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न्याय प्रणाली में सुधार के लिए संसद में तीन विधेयक पेश किए गए

भारत में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए गए हैं। ये विधेयक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोक सभा में प्रस्तुत किया था। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं.

ये विधेयक औपनिवेशिक काल में बने वर्तमान तीन कानूनों की जगह लेंगे. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023; और भारतीय साक्ष्य संहिता (आईईए) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभाव में आ जाएगा.

वर्तमान कानूनों में 313 बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्‍त बनाना है.

महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी.
  • सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी.
  • जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.
  • राज्य में किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो.
  • 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा.
  • 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
  • चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
  • गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी.
  • 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
  • राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म किया गया है.

संसद ने अंतर-सेना संगठन सहित चार विधेयकों को पारित किया

संसद ने 8 अगस्त को चार विधेयकों को पारित किया था. इनमें अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023, भारतीय प्रबंधन संस्‍थान (संशोधन) विधेयक 2023, राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक 2023 तथा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 शामिल हैं.

अंतर-सेना संगठन विधेयक: संसद ने अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 अंतर-सेना संगठनों के ऑफिसर इन कमांड को उनकी कमान के अंतर्गत कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण रखने का अधिकार देता है. विधेयक का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं में बेहतर समन्वय कायम करना है.

भारतीय प्रबंधन संस्‍थान (संशोधन) विधेयक: इस विधेयक में भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन का प्रस्ताव है. इसमें भारतीय प्रबंधन संस्‍थानों को राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान घोषित किया गया है. नए अधिनियम के अंतर्गत आईआईएम निदेशक की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाएगी. इसके लिए पहले कुलाध्‍यक्ष की मंजूरी लेनी होगी.

राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक: इस विधेयक 2023 में नर्सिंग और मिडवाइफरी पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रखरखाव का प्रावधान किया गया है. विधेयक में राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के गठन का प्रावधान है. इसमें 29 सदस्य होंगे. विधेयक के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार को एक राज्य नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग का गठन करना होगा, जहां राज्य कानून के तहत ऐसा कोई आयोग मौजूद नहीं है.

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक: इस विधेयक का उद्देश्य देश में दंत चिकित्सा के पेशे को विनियमित कर गुणवत्तापूर्ण और किफायती दंत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करना है. यह विधेयक दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को निरस्त करने के लिए लाया गया. इसमें दंत चिकित्सा शिक्षा और दंत चिकित्सा के मानकों को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय दंत आयोग, दंत सलाहकार परिषद और तीन स्वायत्त बोर्डों के गठन का प्रावधान है.

मध्यस्थता विधेयक 2023 संसद में पारित

संसद ने हाल ही में मध्यस्थता विधेयक (Mediation Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 7 अगस्त को पारित किया था जबकि राज्य सभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी थी.

मुख्य बिन्दु

  • विधेयक में व्यक्तियों को किसी भी न्यायालय न्यायाधिकरण में जाने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को निपटाने का अवसर देने का प्रावधान है. विधेयक में भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना का प्रावधान भी है.
  • एक पक्ष दो मध्यस्थता सत्रों के बाद मध्यस्थता से हट सकता है. मध्यस्थता प्रक्रिया 180 दिनों के अन्दर पूरी की जानी चाहिए तथा इसे और 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है.
  • यह विधेयक जीवन में सुगमता लाएगा. इस विधेयक से मध्यस्थता केंद्रों को कानूनी मदद मिलेगी. इससे मुकदमों पर खर्च और उसका बोझ भी कम होगा.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली सरकार संशोधन विधेयक-2023 पारित

संसद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-(संशोधन) विधेयक (Government of NCT of Delhi (Amendment) Bill) 2023 पारित किया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को 7 अगस्त को पारित किया था, जबकि लोकसभा पहले ही इस विधेयक पारित कर चुकी थी. यह विधेयक, सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का स्थान लेगा. 19 मई 2023 को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी किया था.

राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 131 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 102 सांसदों ने वोट किया. लोकसभा में यह विधेयक ध्वनि मत से ही पारित हो गया था.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन का प्रावधान है. यह केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है.
  • इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान है. इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे.
  • प्राधिकरण अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्तियों तथा अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें देगा.

संवैधानिक पहलू

  • दिल्‍ली संघ प्रदेश है जो एक विशेष अनुच्‍छेद (आर्टिकल) के तहत बनाया गया है. 239AA, 3-B के तहत संसद को दिल्‍ली संघ राज्‍य क्षेत्र या उसके किसी भी भाग के लिए उसके संबंधित किसी भी विषय के लिए कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है.
  • भारतीय संविधान के 69वें संशोधन, 1992 के दो नए अनुच्छेद 239AA और 239AB जोड़े गए थे, जिसके अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है.
  • अनुच्छेद 239AA के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ बनाया गया और इसके प्रशासक को उपराज्यपाल (Lt. Governor) नाम दिया गया.
  • 69वें संविधान संशोधन में दिल्ली के लिये विधानसभा की व्यवस्था की गई जो पुलिस, भूमि और लोक व्यवस्था के अतिरिक्त राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है.
  • यह दिल्ली के लिये एक मंत्रिपरिषद का भी प्रावधान करता है, जिसमें मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 10% से अधिक नहीं होगी.
  • अनुच्छेद 239AB के मुताबिक, राष्ट्रपति अनुच्छेद 239AA के किसी भी प्रावधान या इसके अनुसरण में बनाए गए किसी भी कानून के किसी भी प्रावधान के संचालन को निलंबित कर सकता है. यह प्रावधान अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) जैसा है.

संसद ने चलचित्र संशोधन विधेयक-2023 पारित किया

संसद ने चलचित्र संशोधन विधेयक (Cinematograph Amendment Bill) 2023 पारित किया है. इस विधेयक में चलचित्र अधिनियम-1952 में संशोधन का प्रवाधान है, जिसके अंतर्गत केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से जारी प्रमाणपत्र दस वर्ष के लिए वैध होता था. अब यह प्रमाण पत्र हमेशा के लिए वैध माना जाएगा.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • इस विधेयक में फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग पर प्रतिबंध लगाने तथा लाइसेंस देने की प्रक्रिया को आसान करने का प्रावधान है. यह विधेयक पायरेसी के कारण फिल्‍म को होने वाले नुकसान से बचायेगा.
  • अनधिकृत रिकॉर्डिंग करना अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके तहत तीन महीने से लेकर तीन साल तक की सजा हो सकती है. साथ ही तीन लाख रुपये तक और फिल्‍म की सकल उत्पादन लागत का, पांच प्रतिशत जुर्माने के रूप में देना होगा.
  • इस विधेयक में आयु के आधार पर प्रमाणपत्र की कुछ अतिरिक्‍त श्रेणियों को जोड़ने का भी प्रावधापन है. ‘A’ या ‘S’ प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टीवी या किसी अन्य मीडिया पर दिखाने के लिए, अलग से प्रमाणपत्र लेना होगा.
  • विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को हर साल लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.

मरम्मत का अधिकार के लिए निधि खत्री के नेतृत्व में एक समिति का गठन

सरकार, मरम्मत का अधिकार (Right to Repair) के लिए एक कानून लाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने निधि खत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की है. इस समिति की पहली बैठक 13 जुलाई 2022 को हुई थी. इस कानून में उपभोक्ताओं को अपने खराब सामान को बनाने में मदद करेगा.

क्या है ‘राइट टू रिपेयर’?

‘राइट टू रिपेयर’ कानून के तहत कंपनी ग्राहकों के पुराने सामान को रिपेयर करने से मना नहीं कर सकती है. इस नए कानून के बाद अब कंपनियों को किसी सामान के नए पार्ट्स के साथ-साथ पुराने पार्ट्स भी रखने होगा. इसके साथ ही यह कंपनी की जिम्मेदारी होगी वह पुराने पार्ट्स को बदलकर आपके खराब सामान को ठीक करें.

संसद ने दण्‍ड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 पारित किया

संसद ने हाल ही में दण्‍ड प्रक्रिया पहचान विधेयक (Criminal Procedure Identification Bill) 2022 पारित किया है. इस विधेयक में अपराधियों की पहचान और आपराधिक मामलों की छानबीन तथा अपराध से जुडे मामलों के रिकार्ड रखने की व्‍यवस्‍था है. यह विधेयक कैदी पहचान अधिनियम-1920 की जगह लेगा.

मुख्य बिंदु

  • इसमें उन व्‍यक्तियों की पहचान से जुड़े उपयुक्‍त उपायों को कानूनी स्‍वीकृति देने की व्‍यवस्‍था है, जिनमें अंगुलियों के निशान, हाथ की छाप और पंजों के निशान, फोटो, आंख की पुतली और रेटीना का रिकार्ड और शारीरिक जैविक नमूने तथा उनके विश्‍लेषण आदि शामिल हैं.
  • इस विधेयक में राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो को यह रिकॉर्ड एकत्र करने, इन्‍हें सुरक्षित रखने और इन्‍हें साझा करने या नष्‍ट करने का अधिकार दिया गया है. इससे अपराधों की छानबीन अधिक कुशलता से और जल्‍दी की जा सकेगी.

संसद ने दिल्‍ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण संबंधी विधेयक को स्‍वीकृति दी

संसद ने दिल्‍ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण संबंधी “दिल्ली नगर निगम-संशोधन विधेयक (Delhi Municipal Corporation Amendment Bill) 2022” को पारित कर दिया है. संसद में पारित होने के बाद इस विधेयक ने अधिनियम का रूप ले लिया है.

दिल्ली नगर निगम-संशोधन अधिनियम: मुख्य बिंदु

  • इस विधेयक में दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 में संशोधन करने तथा दिल्ली के तीन मौजूदा नगर निगमों को मिलाकर केवल एक दिल्ली नगर निगम बनाने का प्रस्ताव है.
  • विधेयक में दिल्ली के लोगों के लिए अधिक पारदर्शी, कार्यकुशल और बेहतर नागरिक सेवाओं के प्रबंधन के प्रावधान किए गए हैं. वर्तमान में दिल्ली में तीन निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों में कुल 272 सीटें (पार्षद) हैं. विधेयक में पार्षदों की संख्‍या 272 से घटाकर अधिकतम 250 करने की भी व्‍यवस्‍था है.
  • वर्ष 2012 में दिल्‍ली नगर निगम को तीन नगर निगमों- दक्षिण दिल्‍ली नगर निगम, उत्‍तरी दिल्‍ली नगर निगम और पूर्वी दिल्‍ली नगर निगम में विभाजित किया गया था.
  • एकीकृत नगर निगम करने से तीन मेयरों (महापौर) की जगह एक मेयर होगा, 75 समितियों की जगह 25 समितियां होगी, तीन मिंस‍िपल कमीशनर की जगह एक मिंसिपल कमीश्‍नर होगा, तीन मुख्‍यालय की जगह एक मुख्‍यालय होगा, निर्णयों में समानता रहेगी, एकरूकता रहेगी एक ही शहर में दो प्रकार के कर के स्‍ट्रक्‍चर नहीं रहेंगे. वित्‍तीय स्‍थि‍ति भी अच्‍छी रहेगी और लगभग 150 करोड़ का खर्च सालाना इससे कम होगा.

संवैधानिक पहलू

यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA-3C के तहत लाया गया है. इस अनुच्छेद में देश की संसद को राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली की विधानसभा द्वारा बनाएं गए किसी भी कानून को संशोधित करने का, उसके स्‍वरूप बदलने का, या तो उसकों निरस्‍त करने का अधिकार देता है.

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दी गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) के कार्यकाल को 31 मार्च 2022 के बाद तीन साल और बढ़ाने की मंजूरी दी है.

मुख्य बिंदु

  • सफाई कर्मचारियों के किसी समूह के संबंध में कार्यक्रम अथवा स्‍कीमों को बनाने का सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का गठन 1993 में किया गया था. इस आयोग का कार्यकाल 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मार्च 2025 करने का निर्णय कर दिया गया है.
  • राष्ट्रीय कर्मचारी आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में कार्य करता है.
  • इस आयोग द्वारा सफाई कर्मचारियों द्वारा उठाए जा रही समस्याओं को हल किया जाता है ताकि वे सम्‍मानपूर्ण जीवन यापन कर सकें.
  • यह सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिशें देता है. सफाई कर्मचारियों के लिए मौजूदा कल्याणकारी कार्यक्रमों का अध्ययन और मूल्यांकन भी करता है और विशिष्ट शिकायतों के मामलों की जांच करता है.

संसद ने बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया

संसद ने 2 दिसम्बर को बांध सुरक्षा विधेयक (Dam Safety Bill) 2019 पारित किया. केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में प्रस्‍तुत किया था. इस विधेयक का उद्देश्य बांध सुरक्षा का नियम जारी करना है.

  • विधेयक में विशिष्‍ट बांध की सुरक्षा के लिए निगरानी, निरीक्षण, काम-काज और रख-रखाव का प्रावधान है. इससे बांधों के सुरक्षित संचालन के लिए संस्‍थागत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी.
  • देश में 90 प्रतिशत बांध अंतराज्‍यीय नदियों पर बने हैं और उनकी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. बांध के नुकसान से बड़े जान-माल की हानि हो सकती है.
  • इस विधेयक में दो राष्ट्रीय निकाय- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है. बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति नीतियां तैयार करेगी और बांध सुरक्षा से संबंधित नियमों की सिफारिश करेगी. राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण राष्ट्रीय समिति द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करेगा.
  • इस विधेयक में दो राज्य निकाय भी होंगे. वे बांध सुरक्षा और राज्य बांध सुरक्षा प्राधिकरण पर राज्य समिति हैं. इन समितियों और प्राधिकरणों के कार्य राज्य स्तर पर सीमित हैं और वे राष्ट्रीय समितियों और प्राधिकरणों के समान कार्य करेंगे.

संसद ने कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया

संसद ने 29 नवम्बर को कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया था. यह विधेयक सितम्बर 2021 में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए लाया गया था. इन तीनों कृषि विधेयकों को वापस लिए जाने से संबंधित विधेयक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद को दिनों सदनों में पेश किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. इन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की थी.

क्या था तीन कृषि कानून

संसद ने किसानों के सशक्तीकरण के लिए सितम्बर 2020 में तीन कृषि विधेयक पारित कर अधिनियम का रूप दिया था. ये अधिनियम – कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020; किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 हैं.

इन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज को समाप्त करना था. इसमें किसानों को अनुबंध खेती का विकल्प दिया गया था. किसानों को मौजूदा विकल्प के अतिरिक्त अन्य कई विकल्प दिए गये थे जिससे उनके उपज का बेहतर दाम मिल सके.

कानून वापसी की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए और किसी राज्य का विधानमंडल उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए कानून बना सकता है. संसद को कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का भी अधिकार है. कानून खत्म करने की प्रक्रिया भी कानून बनाने के समान ही है.

भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण विधेयक 2021 संसद में पारित

राज्यसभा ने 4 अगस्त को भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक (Airports Economic Regulatory Authority of India Amendment Bill), 2021 पारित कर दिया. इससे पहले 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हुआ था. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह अधिनियम का रूप लेगा.

विधेयक के मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक केंद्र सरकार के परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम (asset monetisation programme) के तहत छोटे हवाई अड्डों के निजीकरण की सरकार की योजना का समर्थन करता है.
  • यह छोटे हवाई अड्डों के विकास में उत्प्रेरक साबित होगा और दूर-दराज के इलाको में हवाई संपर्क को बढ़ाने में मदद करेगा.
  • विधेयक ‘प्रमुख हवाईअड्डे’ की परिभाषा में संशोधन करके ‘हवाई अड्डों के समूह’ के शुल्क निर्धारण की अनुमति देता है.
  • यह विधेयक सिंगल एयरपोर्ट के लिए टैरिफ के संबंध में कानून के प्रावधानों में संशोधन करता है. इस विधेयक का उद्देश्य न केवल हवाई यात्रियों की संख्या को तेजी से बढ़ाने का है बल्कि मुनाफा कमाने वाले हवाई अड्डों को विकसित करना है.
  • इन हवाई अड्डों से AAI द्वारा अर्जित राजस्व का उपयोग टियर-II और टियर-III शहरों में हवाई अड्डों के विकास के लिए किया जाएगा.