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दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 संसद में पारित

दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक (Insolvency and Bankruptcy Code Amendment Bill) 2021 संसद में पारित हो गया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को 3 अगस्त को जबकि लोकसभा ने 28 जुलाई को मंजूरी दी थी.

संसद की मंजूरी के बाद इसने कानून का रूप ले लिया है. यह कानून उस दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2021 का स्थान लेगा, जिसे 4 अप्रैल 2021 को लागू किया गया था.

यह विधेयक दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता 2016 में संशोधन के लिए लाया गया था. यह छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करने और व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दिवालियापन और दिवाला को समय पर हल करने के लिए समाधान प्रदान करता है.

मुख्य बिंदु

यह संशोधन विधेयक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए एक वैकल्पिक दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रदान करेगा. इस संकल्प को “प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (PIRP)” कहा जाएगा.

यह 330 दिनों के भीतर कॉर्पोरेट देनदारों के दिवालियेपन के मुद्दों को हल करने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया शुरू करेगा. समाधान की इस प्रक्रिया को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) कहा जाता है. CIRP के तहत, देनदार या उसके लेनदार रुपये की चूक की स्थिति में CIRP की शुरुआत के लिए आवेदन कर सकेंगे.

किशोर न्‍याय-बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 पारित

राज्‍यसभा में ने 28  जुलाई को किशोर न्‍याय – बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक (Juvenile Justice Care & Protection of Children Amendment Bill)  2021 पारित कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अधिनियम का रूप लेगा.

किशोर न्‍याय-बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक: मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक किशोर न्‍याय – बाल देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 में संशोधन के लिए लाया गया था. इस विधेयक में बच्‍चों को न्‍याय और सहायता देने के प्रावधान किए गए है.
  • मामलों को जल्‍द निपटाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में अपर जिला मजिस्‍ट्रेट सहित जिला मजिस्‍ट्रेट को दत्तकग्रहण आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है.
  • इस विधेयक में बाल कल्‍याण समिति के सदस्‍यों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंडों को परिभाषित करने और पहले से अपरिभाषित अपराधों को गंभीर अपराधों की श्रेणी में शामिल करने का प्रावधान किया गया है.
  • इस अधिनियम में कहा गया है कि केवल दीवानी अदालत द्वारा गोद लेने का आदेश जारी करने पर ही बच्चे को गोद लेना फाइनल हो जाता है.

गहरा सागर मिशन के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गयी

सरकार ने गहरा सागर मिशन (Deep Ocean Mission) के एक प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है. यह प्रस्‍ताव को पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लाया गया था. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में 16 जून को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दी. इस मिशन के तहत गहरे सागर का सर्वेक्षण और खोज की जाएगी, जिससे जैव-विविधता और खनिजों के अध्‍ययन में मदद मिलेगी.

गहरे सागर मिशन पर चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत आने का अनुमान है और यह पांच वर्ष में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.

गहरा सागर मिशन के मुख्य बिंदु

  • इस निर्णय से संसाधनों के लिए गहरे सागर के अन्‍वेषण और समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए गहरे-सागर से संबंधित प्रौद्योगिकी विकसित करके नीली अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  • गहरा सागर मिशन भविष्‍य में क्रांतिकारी सिद्ध होगा. भारत की तटीय सीमा 7517 किलोमीटर लम्‍बी है. देश की करीब तीस प्रतिशत जनसंख्‍या तटीय क्षेत्रों में रहती है.
  • समुद्र मत्‍स्‍य पालन और एक्‍वाकल्‍चर, पर्यटन, आजीविका और समुद्री संसाधनों के कारोबार को समर्थन देने वाला प्रमुख आर्थिक कारक है.
  • इस मिशन के तहत समुद्र में छह हजार मीटर की गहराई तक तीन लोगों को ले जाने के लिए सबमर्सिबल विकसित की जाएगी. महासागर से ऊर्जा और पेय जल उत्पादन पर काम किया जायेगा.
  • इस मिशन के तहत अपतटीय समुद्री थर्मल ऊर्जा रूपांतरण सम्‍बंधी डिसेलिनेशन प्‍लांट के लिए अध्‍ययन और विस्‍तृत इं‍जीनियरिंग डिजाइन की भी परिकल्‍पना की गई है.

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021 संसद से पारित

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021’ को 28 मार्च को मंजूरी दे दी. इस विधेयक को हाल ही में संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी दी गई थी. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लिया है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली एक विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश है. यह विधेयक विधानसभा और उप-राज्यपाल की कुछ शक्तियों और जिम्मेदारियों में संशोधन करता है. 1991 का मौजूदा अधिनियम पुलिस और भूमि को छोड़कर विधान सभा को हर मामले में कानून बनाने की अनुमति देता है.

विधेयक के प्रावधान

इस विधेयक में दिल्ली के उप-राज्यपाल के अधिकार बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. विधेयक के तहत दिल्ली सरकार को कोई भी नियम कानून या योजना लाने से पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी.

कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी दी गयी

राज्यसभा ने 20 सितम्बर को कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को मंजूरी दी. इन दोनों विधयेकों को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। ये विदेयक- ‘कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ और ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020’ हैं. कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने दोनों विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया था. ये विधेयक 5 जून 2020 को जारी किए गए समान अध्‍यादेशों का स्‍थान लेंगे.

कृ‍षक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 किसानों को अपनी उपज के इलेक्‍ट्रॉनिक व्‍यापार की सुविधा भी प्रदान करेगा. इससे वे कृषि जिन्‍सों की प्रत्‍यक्ष ऑनलाइन खरीद-फरोख्‍त के लिए लेन-देन प्‍लेटफॉर्म स्‍थापित कर सकेंगे.

किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 के अनुसार पैदावार या फसल उगाने से पहले खेती संबंधी करार (अनुबंध) किए जा सकेंगे. ऐसे समझौते में कृषि उपज की खरीद के लिए निश्चित मूल्‍य का उल्‍लेख किया जा सकेगा.

कृषि विधयेक: मुख्य बिंदु

  • इन विधयेकों के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज की समाप्ति होगी. किसानों को अनुबंध खेती से अधिक आय प्राप्त करने का सुनहरा अवसर भी मिलेगा.
  • इससे किसानों की उपज खरीदने वालों की संख्‍या (प्रतिस्‍पर्धा) बढेगी और किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा.
  • किसानों को हर तरह के बिचौलियों और रूकावटों से आजाद करेगा. किसान अब यह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे अपने उत्पादों को कहां और किस कीमत पर बेचेंगे.
  • यदि किसान अपनी उपज की बिक्री करेंगे तो उन्‍हें मंडी कर नहीं देना होगा, जो 2-8.5 प्रतिशत तक होता है.
  • इन विधेयकों से कृषि उपज बाजार समिति (AMPC) अधिनियम का प्रभाव किसी भी तरह कम नहीं होगा.
  • कृषि जिन्‍सों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की प्रणाली जारी रहेगी.
  • प्रस्‍तावित कानूनों से किसानों को अंतर-राज्‍य बाजारों तक पहुंच कायम करने की अतिरिक्‍त सुविधा मिलेगी.

संसद ने दो चिकित्‍सा विधेयकों को पारित किया

राज्‍यसभा ने 18 सितम्बर को दो चिकित्‍सा विधेयकों को पारित किया. ये विधेयक हैं- होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन विधेयक-2020 और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद संशोधन विधेयक-2020. लोकसभा इन विधेयकों को पहले ही पारित कर चुकी है. इन विधेयकों का उद्देश्‍य होम्‍योपैथी और भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए उच्‍चस्‍तरीय चिकित्‍सकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करना है.

चिकित्‍सा विधेयक: एक दृष्टि

  • ‘होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन विधेयक-2020’ में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 में संशोधन किया गया है. इस अधिनियम में केंद्रीय होम्योपैथी परिषद की व्यवस्था की गई है जो होम्योपैथिक शिक्षा और प्रेक्टिस का नियमन करेगी.
  • यह विधेयक अप्रैल में जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन अध्यादेश का स्थान लेगा. इसके तहत केंद्रीय परिषद की अवधि दो साल से बढ़ाकर तीन साल करने के लिए 1973 के कानून में संशोधन किया गया है.
  • ‘भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद संशोधन विधेयक-2020’ को 1970 के भारतीय चिकित्‍सा केन्‍द्रीय परिषद कानून में संशोधन के लिए लाया गया है.
  • यह कानून इस संबंध में अप्रैल में जारी अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा. विधेयक में एक वर्ष के अंदर केन्‍द्रीय परिषद के पुनर्गठन का प्रस्‍ताव है. यह केन्‍द्रीय परिषद अप्रैल से एक वर्ष के लिए निलंबित रहेगी. तब तक सरकार निदेशक मंडल का गठन करेगी जिसे केन्‍द्रीय परिषद के अधिकार होंगे. निदेशक मंडल में दस सदस्‍य होंगे.

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्‍ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद की स्‍थापना

केन्‍द्र सरकार ने एक अधिसूचना के जरिये राष्‍ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद (National Council for Transgender- NCT) की स्‍थापना की है. इसका गठन ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम’ 2019 के तहत किया गया है. सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्री इसके पदेन अध्‍यक्ष और सामाजिक न्‍याय तथा अधिकारिता राज्‍य मंत्री इसके पदेन उपाध्‍यक्ष होंगे.

राष्‍ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद के कार्य

  • राष्‍ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद सरकार को ट्रांसजेंडर व्‍यक्तियों के संदर्भ में नीतियां, कार्यक्रम, कानून और परियोजनाएं तैयार करने के बारे में सलाह देगी.
  • परिषद ट्रांसजेंडरों को समान अवसर और पूर्ण भागीदारी प्रदान करने से संबंधित नीतियों तथा कार्यक्रमों के प्रभाव का मूल्‍यांकन करेगी और उन पर निगरानी रखेगी.
  • राष्‍ट्रीय परिषद ट्रांसजेंडरों से संबंधित मामलों का संचालन करने वाले सभी सरकारी विभागों और अन्‍य सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों की गति‍विधियों की समीक्षा करेगी और उनके बीच समन्‍वय करेगी.

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर्स योजना को वित्तीय सहायता देने को मंजूरी दी गयी

केंद्रीय मंत्रिमड़ल ने संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर्स योजना को वित्तीय सहायता देने को मंजूरी दे दी है. इस योजना के जरिये देश में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास किया जायेगा.

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर्स योजना: एक दृष्टि

सरकार ने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर्स योजना’ को देश में व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए स्वीकृति दी है. योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और मोबाइल फोन विनिर्माण तथा विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन राशि देना है. यह प्रोत्साहन राशि उत्पादन से जुड़ी होगी. सरकार भारत में मोबाइल और संबंधित उपकरणों के विनिर्माण पर बल देगी. केंद्र सरकार इस क्षेत्र में 20 लाख करोड़ रुपये निवेश करेगा जिससे अगले पांच वर्ष में 25 लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा.

लोकसभा ने ‘खनिज विधि संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी दी

लोकसभा ने 6 मार्च को ‘खनिज विधि संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी दे दी. इस विदेहेयक में कोयला खदानों के पट्टे संबंधी नियमों एवं आवंटन संबंधी प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है. कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया था. यह विधेयक संसद से पारित होने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा. यह अध्यादेश जनवरी 2020 में जारी किया गया था.

इस विधेयक के माध्यम से ‘खनिज विकास एवं नियमन अधिनियम 1957’ और ‘कोयला खान विशेष प्रावधान अधिनियम 2015’ में संशोधन का प्रावधान किया गया है.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि लौह अयस्क, मैगनीज अयस्क और क्रोमाइट अयस्क की 334 खानों की बाबत खनन पट्टे 31 मार्च 2020 को समाप्त हो रहे हैं जिससे 46 गैर-प्रतिबद्ध खान कार्यरत हैं.

मंत्रिमंडल ने ‘चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जनवरी को ‘चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी दी. इसके अंतर्गत गर्भपात अधिनियम-1971 में संशोधन की व्‍यवस्‍था की गई है. विधेयक में गर्भपात कराने की अधिकतम अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है. यह विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा.

विधेयक में गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए एक चिकित्सक की राय और 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए दो चिकित्सकों की राय लेना अनिवार्य करने का प्रस्‍ताव है. दो चिकित्‍सकों में से एक सरकारी चिकित्‍सक होना जरूरी है.

CAA 10 जनवरी से लागू हुआ, तीन देशों के धार्मिक आधार पर प्रताड़ित समुदायों को भारतीय नागरिकता

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 10 जनवरी से लागू हो गया है. केन्द्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है. इस कानून के अनुसार पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित छह अल्पसंख्यक समुदायों के व्‍यक्तियों के 31 दिसम्बर 2014 तक भारत में आने को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा. उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill or CAB) 2019 को मंजूरी दी थी. संसद (लोकसभा, राज्‍यसभा और राष्ट्रपति) की मंजूरी के बाद यह विधेयक अधिनियम (Act) बन गया था.

जानिए क्या है CAA…»

दमन और दीव तथा दादरा और नागर हवेली 26 जनवरी 2020 से एक केन्‍द्रशासित प्रदेश होंगे

दमन और दीव तथा दादरा और नागर हवेली का 26 जनवरी 2020 को औपचारिक रूप से विलय हो जायेगा. इस तिथि से ये दोनों केन्‍द्रशासित प्रदेशों का विलय प्रभावी हो जायेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन दोनों के विलय के लिए 19 दिसम्बर को अधिसूचना जारी की.

लोकसभा और राज्‍यसभा ने हाल ही में दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव (केन्‍द्रशासित प्रदेशों का विलय) विधेयक, 2019 पारित किया था. एकीकृत केन्‍द्रशासित प्रदेश का नाम ‘दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव’ होगा. विलय के बाद भी मुम्‍बई उच्‍च न्‍यायालय का विस्‍तार दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव केन्‍द्रशासित प्रदेश तक बना रहेगा.

देश में केन्‍द्रशासित प्रदेशों की संख्या घटकर आठ हो जाएगी

वर्तमान में देश में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद देश में कुल नौ केंद्रशासित प्रदेश हैं. दमन और दीव तथा दादरा और नागर हवेली के विलय के बाद इनकी संख्या घटकर आठ हो जाएगी.