विश्व बैंक की गरीबी और समानता रिपोर्ट: 10 वर्षों में 17.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर
विश्व बैंक ने हाल ही में स्प्रिंग 2025 गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट (Spring 2025 Poverty and Equity Brief report) जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार:
अत्यधिक गरीबी दर
- पिछले 10 वर्षों में भारत में लगभग 17.1 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी के स्तर से बाहर आ चुके हैं. यह भारत के लिए सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है.
- अत्यधिक गरीबी के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क (प्रतिदिन 2.15 अमेरिकी डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों का अनुपात) 2011-12 के 16.2 प्रतिशत से तेजी से गिरकर 2022-23 में केवल 2.3 प्रतिशत रह गया.
- ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 2011-12 में 18.4 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.8 प्रतिशत हो गई.
- इसी अवधि में शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गयी.
- ग्रामीण और शहरी गरीबी के बीच का अंतर 7.7 प्रतिशत अंक से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक रह गया है तथा 2011-12 और 2022-23 के बीच वार्षिक गिरावट दर 16 प्रतिशत है.
निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी दर
- भारत में निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी दर 2011-12 में 61.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 28.1 प्रतिशत हो गई, जिससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए.
- ग्रामीण गरीबी 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत हो गई.
- ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर 25 से घटकर 15 प्रतिशत अंक रह गया, जिसमें 2011-12 और 2022-23 के बीच 7 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट आई.
बहुआयामी गरीबी में कमी और संशोधित अनुमान
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के आकलन में गरीबी के गैर-आय-आधारित आयामों को मापा जाता है. इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक व्यक्ति की पहुँच शामिल है.
- गैर-मौद्रिक गरीबी, 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत हो गई.
- बहुआयामी गरीबी माप 2022-23 में 15.5 प्रतिशत रहा, जो जीवन स्थितियों में चल रहे सुधारों को दर्शाता है.
रोजगार वृद्धि और कार्यबल प्रवृत्तियों में बदलाव
- भारत में रोजगार वृद्धि में सकारात्मक रुझान देखे गए हैं, विशेषकर 2021-22 के बाद से, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
- 2021-22 से रोजगार वृद्धि ने कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है, खासकर महिलाओं के बीच रोजगार दरों में वृद्धि हुई है.
- स्वरोजगार में वृद्धि हुई है, विषेशकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच, जिसने आर्थिक भागीदारी में योगदान दिया है.
गरीबी कम करने में योगदान देने वाले प्रमुख राज्य
- पांच सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य अर्थात उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में 2011-12 में भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे.
- 2022-23 तक इन राज्यों ने अत्यधिक गरीबी में समग्र गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया.
गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट
गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा वर्ष में दो बार, विश्व बैंक समूह और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वसंत और वार्षिक बैठकों से पहले जारी की जाती है. रिपोर्ट में भारत सहित 100 देशों में गरीबी की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया है.
गरीबी के लिए अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क
विश्व बैंक ने आय-आधारित (वर्ष 2017 में क्रय शक्ति समता पर) गरीबी रेखा को मापने के लिए तीन मानकों का इस्तेमाल किया है.
- अत्यधिक गरीबी – प्रतिदिन $2.15 से कम कमाने वाला व्यक्ति.
- निम्न-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी – प्रतिदिन $3.65 से कम कमाने वाला व्यक्ति.
- उच्च-मध्यम आय श्रेणी में गरीबी – प्रतिदिन $6.85 से कम कमाने वाला व्यक्ति.
बहुआयामी गरीबी माप: बहुआयामी गरीबी आकलन में गरीबी के गैर-आय-आधारित आयामों को मापा जाता है. इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक व्यक्ति की पहुँच शामिल है.