निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी दर 2011-12 में 61.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 28.1 प्रतिशत हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए.
  • ग्रामीण गरीबी 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत हो गई.
  • ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 25 से घटकर 15 प्रतिशत अंक रह गया, जिसमें 2011-12 और 2022-23 के बीच 7 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट आई.

बहुआयामी गरीबी में कमी और संशोधित अनुमान

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के आकलन में गरीबी के गैर-आय-आधारित आयामों को मापा जाता  है. इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक व्यक्ति की पहुँच शामिल है.
  • गैर-मौद्रिक गरीबी, 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत हो गई.
  • बहुआयामी गरीबी माप 2022-23 में 15.5 प्रतिशत रहा, जो जीवन स्थितियों में चल रहे सुधारों को दर्शाता है.

रोजगार वृद्धि और कार्यबल प्रवृत्तियों में बदलाव

  • भारत में रोजगार वृद्धि में सकारात्मक रुझान देखे गए हैं, विशेषकर 2021-22 के बाद से, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
  • 2021-22 से रोजगार वृद्धि ने कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है, खासकर महिलाओं के बीच रोजगार दरों में वृद्धि हुई है.
  • स्वरोजगार में वृद्धि हुई है, विषेशकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच, जिसने आर्थिक भागीदारी में योगदान दिया है.

गरीबी कम करने में योगदान देने वाले प्रमुख राज्य

  • पांच सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य अर्थात उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में 2011-12 में भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे.
  • 2022-23 तक  इन राज्यों ने अत्यधिक गरीबी में समग्र गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया.

गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट

गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा वर्ष में दो बार, विश्व बैंक समूह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वसंत और वार्षिक बैठकों से पहले जारी की जाती है. रिपोर्ट में भारत सहित 100 देशों में गरीबी की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया है.

गरीबी के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क

विश्व बैंक ने आय-आधारित (वर्ष 2017 में क्रय शक्ति समता पर) गरीबी रेखा को मापने के लिए तीन मानकों का इस्तेमाल किया है.

  1. अत्यधिक गरीबी – प्रतिदिन $2.15 से कम कमाने वाला व्यक्ति.
  2. निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी – प्रतिदिन $3.65 से कम कमाने वाला व्यक्ति.
  3. उच्च-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी – प्रतिदिन $6.85 से कम कमाने वाला व्यक्ति.

बहुआयामी गरीबी माप:  बहुआयामी गरीबी आकलन में गरीबी के गैर-आय-आधारित आयामों को मापा जाता  है. इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक व्यक्ति की पहुँच शामिल है.

विश्‍व बैंक ने इंदरमीत गिल को मुख्‍य अर्थशास्‍त्री नियुक्‍त किया

विश्‍व बैंक ने भारतीय नागरिक इंदरमीत गिल को मुख्य अर्थशास्त्री और विकासात्‍मक अर्थशास्त्र का वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. श्री गिल अमरीकी अर्थशास्त्री कार्मेन रीनहार्ट का स्‍थान लेंगे और उनकी नियुक्ति एक सितम्बर, 2022 से प्रभावी होगी.

मुख्य बिन्दु

  • वर्तमान में श्री गिल इक्विटेबल ग्रोथ, फाइनेंस एंड इंस्‍टीट्यूशंस के उपाध्‍यक्ष हैं जहां वे मैक्रो इकनॉमिक्‍स, ऋण, व्‍यापार, निर्धनता और प्रशासन विभाग के प्रभारी है.
  • विश्‍व बैंक के अध्‍यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि इस पद पर श्री गिल की नियुक्ति से आर्थिक असंतुलन, आर्थिक वृद्धि, निर्धनता और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर सरकारों के साथ काम करने की उनकी नेतृत्‍व क्षमता, विशेषज्ञता और व्‍यावहारिक अनुभवों का लाभ मिलेगा. विकासात्‍मक अर्थशास्‍त्र में इंदरमीत गिल का बौद्धिक योगदान सराहनीय रहा है.
  • श्री गिल विश्‍व बैंक में मुख्‍य अर्थशास्‍त्री के रूप में काम करने वाले दूसरे भारतीय होंगे. इससे पहले श्री कौशिक बसु 2012 से लेकर 2016 तक विश्‍व बैंक में मुख्‍य अर्थशास्‍त्री थे.

विश्‍व बैंक की रिपोर्ट: भारत में आठ साल में 12.3 प्रतिशत गरीबी घटी

विश्व बैंक ने हाल ही में अपनी नीतिगत शोध-पत्र (पॉलिसी रिसर्च वर्किंग पेपर) जारी किया था. इस रिपोर्ट में भारत में गरीबी के कम हो रहे गरीबी पर चर्चा की गयी है.

विश्‍व बैंक नीतिगत शोध-पत्र 2022: एक दृष्टि

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 की तुलना में 2019 में भारत में गरीबी 12.3 प्रतिशत कम हुई है. साल 2011 में 22.5 प्रतिशत गरीबी थी जो साल 2019 में 10.2 प्रतिशत रह गई.
  • शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी तेजी से कम हुई है. 2011 से 2019 के दौरान ग्रामीण गरीबी में 14.7 प्रतिशत जबकि शहरी गरीबी में 7.9 प्रतिशत की गिरावट आई है.
  • भारत ने चरम गरीबी को लगभग समाप्त कर लिया है. इसके साथ ही देश में 40 वर्षों में उपभोग असमानता अपने न्यूनतम स्तर पर है.
  • छोटे आकार के जोत वाले किसानों ने उच्च आय वृद्धि का अनुभव किया है. वर्ष 2013 और 2019  के दौरान छोटी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में सालाना 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि बड़ी जोत के किसानों की आय में दो प्रतिशत बढ़ोतरी हुई.
  • शहरी क्षेत्रों में रह रहे परिवारों के संदर्भ में गरीबी रेखा प्रति व्‍यक्ति प्रति माह एक हज़ार रुपये और ग्रामीण परिवारों के लिए 816 रुपये निर्धारित की गई है.

विश्व बैंक मानव पूंजी सूचकांक 2020: भारत 116वें और सिंगापुर शीर्ष स्थान पर

विश्व बैंक ने वर्ष 2020 का वार्षिक मानव पूंजी सूचकांक (World Bank’s human capital index) रिपोर्ट जारी किया. इस सूचकांक में 174 देशों के स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी आंकड़ों को शामिल किया गया है. ये आंकड़े मार्च 2020 तक के हैं, जिसके बाद दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है.

सूचकांक में भारत का 116वां स्थान

इस सूचकांक में भारत का 116वां स्थान है. सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार भारत का स्कोर 2018 में 0.44 से बढ़कर 2020 में 0.49 हो गया है. इससे पूर्व यह सूचकांक वर्ष 2018 में जारी किया गया था जिसमें भारत 157 देशों में भारत 115वें स्थान पर था. इस साल भारत 174 देशों में 116वें स्थान पर है.

सिंगापुर शीर्ष स्थान पर

इस सूचकांक में सिंगापुर को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है. इसके पश्चात हांगकांग दूसरे, जापान तीसरे, दक्षिण कोरिया चौथे तथा कनाडा पांचवें स्थान पर है. सूचकांक में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक को सबसे अंतिम 174वें स्थान पर रखा गया है.

भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका 71वें, नेपाल 109वें, भूटान 121वें तथा पाकिस्तान 144वें स्थान पर है. ब्रिक्श (BRICS) देशों में भारत के अलावा, चीन को 45वां, रूस को 41वां, ब्राजील को 91वां तथा दक्षिण अफ्रीका 135वें स्थान है.

विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी से पहले अधिकांश निम्न आय वाले देशों में बच्चों की मानव पूंजी के निर्माण में लगातार प्रगति की. हालांकि, इस प्रगति के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य मानकों के सापेक्ष कोई बच्चा अपनी संभावित मानव विकास क्षमता का केवल 56 प्रतिशत ही हासिल करने की उम्मीद कर सकता है.

मानव पूंजी सूचकांक क्या है?

मानव पूंजी सूचकांक देशों में मानव पूंजी के प्रमुख घटकों का मूल्यांकन करता है. इसमें बच्चों के जीवित रहने की संभावना, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे पैमानों पर देशों का आकलन किया गया है.

राजेश खुल्लर को विश्व बैंक का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया

राजेश खुल्लर को वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है. उनकी यह नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है. वे भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान से संबंधित मामलों का प्रतिनिधित्व करेंगे. विश्व बैंक में 25 ऐसे कार्यकारी निदेशक पूरे विश्व से नियुक्त होते हैं. जिसमें से राजेश खुल्लर एक होंगे.

वर्ष 1988 बैच के आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर हरियाणा और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

विश्व बैंक ने भारतीय राज्यों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये ऋण स्वीकृत किये

विश्व बैंक (World Bank) ने छह भारतीय राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और संचालन में सुधार के लिये 50 करोड़ डॉलर (लगभग 3,700 करोड़ रुपये) के ऋण स्वीकृत किये हैं. जिन राज्यों को यह लाभ मिलेगा उनमें हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं.

विश्व बैंक ने यह राशि देश में चल रहे ‘टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फोर स्टेट्स प्रोग्राम’ (STARS Programme) के लिए दिया जायेगा. यह राज्यों के साथ भागीदारी में मूल्यांकन प्रणालियों को बेहतर बनाने, कक्षा निर्देश और पदावनति को मजबूत करने में मदद करेगा.

15 लाख स्कूलों में पढ़ रहे छह से 17 वर्ष की उम्र के 25 करोड़ विद्यार्थी तथा एक करोड़ से अधिक शिक्षक इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे.

STARS Programme क्या है?

STARS का पूरा रूप Strengthening Teaching-Learning and Results for States है. यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा विश्वबैंक से चलाया जा रहा है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मजबूती देने तथा हर किसी को शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1994 में यह कार्यक्रम शुरू किया गया था.

भारतीय अर्थशास्त्री अभास झा को जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई

विश्व बैंक ने भारतीय अर्थशास्त्री अभास के झा को दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन के लिए नियुक्त किया है. झा की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक दक्षिण एशिया क्षेत्र (SAR) आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन टीम को जोड़ने और सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित और मदद करना है.

अभास झा के अधिकार क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव शामिल हैं. वे इन देशों की समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान देने के लिए उच्च व योग्य पेशेवरों की एक टीम का पोषण, नेतृत्व, प्रेरणा और उनकी तैनाती का काम करेंगे.

अभास झा बांग्लादेश, भूटान, भारत और श्रीलंका के विश्वबैंक कार्यालय में कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं. वह लैटिन अमेरिका, कैरिबियन, यूरोप, मध्य एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में काम किया है. उनका सबसे हालिया कार्य पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में शहरी विकास और आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए प्रैक्टिस मैनेजर के रूप में रहा है.

विश्‍व बैंक ने भारत के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी

विश्‍व बैंक ने भारत के कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को गति देने के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी है. आर्थिक पैकेज का पहला चरण देशभर में प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना के जरिये लागू किया जाएगा. यह उन गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा, जो COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

यह मंजूर सहयोग राशि दो चरणों में जारी की जाएगी. पहले चरण में वित्‍त वर्ष 2020 के लिए 75 करोड़ डॉलर और वित्‍त वर्ष 2021 के लिए दूसरे चरण में 25 करोड़ डॉलर दिया जाएगा. विश्व बैंक ने भारत में कोविड-19 से निपटने के आपात प्रयासों के लिए कुल दो अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

विश्‍व बैंक: एक दृष्टि

  1. विश्व बैंक (World Bank) विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निमाण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है. इसकी स्थापना 1945 में हुई थी. इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में है. विश्‍व बैंक का आदर्श वाक्य ‘निर्धनता मुक्त विश्व के लिए कार्य करना’ है.
  2. विश्‍व बैंक दो अनूठी विकास संस्‍थाओं- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और अन्तर्राष्ट्रीय विकास एसोसिएशन (IDA) का संगम है. इन दोनों संस्‍थाओं पर 188 सदस्‍य देशों का स्‍वामित्‍व है.

दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर विश्व बैंक की रिपोर्ट: वृद्धि दर घटकर 1.8% रह जाएगी

विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर 12 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी ने वैश्विक स्तर पर कहर बरपाया हुआ है. दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को भी इससे चोट पहुंची है. विश्व बैंक ने आगाह किया कि इस जानलेवा महामारी की वजह से दक्षिण एशिया गरीबी उन्मूलन में हुए लाभ को गंवा सकता है.

अनुमान में विश्व बैंक ने कहा है कि क्षेत्र की सरकारों को इस आपात स्थिति से निपटने के लिए कार्रवाई को तेज करना चाहिए और विशेष रूप से अत्यधिक गरीब लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए और तेजी से आर्थिक सुधार का रास्ता तैयार करना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र के आठ देशों की अर्थव्यवस्थाओं में जोरदार गिरावट आएगी. क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां ठप हैं, व्यापार में नुकसान हो रहा है और वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र दबाव में हैं. क्षेत्र को गरीबी उन्मूलन में जो भी लाभ हुआ है वह समाप्त हो जाएगा.

वृद्धि दर घटकर 1.8% से 2.8% के बीच रह जाएगी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 1.8 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत के बीच रह जाएगी. छह माह पहले विश्व बैंक ने क्षेत्र की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. विश्व बैंक का कहना है कि 2020-21 में भी क्षेत्र की वृद्धि पर इसका असर बना रहेगा. इस दौरान यह 3.1 से 4 प्रतिशत के बीच रहेगी. पहले विश्व बैंक ने इसके 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

व्यापार को सुगम बनाने वाले देशों की सूची में भारत 63वें स्थान पर पहुंचा

विश्व बैंक की व्यापार को सुगम बनाने वाले देशों (World Bank’s Ease of Doing Business) की सूची में भारत 63वें स्थान पर पहुंच गया है. भारत की रैंकिंग में 14 पायदान का सुधार हुआ है. 2018-19 की सूची में भारत की 77वीं रैंक थी.

24 अक्टूबर को वाशिंगटन में जारी इस सूची के अनुसार दिवाला और धन शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के सफल कार्यान्वयन की वजह से भारत लगातार तीसरी बार इस सूची में दस श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल रहा है. भारत ने 2013-14 की 142वीं रैंक के मुकाबले 6 साल में 79 स्थान का सुधार किया है.

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत के अलावा टॉप-10 सुधारक देशों में सऊदी अरब (62), जॉर्डन (75), टोगो (97), बहरीन (43), ताजिकिस्तान (106), पाकिस्तान (108), कुवैत (83), चीन (31) और नाइजीरिया (131) शामिल हैं.

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में टॉप-5 देश

देशरैंक
न्यूजीलैंड1
सिंगापुर2
हॉन्गकॉन्ग, चीन3
डेनमार्क4
कोरिया5

‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’: एक दृष्टि

  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (कारोबार करने में सहूलियत) का मतलब होता है किसी भी देश में कारोबार कितनी सरलता से शुरू किया जा सकता है.
  • विश्व बैंक वर्ष 2003 से हर साल ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस वाले देशों की सूची जारी करता है. इसमें वह 10 पैमानों पर 190 देशों की रैकिंग तय करता है.
  • जिन 10 पैमानों के आधार पर देशों की रैंक तय की जाती है वे हैं- बिजली कनेक्शन, कॉन्ट्रैक्ट लागू करना, बिजनेस शुरू करना, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, दिवालिया शोधन प्रक्रिया, कंस्ट्रक्शन परमिट, क्रेडिट मिलना, इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा, टैक्स पेमेंट और सीमा पार व्यापार शामिल हैं. एक 11वां पैमाना ‘श्रम बाजार के नियम’ भी होता है लेकिन देशों की रैंकिंग तय करते समय इसके मूल्य को नहीं जोड़ा जाता.
  • भारत 10 मानकों में से 6 मानकों में अपनी रैंकिंग को बेहतर करने में कामयाब रहा है. सबसे उल्लेखनीय सुधार ‘कंस्ट्रक्शन परमिट’ और ‘सीमा पार व्यापार’ से जुड़े संकेतकों के मामले में देखा गया है. निर्माण परमिट की स्वीकृति देने के मामले में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 की 181वीं से बेहतर होकर 2018 में 52वीं हो गई है. इसी तरह ‘सीमा पार व्यापार’ से जुड़े संकेतकों के मामले में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 की 146वीं से बेहतर होकर वर्ष 2018 में 80वीं हो गई है. कारोबार शुरू करने में भारत की रैंकिग 156 से बेहतर होकर 137 हो गई है.
  • विश्व बैंक यह रैंकिंग तय करने के लिए 10 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देशों के मामले में दो व्यापारिक शहर से डाटा लेता है. उदाहरण के लिए विश्व बैंक जब भारत की रैंक तय करता है तो वह दो शहरों मुंबई और दिल्ली से इन पैमानों पर आंकड़े जुटाता है.
  • किसी देश के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग बेहद महत्वपूर्ण है. बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसी देश में निवेश से पहले वहां की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर निर्णय लेती हैं.

क्रिस्टालिना जॉर्जीएवा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की नई प्रबंध निदेश नियुक्त की गयीं

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने क्रिस्टालिना जॉर्जीएवा को अपना नया प्रबंध निदेशक तथा कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है. क्रिस्टालिना ने क्रिस्टीन लागार्द का स्थान लिया है. उनकी नियुक्ति 1 अक्टूबर 2019 से प्रभावी होगी. जॉर्जीएवा का चयन IMF के 24 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड ने किया.

बुल्गालिया की जॉर्जीएवा जनवरी 2017 से विश्व बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) रही हैं. 1 फरवरी 2019 से 8 अप्रैल 2019 तक वह विश्व बैंक समूह की अंतरिम अध्यक्ष रहीं.