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उत्तर प्रदेश के जेवर में सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी गई

  • केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के जेवर में ₹3,706 करोड़ के सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई.
  • यह प्लांट एचसीएल और फॉक्सकॉन की साझेदारी में लगाया जाएगा और इसमें मोबाइल, लैपटॉप और गाड़ियों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स बनाए जाएंगे.
  • जेवर सेमीकंडक्टर प्लांट की उत्पादन क्षमता 20,000 वेफर्स प्रति माह होगी, जिससे हर महीने 3.6 करोड़ चिप्स तैयार की जाएंगी.
  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत अब तक 6 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी गई है. जेवर सेमीकंडक्टर प्लांट, देश का छठा सेमीकंडक्टर प्लांट होगा और

भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत सेमीकंडक्टर इकाइयां

  • अमेरिकी कंपनी माइक्रोन अहमदाबाद के पास साणंद में एक सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा स्थापित कर रही है. जनवरी 2026 में इसका संचालन शुरू होने की उम्मीद है.
  • ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ साझेदारी में, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड गुजरात के धोलेरा में एक सेमीकंडक्टर फैब इकाई स्थापित कर रही है.
  • एक अन्य टाटा कंपनी, टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड, असम के मोरीगांव में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित कर रही है.
  • सीजी पावर, जापान की रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन और थाईलैंड की स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ साझेदारी में, गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित कर रही है.
  • भारतीय कंपनी केनेस सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित कर रही है.
  • केंद्र सरकार ने 14 मई 2025 को उत्तर प्रदेश के जेवर में सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी. यह प्लांट एचसीएल और फॉक्सकॉन की साझेदारी में लगाया जाएगा.

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)

  • भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्त्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था.
  • ISM का मुख्य उद्देश्य घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में चिप विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

सेमीकंडक्टर क्या हैं?

  • सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) वे पदार्थ हैं जिसमें संवाहक (चालक) और विसंवाहक (गैर-चालक) दोनों के गुण होते हैं. सेमीकंडक्टर आमतौर पर सिलिकॉन या जर्मेनियम से बने होते हैं.
  • सेमीकंडक्टर चिप (इंटीग्रेटेड सर्किट), सेमीकंडक्टर के एक छोटे से सपाट टुकड़े पर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का एक सेट है. इनका उपयोग कंप्यूटर और स्मार्टफोन सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है.

नोएडा तथा बेंगलुरू में सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग केंद्र का उद्घाटन

  • 13 मई को जापानी कंपनी रेनेसास ने भारत में सेमीकंडक्टर चिप डिजाइनिंग के दो केंद्रों की शुरुआत की. ये केंद्र नोएडा तथा बेंगलुरू में है जिसका उद्घाटन इलैक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने 13 मई को किया.
  • ये केंद्र अत्‍याधुनिक 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन के लिए भारत के पहले केंद्र होंगे. सबसे अहम बात यह है कि, यह कंपनी भारत में दुनिया की सबसे छोटी 3 नैनोमीटर की चिप बनाएगी.

उत्तर प्रदेश में ओडीओपी योजना में 12 नए उत्पाद शामिल किए गए

  • उत्तर प्रदेश में ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में विभिन्न जिलों के 12 और उत्पादों को शामिल किया गया है. योजना में पहले 62 उत्पादों को शामिल किया गया था जिनकी संख्या अब बढ़कर 74 हो गई है.
  • ओडीओपी (One District One Product) योजना 24 जनवरी 2018 को योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में शुरू की थी.
  • इस योजना का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक जिले में एक विशिष्ट उत्पाद को बढ़ावा देना है, ताकि उस उत्पाद की पहचान स्थापित हो सके और उस जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया जा सके.
  • इस योजना के तहत, प्रत्येक जिले के पारंपरिक और अद्वितीय उत्पादों को चिन्हित किया जाता है, और फिर उनके उत्पादन, ब्रांडिंग, विपणन और निर्यात के लिए सहायता प्रदान की जाती है. उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 75 जिले हैं.

ओडीओपी योजना के तहत शामिल किए गए 12 नए उत्पाद

  1. बागपत-कृषि उपकरण और सहायक उपकरण
  2. सहारनपुर-होजरी उत्पाद
  3. फिरोजाबाद-खाद्य प्रसंस्करण
  4. गाजियाबाद-धातु उत्पाद और वस्त्र/परिधान वस्तुएं
  5. अमरोहा-धातु और लकड़ी के हस्तशिल्प
  6. आगरा-पेठा उद्योग और सभी प्रकार के फुटवियर
  7. हमीरपुर-धातु उत्पाद
  8. बरेली-लकड़ी के उत्पाद
  9. एटा-चिकोरी उत्पाद
  10. प्रतापगढ़-खाद्य प्रसंस्करण
  11. बिजनौर-रश और संबंधित उत्पाद
  12. बलिया-सत्तू उत्पाद

ओडीओपी योजना के तहत शामिल उत्पाद

  • आगरा: चर्म उत्पाद, पत्थर और संगमरमर, पेठा उद्योग और सभी प्रकार के जूते के माध्यम से निर्मित सभी हस्तनिर्मित उत्पाद
  • अमरोहा: संगीत वाद्ययंत्र, रेडीमेड वस्त्र
  • अलीगढ: ताले, हार्डवेयर और धातु हस्तशिल्प
  • औरैया: खाद्य प्रसंस्करण (देसी घी)
  • आजमगढ़: काली मिट्टी के बर्तन
  • अंबेडकरनगर: कपड़ा उत्पाद
  • अमेठी: मूंज उत्पाद
  • अयोध्या: गुड़
  • बदायूं: जरी-जरदोजी
  • बागपत: गृह साज-सज्जा, कृषि उपकरण और सहायक उपकरण,
  • बहराईच: (गेहूं का डंठल) हस्तशिल्प और खाद्य प्रसंस्करण
  • बरेली: जरी-जरदोजी, लकड़ी के उत्पाद
  • बलिया: बिंदी (टिकुली), सत्तू उत्पाद
  • बस्ती: लकड़ी शिल्प, सिरका उत्पाद
  • बलरामपुर: खाद्य प्रसंस्करण (दालें)
  • भदोहीं: कालीन
  • बाँदा: शज़ार स्टोन क्राफ्ट
  • बिजनौर: लकड़ी शिल्प, रशेस और संबंधित उत्पाद
  • बाराबंकी: कपड़ा उत्पाद
  • बुलन्दशहर:सिरेमिक उत्पाद
  • चंदौली: जरी-जरदोजी, काला चावल (काला नमक चावल)
  • चित्रकूट: लकड़ी के खिलौने
  • देवरिया: सजावटी उत्पाद, कढ़ाई और बुनाई उत्पाद, रेडीमेड परिधान,
  • इटावा: टीवस्त्र उत्पाद, सिलाई और परिधान कढ़ाई, चिकोरी उत्पाद,
  • एटा: एंकल बेल्स (घुंघरू), बेल्स और पीतल उत्पाद
  • फर्रुखाबाद: कपड़ा छपाई, ज़री ज़रदोज़ी
  • फ़तेहपुर: बेडशीट और लौह निर्माण कार्य
  • फ़िरोज़ाबाद: कांच के बर्तन, खाद्य प्रसंस्करण
  • गौतम बुद्ध नगर: रेडीमेड वस्त्र
  • गाजीपुर: जूट की दीवार पर लटकाना
  • गाजियाबाद: इंजीनियरिंग सामान, धातु उत्पाद और कपड़ा/परिधान आइटम,
  • गोंडा: खाद्य प्रसंस्करण (दालें)
  • गोरखपुर: टेरकोटा, रेडीमेड गारमेंट्स
  • खुला: घर का फर्नीचर
  • हरदोई: हथकरघा
  • हाथरस: हींग
  • हमीरपुर: जूते, धातु उत्पाद,
  • जालौन: हस्तनिर्मित कागज कला
  • जौनपुर: ऊनी कालीन
  • झाँसी: मुलायम खिलौने
  • कन्नौज:इत्र
  • कौशांबी: खाद्य प्रसंस्करण (केला)
  • कुशीनगर: केला फाइबर उत्पाद और केला उत्पाद
  • कानपुर देहात: अल्युमीनियम के बर्तन
  • कानपुर नगर: चर्म उत्पाद
  • कासगंज:: जरी जरदोजी
  • लखीमपुर खीरी: जनजातीय शिल्प, गुड़ उत्पाद
  • ललितपुर: ज़री सिल्क साड़ियाँ, खाद्य प्रसंस्करण, स्कूल ड्रेस (रेडीमेड गारमेंट्स/होजरी)
  • लखनऊ: चिकनकारी और जरी जरदोजी
  • महराजगंज:फर्नीचर
  • मेरठ: खेल उत्पाद
  • महोबा: गौरा पत्थर शिल्प
  • मीरजापुर: कालीन, पीतल उद्योग
  • मैनपुरी: तारकशी कला
  • मुरादाबाद: धातु शिल्प
  • मथुरा: सेनेटरी फिटिंग, ठाकुरजी की पोशाक, श्रृंगार मूर्तिकला, कंठी माला
  • मुजफ्फरनगर: गुड़
  • मऊ: पावरलूम कपड़ा
  • पीलीभीत: बांसुरी, लकड़ी के उत्पाद
  • प्रयागराज: मूंज उत्पाद
  • प्रतापगढ़: आंवला उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण
  • रायबरेली: लकड़ी का काम
  • रामपुर: लागू पैच वर्क, ज़री पैचवर्क और मेंथा के साथ काम करें
  • संतकबीर नगर: पीतल के बर्तन शिल्प
  • शाहजहांपुर: जरी जरदोजी
  • सहारनपुर: लकड़ी शिल्प, होजरी उत्पाद,
  • शामली: लौह कला
  • श्रावस्ती: जनजातीय शिल्प
  • संभल: हस्तशिल्प (सींग-हड्डी)
  • सिद्धार्थनगर: काला नमक चावल
  • सीतापुर: कालीन (से)
  • सोनभद्र: कालीन
  • सुल्तानपुर: मूंज उत्पाद
  • उन्नाव: जरी जरदोजी
  • वाराणसी: बनारसी सिल्क साड़ी

विश्व की सर्वाधिक तेज बाइक रेस ‘मोटो जीपी’ 2023 का आयोजन उत्तर प्रदेश में होगा

‘मोटो जीपी’ 2023 का आयोजन 22 से 24 सितंबर तक उत्तर प्रदेश में होगा. यह विश्व की सर्वाधिक तेज बाइक रेस प्रतियोगिता है जिसका आयोजन भारत में पहली बार किया जा रहा है.

मोटो जीपी 2023: मुख्य बिन्दु

  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 21 जून को ‘मोटो जीपी 2023’ का पहला टिकट जारी किया.
  • मोटोजीपी दुनिया की सबसे पुरानी सबसे तेज और सबसे बड़ी बाइक प्रतियोगिता है. इसका आयोजन उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में मौजूद बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में किया जाएगा.
  • यह दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा देखा जाने वाला इवेंट है. यह पहली बार होगा कि मोटो जीपी रेस का आयोजन यूरोप से बाहर हो रहा है और यह उत्तर प्रदेश में होगा.
  • मोटोजीपी के सदस्य देशों में से 12 देश जी-20 समूह में भी शामिल हैं. भारत इस समय जी-20 समूह की मेजबानी कर रहा है.

उत्तर प्रदेश में तराई हाथी अभ्यारण्य की स्थापना को मंजूरी

उत्तर प्रदेश में तराई हाथी अभ्यारण्य (TER) की स्थापना को मंजूरी दी गई है. केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने यह मंजूरी 23 अक्तूबर, 2022 को दी थी. TER को दुधवा टाइगर रिज़र्व और लखीमपुर एवं पीलीभीत ज़िलों में स्थित पीलीभीत टाइगर रिज़र्व सहित 3,049 वर्ग किमी. क्षेत्र में विकसित किया जाएगा.

तराई हाथी अभ्यारण्य (TER): मुख्य बिंदु

  • TER के लिये केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से मंज़ूरी मिलने के बाद अब राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी.
  • उत्तर प्रदेश में TER के अस्तित्व में आने के साथ, दुधवा टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश में अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली जानवरों की प्रजातियों – बाघ, एक सींग वाला गैंडा, एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा.
  • TER की स्थापना वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक मील का पत्थर होगी, विशेष रूप से एशियाई हाथियों के लिये, क्योंकि यह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जहाँ हाथियों की सीमा-पार आवाजाही एक नियमित दिनचर्या है.

उत्‍तर प्रदेश में राज्‍य के सबसे लंबे एक्‍सप्रेस-वे की आधारशिला रखी गयी

उत्‍तर प्रदेश में राज्‍य के सबसे लंबे एक्‍सप्रेस-वे ‘गंगा एक्सप्रेस-वे’ की आधारशिला रखी गयी है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 18 दिसम्बर को इसकी आधारशिला शाहजहांपुर जिले में रखी.

मुख्य बिंदु

  • यह उत्‍तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा. 594 किलोमीटर लंबे छह लेन के इस एक्‍सप्रेस-वे के निर्माण पर 36.2 हजार करोड रुपये की लागत आएगी.
  • यह मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर यह एक्‍सप्रेस वे प्रयागराज के जुदापुर डांडू गांव तक जाएगा. एक्‍सप्रेस वे पर साढे तीन किलोमीटर लंबी एक हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी. जहां आपात स्थिति में वायुसेना के विमान उतर सकेंगे और उडान भर सकेंगे. एक्‍सप्रेस-वे पर एक औद्योगिक गलियारे का निर्माण भी प्रस्‍तावित है.
  • गंगा एक्सप्रेसवे पर 7 रेलवे पुल, 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल, 375 अंडर पास, 9 जन सुविधा केंद्र, 2 टोल प्लाजा और 15 रैंप टोल प्लाजा प्रस्तावित हैं. यह एक्सप्रेसवे कृषि तथा डेरी उत्पादों के तेजी से आवागमन में विशेष तौर पर सहायक साबित होगा.

प्रधानमंत्री ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने 11 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) का उद्घाटन किया. यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी जोड़ो परियोजना है. इस परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश में सिंचाई संबंधी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी.

  • सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के जरिए पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन को जोड़ा गया है. 808 किलोमीटर लंबी सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल में बहराइच से गोरखपुर तक 9 जिलों से होकर गुजरती है. ये जिले हैं- बहराइच, गोण्डा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, महाराजगंज और गोरखपुर.
  • इस परियोजना के जरिये 14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई संभव होगी. साथ ही, मॉनसून के दौरान नेपाल से अत्यधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण इस इलाके में बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा भी कम हो जाएगा.
  • इसकी मुख्‍य नहर की लम्‍बाई 808 किलोमीटर है जिससे साढे छह हजार किलोमीटर से ज्‍यादा लम्‍बाई की कई छोटी नहरें आकर जुड़ती है.
  • यह परियोजना 78.68 करोड़ रुपये की लागत से 1978 में शुरू की गयी थी. परियोजना की लागत 2021 तक बढ़कर 9,802 करोड़ रुपये हो गई.

केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8 दिसम्बर को केन-बेतवा नदी को जोड़ने वाले परियोजना (Ken-Betwa River Interlinking Project) को मंजूरी दी. इस परियोजना में 44,605 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसका 90% खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. यह प्रोजेक्ट 8 साल में पूरा कर लिया जाएगा.

परियोजना के मुख्य बिंदु

  • केन-बेतवा परियोजना के तहत 176 किलोमीटर की लिंक कैनाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों नदियों को जोड़ा जा सके. प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद मध्य प्रदेश के सागर-विदिशा सहित 12 जिलों को पानी मिलेगा. इसके साथ ही 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी.
  • केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से नॉन मानसून सीजन (नवंबर से अप्रैल के बीच) में मध्यप्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) व उत्तर प्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा.
  • प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर ढोड़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा. यह पानी नहर के जरिया बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा. वहीं, दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे. इसके साथ ही बेतवा की सहायक बीना नदी जिला सागर और उर नदी जिला शिवपुरी पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा.
  • प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही, 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावॉट हाइड्रो पावर भी पैदा किया जाएगा. केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावॉट है.
  • परियोजना से बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 12 जिलों को पानी मिलेगा. मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी को पानी मिलेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी.

केन और बेतवा नदी

केन और बेतवा नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है, ये यमुना की सहायक नदियाँ हैं. केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना नदी में मिलती है तथा बेतवा नदी से यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में मिलती है.

नदियों को जोड़ने का लाभ

नदियों को आपस में जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की पुनरावृत्ति का समाधान होगा. इससे सिंचाई के स्थायी साधन प्रदान करके तथा भूजल पर अत्यधिक निर्भरता को कम करके उनके लिये स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेगा. बहुउद्देशीय बांध के निर्माण से न केवल जल संरक्षण में तेज़ी आएगी, बल्कि जल-विद्युत का उत्पादन भी होगा.

प्रधानमंत्री ने गोरखपुर में तीन प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 10 हजार करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इन परियोजनाओं में उर्वरक संयंत्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के क्षेत्रीय केंद्र का नया भवन शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जिन दो बड़ी परियोजनाओं उर्वरक संयंत्र और एम्स का उद्घाटन किया, उनकी आधारशिला उन्होंने 2016 में रखी थी. ICMR के क्षेत्रीय केंद्र की आधारशिला वर्ष 2018 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रखी थी.

प्रधानमंत्री ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप इस हवाई अड्डे का विकास, संपर्क को बढ़ावा देने और विमानन क्षेत्र को भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर  किया जा रहा है.

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के बाद यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा. इस हवाई अड्डे के साथ, उत्तर प्रदेश पांच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला एकमात्र भारतीय राज्य बन जाएगा. इसके साथ ही दिल्‍ली देश का पहला शहर बन जायेगा, जहां 70 किमी के दायरे में अब तीन एयरपोर्ट होंगे.
  • यह भारत का पहला नैट जीरो उत्सर्जन हवाई अड्डा होगा. भारत में पहली बार किसी हवाई अड्डे में मल्‍टी मॉडल कार्गो केन्‍द्र की व्‍यवस्‍था होगी. इसके कार्गो टर्मिनल की क्षमता बीस लाख मीट्रिक टन है, जिसे बढ़ाकर 80 लाख मीट्रिक टन कर दिया जायेगा.
  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा पीपीपी मॉडल के तहत उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के सहयोग से विकसित किया जाना है.
  • इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 15,000- 20,000 करोड़ रुपये है. इस परियोजना का पहला चरण लगभग 10,050 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री ने 16 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के करवल खीरी में नवनिर्मित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया. इस एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के लिए वे C-130 हरक्‍युलिस विमान से करवल कीरी हवाईपट्टी पहुंचे थे. यह पहली बार था जब देश के प्रधानमंत्री विमान में सवार होकर सीधे एक्‍सप्रेस-वे की हवाई पट्टी पर लैंड किये थे. उद्घाटन के बाद, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने एक्सप्रेस-वे पर बनी हवाई पट्टी पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया.

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे: एक दृष्टि

  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले के चांद सराय गांव को NH-31 पर गाजीपुर जिले के हैदरिया गांव से जोड़ता है. इसकी लंबाई 340.8 किमी है. यह 6-लेन का है जिसे 8-लेन तक बढ़ाया जा सकता है.
  • यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. इसे “उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण” (UPEIDA) द्वारा विकसित किया गया है. UPEIDA द्वारा इसका निर्माण अक्टूबर 2018 में शुरू किया गया था. इस परियोजना की लागत 22,494 करोड़ रुपये है.
  • इस एक्सप्रेस-वे में विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए सुल्तानपुर जिले के निकट अखलकिरी कारवत गांव में 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी भी शामिल है.
  • इस एक्‍सप्रेस-वे पर आठ पैट्रोल स्‍टेशन और चार सीएनजी स्‍टेशन बनाये जायेंगे. जल्‍द ही एक्‍सप्रेस-वे पर इलैक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग की सुविधा भी मौजूद हो जायेगी. अभी फिलहाल कुछ दिनों तक इस एक्‍सप्रेस-वे पर यात्रा मुफ्त रहेगी.

उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति 2021-30 की घोषणा

उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति 2021-30 की घोषणा की गयी है. यह घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का उद्घाटन किया. है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है.

जनसंख्या नीति 2021-30 की कार्य योजना

  • मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर कम करने पर बल दिया. मौजूदा समय में यहाँ की प्रजनन दर 2.9 है. सरकार का लक्ष्य इसे कम करके 2.1 पर लाना है.
  • नई जनसंख्या नीति के तहत वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाएगा. सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था होगी.
  • उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात व मातृ मृत्यु दर को कम करने और नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे.
  • नवीन नीति में एक अहम प्रस्ताव 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है.

जनसंख्या नीति 2021-30 के अंतर्गत प्रोत्साहन

  • उत्तर प्रदेश सरकार उन कर्मचारियों को पदोन्नति (प्रमोशन), वेतन वृद्धि (इनक्रीमेंट), आवास योजनाओं में रियायतें और अन्य भत्ते देगी जो जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का पालन करेंगे या जिनके दो या उससे कम बच्चे हैं.
  • दो संतानों के मानदंड को अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश और राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत नियोक्ता (employer) अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी.
  • जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और जनसंख्या को नियंत्रित करने में योगदान देते हैं, उन्हें पानी, आवास, गृह ऋण आदि करों में छूट जैसे लाभ मिलेंगे. यदि किसी बच्चे के माता-पिता या कोई एक नसबंदी का विकल्प चुनता है तो उन्हें 20 साल की उम्र तक मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी.

DGCA ने कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को उड़ान के लिए लाइसेंस दिया

DGCA ने कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को उड़ान के लिए लाइसेंस दे दिया. 23 फरवरी को DGCA के डॉयरेक्टर जनरल अरुण कुमार, नई दिल्ली ने कुशीनगर हवाई अड्डे के डॉयरेक्टर एके द्विवेदी को लाइसेंस की प्रति सौंपी.

लाइसेंस मिलने के बाद कुशीनगर प्रदेश का तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बन गया है. यह देश का 87वां नागरिक हवाई अड्डा हो गया है. प्रदेश का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ और दूसरा बनारस है.

कुशीनगर महात्‍मा बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्‍थली है. दुनियाभर बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिये ये यह बेहद अहम स्थान है. चीन, जापान जैसे देशों से यहां हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं, जो अब सीधे कुशीनगर पहुंच सकेंगे.