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राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने ‘गौ विज्ञान’ पर राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित किये जाने की घोषणा की

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA) ने ‘गौ विज्ञान’ (Cow Science) पर राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित किये जाने की घोषणा की है. इसकी घोषणा RKA के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने 5 जनवरी को की. इस परीक्षण का उद्देश्य देशी गायों और इसके फायदे के बारे में छात्रों और आम लोगों के बीच रुचि पैदा करना है.

यह परीक्षण प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जायेगा. इस वर्ष इस परीक्षा का आयोजन 25 फरवरी को किया जाएगा. इस ऑनलाइन परीक्षा का नाम ‘गौ विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा’ होगा. इस परीक्षा में प्राथमिक, माध्यमिक और कॉलेज स्तर के छात्र और आम लोग निशुल्क हिस्सा ले सकेंगे

इस परीक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे और आयोग की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम के बारे में ब्यौरा उपलब्ध कराया जाएगा. परीक्षा परिणामों की घोषणा तुरंत कर दी जाएगी और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. साथ ही होनहार उम्मीदवारों को इनाम दिया जाएगा.

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग क्या है?

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की स्थापना केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में की थी. इसका लक्ष्य गायों के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए काम करना है. यह मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत आता है.

चीन ने प्रकाश आधारित दुनिया का पहला क्वांटम कंप्यूटर ‘जियूझांग’ बनाने का दावा किया

चीन के वैज्ञानिकों ने प्रकाश आधारित, दुनिया का पहला क्वांटम कंप्यूटर बनाने का दावा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह कंप्यूटर पारंपरिक सुपर कंप्यूटर के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से कार्य कर सकता है. इस सुपर कंप्यूटर का नाम गणित के प्राचीन चीनी ग्रंथ के नाम पर ‘जियूझांग’ दिया गया है.

जियूझांग क्वांटम कंप्यूटर भरोसेमंद तरीके से कंप्यूटेशनल एडवान्टेज का प्रदर्शन कर सकता है, जो कंप्यूटर क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है. इस कंप्यूटर की मदद से शक्तिशाली मशीन को बनाने के तरीके में मौलिक बदलाव आएगा.

क्वांटम कंप्यूटर: एक दृष्टि

क्वांटम कंप्यूटर बहुत तेजी से काम करते हैं, जो पारंपरिक कंप्यूटर के लिए संभव नहीं है. इनकी मदद से भौतिक विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धि हासिल होती है. यह सुपर कंप्यूटर जो गणना मात्र 200 सेकेंड (100 ट्रिलियन गुना तेज) में कर सकता है, उसे करने में पारंपरिक पद्धति से बने दुनिया के सबसे तेज कंप्यूटर ‘फुगाकू’ को 60 करोड़ साल लगेंगे.

पिछले साल गूगल ने 53 क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर बनाने की घोषणा की थी. जियूझांग 76 फोटॉन में हेरफेर कर जटिल गणना करता है, जबकि गूगल का क्वांटम कंप्यूटर सुपर कंडक्टिव वस्तुओं का इस्तेमाल करता है.

भारत के सबसे बड़े HPC-AI सुपरकंप्यूटर ‘PARAM Siddhi–AI’ को कमीशन किया

C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing) ने भारत के सबसे बड़े HPC-AI सुपरकंप्यूटर ‘PARAM Siddhi–AI’ को कमीशन किया. HPC-AI का पूरा नाम High Performance Computing and Artificial Intelligence है. PARAM Siddhi–AI विज्ञान प्रद्योगिकी के क्षेत्र में शोध और खोज में मदद करेगा.

भारत का पहला सुपर कंप्यूटर ‘Param Shivay’ था. इसका निर्माण भी C-DAC द्वारा किया गया था. परम शिवाय ने 1,20,000 से अधिक गणना कोर और 833 टीफ्लॉप्स का उपयोग किया. TeaFlop कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड का एक पैमाना है.

अमेरिका में कल्पना चावला के नाम पर अंतरिक्ष यान का नाम रखा गया

अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने अपने अगले स्पेस स्टेशन रिसप्लाय शिप ‘NG-14’ सिग्नस अंतरिक्ष यान का नाम ‘एस एस कल्पना चावला’ रखने की घोषणा की है. यह अंतरिक्ष यान 29 सितंबर को इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन के लिए लॉन्‍च किया जाएगा.

एस एस कल्पना चावला एक री-सप्‍लाई शिप है. यह अंतरिक्ष यान अपने साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए करीब 3629 किग्रा वजनी सामान लेकर जाएगा. इसे वर्जीनिया स्पेस के मिड-अटलांटिक रीजनल स्पेसपोर्ट (MARS) वॉलॉप्स द्वीप से कक्षा में लॉन्च किया जाएगा.

कल्‍पना चावला: एक दृष्टि

16 जनवरी, 2003 को कल्‍पना चावला अमेरिकी अंतिरक्ष यान कोलंबिया के चालक दल के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं. पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने के दौरान कोलंबिया अंतरिक्ष यान दुर्घटना ग्रस्त हो गया था. इस दुर्घटना में सभी सात क्रू सदस्यों की मौत हो गयी थी. चावला ने नासा में भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में इतिहास रचा है.

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविड-19 वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ के ट्रायल रोक लगाई

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविड-19 वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ (Covid-19 vaccine Covishield) का ट्रायल रोक दिया है. देशभर में 17 अलग-अलग जगहों पर इस टीके का परीक्षण हो रहा था. कंपनी ने यह फैसला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से नोटिस पाने के बाद लिया. DCGI ने नोटिस में कहा कि SII ने वैक्‍सीन के ‘सामने आए गंभीर प्रतिकूल प्रभावों’ के बारे में अपना एनालिसिस भी उसे नहीं सौंपा.

ब्रिटेन की दावा कंपनी अस्‍त्राजेनेका ने ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के साथ मिलकर यह वैक्‍सीन बनाई है. DCGI ने सीरम इंस्टिट्यूट से पूछा था कि उसने यह क्‍यों नहीं बताया कि अस्‍त्राजेनेका ने इस वैक्‍सीन का ट्रायल रोक दिया है. अस्‍त्राजेनेका के ट्रायल रोकने का ऐलान करने के बावजूद सीरम इंस्टिट्यूट ने ट्रायल जारी रखने की बात कही थी.

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम सहित विभिन्न देशों में ‘कोविशील्‍ड’ परीक्षण चरण में था. भारत में इस टीका के फेज 2 और 3 ट्रायल को मंजूरी दी गई थी. सीरम इंस्टिट्यूट ने अस्‍त्राजेनेका के साथ कोविड- 19 टीके की एक अरब डोज बनाने की डील कर रखी है. वही इस वैक्‍सीन का भारत में क्लिनिकल ट्रायल कर रही है. अबतक देश में करीब 100 लोगों को यह टीका लगाया जा चुका है.

सीरम इंस्टिट्यूट अपना जवाब DCGI को सौंपेगा. बहुत कुछ अस्‍त्राजेनेका पर भी निर्भर करेगा कि उसकी जांच में क्‍या निकलकर आता है. ट्रायल अस्‍थायी तौर पर इसलिए रोका गया है ताकि बीमारी के बारे में और जाना जा सके.

अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर संगठन के सत्र का फ्रांस में आयोजन

अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर संगठन (ITER) के सत्र का आयोजन फ्रांस में हाल ही में किया गया था. इस संगठन के सत्र के अवसर पर फ्रांस में एक भव्य आयोजन किया गया था. इस आयोजन का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने किया था. इस सत्र में दुनिया भर के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने हिस्सा लिया था.

क्या है ITER?

  • ITER, International Thermonuclear Experimental Reactor का संक्षिप्त रूप है. इसका उद्देश्य व्यावसायिक उपयोग के लिए फ्यूजन (संलयन) से ऊर्जा तैयार करने की संभावना तलाशना है.
  • यह ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा चलाया जा रहा एक अनुसंधान परियोजना है.
  • यह अनुसंधान अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सहयोग से ‘संलयन नाभिकीय प्रक्रिया’ पर आधारित है. वर्ष 2000 में इस परियोजना की कुल लागत 4.57 अरब यूरो आंकी गयी थी.
  • यह हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर आधारित नाभिकीय परियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है. इसमें नाभिकीय संलयन से उसी प्रकार से ऊर्जा मिलेगी जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है.
  • ITER परियोजना के सदस्‍य देश: इस परियोजना के भागीदार यूरोपियन यूनियन, जापान, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका हैं. भारत आधिकारिक रूप से इस परियोजना में 6 दिसम्बर, 2005 को शामिल हुआ था.

वैज्ञानिकों ने जेनेटिक कोड में बदलाव कर रंगीन कपास को विकसित करने में सफलता पाई

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रंगीन कपास को विकसित करने में सफलता का दावा किया है. इसके विकसित होने से अब कपड़ाें में रासायनिक रंगाें के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी.

वैज्ञानिकों ने कपास के आणविक रंग के जेनेटिक कोड में बदलाव कर यह सफलता प्राप्त की है. जेनेटिक कोड में बदलाव कर वैज्ञानिकों ने अलग-अलग रंगों के पौधों के टिश्यू काे तैयार किया गया है. अब इसे खेतों में उगाया जा रहा है.

शरीर व पर्यावरण के अनुकूल

विश्व में अभी 60% से ज्यादा पॉलिएस्टर कपड़ों का निर्माण हो रहा है, जो 200 सालों तक नष्ट नहीं होते. साथ ही एक किलो कपड़े को रंगने के लिए एक हजार लीटर पानी बर्बाद होता है. अब इस कपास से बने धागे को रासायनिक रंगों से रंगने की जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही यह शरीर व पर्यावरण के अनुकूल होंगे.

उन्नत कपास की किस्म का विकास

वैज्ञानिक अब ऐसे प्राकृतिक कपास की किस्म तैयार कर रहे हैं, जिसके धागों से बने कपड़ाें में सिलवट नहीं पड़ेगी और उसे स्ट्रैच करना भी आसान हाेगा. इससे सिंथेटिक कपड़ाें का उपयाेग कम करने में आसानी हाेगी.

भारत में भी प्रयोग किया जा रहा है

रंगीन कपास को लेकर भारत में भी काफी प्रयोग हुए हैं. वैज्ञानिकों को भूरे और हरे रंग के कपास पाने में सफलता भी पाई है. नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने रंगीन कपास के 15 पेटेंट भी हासिल किए हैं.