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भारत और ईरान ने शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये

भारत और ईरान ने चाबहार में शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन के लिए 13 मई 2024 को एक दीर्घावधि समझौते पर हस्‍ताक्षर किये थे. यह पहला अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह टर्मिनल है जिसे भारत द्वारा संचालित किया जाएगा. इस समझौते के लिए पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईरान की यात्रा पर गए थे.

समझौते के मुख्य बिन्दु

  • यह समझौता इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरीटाइम आर्गेनाइजेशन के बीच केन्‍द्रीय पत्‍तन के बीच हुए. IPGL भारतीय कंपनी है जो केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है.
  • समझौते पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरानी सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.
  • ईरान के चाबहार बंदरगाह के दो टर्मिनल हैं, शाहिद बेहश्ती और शाहिद कलंतरी. भारत अगले 10 वर्षों तक शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल का संचालन करेगा और अनुबंध अगले 10 वर्षों के लिए स्वचालित रूप से नवीनीकृत हो जाएगा.
  • यह 2016 में हस्ताक्षरित समझौते का स्थान लेगा, जिसने इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड को एक वर्ष के लिए शाहिद बेहेश्टी पोर्ट को संचालित करने का अधिकार दिया था. इसे समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता था.
  • समझौते के हिस्से के रूप में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल को विकसित करने में लगभग 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा.
  • टर्मिनल तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए भारत सरकार ने ईरान को 250 मिलियन डॉलर का कर्ज़ भी दिया है.

चाबहार बंदरगाह का महत्व

  • यह समझौता एक रणनीतिक कदम है और यह कराची के साथ-साथ पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाहों को दरकिनार करते हुए ईरान के माध्यम से दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच एक नया व्यापार मार्ग खोलेगा.
  • यह व्यापारिक समुदायों के लिए संवेदनशील और व्यस्त फारस की खाड़ी और होर्मुज जलडमरूमध्य से वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए अवसरों का एक नया द्वार खोलेगा.
  • यह समझौता अनुबंध क्षेत्रीय सम्‍पर्क और अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देगा. इससे बड़े निवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा.

चाबहार बंदरगाह: एक दृष्टि

  • चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है. यह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तट पर स्थित है जो ईरान को हिंद महासागर तक सीधी पहुंच प्रदान करता है.
  • यह बंदरगाह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से लगभग 120 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है, जहां चीन द्वारा वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह स्थित है.
  • चाबहार का निकटतम भारतीय बंदरगाह गुजरात में कांडला बंदरगाह है. कांडला से इसकी दूरी 550 समुद्री मील है जबकि चाबहार और मुंबई के बीच की दूरी 786 समुद्री मील है.

ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से अलग किया

ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से अलग करने की 14 जुलाई को घोषणा की. घोषणा के तहत ईरान इस रेल परियोजना को भारत की आर्थिक सहायता के बिना पूरा करेगा. इसके लिए वह ईरान के राष्ट्रीय विकास निधि से 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का उपयोग करेगा.

चाबहार परियोजना: एक दृष्टि

  • सन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान की यात्रा की थी जिस दौरान चाबहार समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ था. पूरे परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था.
  • इस परियोजना में चाबहार बंदरगाह और इस बंदरगाह से जहेदान के लिए 628 किलोमीटर रेलवे लाइन को पूरा किया जाना था.
  • इस परियोजना से भारत के अफगानिस्‍तान और अन्‍य मध्‍य-एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराना जाना था. इसके लिए ईरान, भारत और अफगानिस्‍तान के बीच त्रिपक्षीय करार हुआ था.
  • भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में अरबों रुपये खर्च किए हैं.
  • भारत के लिए चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है. यह बंदरगाह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है. इसलिए भारत के लिहाज से ये काफी महत्वपूर्ण है.
  • अमेरिका के दबाव की वजह से भारत के रिश्ते ईरान के साथ पूर्ववत नहीं हैं. अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए राहत दे रखी है. वैसे भी भारत ने पहले से ही ईरान से तेल का आयात बहुत कम कर दिया है.

चाबहार रेल परियोजना

चाबहार रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है. भारत और ईरान के बीच हुए समझौते के तहत भारत की सरकारी रेल कंपनी भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (IRCON) इस परियोजना को पूरा करने वाली थी.

इस प्रोजेक्ट के लिए IRCON के इंजीनियर ईरान गए थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया.

चीन और ईरान के बीच नये समीकरण की उम्मीद

अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम एशिया में अमेरिका के साथ चल विवाद के कारण चीन और ईरान जल्‍द ही एक बड़ा समझौता कर सकते हैं. इसके अनुसार चीन ईरान से बेहद सस्‍ती दरों पर तेल खरीदेगा और इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है. चीन ईरान की सुरक्षा के लिए घातक आधुनिक हथियार देगा. रिपोर्ट के अनुसार ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है

चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में बैठक

चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए 20 दिसम्बर को नई दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में भारत, अफगानिस्तान और ईरान के अधिकारियों ने भाग लिया. इस बैठक में तीनों देशों ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड द्वारा दिसंबर 2018 में बंदरगाह का कामकाज संभालने के बाद हुई प्रगति का स्वागत किया है.

इस बैठक में पारगमन, परिवहन, सीमा शुल्क और परामर्श सेवा मामलों को आसान बनाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर सहमति हुई. चाबहार बंदरगाह को लोकप्रिय बनाने के लिए अफगानिस्तान और भारत में प्रचार और व्यापार कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सहमति बनी.

चाबहार बंदरगाह: एक दृष्टि

  • चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित ओमान की खाड़ी के तट एक बंदरगाह है. यह पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस बंदरगाह का विकास भारत के सहयोग से किया गया है.
  • इस बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि पाकिस्तान के रास्ते का उपयोग किये बिना भारत अफगानिस्तान, यूरोप तथा मध्य एशिया के साथ व्यापर कर सकता है. भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय कनेक्टिविटी समझौते पर हस्ताक्षर था.
  • चाबहार बंदरगाह के पहले चरण (शाहिद बेहेश्ती) के क्रियान्वयन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर फरवरी, 2018 किये गये थे. इस समझौते के तहत भारतीय कंपनी ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ इसके संचालन का अंतरिम प्रभार दिया गया था.