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इंदौर में विश्व आर्द्र भूमि पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया

2 फ़रवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) के दिन इंदौर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन इंदौर की रामसर साइट सिरपुर तालाब पर किया गया था.

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और रामसर कन्वेंशन की महासचिव डॉक्टर मसुन्डा मुम्बा ने भी हिस्सा लिया.

मुख्य बिन्दु

  • इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मध्‍यप्रदेश राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण और नगर पालिक निगम, इन्दौर के संयुक्त सहयोग से किया गया था.
  • कार्यक्रम में देश के सभी राज्यों के अधिकारी, वैज्ञानिक तथा देश की 80 रामसर साइट्स के प्रबंधक सहित 200 से अधिक विशेषज्ञ ने भाग लिया.
  • मध्यप्रदेश में तालाबों की संख्या लगभग 15 हजार से अधिक है. राज्य शासन द्वारा किये जा रहे संरक्षण के प्रयासों से दो वर्षों में ही रामसर साइट्स की संख्या एक से बढ़कर चार हो गयी है.

आर्द्रभूमि क्या होता है?

आर्द्रभूमि (wetland) ऐसा भूभाग होता है जिसका बड़ा हिस्सा किसी जल से संतृप्त हो या उसमें डूबा रहे. आर्द्रभूमि के कई लाभ हैं. यह जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है. भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है.

आर्द्रभूमि कार्बन के भंडारण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. वे बाढ़ को कम करती हैं, पीने के पानी की भरपाई करती हैं, कचरे को छानती हैं, शहरी हरे स्थान प्रदान करते हैं और आजीविका का स्रोत हैं.

महिलाओँ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मध्यप्रदेश में लाडली बहना योजना

मध्यप्रदेश में महिलाओँ को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए 10 जून को ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना’ शुरू किया है. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक महिला को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाएंगे.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रथम माह की राशि लगभग सवा करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में जमा कराए.

मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना, उनके स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाना  और परिवार के फैसलों में उनकी भूमिका बढ़ाना है.

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में पंचायत अनुसूचित विस्तार अधिनियम लागू

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में पंचायत अनुसूचित विस्तार अधिनियम (Panchayat Extension to Scheduled Areas (PESA) Act) लागू कर दिया है. इसका उद्देश्य ग्राम सभाओं की सक्रिय भागीदारी से जनजातीय लोगों को शोषण से बचाना है.

पेसा अधिनियम: मुख्य बिन्दु

  • पेसा अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में विशेष अधिकार देता है.
  • पेसा अधिनियम का उद्देश्य भारतीय संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करना है.
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 15 नवंबर को मध्य प्रदेश के शहडोल में एक कार्यक्रम में इसकी औपचारिक घोषणा की थी. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस अधिनियम का उपयोग जनजातीय समुदाय के लोगों को सशक्त बनाने के लिए किया जाएगा.
  • मध्यप्रदेश यह कानून लागू करने वाला देश का सातवां राज्य बन चुका है. इससे पहले हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र ने यह कानून बनाया था.
  • इस कानून का उद्देश्य जनजातीय समाज को स्वशासन प्रदान करने के साथ ही ग्रामसभाओं को सभी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाना है.

मध्यप्रदेश में ‘वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व’ के गठन को मंजूरी

मध्यप्रदेश राज्य वन्यप्राणी बोर्ड ने प्रदेश में ‘वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व’ के गठन की मंजूरी दी है. यह मध्यप्रदेश का सातवाँ टाइगर रिजर्व होगा.

‘वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व’ के गठन के बाद मध्य प्रदेश में कुल सात टाइगर रिजर्व हो जाएगा. यह भारत का सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व वाला राज्य बन जाएगा. अब तक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य थे, जहां सबसे अधिक छह-छह टाइगर रिजर्व थे.

यह मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर, दमोह और सागर जिलों को कवर करते हुए 2,339 वर्ग किलोमीटर के नए बाघ अभयारण्य में फैला होगा.

उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर की विस्तार परियोजना ‘महाकाल लोक’ का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्तूबर को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक का उद्घाटन किया. यह उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर की विस्तार परियोजना है.

महाकाल लोक: एक दृष्टि

  • उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर की विस्तार परियोजना है जिसे महाकाल लोक नाम दिया गया है. महाकाल लोक में महाकाल मंदिर परिसर का लगभग 20 हेक्टेयर में विस्तार किया जा रहा है.
  • काम पूरा होने के बाद महाकाल कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लगभग चार गुना बड़ा हो जाएगा. महाकाल लोक में भगवान शंकर की सभी पौराणिक कथाएं एक ही स्थान पर देखने को मिलेंगी.
  • उज्जैन स्थित महाकाल, 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है. महाकाल लोक में भगवान शिव, देवी सती और अन्य धार्मिक कथाओं से संबंधित मूर्तियां और भित्ति चित्र बनाए गए हैं.
  • श्री महाकाल कॉरिडोर की अनुमानित लागत 800 करोड़ रुपये है. योजना के प्रथम चरण में 351 करोड़ रुपये की लागत से महाकाल लोक के अलावा रूद्रसागर, हरसिद्धि मंदिर, चार धाम मंदिर और विक्रम टीला का निर्माण और विकास किया गया है.

बायो-सीएनजी ‘गोबर-धन’ संयंत्र का इंदौर में उद्घाटन किया गया

मध्य प्रदेश के इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी ‘गोबर-धन’ संयंत्र शुरू किया गया है. इस संयंत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 18 फरवरी को वर्चुअल माध्यम से किया था. भारत के शहरों को स्‍वच्‍छ बनाने, प्रदूषण रहित बनाने, क्‍लीन एनर्जी को बढावा देने के उद्देश्य से गोबर-धन अभियान चलाया जा रहा है.

प्रधनमंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु

  • देश के गांवों में भी हजारों की संख्‍या में गोबर धन बॉयो गैस प्‍लांट लगाए जा रहे हैं. इनसे हमारे पशुपालकों को गोबर से भी अतिरिक्‍त आय मिलनी शुरू हुई है.
  • बायो सीएनजी संयंत्र शहरों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद करेंगे. सरकार अगले दो वर्षों में 75 बड़े नगर निगमों में इसी तरह के संयंत्र बनाएगी.
  • शहर के कचरे और पशु धन से गोबर धन, फिर गोबर धन से स्‍वच्‍छ ईंधन, फिर स्‍वच्‍छ ईंधन से ऊर्जा धन ये श्रृंखला जीवन धन का निर्माण करती है.
  • लाखों टन कचरा हजारों एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. इससे वायु और जल प्रदूषित होते हैं. उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में इस समस्या से निपटने के लिए कार्य किया जा रहा है.

गेल ने सीजीडी नेटवर्क में हाइड्रोजन के सम्मिश्रण की पहली परियोजना शुरू की

गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने प्राकृतिक गैस प्रणाली में हाइड्रोजन के मिश्रण की परियोजना शुरू की है. यह भारत की अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसे मध्यप्रदेश के इंदौर में शुरू किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • इस हाइड्रोजन मिश्रित प्राकृतिक गैस की आपूर्ति अवंतिका गैस लिमिटेड को की जाएगी. अवंतिका गैस लिमिटेड इंदौर में कार्यरत HPCL के साथ गेल की संयुक्त उद्यम कंपनी है.
  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप, गेल ने सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क में हाइड्रोजन सम्मिश्रण की तकनीकी-व्यावसायिक संभाव्यता स्थापित करने के लिए पायलट परियोजना के रूप में हाइड्रोजन सम्मिश्रण शुरू किया है. यह परियोजना हाइड्रोजन आधारित और कार्बन न्यूट्रल भविष्य की दिशा में भारत की यात्रा का एक महत्वपूर्ण कदम है.
  • गेल ने सिटी गेट स्टेशन (सीजीएस), इंदौर में स्लेटी हाइड्रोजन इंजेक्शन अर्थात भरना शुरू किया. इस स्लेटी हाइड्रोजन को बाद में हरित हाइड्रोजन से बदल दिया जाएगा.

केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8 दिसम्बर को केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना (Ken-Betwa River Interlinking Project) को मंजूरी दी. इस परियोजना में 44,605 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसका 90% खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. यह प्रोजेक्ट 8 साल में पूरा कर लिया जाएगा.

परियोजना के मुख्य बिंदु

  • केन-बेतवा परियोजना के तहत 176 किलोमीटर की लिंक कैनाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों नदियों को जोड़ा जा सके. प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद मध्य प्रदेश के सागर-विदिशा सहित 12 जिलों को पानी मिलेगा. इसके साथ ही 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी.
  • केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से नॉन मानसून सीजन (नवंबर से अप्रैल के बीच) में मध्यप्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) व उत्तर प्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा.
  • प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर ढोड़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा. यह पानी नहर के जरिया बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा. वहीं, दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे. इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा.
  • प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही, 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावॉट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा. केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावॉट है.
  • परियोजना से बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 12 जिलों को पानी मिलेगा. मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी को पानी मिलेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी.

केन और बेतवा नदी

केन और बेतवा नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है, ये यमुना की सहायक नदियाँ हैं. केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना नदी में मिलती है तथा बेतवा नदी से यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में मिलती है.

नदियों को जोड़ने का लाभ

नदियों को आपस में जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की पुनरावृत्ति का समाधान होगा. इससे सिंचाई के स्थायी साधन प्रदान करके तथा भूजल पर अत्यधिक निर्भरता को कम करके उनके लिये स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेगा. बहुउद्देशीय बांध के निर्माण से न केवल जल संरक्षण में तेज़ी आएगी, बल्कि जल-विद्युत का उत्पादन भी होगा.

इंदौर को भारत का पहला ‘वाटर प्लस’ शहर घोषित किया गया

भारत में सबसे स्वक्ष शहर का दर्जा हासिल करने के बाद मध्‍य प्रदेश का शहर इंदौर अब देश का पहला वाटर प्लस सिटी बन गया है. केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय ने 11 अगस्त को इंदौर को भारत का पहला ‘वाटर प्लस’ शहर घोषित किया. अपने प्रशासन के तहत नदियों और नालों में स्वच्छता बनाए रखने वाले शहर को वाटर प्लस सिटी सर्टिफिकेट (Water Plus city certificate) प्रदान किया जाता है.

इंदौर को लगातार चार बार देश में सबसे अधिक स्वक्ष शहर होने का दर्जा प्राप्त है. वाटर प्‍लस सिटी के मुकाबले में इंदौर के साथ गुजरात के दो शहर सूरत और अहमदाबाद और महाराष्‍ट्र से नवी मुंबई को भी शामिल किया गया था.

‘वाटर प्लस’ प्रमाणन प्राप्त करने के लिए, निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए गए हैं:

  1. गंदा पानी किसी नदी या नाले में नहीं जाना चाहिए.
  2. इसके अलावा, शहर के 30% सीवर पानी को पुनर्चक्रित (recycle) और पुन: उपयोग (reuse) करने की आवश्यकता है.
  3. सार्वजनिक शौचालयों को सीवर लाइन से जोड़ा जाना चाहिए और इसे साफ किया जाना चाहिए.

मध्य प्रदेश में 57 हजार से अधिक जल संरचनाओं का वर्चुअल लोकार्पण

मध्य प्रदेश में ‘जलाभिषेकम’ कार्यक्रम के तहत 57653 जल संरचनाओं का लोकार्पण किया गया है. यह लोकार्पण केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 फरवरी को वर्चुअल माध्यम से किया.

जलाभिषेकम कार्यक्रम के तहत पूरे प्रदेश में अगले 3 साल में हर गांव में पानी की पाइप लाइन बिछाने का लक्ष्य है. इस योजना की लागत करीब 2 हजार करोड़ है. इन जल संरचनाओं से ढाई लाख एकड़ जमीन को सिंचित किया जाएगा.

मध्य प्रदेश में निमोनिया के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने निमोनिया के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान की शुरुआत की है. मध्य प्रदेश में लगभग 4,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र निमोनिया संबंधी जागरूकता और इलाज के लिए स्थापित किए गए हैं.

राज्य में इसके लिए, सांस (SAANS) अभियान 5 फरवरी को शुरू की गयी. SAANS का पूरा नाम सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइस निमोनिया सेक्‍सेसफुली है.

इसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. राज्य सरकार ने प्रशिक्षण मॉड्यूल भी विकसित किया है जिसे PGIMER, चंडीगढ़ और यूनिसेफ की साझेदारी में विकसित किया गया है. इनका उपयोग स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कौशल को बढ़ाने के लिए किया जाएगा, जिसमें डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं.

मध्य प्रदेश में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया जाएगा

मध्य प्रदेश में फ्लोटिंग (पानी पर तैरता) सोलर प्लांट लगाया जा रहा है. यह प्लांट नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध के पास होगा जिसके 2 वर्ष में पूरा होने का लक्ष्य है. इस प्लांट से 600 मेगावाट बिजली मिलेगी. यह विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट होगा. केरल के वायनाड में 105 मेगावाट क्षमता का तैरता सोलर प्लांट स्थापित है.

इंटरनेशनल फाइनेंस कार्पोरेशन, वर्ल्ड बैंक और पॉवर ग्रिड ने परियोजना विकास में सहयोग के लिए सैद्धांतिक सहमति दी है. इस प्रोजेक्ट में अनुमानित निवेश 3000 करोड़ रुपए है. परियोजना से दो साल में विद्युत उत्पादन की संभावना है. मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा परियोजना से 400 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए सहमति दी जा चुकी है.

इस फ्लोटिंग सोलर प्लांट में बांध के लगभग 2 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में 25,00,000 सोलर पैनल प्लेटें लगाये जायेंगे जिससे बिजली का उत्पादन होगा. सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगे. बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वत: ही ऊपर-नीचे एडजस्ट होते रहेंगे. तेज लहरों और बाढ़ का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सूर्य की किरणों से निरंतर बिजली का उत्पादन होगा.