8 अगस्त 2023: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 81वीं वर्षगांठ

8 अगस्त 2023 को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (अगस्त क्रांति दिवस) की 81वीं वर्षगांठ (81st Quit India Movement) मनाई गयी. आज से 80 साल पहले 1942 में आज ही के दिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बंबई अधिवेशन में ‘भारत छोड़ो प्रस्ताव’ को मंजूरी दी थी, इससे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक बड़े आंदोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ था.

8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन खत्म करने का बिगुल बजाया था. इसकी नींव मुंबई के गोवलिआ टैंक, यानि की अगस्त क्रांति मैदान में रखी गयी थी. क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद गांधी जी ने मुंबई में गोवालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का आह्वान किया था.

भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा के एक दिन बाद ही महात्‍मा गांधी और अन्‍य कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के दौरान जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे दूसरे पंक्ति के नेताओं ने आंदोलन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत छोड़ो आंदोलन 1947 में भारत के एक संप्रभु राष्ट्र बनने से पहले आयोजित अंतिम प्रमुख सविनय अवज्ञा आंदोलन था.

प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को अहमदनगर किले में कैद किया गया था

भारत छोड़ो आन्‍दोलन में महाराष्‍ट्र के अहमदनगर किले की विशेष भूमिका रही है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बारह प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को इसी किले में कैद कर रखा गया, जिनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे. यहीं पर उन्होनें अपना लोकप्रिय ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ ग्रंथ लिखा. सन 2003 में, भारतीय पुरातत्वशास्त्र सर्वेक्षण ने अहमदनगर किले को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया.

गांधीजी को आगा खान पॅलेस में रखा गया था

भारत छोड़ो आन्‍दोलन का आरम्भ मुंबई में करने के पश्चात महात्मा गांधीजी को हिरासत में लेकर पुणे के आगा खान पॅलेस में रखा गया. उनके साथ उनकी पत्नी कस्तुरबा तथा उनके नीजी सचिव महादेव देसाई भी थे. इस दौरान कस्तुरबा तथा देसाई का यहीं पर देहान्त हुआ, उनकी समाधियां आगा खान पॅलेस में स्थित है.

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