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UNEP और IEEA ने शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण पर रिपोर्ट जारी की

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEEA) ने हाल ही में ‘शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण रिपोर्ट’ (The Cooling Emissions and Policy Synthesis Report) जारी की थी. इस रिपोर्ट में दुनिया में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में और वैश्विक तापमान वृद्धि के परिणाम और इसे रोकने के उपायों की चर्चा की गयी है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक, विश्व में कम से कम 14 बिलियन के शीतलन उपकरणों की आवश्यकता होगी. वर्तमान में 3.6 बिलियन शीतलन उपकरण उपयोग में हैं. अत्यधिक शीतलन उपकरणों का उपयोग, तापमान वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
  • जलवायु परिवर्तन में शीतलन की बढ़ती मांग का महत्वपूर्ण योगदान है. 2050 तक एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन से उत्सर्जन में 2017 के स्तर की तुलना में 90% तक बढ़ोतरी हो सकती है. एयर कंडीशनर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) का उपयोग करते हैं जो ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं.
  • कूलिंग को ऊर्जा-दक्ष बनाकर 210 से 460 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.
  • ऊर्जा-दक्ष एयर कंडीशनर 1,300 गीगा वाट तक ऊर्जा की आवश्यकता को कम कर सकते हैं. यह वर्ष 2018 में भारत और चीन में उत्पन्न संपूर्ण कोयला आधारित बिजली के बराबर है.

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट जारी, भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में कमी

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में विश्व में ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट’ (The State of Food Security and Nutrition in the World) 2020 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार जिस रफ्तार से भारत हर चीज में तरक्की करता जा रहा है उसी रफ्तार से भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में भी कमी आ रही है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित थे. यह संख्या 2018 के मुकाबले 1 करोड़ ज्यादा है.
  • इसमें कहा गया है कि महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और भारत में कुपोषण में कमी आई है.
  • रिपोर्ट के अनुसार एशिया में भूखों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन यह अफ्रीका में भी तेजी से बढ़ रही है.

भारत एक सन्दर्भ में

  • भारत में पिछले एक दशक में अल्पपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. बच्चों में छोटी हाइट की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है.
  • भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ हो गई है.
  • प्रतिशत के हिसाब से भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत हो गई.
  • भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत हो गई. 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ हो गई.
  • ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई.
  • वहीं खून की कमी (अनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई.
  • 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट 2020: एक दृष्टि

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IAAFD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

मानव विकास सूचकांक 2019 जारी: भारत 129वें पायदान पर, नॉर्वे शीर्ष पर

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) का मानव विकास सूचकांक (Human Development Index- HDI) 2019 हाल ही में जारी की गयी है. इस सूचकांक में भारत एक पायदान का सुधार करते हुए 129वें पायदान पर है. वर्ष 2018 में जारी सूचकांक में भारत 130वें पायदान पर था. भारत का HDI वैल्यू (0.640) दक्षिण एशिया के औसत 0.638 से थोड़ा सा ऊपर है.

इस सूचकांक में नॉर्वे, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी शीर्ष पर हैं जबकि नाइजर, दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, चाड और बुरुंडी काफी कम HDI वैल्यू के साथ निचले पायदान पर हैं.

UNDP की भारत में स्थानीय प्रतिनिधि शोको नोडा ने कहा कि भारत में 2005-06 से 2015-16 के बीच 27.1 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया.

मानव विकास सूचकांक: एक दृष्टि

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है.
  • इस सूचकांक का उपयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है.
  • इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित. जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं.
  • HDI को पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने तैयार किया था. पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में जारी किया गया था. तब से प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा इसे जारी किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट: दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा

वैश्विक प्रवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट ‘द इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जन्मे 1.75 करोड़ लोग अलग-अलग देशों में रहते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में प्रवासियों की संख्या करीब 27.2 करोड़ पर पहुंच गई है. कुल प्रवासियों की संख्या दुनिया की आज की आबादी का 3.5% है, जबकि 2000 में यह 2.8 % थी. संयुक्त राष्ट्र के इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के आधे प्रवासी सिर्फ 10 देशों में रहते हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार 1.18 करोड़ प्रवासी आबादी के साथ मैक्सिको दूसरे और 1.07 करोड़ प्रवासी आबादी के साथ चीन तीसरे स्थान पर है.