भारतीय अमेरिकी डॉ ताहेरा कुतुबुद्दीन (Dr Tahera Qutbuddin) को 15वां शेख जायद बुक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्होंने 2019 में लीडन के ब्रिल एकेडमिक पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित अपनी नवीनतम पुस्तक “अरबी ओरेशन – आर्ट एंड फंक्शन (Arabic Oration – Art and Function)” के लिए पुरस्कार जीता.
मुंबई में जन्मी डॉ. ताहेरा कुतुबुद्दीन, शिकागो विश्वविद्यालय में अरबी साहित्य के प्रोफेसर हैं. वह यह पुरस्कार जीतने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति बनी हैं.
शेख जायद बुक पुरस्कार
शेख जायद बुक पुरस्कार को अरब जगत का नोबेल पुरस्कार माना जाता है. अरबी ओरेशन – आर्ट एंड फंक्शन पुस्तक में, वह सातवीं और आठवीं सदी की अपनी मौखिक अवधि में अरबी साहित्य का एक व्यापक सिद्धांत प्रस्तुत करती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-05-11 23:58:032021-05-13 14:16:13डॉ ताहेरा कुतुबुद्दीन को 15वां शेख जायद बुक पुरस्कार से सम्मानित किया गया
मराठी लेखक डॉक्टर शरण कुमार लिंबाले को वर्ष 2020 का सरस्वती सम्मान से सम्मनित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘सनातन’ के लिए दिया गया है.
केके बिरला फाउंडेशन के चयन परिषद ने शरण कुमार लिंबाले को 30वें सरस्वती सम्मान के लिए चुना है. ‘सनातन’ एक मराठी उपन्यास है जिसका प्रकाशन 2010 में हुआ था.
सरस्वती सम्मान: एक दृष्टि
सरस्वती सम्मान केके बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा साहित्य के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार है. इसकी शुरूआत 1991 में हुई थी.
यह सम्मान प्रतिवर्ष संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाओं की में प्रकाशित उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है.
यह सम्मान दस साल की अवधि में प्रकाशित किसी श्रेष्ठ कृति को दिया जाता है.
इस सम्मान के तहत उन्हें को 15 लाख रुपए, प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है.
27वां सरस्वती सम्मान (वर्ष 2017 के लिए) सितांशु यशचन्द्र को और 28वां सरस्वती सम्मान (वर्ष 2018 के लिए) तेलुगू के प्रख्यात कवि डा. के शिवा रेड्डी को दिया गया था.
पहला सरस्वती सम्मान डा. हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार खंडों की आत्मकथा के लिए मिला था.
अब तक यह सम्मान विजय तेंदुलकर,पद्मा सचदेव, गोविन्द मिश्र, सुरजीत पातर, शंख घोष, डा. इंदिरा पार्थसारथी, सुनील गंगोपाध्याय और मनोज दास, रमाकांत रथ, प्रो के अय्यप्प पणिक्कर, डॉक्टर एम वीरप्पा मोइली जैसे लेखकों को मिल चुका है.
29वां सरस्वती सम्मान (वर्ष 2017 के लिए) प्रख्यात सिंधी लेखक वासदेव मोही को दिया गया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-03-31 15:10:432021-03-31 15:10:06शरण कुमार लिंबाले को 30वें सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया जायेगा
पत्रकार लेखक राजकमल झा को तीसरे रबिंद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘द सिटी एंड द सी’ (The City and The Sea) के लिए दिया गया है. पुरस्कार विजेता की घोषणा डेनमार्क के कोपनहेगन में ऑनलाइन की गई.
झा की किताब ‘द सिटी एंड द सी’ दिसंबर 2012 के निर्भया बलात्कार एवं हत्या मामले पर आधारित है. पुरस्कार की दौड़ में अमिताव घोष की ‘गन आईलैंड’, निर्मला गोविंदराजन की ‘टैबू’ और रणजीत होसकोटे की ‘जोनाह्वेल’ भी शामिल थीं.
रबिंद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार: एक दृष्टि
रबिंद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार की स्थापना 2018 में अमेरिका के प्रकाशक बुंडालो ने विश्व शांति, साहित्य, कला, शिक्षा और मानवाधिकारों के मंच के तौर पर की थी. पुरस्कार स्वरुप पांच हजार डॉलर की राशि प्रदान की जाती है.
वर्ष 2019 में यह पुरस्कार ब्रिटिश मूल के भारतीय उपन्यासकार राणा दासगुप्ता को उनके उपन्यास ‘सोलो’ के लिए दिया गया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-09 23:53:392020-12-10 11:53:51राजकमल झा को रबिंद्रनाथ टैगोरे साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को वातायन अन्तर्राष्ट्रीय शिखर सम्मान (Vatayan Lifetime Achievement Award) से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह सम्मान 21 नवंबर को आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में दिया गया. निशंक को यह सम्मान साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए दिया गया है.
निशंक अब तक 75 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं. जिनका कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है. निशंक को उनके साहित्य, गंगा के लिए समर्पित अभियान स्पर्श गंगा जैसी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जा चुका है. लंबे समय के बाद देश को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाने में उनकी अहम भूमिका रही है.
वातायन अन्तर्राष्ट्रीय शिखर सम्मान: एक दृष्टि
ब्रिटेन स्थित फ्रेडरिक पिनकॉट यूके अवार्ड 2014 की विजेता संस्था वातायन की ओर से यह पुरस्कार साहित्य और कला के क्षेत्र से जुड़े विद्वानों को दिया जाता है.
वातायन संस्था ने इस पुरस्कार की शुरूआत 28 नवंबर 2003 को महान रोमांटिक कवि विलियम ब्लेक के जन्मदिन के अवसर पर प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डॉ सत्येंद्र प्रसाद ने शुरू की थी.
प्रसून जोशी, जावेद अख्तर, निदा फाजली जैसे साहित्यकारों को यह सम्मान मिल चुका है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-11-22 20:13:412020-11-22 20:13:41केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को वातायन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान
स्कॉटलैंड-अमेरिकी लेखक डगलस स्टुअर्ट (Douglas Stuart) को उनके पहले उपन्यास ‘शगी बेन’ (Shuggie Bain) के लिए वर्ष 2020 का बुकर पुरस्कार दिया गया है. कोरोना वायरस के मद्देनजर बुकर पुरस्कार 2020 के समारोह को लंदन के राउंडहाउस से विडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से प्रसारित किया गया था.
अवनी दोशी को ‘बर्नट शुगर’ के लिए नामित किया गया था
इस पुरस्कार के लिए 6 लेखकों को नामित किया गया था. इन नामित लेखकों में दुबई में बसीं भारतीय मूल की लेखिका अवनी दोशी भी थीं. उन्हें उनके पहले उपन्यास ‘बर्नट शुगर’ उपन्यास के लिए नामित किया गया था.
डगलस स्टुअर्ट और शगी बेन: एक दृष्टि
डगलस स्टुअर्ट न्यूयॉर्क में रहने वाले स्कॉटलैंड के लेखक हैं. वह बुकर पुरस्कार जीतने वाले दूसरे स्कॉटिश नागरिक हैं. इससे पहले वर्ष 1994 में जेम्स केमैन को ‘हाउ लेट इट वाज, हाउ लेट’ के लिए पुरस्कार मिला था.
डगलस स्टुअर्ट के उपन्यास ‘शगी बेन’ की कहानी ग्लासगो की पृष्ठभूमि पर आधारित है. इस उपन्यास का प्रकाशन अमेरिका में ‘ग्रोव अटलांटिक’ और ब्रिटेन में ‘पिकाडोर’ ने किया है.
बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि
बुकर पुरस्कार के पूरा नाम ‘मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन’ (Man Booker Prize for Fiction) है.
बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी.
यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है.
बुकर पुरस्कार विजेता को 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है.
पहला बुकर पुरस्कार इंगलैंड के उपन्यासकार पी एच नेवई (P. H. Newby) को ‘Something to Answer For’ के लिए दिया गया था.
बुकर पुरस्कार पाने वाले भारतीय: एक दृष्टि कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है. ये लेखक हैं- वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी, किरण देसाई और अरविन्द अडिग.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-11-21 19:51:412020-11-22 19:54:48डगलस स्टुअर्ट को उनके उपन्यास ‘शगी बेन’ के लिए बुकर पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया गया
वर्ष 2020 का साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार एस हरेश को दिया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘मूंछ’ (Moustache) के लिए दिया गया है. उपन्यास ‘मूंछ’ का अंग्रेजी में अनुवाद जयश्री कलाथिल द्वारा किया गया है और हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित किया गया है.
विजेता की घोषणा, लॉर्ड बम्फोर्ड, अध्यक्ष, द्वारा एक आभासी पुरस्कार समारोह में की गई थी. साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार को भारत में सबसे महंगा साहित्यिक पुरस्कार माना जाता है. इस पुरस्कार के तहत मलयालम लेखक को 25 लाख रुपये नकद और अनुवादक को अतिरिक्त 10 लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-11-10 13:30:472020-11-14 14:04:59मलयालम लेखक एस हरीश ने साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार 2020 जीता
वर्ष 2020 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार नीदरलैंड की 29 वर्षीय मारिके लुकास रिजनेवेल्ड को दिया गया है. वह यह पुरस्कार जीतेने वाली सबसे कम उम्र की लेखक बन गई हैं.
रिजनेवेल्ड को यह पुरस्कार उनकी की पुस्तक ‘द डिस्कम्फर्ट ऑफ इवनिंग’ (The Discomfort of Evening) के लिए दिया गया है. यह पुस्तक ग्रामीण नीदरलैंड के एक कट्टर ईसाई समुदाय के एक किसान परिवार की कहानी है. इस पुस्तक को पहली बार डच भाषा में 2018 में प्रकाशित किया गया था. मिशेल हचिसन ने इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद किया है.
अन्तर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि
यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष किसी भी भाषा के काल्पनिक कथा उपन्यास को दिया जाता है जिसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ है और प्रकाशन ब्रिटेन अथवा आयरलैंड में हुआ हो.
इस पुरस्कार का उद्देश्य दुनिया भर से गुणवत्तापूर्ण साहित्य के प्रकाशन और पढ़ने को प्रोत्साहित करना और अनुवादकों के काम को बढ़ावा देना है.
यह पुरस्कार मूल बुकर पुरस्कार से अलग है और इसका लक्ष्य विश्वभर में अच्छे उपन्यास के अधिक प्रकाशन और उसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है.
इस पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है. नियमों के अनुसार यह ईनाम राशि लेखक और अनुवादक मिशेल हचिसन के बीच बराबर-बराबर बांटी जाएगी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-08-28 23:46:132020-08-29 08:48:21नीदरलैंड की मारिके रिजनेवेल्ड को अन्तर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिया गया
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 4 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 15 कलाकारों को 61वें वार्षिक ललित कला अकादमी पुरस्कार (61st Annual Lalit Kala Akademi Awards) 2020 प्रदान किए. पुरस्कार प्राप्त करने वाले इन कलाकारों की कृतियों को 22 मार्च 2020 तक ललित कला अकादमी की गैलरी में 61वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाएगा.
पुरस्कार प्राप्तकर्ता
अनूप कुमार मंजूखी गोपी, डेविड मालाकार, देवेंद्र कुमार खरे, दिनेश पंड्या, फारुक अहमद हलदर, हरि राम कुंभावत, केशरी नंदन प्रसाद, मोहन कुमार टी, रतन कृष्ण साहा, सागर वसंत कांबले, सतविंदर कौर, सुनील तिरुवयूर, तेजस्वी नारायण सोनवणे, यशपाल सिंह और यशवंत सिंह को पुरस्कार प्रदान किए गए.
ललित कला अकादमी पुरस्कार
प्रतिभावान कलाकारों को सम्मानित करने के लिए ललित कला अकादमी में प्रतिवर्ष प्रदर्शनी और पुरस्कार समारोह आयोजित किया जाता है. इस समारोह में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाता है. कलाकारों का चयन अकादमी द्वारा गठित निर्णायक मंडल के एक सम्मानित पैनल द्वारा किया जाता है. पुरस्कार प्राप्तकर्ता को एक लाख रुपये नकद और एक पट्टिका दिया जाता है.
ललित कला अकादमी की स्थापना 1954 में भारत सरकार द्वारा की गयी थी. यह एक स्वायत्त संस्था है. यह ललित कलाओं के क्षेत्र यथा मूर्तिकला, चित्रकला, ग्राफकला, गृहनिर्माणकला आदि में कार्य कराती है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-03-05 23:41:442020-03-05 23:41:44राष्ट्रपति ने 61वें वार्षिक ललित कला अकादमी पुरस्कार प्रदान किए
वर्ष 2019 के सरस्वती सम्मान प्रख्यात सिंधी लेखक वासदेव मोही को दिए जाने की घोषणा की गयी है. उन्हें 29वां सरस्वती सम्मान दिया जायेगा.
वासदेव मोही को यह सम्मान उनके 2012 में प्रकाशित लघु कथा संग्रह ‘चेकबुक’ के लिए दिया गया है. इस लघुकथा संग्रह में समाज के हाशिए के तबकों और पीड़ाओं के बारे में बात की गई है. उन्होंने कविता, कहानी और अनुवाद की 25 किताबें लिखी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
सरस्वती सम्मान: एक दृष्टि
सरस्वती सम्मान केके बिड़ला फ़ाउंडेशन द्वारा साहित्य के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार है. इसकी शुरूआत 1991 में हुई थी.
यह सम्मान प्रतिवर्ष संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाओं की में प्रकाशित उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है.
यह सम्मान दस साल की अवधि में प्रकाशित किसी श्रेष्ठ कृति को दिया जाता है.
इस सम्मान के तहत उन्हें को 15 लाख रुपए, प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है.
27वां सरस्वती सम्मान (वर्ष 2017 के लिए) सितांशु यशचन्द्र को मिला था.
पहला सरस्वती सम्मान डा. हरिवंश राय बच्चन को उनकी चार खंडों की आत्मकथा के लिए मिला था.
अब तक यह सम्मान विजय तेंदुलकर,पद्मा सचदेव, गोविन्द मिश्र, सुरजीत पातर, शंख घोष, डा. इंदिरा पार्थसारथी, सुनील गंगोपाध्याय और मनोज दास जैसे लेखकों को मिल चुका है.
वर्ष 2018 का सरस्वती सम्मान तेलुगू के प्रख्यात कवि डा. के शिवा रेड्डी को दिया गया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-01-17 23:41:082020-01-17 23:41:08सिंधी लेखक वासदेव मोही को 29वें सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया जायेगा
भारतीय मूल की लेखिका जसबिन्दर बिलान को उनके पहले उपन्यास ‘आशा एंड द स्प्रिट बर्ड’ (Asha and the Spirit Bird) के लिए ब्रिटेन का प्रसिद्ध ‘कोस्टा चिल्ड्रन अवार्ड 2019’ (Costa Children’s Book Award) से सम्मानित किया गया है. इस उपन्यास में हिमालय के परिप्रेक्ष्य में लेखिका ने अपने बचपन की जीवन गाथा प्रस्तुत की है.
उन्हें इस पुस्तक के लिए पुरस्कार के रूप में पांच हजार पाऊंड की रकम दी जायेगी. कोस्टा चिल्ड्रन अवार्ड प्रतिवर्ष, प्रथम उपन्यास, उपन्यास, जीवनी, कविता और बाल पुस्तक श्रेणियों में प्रदान किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-01-09 23:14:152020-01-10 00:20:24भारतीय मूल की लेखिका जसबिन्दर बिलान को ब्रिटेन के चिल्ड्रेन बुक पुरस्कार से सम्मानित किया गया
साहित्य अकादमी ने वर्ष 2019 के लिए 23 भाषाओं में पुरस्कारों की घोषणा 18 दिसम्बर को की. घोषणा के तहत प्रख्यात हिंदी रचनाकार नंद किशोर आचार्य को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें उनकी काव्य रचना ‘छीलते हुए अपने’ को पुरस्कृत किया जाएगा.
अंग्रेजी में डॉक्टर शशि तरूर को ‘एन ऐरा ऑफ डार्कनेस’, संस्कृत में पेन्ना मधुसूदन को ‘प्रज्ञाचक्षुम’ और उर्दू में शाफे किद्दवई को ‘जीवनी सवानेहे सर सयैद : एक बाज़दीद’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-12-19 23:46:082019-12-20 23:46:09साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019: नंद किशोर आचार्य की रचना ‘छीलते हुए अपने’ को पुरस्कृत किया जाएगा
वर्ष 2019 का ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए मलयालम के प्रमुख कवि अक्कीथम का चयन किया गया है. यह 55वां ज्ञानपीठ पुरस्कार है. ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने 29 नवम्बर को एक बैठक में वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए श्री अक्कीथम को चुना.
अक्कीथम का पूरा नाम अक्कीथम अच्युतन नम्बूदिरी है और वह अक्कीथम के नाम से लोकप्रिय हैं. उन्होंने 55 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से 45 कविता संग्रह है. अक्कतीम ने कविताओं के अलावा नाटक, संस्मरण, आलोचनात्मक निबंध, बाल साहित्य और अनुवाद का उत्कृष्ट काम किया है. इनकी कई रचनाओं का कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.
अक्कीथम को पद्म पुरस्कार, सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि
ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च सम्मान है.
यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्दी के प्रख्यात उपन्यासकार कृष्णा सोबती को दिया गया था.
वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-11-30 23:54:142019-12-02 13:53:29मलयालम कवि अक्कीथम को 55वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया