Tag Archive for: Important Day- April

3 मई: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करना और मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा तथा ड्यूटी के दौरान हमले में जान गंवाने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2020 का विषय

इस वर्ष यानी 2020 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का विषय (थीम)- ‘भय या पक्षपात मुक्‍त पत्रकारिता’ (Journalism without Fear or Favour) है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

1991 में यूनेस्को की सिफारिश के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी.

प्रेस स्वतंत्रता: मुख्य तथ्य

भारत में एक लोकतान्त्रिक देश है, यहाँ प्रेस (मीडिया) को पूर्ण स्‍वतंत्रता है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है.

24-30 अप्रैल: विश्व टीकाकरण सप्ताह के रूप में मनाया गया

प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह को ‘विश्व टीकाकरण सप्ताह’ (World Immunization Week) के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य हर व्यक्ति को टीका-निवारणीय रोगों के बारे में जागरुकता फैलाना और इन रोगों से बचाव करना है. पहली बार विश्व टीकाकरण सप्ताह 2012 में मनाया गया था.

इस वर्ष यानी 2020 के विश्व टीकाकरण सप्ताह का विषय (थीम) ‘Vaccines work for All’ था.

टीका-निवारणीय रोग: मुख्य तथ्य

  • टीकाकरण, टीका-निवारणीय रोगों जैसे कि ग्रीवा संबंधी कैंसर, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस बी, खसरा, मम्प्स, पर्टुसिस (खांसी), निमोनिया, पोलियो, रोटावायरस अतिसार (डायरिया), रूबेला और टेटनस इत्यादि से होने वाली मृत्यु से सुरक्षित करता है.
  • वर्ष 1988 से पोलियो मामलों में 99% से ज्यादा की कमी आयी है. वर्तमान में तीन देशों (अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान) में पोलियो-स्थानिक हैं. पोलियो वर्ष 1988 में 125 देशों में था.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था.

भारत में टीकाकरण कार्यक्रम

मिशन इंद्रधनुष: भारत सरकार ने सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने के लिए दिसंबर 2014 में ‘मिशन इंद्रधनुष’ का शुभारंभ किया था. मिशन इंद्रधनुष के बाद पूर्ण टीकाकरण कवरेज में प्रतिवर्ष वृद्धि 1% से बढकर 6.7% हो गयी.

तीव्र मिशन इंद्रधनुष (IMI): प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए 8 अक्टूबर 2017 को तीव्र मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चों और उन सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना है, जो नियमित रूप से टीकाकरण कार्यक्रम के तहत छूट गए हैं.

29 अप्रैल: अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस, बैले निर्माता जीन जार्ज नावेरे का जन्मदिन

प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को पूरे विश्व में ‘अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस’ (International Dance Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य के प्रति जागरुकता को बढाना है.

अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास

अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई थी. UNESCO (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization) के अन्तर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अन्तर्राष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में मनाने को समर्पित किया था.

आधुनिक बैले के निर्माता जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अन्तर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है.

28 अप्रैल: विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिवस

प्रत्येक वर्ष 28 अप्रैल को दुनियाभर में ‘विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिवस’ (World Day for Safety and Health at Work) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कार्यस्थलों पर कर्मकारों के सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की ओर ध्यान आकर्षित करना है.

2020 का मुख्य विषय (थीम)

इस वर्ष यानी 2020 में विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘Stop the Pandemic : Safety and Health At work Can Save Lives’ है. यह मुख्य रूप से ‘COVID-19’ महामारी पर केंद्रित है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO): एक दृष्टि

  • विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिवस को मनाये जाने की घोषणा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने की थी. इसे प्रतिवर्ष 2003 से मनाया जा रहा है.
  • ILO संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रि-पक्षीय संस्था है. यह श्रम मानक निर्धारित करने, नीतियाँ को विकसित करने एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है.
  • ILO की स्थापना 29 अक्टूबर 1919 को की गयी थी. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है. इसके कुल 187 सदस्य हैं.

26 अप्रैल: विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना

प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को विश्व-भर में विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस (World Intellectual Property Day) मनाया जाता है. इसी दिन 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना के लिए समझौता लागू हुआ था. इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य बौद्धिक संपदा के अधिकारों (पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट इत्यादि) के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

बौद्धिक संपदा क्या है?

मानव बुद्धि से निर्मित रचनाएं बौद्धिक संपदा कहलाती है, जिन्हें छूकर महसूस नहीं किया जा सकता. इनमें मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क शामिल हैं. इनके अलावा ट्रेड सीक्रेट्स, प्रचार अधिकार, नैतिक अधिकार और अनुचित प्रतिस्पर्द्धा के खिलाफ अधिकार भी इसमें शामिल हैं.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस 2020 का विषय

इस वर्ष यानी 2020 के विश्व बौद्धिक सम्पदा अधिकार दिवस का मुख्य विषय (थीम)– Innovate for a Green Future है.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने वर्ष 2000 में प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी. WIPO की स्थापना 14 जुलाई, 1967 को हुई थी.

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

WIPO का कार्य बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा तथा संवर्द्धन करना है. वर्तमान में भारत सहित इसके कुल 191 सदस्य देश हैं. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है. भारत 1975 में WIPO का सदस्य बना था.

राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति

भारत ने राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति 2016 में स्वीकार की थी. जिसका मुख्य उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

25 अप्रैल: विश्व मलेरिया दिवस, 2030 तक मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य

मलेरिया के विषय में जागरूकता लाने के लिए प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मलेरिया से बचाव, इससे मुक़ाबले के लिए प्रभावी रणनीति और इससे होने वाली मौतों में कमी लाने के उपायों पर ज़ोर देता है.

विश्व मलेरिया दिवस 2020 का विषय

इस वर्ष यानी 2020 में विश्व मलेरिया दिवस का विषय (थीम)- ‘जीरो मलेरिया की शुरुआत मेरे साथ’ (Zero malaria starts with me) है.

मलेरिया क्या है?

मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है. जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है. जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (RBC) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है.

वर्ष 2030 मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य

भारत ने वर्ष 2030 तक मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास

विश्व मलेरिया दिवस वर्ष 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य राष्ट्रों द्वारा शुरू किया गया था. पहली बार विश्व मलेरिया दिवस ’25 अप्रैल, 2008′ को मनाया गया था.

मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभवित देश

विश्व में मलेरिया सबसे ज्यादा प्रभवित देश अफ्रीकी महाद्वीप का नाइजीरिया है. विश्व की 27 फीसदी मलेरिया पीड़ित लोग नाइजीरिया में रहते हैं. इस सूची में दूसरे स्थान पर अफ्रीका का ही कांगो गणराज्य है. यहां 10 फीसदी मलेरिया पीड़ित आबादी है. जबकि तीसरे स्थान पर 6 फीसदी आबादी के साथ भारत है. चौथे स्थान पर 4 फीसदी मरीजों के साथ मोजांबिक और 4 फीसदी के साथ घाना है.

मलेरिया का टीका RTS-S/AS01

मलेरिया के लिए इजाद किए गए वैक्सीन का नाम RTS-S/AS01 है. इस वैक्सीन का ट्रेड नेम मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) है. इस टीके को इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है. इसे ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल कंपनी ग्लाक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा PATH मलेरिया वैक्सीन इनिशिएटिव के साथ मिलकर तैयार किया है. इस टीके की चार डोज़ निश्चित समय अंतरान पर दी जानी होती हैं.

24 अप्रैल: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, संबंधित महत्त्वपूर्ण संवैधानिक तथ्य

प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ (National Panchayati Raj Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन देश में ज़मीनी स्‍तर पर सत्‍ता के विकेन्‍द्रीकरण के इतिहास में महत्त्वपूर्ण दिन माना जाता है. इसी दिन भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 के जरिए 24 अप्रैल 1993 को पंचायती राज व्‍यवस्‍था लागू हुई थी.

पंचायती राज क्या है?

सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्थ की गई है. इसी व्यवस्था को पंचायती राज का नाम दिया गया है.

त्रि-स्तरीय ढांचा

भारत में पंचायती राज त्रि-स्तरीय है. पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है. इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं.

भारत में पंचायती राज का इतिहास

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं. आधुनिक भारत में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी. 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी.

पंचायती राज से संबंधित संवैधानिक तथ्य

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया हैं.
  • भारतीय संविधान के 73वें संशोधन विधेयक से देश में पंचायती राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दी गयी है.
  • भारतीय संसद ने 1992 में इस संशोधन विधेयक को पारित किया था. यह संशोधन विधेयक 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था.
  • 73वें संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 में पंचायतों की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है. इस संशोधन के द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गयी, इसमें पंचायत के 29 विषयों को शामिल किया गया है.
  • 73वें संशोधन में एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला पंचायत) का प्रावधन किया गया है.

पंचायती राज संस्था अवधारणा के लिए गठित मुख्य समिति और सिफारिशें

  1. बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें (1957)
  2. अशोक मेहता समिति की सिफारिशें (1977)
  3. पीवीके राव समिति (1985)
  4. डॉ एलऍम सिन्घवी समिति (1986)

23 अप्रैल को मणिपुर में खोंगजोम दिवस मनाया जाता है, जानिए मुख्य ऐतिहासिक तथ्य

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को मणिपुर में खोंगजोम दिवस (Khongjom Day) मनाया जाता है. इस दिवस का मणिपुर की जनता के लिए अत्यंत महत्त्व है. इसी दिन 1891 में मणिपुर की स्वतंत्रता के लिए यह युद्ध लड़ा गया था.

मणिपुर के इतिहास में खोंगजोम युद्ध में शहीद हुए जवानों जवानों की शहादत को बड़े ही सम्मान के साथ याद किया जाता है. यह दिवस राज्य के बहादुर बेटों के सम्मान में हर साल मनाया जाता है जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था.

खोंगजोम युद्ध क्या है?

खोंगजोम यानी अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध (Anglo-Manipur War) 1891 में हुआ था जिसमें मणिपुर के वीर सेनानी पाओना ब्रजवासी ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की थी. इस युद्ध के बाद मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया.

स्वतंत्रता के बाद मणिपुर का संक्षिप्त इतिहास

  1. 1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब से मणिपुर का शासन महाराज बोधचन्द्र के पास था. 21 सितम्बर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना.
  2. 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद यहाँ एक ‘प्रादेशिक परिषद’ गठित की गई. इस परिषद में 30 चयनित तथा 2 मनोनीत सदस्य थे. इसका प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त को था.
  3. 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अन्तर्गत 30 चयनित तथा 3 मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई. 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उप-राज्यपाल कर दिया गया.
  4. 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई. राज्य में लोकसभा में 2 और राज्यसभा में 1 प्रतिनिधि है.

23 अप्रैल: विश्व पुस्तक दिवस, कुआलालंपुर को विश्व पुस्तक राजधानी 2020 नामित किया गया

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ (World Book Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच किताब पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना है. चूंकि किताबी दुनिया में कॉपीराइट एक अहम मुद्दा है, इसलिए विश्व पुस्तक दिवस पर इस पर भी जोर दिया जाता है. इसी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में इसे ‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ (World Book and Copyright Day) के तौर पर भी मनाया जाता है.

यूके और आयरलैंड में 23 अप्रैल को सेंट जॉर्ज दिवस होता है. इस वजह से वहां मार्च के पहले गुरुवार को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है.

विश्व पुस्तक राजधानी

UNESCO प्रत्येक वर्ष विश्व पुस्तक राजधानी (World Book Capital) नामित करता है. यह पुस्तक राजधानी 23 अप्रैल से 1 वर्ष की अवधि के लिए रहती है. इस वर्ष मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर (KL) को ‘विश्व पुस्तक राजधानी 2020’ के रूप में नामित किया गया है.

इस वर्ष यानी वर्ष 2020 में विश्व पुस्तक दिवस का विषय (थीम)- ‘KL Baca – caring through reading’ है.

विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने विश्व पुस्तक दिवस को प्रस्तावित किया था. पहला विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल, 1995 को मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने यही तारीख तय की थी.

विश्व पुस्तक दिवस को 23 अप्रैल को मनाने का विचार स्पेन की एक परंपरा से आया. स्पेन में हर साल 23 अप्रैल को ‘रोज डे’ मनाया जाता है. इस दिन लोग प्यार के इजहार के तौर पर एक-दूसरे को फूल देते हैं. 1926 में जब स्पेन के विख्यात लेखकत मिगेल डे सरवांटिस (Miguel de Cervantes) का निधन हुआ तो उस साल स्पेन के लोगों ने महान लेखक की याद में फूल की जगह किताबें बांटीं. स्पेन में यह परंपरा जारी रही जिससे ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाने का विचार आया.

23 अप्रैल: संयुक्त राष्ट्र अंग्रेजी भाषा दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र अंग्रेजी भाषा दिवस (UN English Language Day) मनाया जाता है. इसी दिन संयुक्त राष्ट्र स्पेनिश भाषा दिवस भी मनाया जाता है. भाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य बहु-भाषावाद तथा सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना है. अंग्रेजी ऐसी भाषा है जो अलग-अलग देशों और संस्कृति से आने वाले लोगों को साथ में जोड़ती है.

विलियम शेक्सपियर का जन्मदिन

23 अप्रैल को अंग्रेजी के मशहूर विलियम शेक्सपियर का जन्म हुआ था और उनकी मृत्यु भी इसी दिन हुई थी. इसलिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने 23 अप्रैल को अंग्रेजी भाषा दिवस के तौर पर चुना.

संयुक्त राष्ट्र 6 आधिकारिक भाषाओं के लिए अलग-अलग दिवस

संयुक्त राष्ट्र के 6 आधिकारिक भाषाएं हैं. इन 6 आधिकारिक भाषाओं के लिए अलग-अलग दिवस निश्चित किये गये हैं:

  1. अरबी भाषा: 18 दिसम्बर
  2. चीनी भाषा: 20 अप्रैल
  3. अंग्रेजी भाषा: 23 अप्रैल
  4. स्पेनिश भाषा: 23 अप्रैल
  5. फ़्रांसिसी भाषा: 20 अप्रैल
  6. रूसी भाषा: 6 जून

22 अप्रैल: पृथ्वी दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को विश्व में पृथ्वी दिवस (Earth Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय और पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना है.

पृथ्वी दिवस 2020 की थीम

इस वर्ष यानी 2020 के पृथ्वी दिवस का विषय (थीम)- Climate Action है.

पृथ्वी दिवस का इतिहास

1969 में यूनेस्‍को सम्‍मेलन में इस दिन को प्रस्‍तावित किया गया था. पहली बार, पृथ्वी दिवस 1970 में मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा 2009 में की थी.

अमेरिका में पृथ्वी दिवस को ‘वृक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने 22 अप्रैल 1970 को इस कार्यक्रम को पर्यावरण शिक्षा के रूप में मनाने के लिये चुना था.

21 अप्रैल: सिविल सेवा दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस (Civil Services Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस सिविल सेवकों को स्वयं को नागरिकों के लिए पुनर्समर्पित करने तथा अपनी वचनबद्धता को पुनर्सज्जित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

इसी दिन 1947 में पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ‘आल इंडिया एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ट्रेनिंग स्कूल’ के पहले बैच के अधिकारियों को दिल्ली के मेटकाफ़ हाउस में पहली बार संबोधित किया था. सरदार पटेल ने अपने संबोधन में सिविल सेवकों को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ के रूप में संबोधित किया था.

भारत सरकार ने वर्ष 2006 से इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था. पहला सिविल सेवा दिवस समारोह 21 अप्रैल 2006 को विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था. 21 अप्रैल 2020 को देश में 14वां सिविल सेवा दिवस मनाया गया.