13 अप्रैल 2024: जलियांवाला बाग हत्याकांड के 105 वर्ष, खालसा पंथ की स्थापना

प्रत्येक वर्ष 13 अप्रैल को राष्‍ट्र, जलियांवाला बाग हत्‍याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की बरसी पर शहीदों को नमन करता है. इसी दिन ही सन 1919 में ब्रिटिश आर्मी का ब्रिगेडियर जनरल डायर ने अमृत्सर के जलियांवाला बाग में निहत्‍थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं. इस जघन्य हत्याकांड में 1000 से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. 13 अप्रैल 1924 को इस निर्मम हत्याकांड के 105 वर्ष पूरे हो गए हैं.

‘खालसा पंथ’ की स्थापना

13 अप्रैल का दिन कई अन्य मायनों में भी महत्वपूर्ण है. इसी दिन 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना आनंदपुर साहिब में की थी. इसी दिन फसल पकने की खुशी में बैसाखी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है.

खालसा सिख धर्म के विधिवत् दीक्षा-प्राप्त अनुयायियों सामूहिक रूप है. इस दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा तत्पश्चात उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया.

पुरुष दीक्षा-प्राप्त अनुयायियों को पाँच ककार (केश, कंघा, कच्छा, कड़ा और कृपाण) धारण करने की शपथ लेनी पड़ती है जो ‘ख़ालसा पंथ’ के प्रतीक हैं. साथ ही वे तंबाकू या शराब का सेवन न करने की भी शपथ लेते हैं.

जलियांवाला बाग निर्मम हत्याकांड: एक दृष्टि

  • जिस समय इस घटना को अंजाम दिया गया उस समय वहां मौजूद लोग रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा कर रहे थे.
  • जिस दिन इस घटना को अंजाम दिया गया था, उस दिन बैसाखी थी.
  • इस घटना के बाद से ही देश में ऊधम सिंह, भगत सिंह सहित कई क्रांतिकारी युवाओं में देश-भक्ति की लहर दौड़ गई.
  • इस दौरान बेगुनाह लोग अपनी जान बचाने के लिए बाग में बने कुएं में कूद गए थे, जिसे अब ‘शहीदी कुआं’ कहा जाता है.
  • भारत के दबाव में इस घटना की जांच के लिए 1919 में हंटर कमीशन का गठन किया गया था.
  • हंटर कमीशन के रिपोर्ट के बाद डायर को ब्रिटेन वापस भेज दिया गया.
  • ब्रिटिश सरकार की ओर से जारी किए गए दस्तावेज में बताया गया था कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1,200 लोग घायल हुए.
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