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भारतीय नौसेना ने स्वदेशी एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’ को शामिल किया

भारतीय नौसेना ने 26 जून को एक उन्नत एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’ (Maareech) को शामिल किया. मारीच के शामिल किये जाने से भारतीय नौसेना के पनडुब्बी विरोधी युद्ध क्षमताओं में वृद्धि होगी.

मारीच का विकास स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी से किया गया है. यह सरकार की ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल और उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को भी व्यक्त करता है.

एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’: एक दृष्टि

  • यह टॉरपीडो युद्धपोतों या जहाजों के सभी मोर्चों से गोला दागे जाने में सक्षम है.
  • यह एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम को नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा मिलकर बनाया गया है.
  • इस डिकॉय सिस्टम का उत्पादन कार्य भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) करेगा.
  • यह आने वाले टॉरपीडो को खोजने, उसकी स्थिति का पता लगाने और बेअसर करने में सक्षम है.

वायुसेना ने LCA तेजस के साथ नए स्‍क्‍वाड्रन ‘फ़्लाइंग बुलेट्स’ का शुभारंभ किया

वायुसेना ने हल्‍के लड़ाकू विमान LCA तेजस के साथ अपने नए स्‍क्‍वाड्रन नंबर-18 ‘फ़्लाइंग बुलेट्स’ के संचालन का शुभारंभ किया. वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कोयम्‍बटूर के निकट सुलूर वायुसेना अड्डे में इसकी शुरूआत की.

फ़्लाइंग बुलेट्स आधुनिक बहुउद्देश्‍यीय लड़़ाकू विमान LCA तेजस के साथ संचालित होने वाली वायुसेना की दूसरी स्‍क्‍वाड्रन के रूप में काम करेगी. तेजस के साथ संचालित पहली स्‍क्‍वाड्रन का नाम नंबर-45 ‘फ़्लाइंग डैगर्स’ है जिसका मुख्‍यालय भी सुलूर वायुसेना अड्डा ही है.

नम्‍बर-18 स्‍क्‍वाड्रन

नम्‍बर-18 स्‍क्‍वाड्रन का गठन 1965 में हुआ था और श्रीनगर से संचालित और वहां उतरने वाला यह पहला स्‍क्‍वाड्रन था. इस स्‍क्‍वाड्रन से कुछ सैनिकों को 1971 में पाकिस्‍तान के साथ युद्ध के दौरान परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था. इस स्‍क्‍वाड्रन को इस वर्ष सुलूर बेस में 1 अप्रैल से फिर शुरू किया गया है.

LCA तेजस

यह देश में ही निर्मित LCA तेजस चौथी पीढ़ी का लडाकू विमान है. इसे हिंदुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने तैयार किया. LCA तेजस हल्‍के लड़ाकू विमान को सभी मानकों के साथ पूर्ण संचालन की मंजूरी मिल गयी है.

इस विमान में फ्लाई बाई वायर उड़ान नियंत्रित प्रणाली, एकीकृत डिजिटल वैमानिकी और बहुआयामी रडार प्रणाली है. इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को अपनी तरह का सबसे हल्‍का और सबसे छोटा विमान माना जा रहा है.

भारत और इजरायल के बीच 880 करोड़ रुपये के रक्षा सौदा

भारत सरकार ने इजरायल की फर्म ‘इजरायल वेपंस इंडस्ट्रीज’ (IWI) के साथ 880 करोड़ रुपये में 16,479 लाइट मशीन गन (LMG) की खरीद का सौदा किया है.से एक है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की स्वीकृति के बाद सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

नेगेव LMG: एक दृष्टि

  • इजरायल से खरीदे जाने वाली इन लाइट मशीन गन्स का नाम ‘नेगेव’ है. नेगेव LMG आमने-सामने की लड़ाई में आजमाया हुआ उत्कृष्ट हथियार है. इसे दुनिया के कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं.
  • इस हथियार के मिल जाने पर देश के अग्रणी मोर्चे पर रहने वाले जवानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे ज्यादा आक्रामकता से दुश्मन पर धावा बोल पाएंगे.
  • साढ़े सात किलोग्राम वजन वाली इस LMG का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, छोटे समुद्री जहाजों और जमीनी लड़ाई में आसानी से किया जा सकेगा.

भारतीय वायु सेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी

रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने भारतीय वायु सेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद की मंजूरी दी है. DAC के 19 मार्च को हुई इस बैठक में तेजस के नए उन्नत ‘MK-1A’ संस्करण के विमानों की खरीद को मंजूरी दी गयी. इस बैठक में DAC ने लगभग 1300 करोड़ रुपये के स्‍वदेशी रक्षा साजो-सामान की खरीद को भी मंजूरी दी.

जनरल विपिन रावत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनने और डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD) व डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर (DMA) के गठन के बाद यह DAC की पहली बैठक थी.

देश में निर्मित तेजस लड़ाकू विमान की खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी बल मिलेगा. स्वदेश निर्मित हलके लड़ाकू विमान ‘तेजस’ की खरीद में रक्षा मंत्रालय ने 10 हजार करोड़ रुपए की बचत की है.

तेजस लड़ाकू विमान: एक दृष्टि

तेजस स्वदेश निर्मित हल्का लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft) है. इसका डिजाइन, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत विमान विकास एजेंसी (Aircraft Development Agency) ने किया है और इसका निर्माण हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने किया है.

रक्षा खरीद परिषद (DAC): एक दृष्टि

रक्षा खरीद परिषद (Defence Acquisition Council) रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में देश में रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली संस्था है. रक्षा मंत्री इस परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं. DAC का गठन 2001 में किया गया था.

नया विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का पुणे में अनावरण किया गया

पुणे में आयोजित राष्ट्रीय विस्फोटक डिटेक्शन कार्यशाला (NWND-2020) में एक नया विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का अनावरण किया गया. ‘NWND-2020’ का आयोजन 1-2 मार्च को हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) पुणे के हीरक जयंती समारोह पर किया गया था. इस समारोह का उद्घाटन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने किया था.

Raider-X: एक दृष्टि

  • विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) पुणे तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) बैंगलोर ने मिलकर किया है.
  • HEMRL पुणे, DRDO की एक अग्रणी प्रयोगशाला है. यह वैज्ञानिकों, टेक्नोक्रेटों तथा उपयोगकर्ताओं को हाल के प्रौद्योगिकीय सुधारों के बारे में ज्ञान, अनुभव तथा नवीनतम जानकारी साझा करने के लिए यह एक मंच प्रदान करता है.
  • Raider-X में एक दूरी से विस्फोटकों की पहचान करने की क्षमता है. इस डिवाइस के द्वारा छुपाकर रखे गये विस्फोटकों की ढेर का भी पता लगाया जा सकता है.

‘स्वाति’ रडार की आपूर्ति के लिए भारत और अर्मेनिया में समझौता, ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि

भारत ने अर्मेनिया के साथ चार करोड़ डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) का एक रक्षा सौदा किया है. सौदा के तहत भारत अर्मेनिया को चार वेपन लोकेटिंग रडार (WLR) यानि घातक स्वाति की आपूर्ति करेगा.

‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए उपलब्धि

इस रक्षा सौदे को भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. निर्यात के इस आर्डर से भारत को अपने हथियारों और रक्षा प्रणालियों की बिक्री के लिए एक नया बाजार बनाने में मदद मिलेगी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले पांच वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.

‘स्वाति’ रडार: एक दृष्टि

  • इन रडारों का उत्पादन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.
  • अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड की रडार प्रणालियों के कई परीक्षण के बाद भारत ‘स्वाति’ रडार को खरीदने का फैसला लिया है.
  • इनकी खासियत ये है कि यह दुश्मन के हथियारों की मौजूदगी तलाश कर उन्हें तबाह करने के लिए सेना को गाइड करने का काम करता है.
  • यह तेज गति, स्वचालित और दुश्मन की सटीक लोकेशन बताने वाले मोर्टारों, गोला-बारूदों और राकेटों से लैस है. इसकी मारक क्षमता 50 किलोमीटर रेंज की है.
  • इस रडार सिस्टम की अहमियत सीमा पार गोलीबारी वाले क्षेत्रों में भी होती है. इस स्वदेशी रडार प्रणाली को भारतीय सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है.

तटीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए गश्ती पोत ‘वज्र’ का जलावतरण किया गया

भारतीय गश्ती पोत ‘‘यार्ड 45006 वज्र’’ (OPV) को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया की मौजूदगी में 27 फरवरी को चेन्नई के कट्टूपल्ली बंदरगाह पर इस पोत का औपचारिक रूप से जलावतरण किया गया.

यह भारतीय नौसेना का छठा गश्ती पोत है. इस पोत का इस्तेमाल दिन और रात निगरानी के साथ-साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आतंकवाद-रोधी/तस्करी विरोधी अभियानों के साथ-साथ तटीय सुरक्षा के लिए भी किया जाएगा.

यार्ड 45006 वज्र: एक दृष्टि

  • केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के अभियान के तहत ‘लार्सन एंड टुब्रो’ द्वारा निर्माण किए जाने वाले सात पोत की श्रृंखला में ‘यार्ड 45006’ छठा पोत है.
  • यह उन्नत किस्म की नौवहन और संचार प्रणाली से लैस है. इसके साथ ही इसमें नयी मशीनरी और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में इससे लगातार निगरानी की जा सकेगी.
  • OPV में अल्ट्रा-आधुनिक तकनीक के साथ दो नेविगेशन रडार, अत्याधुनिक नेविगेशनल और नवीनतम संचार प्रणाली होगी.

भारतीय सेना दुनिया में पहला बुलेट-प्रूफ बैलिस्टिक हेलमेट का निर्माण किया

सेना की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के मेजर अनूप मिश्रा ने एक बुलेट-प्रूफ बैलिस्टिक हेलमेट का निर्माण किया है. यह दुनिया में पहला ऐसा बुलेटप्रूफ हेलमेट है जो 10 मीटर की दूरी से AK-47 से चलाई गई गोली को रोक सकता है. इससे पहले अनूप मिश्रा ने बुलेट-प्रूफ जैकेट का निर्माण किया था जो स्नाइपर राइफल की गोलियों से सुरक्षा प्रदान कर सकती है.

अनूप मिश्रा द्वारा ‘अभेद प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत बनाया गया

बैलिस्टिक हेलमेट को मेजर अनूप मिश्रा द्वारा ‘अभेद प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत बनाया गया है. इसी के तहत फुल बॉडी प्रोटेक्शन बुलेटप्रूफ जैकेट भी विकसित किया गया था. अनूप मिश्रा भारतीय सेना के कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (CME) के लिए काम करते हैं. स्वदेशी सर्वत्र बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने मेजर मिश्रा को आर्मी डिजाइन ब्यूरो एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया था.

पुणे की कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (CME), एक प्रमुख सामरिक और तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान कोर ऑफ इंजीनियर्स की मातृ संस्था है. CME कॉम्बैट इंजीनियरिंग, CBRN प्रोटेक्शन, वर्क्स सर्विसेज और GIS मामलों में सभी शस्त्र और सेवाओं के कर्मियों को निर्देश देने के अलावा इंजीनियरों के कोर कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए भी जिम्मेदार है.

देश का पहला पशु युद्ध स्मारक उत्तरप्रदेश के मेरठ में बनाया जायेगा

उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित रेमाउंट एंड वेटरनरी कोर (RVC) सेंटर में ‘पशु युद्ध स्मारक’ (वार मेमोरियल फॉर एनीमल) बनाया जायेगा. यह स्मारक सेवा जानवरों के लिए समर्पित है. यह देश का पहला पशु युद्ध स्मारक होगा. यह स्मारक उन पशुओं के योगदान को समर्पित होगा, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना की मदद की थी.

स्मारक में कुत्ते, 350 हैंडलर, कुछ घोड़ों और खच्चरों के नाम व सेवा नंबर अंकित किए जाएंगे. ये नंबर याद रखने का टोकन होगा और RVC सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक होगा. कुत्ते का सर्वोच्च सम्मान मारणोपरांत प्रेषण में उल्लेख होना है. वहीं, डॉग हैंडलर द्वारा जीता गया सर्वोच्च पुरस्कार शौर्य चक्र है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा शौर्य वीरता पुरस्कार है.

मानसी कुत्तों के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित

मानसी नामक लैब्राडोर को वर्ष 2016 में कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों में उसकी भूमिका को कुत्तों के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया था. मानसी याद किए जाने वाले जानवरों की सूची में सबसे ऊपर है.

सेना द्वारा उपयोग किये जाने वाले कुत्तों की मुख्य प्रजाति

लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन शेफर्ड (मलिंसिन) सेना के कैनाइन कार्य बल के मुख्य आधार हैं. RVC ने कुछ मुधोल हाउंड्स (कर्नाटक से एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल) को विस्फोटक पहचान के लिए परीक्षण के आधार पर पेश किया है.

भारत ने सबमरीन फोर्स के लिए परमाणु ताकत से लैस मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया

भारत ने 19 जनवरी को परमाणु ताकत से लैस बलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण आंध्र प्रदेश में विशाखापत्‍तनम के तट से किया गया. यह मिसाइल पनड़ुब्‍बी से छोडी जा सकती है. इस परीक्षण को समुद्र में पानी के अन्दर पनडुब्बी (सबमरीन) पर बने प्लेटफॉर्म से किया गया. इसकी मारक क्षमता चीन की बैलि‍स्टिक मिसाइल से ज्‍यादा सटीक है. अभी केवल अमरीका, रूस और चीन के पास ही ऐसी मिसाइल है.

बलिस्टिक मिसाइल K-4: एक दृष्टि

  • परमाणु ताकत से लैस इस मिसाइल को DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने विकसित किया है.
  • बलिस्टिक मिसाइल K-4 की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है. इसे अरिहंत क्लास न्यूक्लियर सबमरीन पर तैनात किया जाना है.
  • फिलहाल भारतीय नौसेना के पास ‘INS अरिहंत’ ही ऐसा इकलौता पोत (सबमरीन) है, जो परमाणु क्षमता से लैस है.
  • ‘K-4’ भारत द्वारा अपने सबमरीन फोर्स के लिए विकसित की जा रहीं 2 अंडरवॉटर मिसाइलों में से एक है. दूसरी ऐसी मिसाइल ‘BO-5’ है, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से ज्यादा है.

‘k-9 वज्र’ होवित्‍जर तोप राष्‍ट्र को समर्पित की गयी, दक्षिण कोरिया के सहयोग से निर्मित

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 16 जनवरी को गुजरात के हजीरा में ‘k-9 वज्र’ नाम की होवित्‍जर तोप राष्‍ट्र को समर्पित की. इस तोप का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ‘लारसन एंड टूब्रो’ कम्‍पनी द्वारा किया गया है. यह तोप भविष्‍य के युद्ध की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखकर बनाई गई है.

k-9 वज्र होवित्‍जर तोप: एक दृष्टि

  • k-9 वज्र तोप का वजन 50 टन है और यह 47 किलोग्राम के गोले से 43 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. यह शून्य त्रिज्या पर घूम सकती है.
  • भारतीय सेना को के-9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलीबर तोपों की आपूर्ति के लिए 2017 में दक्षिण कोरिया के ‘हान्वा टेकविन’ ने भारतीय साझीदार ‘लारसन एंड टूब्रो’ के साथ समझौता से किया था.

INS विक्रमादित्य पर स्वदेशी हल्के लड़ाकु विमान ‘तेजस’ की पहली सफल लैंडिंग

नौसेना के लिए स्‍वदेशी हल्‍के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ ने 11 जनवरी को विमान वाहक युद्धपोत INS विक्रमादित्य पर अपनी पहली सफल लैंडिंग की. कमोडोर जयदीप माओलंकर ने इस ऐतिहासिक लैंडिंग का संचालन किया.

भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल

INS विक्रमादित्य पर, स्वदेशी हल्के लड़ाकु विमान (LCA) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे लड़ाकू जेट विमान को डिजाइन करने की क्षमता है जो एक विमान वाहक पोत पर उतर सकता है. यह पहली बार है कि जब कोई स्वदेशी लड़ाकू विमान किसी विमान वाहक पोत पर उतरा है.

LCA अपनी श्रेणी का सबसे छोटा और सबसे हल्का मल्टी-रोल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है. इस विमान को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. जल्द ही यह लडाकू विमान युद्धपोत से अपनी पहली उड़ान का प्रयास करेगा.