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वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा का उद्घाटन

वायु सेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग सुविधा के लिए राजस्थान के बाड़मेर (जालौर) में राजमार्ग की हवाई पट्टी तैयार की गयी है. इस हवाई पट्टी का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी 9 सितम्बर को किया. 3.5 किलोमीटर लम्बी इस हाइवे का इस्तेमाल युद्ध या किसी आपातकाल के मौके पर बतौर हवाई पट्टी किया जा सकेगा.

इस हाइवे का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया गया है. यह उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे के अलावा भारतीय वायु सेना के फाइटर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग किये जा सकने योग्य दूसरा हाइवे है.

हवाई पट्टी का निर्माण भारतीय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने जालौर जिले के चितलवाना में राष्ट्रीय राजमार्ग-925A पर भारतीय वायु सेना के लिए इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) के रूप में तैयार किया है.

मंत्रिमंडल ने वायुसेना के लिए एयरबस से 56 परिवहन विमानों की खरीद को मंजूरी दी

भारतीय वायु के लिए 56 C-295MW विमानों की खरीद को मंजूरी दी गयी है. यह मंजूरी सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने 8 सितम्बर को दी.

  • 56 विमानों में से 16 विमान एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, स्पेन से खरीदे जाएंगे जो उड़ान भरने की स्थिति में होंगे. इन 16 विमानों की आपूर्ति 48 महीनों के भीतर की जाएगी. इसके अलावा 40 विमानों का निर्माण 10 वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम द्वारा भारत में किया जाएगा.
  • सी-295MW विमान नयी तकनीक के साथ 5 से 10 टन क्षमता वाला परिवहन विमान है जो वायुसेना के पुराने पड़ गए एवरो विमान की जगह लेगा.
  • यह अपनी तरह की पहली परियोजना होगी जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में किसी सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा.

सेना ने ‘स्काई स्ट्राइकर’ ड्रोन खरीदने के लिए भारत और इजराइल के संयुक्त उद्यम से अनुबंध किया

भारतीय सेना ने 100 से अधिक ‘स्काई स्ट्राइकर’ खरीदने के लिए भारतीय कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज और इजराइल की कंपनी एलबिट सिस्टम के संयुक्त उद्यम से अनुबंध किया है. अनुबंध के तहत इन ‘स्काई स्ट्राइकर’ का निर्माण बेंगलुरु में किया जाना है.

स्काई स्ट्राइकर: मुख्य बिंदु

  • स्काई स्ट्राइकर एक मानव रहित ‘घूमने वाला हथियार’ (ड्रोन) है जो लंबी दूरी तक सटीक और सामरिक हमले करने में सक्षम है. यह विस्फोटक वारहेड के साथ लाइन-ऑफ-विजन ग्राउंड लक्ष्यों से परे संलग्न करने के लिए बनाया गया है.
  • यह ‘स्काई स्ट्राइकर’ एक ‘आत्मघाती ड्रोन’ की तरह काम करता है, जो विस्फोटकों के साथ लक्ष्य को मारकर खुद भी नष्ट हो जाता है. यह खुद 5 किलो वारहेड के साथ निर्दिष्ट लक्ष्यों का पता लगाकर उन पर हमला कर सकता है.
  • इनकी मारक क्षमता करीब 100 किलोमीटर तक है. यह 20 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य क्षेत्र तक 10 मिनट में पहुंचकर मिशन को अंजाम देने के बाद लौट सकते हैं.
  • यह बहुत ही धीमी आवाज के साथ कम ऊंचाई पर उड़ सकता है, जो इसे मौन, अदृश्य और आश्चर्यजनक हमलावर बनाता है. लॉन्च करने से पहले इस पर ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लोड किया जाता है.
  • यह उड़ान भरने के बाद ग्राउंड कंट्रोल रूम की मंजूरी मिलने के बाद ही लक्ष्य को टार्गेट करता है. इसे लॉन्च करने के बाद ग्राउंड कंट्रोल रूम लक्ष्य भी बदल सकता है और किसी भी मिशन को रद्द करके उसे वापस भी बुला सकता है.

इंडियन कोस्ट गार्ड का जहाज ‘विग्रह’ राष्ट्र को समर्पित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 अगस्त को इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) का जहाज ‘विग्रह’ राष्ट्र को समर्पित किया. चेन्नई में कमीशन किया गया यह जहाज विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में तैनात होगा. पूर्वी समुद्र तट पर संचालित इस जहाज पर तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के कमांडर का प्रशासनिक नियंत्रण होगा. यह अपतटीय गश्ती जहाजों (OPV) की श्रृंखला का सातवां जहाज है.

  • 98 मीटर लम्बे इस अपतटीय गश्ती जहाज को लार्सन एंड टुब्रो शिप बिल्डिंग लिमिटेड ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया है. जहाज में उन्नत प्रौद्योगिकी रडार, नेविगेशन और संचार उपकरण, सेंसर और मशीनरी लगाई गई है, जो उष्णकटिबंधीय समुद्री परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है.
  • पोत 40/60 बोफोर्स तोप से भी लैस है और अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन से सुसज्जित है. जहाज पर एकीकृत पुल प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित बिजली प्रबंधन प्रणाली और उच्च शक्ति बाहरी अग्निशमन प्रणाली भी लगाई गई है.
  • जहाज को बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन और समुद्री गश्त के लिए एक जुड़वां इंजन वाले हेलीकॉप्टर और चार उच्च गति वाली नौकाओं को ले जाने के लिए भी डिजाइन किया गया है.
  • जहाज लगभग 2,200 टन वजन के साथ दो 9100 किलोवाट डीजल इंजनों से संचालित किया जाता है, जिससे 26 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतम गति से 5000 नॉटिकल माइल तक दूरी तय कर सकता है.
  • महासागर और समुद्र के कानून पर 2008 की रिपोर्ट में, तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने समुद्री सुरक्षा के लिए 7 खतरों को रेखांकित किया: समुद्री डकैती, आतंकवाद, हथियारों और नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और पर्यावरण को नुकसान. यह जहाज इन खतरों से रक्षा करेगा.

भारतीय सेना ने स्कीइंग अभियान ‘आर्मेक्स-21’ का आयोजन किया

भारतीय सेना ने स्कीइंग अभियान ‘आर्मेक्स-21’ अभियान का आयोजन किया था. यह अभियान 10 मार्च 2021 को लद्दाख के काराकोरम दर्रे से शुरू किया गया था जो 06 जुलाई 2021 को उत्तराखंड के मलारी में समाप्त हुआ था.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में 23 जुलाई को आयोजित एक समारोह में ‘आर्मेक्स-21’ का औपचारिक रूप से समापन किया. समापन समारोह में थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

भारतीय सेना के स्कीइंग अभियान के दौरान दल ने 5,000-6,500 मीटर ऊंचाई के कई दर्रों, ग्लेशियरों, घाटियों और नदियों के जरिए यात्रा करके कुल 1,660 किलोमीटर की दूरी तय की. अभियान के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा और भीतरी इलाकों के अब तक अज्ञात क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की गई है.

भारत ने आकाश-NG और एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल MP-ATGM का सफल परीक्षण किया

भारत ने 21 जुलाई को दो स्वदेशी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था. इनमें से एक जमीन से हवा में मार करने वाली नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (आकाश-NG) और दूसरी कम वजन वाली, मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MP-ATGM) है. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया था.

मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MP-ATGM)

स्वदेशी रूप से विकसित MP-ATGM का परीक्षण आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में छठा परीक्षण किया गया. मिसाइल ने लक्ष्य बनाकर रखे गए टैंक पर सटीक हमला कर उसे नष्ट कर दिया.

MP-ATGM का विकास भारतीय कंपनी वीईएम टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की साझेदारी में DRDO ने किया है.

इस परीक्षण ने सेना के लिए तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी मैन पोर्टबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल करने का रास्ता बना दिया है.

आकाश मिसाइल (आकाश-NG)

DRDO ने सुपरसोनिक आकाश-NG (न्यू जेनरेशन) मिसाइल का दूसरा सफलतापूर्वक परीक्षण एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर), चांदीपुर, ओडिशा तट से किया.

आकाश-NG की मारक क्षमता 40-50 किमी तक है. 96 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह देश का सबसे महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम है, जिसे अब दूसरे देशों को भी निर्यात करने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है.

आकाश-NG की सतह से हवा में हमला करने वाली इस मिसाइल का उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा हवाई खतरों को रोकने के उद्देश्य से किया जाता है.

लड़ाकू विमानों के लिए कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम विकसित किया गया

पुणे के आर्मामेंट रिसर्च एण्‍ड डेवलेपमेंट इस्‍टैब्लिशमेंट (ARDA) ने लड़ाकू विमानों के लिए कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम (CSS) विकसित किया है. सभी आधुनिक विमान अब इस CSS से लैस होंगे.

ARDA में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख वैज्ञानिक पीके मेहता की उपस्थिति में प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण प्रमाण-पत्र वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कैनोपी सेवरेन्‍स सिस्‍टम (CSS) क्या है?

CSS एक जीवन रक्षक उपकरण है जो आपात संकट के समय पायलट को सुरक्षित निकलने में मदद करता है. यह पायलट को कम से कम समय में छतरी को अलग कर सुरक्षित निकलने का मौका देती है.

CSS में दो स्‍वतंत्र उपप्रणालियां काम करती हैं. पहली प्रणाली इनफ्लाइट एग्रेस सिस्‍टम उड़ान के दौरान आपात स्थितियों के लिए है और दूसरी ग्राउंड एग्रेस सिस्‍टम ऑन ग्राउंड आपात स्थितियों के लिए है.

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने छह पनडुब्बियों के निर्माण के नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 4 जून को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई DAC की बैठक में दी गयी.

सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत होने वाला पहला मामला होने के कारण यह एक ऐतिहासिक स्वीकृति है. इस निर्माण में लगभग 43 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी.

परिषद ने बाय एंड मेक इंडियन श्रेणी के तहत सेना के लिए छह हजार करोड़ रुपये की एयर डिफेंस गन और गोला-बारूद को भी मंजूरी दी. इससे सशस्त्र बलों को आकस्मिक और महत्वपूर्ण अधिग्रहणों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)

रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council), अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।
DAC की स्थापना 2001 में सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की शीघ्र ख़रीद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गयी थी. रक्षा मंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं।

भारत ने लड़ाकू विमान तेजस के साथ पाइथन-5 मिसाइल की सफल परीक्षण श्रृंखला पूरी की

भारत ने लड़ाकू विमान तेजस (Tejas) की मारक क्षमता के कई सफल परीक्षण ‘पाइथन-5’ मिसाइल के साथ किया. रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (DRDO) ने यह परीक्षण श्रृंखला गोवा में हाल ही में आयोजित किया था. इस श्रृंखला में स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ के साथ पाइथन-5 मिसाइल को एकीकृत किया गया था.

इस परीक्षण का लक्ष्य तेजस पर पहले से ही एकीकृत पाइथन डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंड (BVR) AAM की बढ़ी हुई क्षमता को सत्यापित करना था. डर्बी प्रक्षेपास्त्र ने तेज गति से हवा में करतब दिखा रहे लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया और पाइथन प्रक्षेपास्त्र ने भी 100 प्रतिशत लक्ष्य पर वार किया और इस तरह अपनी पूर्ण क्षमताओं को प्रमाणित किया.

इस परीक्षणों से पहले बेंगलुरु में तेजस में लगी विमानन प्रणाली के साथ ‘पाइथन-5’ मिसाइल के एकीकृत होने के आकलन के लिये व्यापक हवाई परीक्षण किए गए. इनमें लड़ाकू विमान की वैमानिकी, फायर-नियंत्रण रडार, प्रक्षेपास्त्र आयुध आपूर्ति प्रणाली, विमान नियंत्रण प्रणाली शामिल थे.

पाइथन-5 मिसाइल: मुख्य तथ्य

  • पाइथन-5 मिसाइल हवा से हवा में मार करने में सक्षम पांचवीं पीढ़ी की मिसाइल है. यह इजरायल के हथियार निर्माता राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम द्वारा निर्मित मिसाइल है. पायथन 5, डर्बी मिसाइल का एक उन्नत संस्करण है.
  • पाइथन-5 की लंबाई 10.17 फीट है. इसका व्यास 6.29 इंच है. वजन 105 किलोग्राम है. यह इंफ्रारेड और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग के जरिए गाइड होती है.
  • इसकी मारक क्षमता 20 किलोमीटर है. यानी दुश्मन का जहाज अगर 20 किलोमीटर दूर पर हवा में स्थित हैं और वह दिखाई नहीं दे रहा है तो भी यह उसे नष्ट कर सकती है.
  • इस मिसाइल को स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान (फाइटर जेट) ‘तेजस’ के साथ एकीकृत किया गया है. यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को तेजी से मर गिराने में सक्षम है. इस मिसाइल का उपयोग दुनिया के करीब 20 देशों की वायुसेना करती है.

सेना ने अपने सैन्य फार्म को 1 अप्रैल 2021 से औपचारिक रूप से बंद किया

सेना ने अपने सैन्य फार्म (Military Farm) को 1 अप्रैल 2021 से औपचारिक रूप से बंद कर दिया है. ये सैन्य फार्म सैनिकों को गायों का स्वास्थ्यप्रद दूध उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए थे.

सैन्य फार्म: एक दृष्टि

  • सैन्य फार्म की स्थापना सेना की इकाइयों को दूध की आपूर्ति के लिए 132 साल पहले ब्रिटिश काल में की गई थी.
  • स्वतंत्रता के बाद पूरे भारत में 30 हजार मवेशियों के साथ 130 सैन्य फार्म बनाए गए थे. पहला सैन्य फार्म 1 फरवरी 1889 को इलाहाबाद में स्थापित किया गया था.
  • ये सैन्य फार्म लगभग 20 हजार एकड़ भूमि पर फैले थे और सेना इनके रखरखाव पर सालाना लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च करती थी.
  • रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2017 में कई सुधारों की घोषणा की थी कि जिनमें सैन्य फार्म को बंद करना भी शामिल था.
  • इन फार्म में रखे गए मवेशियों को सेना ने बहुत ही साधारण मूल्य में अन्य सरकारी विभागों या सहकारी डेयरियों को देने का फैसला किया है.

DRDO ने SFDR मिसाइल का सफल परीक्षण किया, मारक क्षमता 100-200 किमी

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 5 मार्च को सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. परीक्षण में ग्राउंड बूस्टर मोटर समेत सभी सिस्टम उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया.

SFDR मिसाइल: मुख्य बिंदु

  • यह मिसाइल सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) तकनीक पर आधारित है. यह तकनीक भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
  • यह मिसाइल भारत की सतह-से-हवा और हवा-से-हवा दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और उनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगा. इस मिसाइल की मारक क्षमता 100-200 किमी है.
  • भारत में SFDR परियोजना का लक्ष्य लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के तकनीकों को उन्नत करना है. इस प्रणाली में थ्रस्ट मॉड्यूलेटेड डक्टेड रॉकेट के साथ-साथ स्मोक नोजल-लेस मिसाइल बूस्टर शामिल है.
  • इस सिस्टम में थ्रस्ट मॉडुलन गर्म गैस प्रवाह नियंत्रक का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है और इसके साथ ही यह प्रणाली एक ठोस ईंधन वाले वायु-श्वास रैमजेट इंजन का भी उपयोग करती है.

DAC ने तीनों सशस्त्र बलों के कई पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने तीनों सशस्त्र बलों के कई पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है. ये मंजूरी 23 फरवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई (DAC) की बैठक में दी गयी. इस बैठक में तीनों सशस्त्र बलों की जरूरतों को लेकर विभिन्न हथियारों, प्लेटफार्म, सैन्य उपकरणों के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी.

इस बैठक में कुल 13,700 करोड़ रुपये की लागत वाली तीन ‘आवश्यकताओं को भी स्वीकृति’ (AON) दी गयी. ये सभी AON रक्षा खरीद की उच्चतम प्राथमिकता श्रेणी में हैं. इनमें ‘इंडियन- IDDM (स्वदेश में डिजाइन तैयार, विकसित एवं विनिर्मित)’ शामिल हैं.

खरीद प्रस्ताव में शामिल ये सभी साजो सामान स्वदेश में डिजाइन तैयार, विकसित एवं विनिर्मित होंगे. इनमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित प्लेटफार्म भी शामिल हैं. DAC ने यह भी मंजूरी दी है कि सभी पूंजीगत खरीद अनुंबंध, डी एंड डी (डिजाइंड एवं डेवलप्ड) मामलों को छोड़ कर दो साल में संपन्न की जाएं.

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) क्या है?

रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council), तीनों सशस्त्र बलों की योजना और खरीद को स्वीकृति प्रदान करने वाली सर्वोच्च संस्था है. इसका गठन 2001 में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार की सिफारिश के आधार पर किया गया था.