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भारत सरकार त्रिपुरा सरकार और टिपरा मोथा के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ

केन्द्र सरकार, त्रिपुरा सरकार और टिपरा मोथा तथा अन्य हितधारकों के बीच राज्य के मूल निवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए 2 मार्च को त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. यह समझौता राज्य के स्वदेशी लोगों की समस्याओं का स्थायी समाधान लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुआ था.

मुख्य बिन्दु

  • टिपरा (TIPRA) मोथा को टिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन के रूप में भी जाना जाता है. यह एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल है और पहले भारत के त्रिपुरा में एक सामाजिक संगठन था.
  • TIPRA (द इंडीजिनीयस प्रोग्रेसिव रिजनल एलासंय) का नेतृत्व प्रद्योत देबबर्मा कर रहे हैं. यह वर्तमान में त्रिपुरा विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है.
  • समझौते के तहत त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि और राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति बनी.
  • इसके साथ ही सम्माननीय समाधान सुनश्चिति करने के लिए, समझौते के तहत इन मुद्दों से संबंधित पारस्परिक सहमति वाले बिंदुओं पर नर्धिारित समयसीमा में अमल के लिए एक संयुक्त कार्य समूह के गठन पर भी सहमति बनी
  • टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत देबबर्मा मूल निवासियों की समस्याओं के स्थायी समाधान की मांग को लेकर आमरण अनशन पर थे.
  • केंद्र सरकार के वार्ताकारों के आश्वासन के बाद वह राष्ट्रीय राजधानी आये और समझौते के लिए राजी हो गए थे. देबबर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक शाह भी उपस्थित थे.

21 जनवरी: मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 जनवरी को मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा अपना स्‍थापना दिवस मनाते हैं. वर्ष 1972 में इसी दिन तीनों राज्‍यों को उत्‍तर-पूर्व क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम 1971 के अन्‍तर्गत पूर्ण राज्‍य का दर्जा मिला था.

भारत की आजादी (15 अगस्त, 1947) से पहले, भारत की सीमाओं से लगे हुए लगभग सभी राज्यों को शांतिपूर्ण वार्ताओं के जरिये, भारतीय संघ में मिलाने का प्रयास किया गया. अधिकांश राज्यों के शासकों ने भारत में विलय के दस्तावेज (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किये.

स्वतंत्रता के समय भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया था– ब्रिटिश भारत का असम प्रांत, मणिपुर और त्रिपुरा के देशी रियासतें और उत्तर-पूर्व सीमान्त प्रांत (NEFA).

मणिपुर: सितंबर 1949 में भारत सरकार ने मणिपुर को भारत में शामिल करने के लिये विलय समझौते पर हस्ताक्षर करवाने में सफलता प्राप्त की थी.

त्रिपुरा: भारत संघ में त्रिपुरा रियासत का विलय 15 नवंबर 1949 को हुआ था. रानी कंचन प्रभा ने त्रिपुरा रियासत के भारतीय संघ के साथ विलय में अहम भूमिका निभाई थी.

मेघालय: मेघालय, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक छोटा पहाड़ी राज्य है जो 2 अप्रैल 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अस्तित्व में आया.

त्रिपुरा में डॉ. माणिक साहा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

त्रिपुरा में डॉ. माणिक साहा ने 15 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. माणिक साहा ने बिप्लब कुमार देब का स्थान लिया है, जिन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. बिप्लब कुमार देब के इस्तीफे के बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया था.

69 वर्षीय डॉ. माणिक साहा भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और त्रिपुरा से राज्यसभा सांसद हैं. माणिक साहा को अगले छह महीने के अंदर राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होना होगा. माणिक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

त्रिपुरा में जनवरी-फरवरी 2023 के दौरान विधानसभा चुनाव होना है. 2018 में विधानसभा चुनाव में 25 वर्ष से सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को हराने के बाद भाजपा-IPFT गठबंधन सत्ता में आया था और नौ मार्च 2018 को बिप्लब देब को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

त्रिपुरा राज्‍य सरकार ने पहली बार हॉर्नबिल महोत्‍सव का आयोजन किया

त्रिपुरा में राज्‍य सरकार ने पहली बार हॉर्नबिल महोत्‍सव का आयोजन किया है. यह महोत्‍सव 8-9 फरवरी को तेलियामुरा के बारामुरा इको पार्क में आयोजित किया गया था. लोगों में हॉर्नबिल पक्षी और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्‍य से यह महोत्‍सव आयोजित किया गया था.

महोत्‍सव का उद्घाटन करते हुए मुख्‍यमंत्री बिप्‍लब कुमार देव ने कहा कि ये आयोजन न केवल प्रकृति और पक्षी प्रेमियों को प्रोत्‍साहित करेगा, बल्कि हार्न बिल पक्षियों के प्रति जागरूकता भी पैदा करेगा. उन्‍होंने कहा कि हार्न बिल महोत्‍सव से राज्‍य के पर्यावरण पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा.

ब्रू शरणार्थियों की समस्या के समाधान के लिए समझौते, जानिए कौन है ब्रू शरणार्थी

केंद्र सरकार ने ब्रू-शरणार्थी संकट को समाप्त करने के लिए त्रिपुरा, मिजोरम और ब्रू समुदाय के सदस्यों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता 16 जनवरी को नई दिल्‍ली में हुआ. गृहमंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांग की उपस्तिथि में यह समझौता किया गया. इस समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जायेगा.

समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए छह सौ करोड़ रुपए का पैकेज मंजूर किया है. सरकार उनको आवासीय प्‍लॉट, चार लाख रुपये की फिक्‍स डिपॉजि़ट और पांच हजार रुपया प्रतिमाह नकद सहायता देगी.

कौन है ब्रू शरणार्थी और क्या है मामला?

  1. ब्रू शरणार्थी मिजोरम की ब्रू (रियांग) जनजाति है. मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने ब्रू जनजातियों को निशाना बनाया. 1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया.
  2. अक्टूबर, 1997 में मिजोरम में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई. जिसके बाद काफी संख्या में ब्रू शरणार्थि अपना राज्य मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा आ गए थे, जहां वो कई कैंप में रह रहे थे. इस प्रकार यह समस्या 22 वर्षों से जारी थी.
  3. साल 2018 में केंद्र की पहल पर हुए समझौते के तहत उनके लिए मिज़ोरम में वापसी की व्यवस्था हुई थी, लेकिन काफी कम लोगों ने उस अवसर का इस्तेमाल किया. अब ब्रू शरणार्थियों की मांग पर त्रिपुरा में ही उनके रहने की व्यवस्था हुई है.

त्रिपुरा के विद्रोही समूह NLAFT-SD ने सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया

त्रिपुरा के विद्रोही समूह NLAFT-SD ने 10 अगस्त को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया. यह एक त्रिपक्षीय समझौता था. इस त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MOS) पर केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार और सबीर कुमार देबवर्मा के नेतृत्व वाले ‘नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा’ (NLAFT-SD) ने हस्ताक्षर किए.

समझौते के तहत विद्रोही NLAFT-SD हिंसा छोड़ने, मुख्यधारा में शामिल होने और भारतीय संविधान का पालन करने को राजी हुआ है. समूह अपने 88 सदस्यों के आत्मसमर्पण के लिए भी तैयार हो गया है. आत्मसमर्पण करने वालों को गृह मंत्रालय की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना 2018 के तहत मिलने वाले लाभ भी मुहैया कराए जाएंगे. केन्द्र सरकार राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास के लिए त्रिपुरा सरकार के प्रस्ताव पर भी विचार करेगी.

NLAFT क्या है? NLAFT, National Liberation front of Tripura के संक्षिप्त रूप है. यह संगठन त्रिपुरा में 317 विद्रोही घटनाओं सहित हिंसा की गतिविधियों के लिए जिम्मेदार रहा है. NLAFT पर गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1997 के तहत प्रतिबंध लगा हुआ है. इस शांति वार्ता की शुरुआत 2015 में हुई थी और 2016 से NLAFT द्वारा किसी तरह की कोई हिंसा नहीं की गई.