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खेल को उद्योग का दर्जा देने वाला भारत का पहला राज्या बना मिजोरम

मिजोरम मंत्रिमंडल ने राज्य में खेल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में खेलों को उद्योग का दर्जा दिया है. राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में खेल और युवा मामले के विभाग के प्रस्ताव ‘खेल को उद्योग का दर्जा देने’ को मंजूरी दी गयी.

निवेश को आकर्षित कर खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मिजोरम ने खेल को उद्योग का दर्जा दिया है. मिजोरम ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है.

20 फरवरी: अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 फरवरी को अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्‍थापना दिवस मनाया जाता है. अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1987 में आज ही के दिन राज्य का दर्जा मिला था. इस वर्ष यानी 2020 में 34वां स्थापना दिवस है.

अरुणाचल प्रदेश

  • अरुणाचल प्रदेश 20 फ़रवरी, 1987 को भारतीय संघ का 24वां राज्य बना था. 1972 तक, इसे नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के नाम से जाना जाता था.
  • सन 1972 में इसे प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम ‘अरुणाचल प्रदेश’ किया गया था. केंद्रशासित प्रदेश अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने के लिए 55वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है. ‘अरुणाचल’ का अर्थ हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि’ (अरुण+अचल). ईटानगर राज्य की राजधानी है. अरुणाचल प्रदेश की मुख्य भाषा हिन्दी और असमिया है.
  • प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिण-पूर्व मे नागालैंड पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं. भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है.

मिज़ोरम

  • मिज़ोरम 1987 को भारत का 23वां राज्य बना था. 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश बना था. केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक जिला था.
  • भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ्रंट के बीच 1986 में हुए ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. इसके लिए 53वां संविधान संशोधन किया गया था.
  • मिज़ोरम भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है. मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक 91.03% है. यहाँ की राजधानी आईजोल है.
  • पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य है.

ब्रू शरणार्थियों की समस्या के समाधान के लिए समझौते, जानिए कौन है ब्रू शरणार्थी

केंद्र सरकार ने ब्रू-शरणार्थी संकट को समाप्त करने के लिए त्रिपुरा, मिजोरम और ब्रू समुदाय के सदस्यों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता 16 जनवरी को नई दिल्‍ली में हुआ. गृहमंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांग की उपस्तिथि में यह समझौता किया गया. इस समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जायेगा.

समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए छह सौ करोड़ रुपए का पैकेज मंजूर किया है. सरकार उनको आवासीय प्‍लॉट, चार लाख रुपये की फिक्‍स डिपॉजि़ट और पांच हजार रुपया प्रतिमाह नकद सहायता देगी.

कौन है ब्रू शरणार्थी और क्या है मामला?

  1. ब्रू शरणार्थी मिजोरम की ब्रू (रियांग) जनजाति है. मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने ब्रू जनजातियों को निशाना बनाया. 1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया.
  2. अक्टूबर, 1997 में मिजोरम में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई. जिसके बाद काफी संख्या में ब्रू शरणार्थि अपना राज्य मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा आ गए थे, जहां वो कई कैंप में रह रहे थे. इस प्रकार यह समस्या 22 वर्षों से जारी थी.
  3. साल 2018 में केंद्र की पहल पर हुए समझौते के तहत उनके लिए मिज़ोरम में वापसी की व्यवस्था हुई थी, लेकिन काफी कम लोगों ने उस अवसर का इस्तेमाल किया. अब ब्रू शरणार्थियों की मांग पर त्रिपुरा में ही उनके रहने की व्यवस्था हुई है.