तमिलनाडु ने राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए जोसेफ समिति गठित की

  • तमिलनाडु ने राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए एक समिति गठित की है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 15 अप्रैल 2025 को की थी. उन्होंने केंद्र सरकार पर राज्यों की संवैधानिक शक्तियों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
  • यह समिति राज्यों के अधिकारों की रक्षा और भारत के संघीय ढांचे को संतुलित करने के उपायों की समीक्षा और सिफारिश करेगी.
  • सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ इस समिति की अध्यक्षता करेंगे जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी अशोक वर्धन शेट्टी और अर्थशास्त्री एम नागनाथन भी शामिल हैं.
  • इस समिति का गठन डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार और भाजपा शासित केंद्र के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ है, खासकर शिक्षा नीति, कराधान, राजकोषीय हस्तांतरण और संस्थागत स्वायत्तता के मुद्दों पर.

भारत में केंद्र-राज्य संबंध: एक दृष्टि

  • भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का उल्लेख भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में किया गया है.
  • सातवीं अनुसूची शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित करती है- 1. संघ सूची,  2. राज्य सूची और 3. समवर्ती सूची.
  • संघ सूची में 98 विषय हैं जिन पर केवल संसद कानून बना सकती है. राज्य सूची में 59 विषय हैं जिन पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है.
  • समवर्ती सूची में 52 विषय हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन केंद्र और राज्य कानूनों के बीच टकराव की स्थिति में केवल केंद्रीय कानून मान्य होता है.
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 248, संसद को संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में सूचीबद्ध न किए गए विषयों पर कानून बनाने का विशेष अधिकार देता है.

केंद्र-राज्य संबंधों की जांच के लिए गठित समितियाँ

एम.सी. सीतलवाड़ समिति (1966): केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए भारत में गठित यह पहली समिति थी.  इसे 1966 में एम.सी. सीतलवाड़ के नेतृत्व में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा की गई थी.

राजमन्नार समिति (1969): 1969 में तमिलनाडु की एम. करुणानिधि के नेतृत्व वाली DMK ने 3 सदस्यीय समिति का गठन किया था. डॉ. वीपी राजमन्नार इसके अध्यक्ष थे.

सरकारिया आयोग (1983): इसकी स्थापना केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति राजिंदर सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में  1983 में की थी. इसका मकसद, केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों और शक्ति-संतुलन की समीक्षा करना था. आयोग ने 1987 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.

एम.एम. पुंछी आयोग (2007): भारत सरकार ने केंद्र-राज्य संबंधों पर विचार करने के लिए इस आयोग का गयाथा किया था. इसकी अध्यक्षता भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन मोहन पुंछी ने की थी.

राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (2000): इसकी स्थापना वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा की गई थी. इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकटचलैया ने की थी.