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चीन को पीछे छोड़ भारत विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला देश बना

संयुक्त राष्ट्र (UN) के आंकड़ों अनुसार भारत ने दुनिया की सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड पॉपुलेशन डैशबोर्ड के अनुसार 2023 मध्य तक के अनुमानों के अनुसार भारत की आबादी 1.4286 अरब हो गई है यह चीन की आबादी 1.4257 अरब से कुछ ज्यादा है.

मुख्य बिन्दु

  • दुनिया की लगभग 2.4% भूमि वाला देश भारत कुल वैश्विक आबादी के लगभग पांचवें हिस्से का घर है. भारत में अमेरिका, अफ्रीका या यूरोप की पूरी आबादी से अधिक लोग रहते हैं.
  • यूएन के आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है. भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है. अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है.
  • भारत से लगभग तीन गुना बड़े चीन की भी स्थिति लगभग ऐसी ही है. पर यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत की आबादी अपेक्षाकृत युवा और बढ़ रही है. वहीं चीन की आबादी में वृद्धों की संख्या अधिक है और यह घट रही है.
  • ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के ताजा अनुमानों पर आधारित हैं. भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. ऐसे तो हर 10 वर्ष के अंतराल पर देश में जनगणना की जाती है पर वर्ष 2021 में कोरोना संकट के कारण सरकार ने टालने का फैसला किया था.
  • भारत में 2022 में दो करोड़ 30 लाख बच्चों का जन्म हुआ. हालांकि भारत में जन्म दर (प्रति एक हजार की आबादी पर पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) में 2004 के 24.1 की तुलना में गिरावट आई है और यह 2019 में 19.7 रह गया है.
  • 2022 में चीन में 1950 के बाद से सबसे कम केवल 95.6 लाख बच्चों का जन्म हुआ. जन्म से ज्यादा मौतें हुई इस कारण 1960 के बाद से चीन की आबादी में पहली बार गिरावट दर्ज की गई.
  • वहीं दूसरी ओर, भारत की आबादी में वर्ष 2060 के मध्य तक वृद्धि का अनुमान है, जबकि चीन में इस दौरान आबादी घटने का अनुमान है.

भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश

आर्थिक विकास के मामले में भारत की युवा आबादी अहम रोल अदा कर सकती है, क्योंकि यहां कि दो तिहाई से अधिक आबादी काम करने की उम्र यानी 15 वर्ष से 64 वर्ष के बीच की है. ऐसे में भारत के पास वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि लाने की असीम संभावना है.

देश की अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ती आबादी के मायने

  • लगातार बढ़ती आबादी भारत के लिए संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियों भी बढ़ा रही है. देश की अर्थव्यवस्था 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है. हालांकि बढ़ती आबादी सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने की राह का रोड़ा भी बन सकता है.
  • देश की आबादी के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. पहले ही भारत में गरीबी, भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है.
  • बढ़ती आबादी के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, बेहतर शिक्षा, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरों व गांवों को अधिक सुविधाजनक बनाना सरकार के लिए और भी बड़ी चुनौती होगी.
  • बढ़ती आबादी के साथ देश के सामने जलवायु परिवर्तन, जल संकट, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की बुरी स्थिति आदि कई समस्याएं मुंह बाए खड़ीं हैं.
  • बढ़ती आबादी का मतलब है और बड़ा बाजार. इससे अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है. पर अगर हमने बढ़ती जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों की अनदेखी की तो हालात बुरी तरह बिगड़ भी सकते हैं.

सार्वजनिक परिवहन के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की सूची में मुंबई 19वें स्थान पर

लंदन स्थित संस्थान ‘टाइम आउट’ ने सार्वजनिक परिवहन के लिए दुनिया के 19 सर्वश्रेष्ठ शहरों की सूची हाल ही में जारी की थी. इस सूची में शामिल होने वाला मुंबई एकमात्र शहर था.

मुख्य बिन्दु

  • रैंकिंग को संकलित करने के लिए टाइम आउट ने दुनिया भर के 50 शहरों में 20,000 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण किया.
  • सूची में शीर्ष दस शहर यूरोप या एशिया से थे. बर्लिन, जर्मनी को सार्वजनिक परिवहन के लिए दुनिया का सबसे अच्छा शहर नामित किया गया, जिसमें 97 प्रतिशत स्थानीय लोगों ने शहर के परिवहन नेटवर्क की प्रशंसा की.
  • प्राग अपने सुविधाजनक और आकर्षक सार्वजनिक परिवहन के साथ दूसरे स्थान पर आया, जबकि टोक्यो, जापान तीसरे स्थान पर आया.
  • सर्वेक्षण में शामिल 81 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मुंबई में सार्वजनिक परिवहन से आना-जाना आसान है. उपनगरीय रेल नेटवर्क (मुंबई स्थानीय लोगों के रूप में जाना जाता है) के अलावा, शहर बसों, टैक्सियों और ऑटोरिक्शा से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.

वैश्विक प्रतिभा रैंकिंग: स्विट्जरलैंड को पहला स्थान, भारत 52वें स्थान पर

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (स्विट्जरलैंड) ने हाल ही में वैश्विक प्रतिभा रैंकिंग (World Talent Ranking) जारी की थी. इस सूची में भारत चार अंक ऊपर खिसकर 52वें स्थान पर आ गया है.

वैश्विक प्रतिभा रैंकिंग 2022: मुख्य बिन्दु

  • इस सूची में लगातार छठे वर्ष स्विट्जरलैंड को पहला स्थान मिला है. स्वीडन, दूसरे और आइसलैंड, तीसरे नंबर पर है.
  • रैंकिंग के मुताबिक कोलंबिया, मंगोलिया और वेनेजुएला प्रतिभाओं के विकास, उन्हें आकर्षित करने और बनाए रखने में सबसे कमजोर देश हैं.
  • रैंकिंग के लिए 63 देशों का मूल्यांकन तीन कारकों निवेश व विकास, अपील और तैयारी पर हुआ. निवेश और विकास, स्वदेशी प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए घरेलू संसाधनों पर विचार करता है.
  • अपील कारक विदेशी और घरेलू बाजारों से प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने की क्षमता का मूल्यांकन करता है. तैयारी, टैलेंट पूल में उपलब्ध कौशल की गुणवत्ता को मापता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022 जारी की

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में वैश्विक तपेदिक/क्षयरोग (TB) (tuberculosis) रिपोर्ट 2022 जारी की थी. इस रिपोर्ट में पूरी दुनिया में टीबी के निदान, उपचार और बीमारी के बोझ पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बारे में बताया गया है.

WHO टीबी रिपोर्ट 2022: मुख्य बिन्दु

  • वर्ष 2021 में दुनिया भर में लगभग 6 मिलियन लोगों के क्षयरोग का निदान किया गया, जो वर्ष 2020 की तुलना में 4.5% अधिक था, जबकि इस बीमारी से पीड़ित 1.6 मिलियन रोगियों की मृत्यु हो गई.
  • TB से होने वाली कुल मौतों में 187,000 मरीज HIV पॉजिटिव थे. HIV निगेटिव लोगों में वैश्विक TB से होने वाली मौतों में से लगभग 82% अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रों में हुईं.
  • टीबी के रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 2019 में 7.1 मिलियन से गिरकर 2020 में 5.8 मिलियन हो गई.
  • भारत उन तीन देशों (इंडोनेशिया और फिलीपींस के साथ) में से एक था, जिसने वर्ष 2020 में इस रोग में सबसे अधिक कमी की.
  • भारत ने समय के साथ अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. 2015 के आधारभूत वर्ष की तुलना में 2021 में देश में टीबी के मामले में 18% की गिरावट आई.
  • वर्ष 2021 में भारत में TB मरीज़ों की संख्या प्रति 100,000 जनसंख्या पर 210 रही जो कि वर्ष 2015 में 256 थी.

वैश्विक भूख सूचकांक 2022 जारी: भारत 107वें स्थान पर

वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) 2022 के आँकड़े  हाल ही में जारी किए गए थे. इस सूचकांक में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया है. भारत ने GHI 2022 को खारिज किया है. भारत ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा है कि यह देश की छवि खराब करने का प्रयास है.

GHI (Global Hunger Index) 2022: मुख्य बिन्दु

  • आंकड़ों के मुताबिक, भारत छह पायदान नीचे खिसक कर अब 121 देशों की सूची में 107वें स्थान पर पहुंच गया है. 29.1 स्कोर के साथ भारत में ‘भूख’ की स्थिति को गंभीर बताया है.
  • पड़ोसी देशों में पाकिस्तान 99वें, श्रीलंका 64वें, बांग्लादेश 84वें, नेपाल 81वें व म्यांमार 71वें स्थान पर है. अफगानिस्तान इस सूची में 109वें स्थान पर है.
  • जाम्बिया, अफगानिस्तान, तिमोर-लेस्ते, गिनी-बिसाऊ, सिएरा लियोन, लेसोथो, लाइबेरिया, नाइजर, हैती, चाड, डेम कांगो, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और यमन की स्थिति भारत से भी खराब है.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि गिनी, मोजाम्बिक, युगांडा, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया सहित 15 देशों के लिए रैंक का निर्धारण नहीं किया जा सकता है.

वैश्विक भुखमरी सूचकांक: एक दृष्टि

वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2022, यूरोपीय गैर-सरकारी संगठनों – Concern Worldwide (आयरलैंड) और Welthungerhilfe (जर्मनी)  द्वारा जारी किया गया है. GHI की गणना निम्नलिखित चार संकेतकों के आधार पर की जाती है:

  1. अल्पपोषण (अपर्याप्त भोजन)
  2. चाइल्ड वेस्टिंग (तीव्र अल्पपोषण)
  3. चाइल्ड स्टंटिंग (पुरानी अल्पपोषण)
  4. बाल मृत्यु दर

भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 40वें स्थान पर, स्विट्जरलैंड शीर्ष पर

विश्व बौद्धिक सम्‍पदा संगठन (WIPO) ने 30 सितम्बर को वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) जारी किया था. इस सूचकांक में भारत 132 देशों में 40वें स्थान पर पहुंच गया है. वर्ष 2021 में भारत 46वें स्थान पर था.

इस सूचकांक में स्विट्जरलैंड लगातार 12वें वर्ष पहले स्थान पर कायम है. इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम व नीदरलैंड का स्थान है.

भारत, वैश्विक नवाचार सूचकांक 2015 में 81वें स्थान पर था. पिछले सात वर्षों में भारत की रैंकिंग में 41 स्थान का सुधार हुआ है.

वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII): एक दृष्टि

वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index) प्रति वर्ष की जाने वाली एक रैंकिंग है जो विश्व के विभिन्न देशों में नवाचार (Innovation) की क्षमता को इंगित करती है.

सूचकांक की गणना के मानकों में संस्थान, मानव पूंजी और अनुसंधान, आधारभूत ढाँचे, बाज़ार संरचना, व्यापार संरचना, ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आउटपुट शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2021 जारी: भारत 132वें स्थान पर, नॉर्वे शीर्ष पर

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 9 सितम्बर को मानव विकास सूचकांक (Human Development Index- HDI) 2021 रिपोर्ट जारी की थी. इस सूचकांक में 191 देशों में भारत 132वें स्थान पर है. वर्ष 2020 के सूचकांक में भारत 131वें स्थान पर था.

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड का स्थान रहा.

HDI 2021 रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • HDI 2021 रिपोर्ट में भारत का HDI मान 0.633 है, जो वैश्विक औसत 0.732 से कम है. वर्ष 2020 में भारत 0.645 HDI मान के साथ 131वें स्थान पर रहा था. रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए जीवन प्रत्याशा में गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. भारत में जीवन प्रत्याशा 69.7 से घटकर 67.2 वर्ष हो गई है.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट की बड़ी वजह जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 साल से घटकर 2021 में 71.4 साल हो गई.
  • भारत के पड़ोसियों में श्रीलंका (73वां), चीन (79वां), बांग्लादेश (129वां), और भूटान (127वां) भारत से ऊपर है, जबकि पाकिस्तान (161वां), नेपाल (143वां) और म्यांमार (149वां) की स्थिति बदतर है.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 90 प्रतिशत देशों ने 2020 या 2021 में अपने HDI मूल्य में गिरावट दर्ज की है.

मानव विकास सूचकांक: एक दृष्टि

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित की जाती है. इस सूचकांक का उपयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है. यह जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है.
  • इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित. जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं.
  • पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक के सहयोग से जारी किया गया था. तब से प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा इसे जारी किया जाता है.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2022: जापान पहले और भारत 87वें स्थान पर

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स (Henley Passport Index) 2022 के आँकड़े 20 जुलाई को जारी किए गए थे. इन आंकड़ों में 199 देशों में पावरफुल पासपोर्ट के आधार पर रैंकिंग की गई है.

  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2022 में जापान पहले स्थान पर रहा. सिंगापुर और साउथ कोरिया इस क्रम में दूसरे स्थान जबकि जर्मनी और स्पेन देशों के पासपोर्ट तीसरे स्थान पर रहे. चौथे स्थान पर तीन देश फिनलैंड, इटली और लग्जमबर्ग रहे.
  • जापान के पासपोर्ट धारक अपने पासपोर्ट पर 193 देशों की यात्रा कर सकते हैं. वहीं दूसरे नंबर पर रहे सिंगापुर और साउथ कोरिया के पासपोर्ट पर 192 देशों की यात्रा की जा सकती है.
  • भारत के पासपोर्ट को 87वें स्थान की रैंकिंग मिली है. भारत के पासपोर्ट पर यात्री बिना वीजा के 60 देशों की यात्रा कर सकते हैं.
  • एशिया के बाकी देशों में चीन 69वें नंबर पर है. चीनी पासपोर्ट रखने वाले लोग 80 देश में बिना वीजा जा सकते हैं. वहीं बांग्लादेश 104वें, उत्तर कोरिया 105वें ओर पाकिस्तान 109वें स्थान पर है.
  • इस रैंकिंग में अफगानिस्तान, इराक और सीरिया सबसे खराब पासपोर्ट वाले देश बने हुए. अफगानिस्तान अंतिम 112वें स्थान पर है.

हेनले पासपोर्ट रैंकिंग क्या है?

  • हेनले पासपोर्ट रैंकिंग को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार पर हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी किया जाता है.
  • यह रैंकिंग देशों के पासपोर्ट की ताकत पर निर्भर करती है. इस रैंकिंग में स्कोर का मतलब है कि कितने देशों में उस पासपोर्ट के जरिए वीजा मुक्त या वीजा आन-अराइवल प्रवेश मिल सकता है.
  • जिस देश के पासपोर्ट के जरिए बगैर वीजा या वीजा ऑन अराइवल सबसे अधिक देशों में आने-जाने की छूट होती है, उसकी रैंकिंग सबसे अच्छी होती है.

भारत के पासपोर्ट पर 60 देशों में बिना वीजा यात्रा

भारतीय पासपोर्ट धारक भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मकाऊ, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, केन्या, मॉरिशस, सेशेल्स, जिम्बॉब्वे, यूगांडा, ईरान और कतर सहित 60 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2023: IISC बेंगलुरु देश में सर्वश्रेष्ठ और दक्षिण एशिया में उभरता संस्थान

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2023 हाल ही में जारी की गई थी. यह QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का 19वां संस्‍करण था. क्यूएस रैंकिंग की सूची में कुल 41 भारतीय विश्वविद्यालयों ने स्थान प्राप्त किया है. इस रैंकिंग के अनुसार, लगातार दसवें वर्ष, MIT को सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी के रूप में सम्मानित किया गया है. इस वर्ष, यूनिवर्सिटी रैंकिंग में कुल 1,029 यूनिवर्सिटी शामिल हैं.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023: मुख्य बिंदु

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सांइस (IISC) बेंगलुरु को एक बार फिर देश में सर्वश्रेष्ठ और दक्षिण एशिया में उभरते संस्थान का खिताब मिला है. यह संसथान दुनिया के उच्च शिक्षण संस्थानों में 155वें स्थान पर है. वर्ष 2022 में वह 186वें स्थान पर था.
  • रैंकिंग-2023 में टॉप 200 में IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली को भी जगह मिली है. देश में IIT बॉम्बे दूसरे और IIT दिल्ली तीसरे स्थान पर हैं.
  • इस QS वर्ल्ड रैंकिंग में अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) को लगातार 11वें वर्ष पहले स्थान पर है. यूनाइटेड किंगडम की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने दूसरा स्थान हासिल किया है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर हैं.

QS रैंकिंग का आधार

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग छह संकेतकों के आधार पर तैयार की जाती है. इनमें शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, प्रति संकाय उद्धरण, संकाय / छात्र अनुपात, अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात आदि शामिल हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में भारत विश्व में सातवें स्थान पर

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) की विश्व निवेश रिपोर्ट 9 जून को जारी की गयी थी. इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मामले में भारत विश्व में सातवें स्थान पर रहा. इस दौरान भारत में 45 अरब डॉलर का FDI आया, हालांकि यह 2020 की तुलना में 19 अरब डॉलर कम है.

UNCTAD की विश्व निवेश रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • भारत ने साल 2020 में 64 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया था. यह 2021 में घटकर 45 अरब डॉलर पर आ गया. हालांकि, इसके बावजूद भारत विश्व में सातवें स्थान पर रहा. दक्षिण एशिया मुख्य रूप से भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 43 फीसदी बढ़कर 16 अरब डॉलर रहा.
  • अमेरिका ($ 367 बिलियन), चीन ($ 181 बिलियन), हांगकांग ($ 141 बिलियन), सिंगापुर, कनाडा और ब्राजील के बाद भारत सातवें स्थान पर है. दक्षिण अफ्रीका, रूस और मेक्सिको भी FDI पाने के मामले में टॉप-10 देशों में शामिल हैं.
  • नए अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त के तहत 108 परियोजनाओं के लिये समझौते हुए, जबकि पिछले 10 साल में इसकी संख्या औसतन 20 थी. सबसे अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की 23 परियोजनाओं को लेकर समझौते हुए.
  • बड़ी परियोजनाओं में आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील का 13.5 अरब डॉलर के निवेश से भारत में एक स्टील और सीमेंट कारखाना लगाना तथा सुजुकी मोटर का 2.4 अरब डॉलर के निवेश से एक नए कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का निर्माण शामिल है.

WDMMA वैश्विक वायु शक्ति रैंकिंग रिपोर्ट जारी, भारतीय वायु सेना तीसरे स्थान पर

आधुनिक सैन्य विमान की विश्व निर्देशिका (WDMMA) ने हाल ही में वर्ष 2022 की वैश्विक वायु शक्ति रैंकिंग जारी की थी. इस रिपोर्ट में 98 देशों के वायु सेनाओं की युद्ध शक्ति के मूल्यांकन के आधार पर रैंकिंग की गयी है.

WDMMA वायु शक्ति रैंकिंग 2022:  मुख्य बिंदु

  • इस रैंकिंग रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (IAF)  को चीनी वायु सेना से ऊपर तीसरे स्थान पर रखा गया है. चीनी वायु सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स) को चौथे स्थान पर है. भारतीय वायु सेना को 69.4 अंक और चीनी वायुसेना को 63.8 अंक दिया गया है.
  • इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी वायु सेना (USAF) 242.9 अंकों के साथ शीर्ष स्थान पर है. रूस की वायु सेना को दूसरा स्थान (114.2 अंक) दिया गया है. रिपोर्ट में जापान (58.1 अंक), इजरायल (58.0 अंक) और फ्रांस (56.3 अंक) की वायुसेना क्रमशः पांचवें, छठे और सातवें स्थान पर हैं.
  • यह रैंकिंग वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट यानि (WDMMA) ने प्रत्येक वर्ष यह रैकिंग जारी करती है

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स: भारत 83वें स्थान पर, जापान और सिंगापुर शीर्ष स्थान पर

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स (Henley Passport Index) 2022 रिपोर्ट हाल ही में जारी की गयी थी. 199 देशों की इस पासपोर्ट रैंकिंग रिपोर्ट में भारत 83वें स्थान पर है. भारत की रैंकिंग में पिछले रैंकिंग रिपोर्ट से 7 स्थान का सूधार हुआ है. इस सूचकांक में शीर्ष तीन स्थानों पर एशियाई देश हैं. ये तीन देश जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया हैं.

हेनले पासपोर्ट रैंकिंग क्या है?

  • हेनले पासपोर्ट रैंकिंग को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार पर हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी किया जाता है.
  • यह रैंकिंग देशों के पासपोर्ट की ताकत पर निर्भर करती है. इस रैंकिंग में स्कोर का मतलब है कि कितने देशों में उस पासपोर्ट के जरिए वीजा मुक्त या वीजा आन-अराइवल प्रवेश मिल सकता है.
  • जिस देश के पासपोर्ट के जरिए बगैर वीजा या वीजा ऑन अराइवल सबसे अधिक देशों में आने-जाने की छूट होती है, उसकी रैंकिंग सबसे अच्छी होती है.

भारत के पासपोर्ट पर 60 देशों में बिना वीजा यात्रा

रैंकिंग में भारत 83वें स्थान पर है. भारतीय पासपोर्ट धारक भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मकाऊ, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, केन्या, मॉरिशस, सेशेल्स, जिम्बॉब्वे, यूगांडा, ईरान और कतर सहित 60 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं. 2021 में भारत का स्कोर 58 था. ओमान और आर्मेनिया ने हाल ही में भारतीय धारक को पूर्व वीजा की शर्त से छूट दी है.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स: एक दृष्टि

  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स में जापान और सिंगापुर संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान पर  हैं. दोनों देशों के पासपोर्टधारक 192 देशों की यात्रा बिना वीजा के यात्रा कर सकते है.
  • इस रैंकिंग में दूसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया और जर्मनी हैं. इन दोनों देशों के पासपोर्टधारक 190 देशों में वीजा के बिना यात्रा कर सकते हैं.
  • अमेरिका इस रैंकिंग में 6ठे स्थान पर है. अमेरिका के पासपोर्टधारक को 186 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते है.
  • पड़ोसी देश चीन के पासपोर्ट का रैंकिंग में 72वां स्थान है. चीन के पासपोर्ट का 79 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है और पाकिस्तान का पासपोर्ट जो 108वें स्थान पर है, उसका 31 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है.
  • इस रैंकिंग में अफगानिस्तान, इराक और सीरिया सबसे खराब पासपोर्ट वाले देश बने हुए. अफगानिस्तान अंतिम 116वें स्थान पर है.