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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा, SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जापान और चीन की यात्रा पर थे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर इस यात्रा के दूसरे चरण में वे 31 अगस्त और 1 सितम्बर को चीन गए थे.

प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक में हिस्सा लेने के प्रयोजन से चीन गए थे.

SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक

  • SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक चीन के तियानजिन में 1 सितम्बर को आयोजित किया गया था. यह पाचंवी बार था, जब SCO की बैठक चीन में हुई.
  • चीन वर्तमान में SCO का अध्यक्ष देश है. ‘अप होल्डिंग द शंघाई स्पिरिट: एससीओ ऑन द मूव’ थीम  के तहत, चीन ने वर्ष 2025 को ‘एससीओ सतत विकास का वर्ष’ घोषित किया है.

SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक: मुख्य बिन्दु

  • इस बैठक की अध्‍यक्षता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की. सम्मेलन में बीस से अधिक देशों के शीर्ष नेता और दस अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए.
  • सम्मेलन में संगठन की 25 वर्षों की उपलब्धियों की समीक्षा की गई. दस वर्षीय विकास रणनीति को अपनाया गया और क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, संपर्क, आतंकवाद-रोधी प्रयास तथा सांस्कृतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया. उन्होंने SCO देशों से आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया है.
  • श्री मोदी ने सदस्य देशों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने को कहा.
  • इस सम्मेलन का सफलतापूर्वक नई ऊर्जा और मजबूत संकल्प के साथ हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय भागीदारी और रणनीतिक संवादों ने भारत की भूमिका को एक स्थिरकारी शक्ति और वैश्विक शांति एवं विकास में एक प्रमुख साझेदार के रूप में और भी सशक्त किया.

प्रधानमंत्री मोदी की विश्व नेताओं से मुलाकात

  • सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी ने कई विश्व नेताओं से मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता की. उन्होंने मालदीव, ताजिकिस्तान, कजाखस्तान और बेलारूस के राष्ट्रपतियों तथा मिस्र और नेपाल के प्रधानमंत्रियों सहित विश्व नेताओं से मुलाकात की.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के राज्य सुरक्षा और शांति आयोग के अध्यक्ष, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी पड़ोसी प्रथम, एक्ट ईस्ट और हिंद-प्रशांत नीतियों के तहत म्यांमार के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है.

प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 31 अगस्त को सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता की.
  • दोनों नेताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर सहमति व्यक्त की और आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
  • इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और चीन विकास में भागीदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए.
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर, दोनों नेताओं ने विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार किया.
  • भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए.
  • उल्लेखनीय है कि, जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था. पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने संबंध नए सिरे से मजबूत करने के उपाय शुरू किए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता

  • सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने आर्थिक, वित्तीय तथा ऊर्जा क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय सहयोग पर विचार विमर्श किया.
  • दोनों नेताओं ने युक्रेन से जुडे ताजा घटनाक्रमों सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया. श्री मोदी ने युक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए हाल में किये गये प्रयासों के प्रति समर्थन दोहराया.

संयुक्त घोषणा-पत्र

  • सम्मेलन में तियानजिन घोषणा पत्र को अपनाया गया. इस घोषणा-पत्र में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एक दृढ़ और एकजुट संदेश दिया है.
  • आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंडों को अस्वीकार करते हुए, सीमा पार आतंकियों की आवाजाही को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया.
  • सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, और इस जघन्य कृत्य के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
  • इस दस्तावेज़ में भारत की वैश्विक दृष्टिकोण ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ को भी मान्यता दी गई, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने में भारत की नेतृत्व भूमिका को पुनः पुष्ट करता है.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का गठन

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) के विस्तार के बाद अस्तित्व में आया था.
  • ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था. वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया.
  • साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में SCO में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
  • वर्ष 2023 में ईरान को SCO के 9वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया. इससे पहले ईरान पर्यवेक्षक के रूप में SCO में शामिल था.
  • वर्ष 2024 में बेलारूस को SCO के 10वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया. उससे पहले बेलारूस को 2015 में SCO में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) क्या है?

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है. वर्तमान में यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है.
  • SCO के दो मुख्य निकाय हैं- SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद और SCO शासनाध्यक्ष परिषद. SCO राष्ट्राध्यक्ष की परिषद SCO की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
  • SCO की अध्यक्षता रूसी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के बीच सालाना बारी-बारी से आयोजित की जाती है.
  • यह समूह अपने सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है.
  • SCO के स्थायी सदस्य (10 देश): कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस.
  • SCO के पर्यवेक्षक: मंगोलिया, बेलारूस और अफगानिस्तान (2021 से निलंबित) SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.
  • SCO के वार्ता भागीदार: आर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, श्रीलंका, तुर्की, मिस्र, नेपाल, कतर और सऊदी अरब
  • SCO का मुख्य स्थायी कार्यकारी मुख्यालय बीजिंग चीन में है. क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) मुख्यालय ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में है. रूसी तथा मंडारिन, SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं.
  • SCO, शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है.
  • बहुत सारे पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का यह मानना है की SCO को चीन और रूस के द्वारा एक पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में बदला जा रहा है.

तियानजिन में SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक, विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर 14-15 जुलाई को चीन की यात्रा पर थे. वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के प्रयोजन से गए थे.
  • वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के संबंधों में आए तनाव के बाद विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा थी.
  • SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक 15 जुलाई को तियानजिन में हुई थी. वर्तमान में चीन इस संगठन का अध्यक्ष है.
  • बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने SCO को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के मुद्दों पर अडिग रुख अपनाए जाने की बात कही.
  • उन्‍होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों, षड्यंत्रकर्ताओं और धन उपलब्‍ध कराने वालों को जवाबदेह ठहराने पर बल दिया.

द्विपक्षीय बैठक

  • विदेश मंत्री सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने 14 जुलाई को पेइचिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की.
  • डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि आपसी संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति बनाए रखना ज़रूरी है.
  • उन्होंने प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और आर्थिक सहयोग में आने वाली बाधाओं का भी मुद्दा उठाया.
  • उन्‍होंने सीमा पार नदियों पर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है, जिसमें चीन द्वारा जल विज्ञान संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराना भी शामिल है.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है जो जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) के विस्तार के बाद अस्तित्व में आया था.
  • ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था.
  • साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में SCO में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
  • SCO के दो मुख्य निकाय हैं- SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद और SCO शासनाध्यक्ष परिषद. SCO राष्ट्राध्यक्ष की परिषद एससीओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
  • SCO की अध्यक्षता रूसी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के बीच सालाना बारी-बारी से आयोजित की जाती है.
  • यह समूह अपने सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है.
  • बहुत सारे पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का यह मानना है की SCO को चीन और रूस के द्वारा एक पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में बदला जा रहा है.
  • एससीओ के स्थायी सदस्य (10 देश): कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस.
  • मंगोलिया और अफगानिस्तान (2021 से निलंबित) SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं. SCO का मुख्यालय बीजिंग, चीन में है.

चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक चीन के चिंगदाओ में 25-26 जून को आयोजित की गई थी.
  • बैठक के दौरान SCO के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकरोधी प्रयासों और रक्षा मंत्रालयों के बीच बढ़ते सहयोग जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई.
  • बैठक में उच्चस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया. उन्होंने बैठक से अलग चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की.
  • रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया. उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद के लिये वित्त पोषण किसी भी कीमत पर बंद होना चाहिए.
  • उन्होंने आतंकवाद, कट्टरता और चरमपंथ के विरूद्ध एकीकृत वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया.

सम्मेलन संयुक्त विज्ञप्ति के बिना ही समाप्त हुआ

  • इस बैठक में भारत के कुछ मुद्दों पर आम सहमति नहीं बन पाने के कारण साझा दस्तावेज को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.
  • भारत ने बैठक में संयुक्त घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है. इस घोषणा-पत्र में सीमापार आतंकी गतिविधियों का कोई उल्लेख नहीं था.
  • संयुक्त घोषणापत्र में 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया, लेकिन पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आतंकवादी गतिविधियों का जिक्र था.
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा संयुक्त घोषणा-पत्र का समर्थन करने से इनकार करने के कारण सम्मेलन संयुक्त विज्ञप्ति के बिना ही समाप्त हो गया.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है जो जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) के विस्तार के बाद अस्तित्व में आया था.
  • ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था.
  • वर्तमान में विश्व के 10 देश (कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस) SCO के सदस्य हैं. SCO का मुख्यालय बीजिंग में है.
  • मंगोलिया और अफगानिस्तान (2021 से निलंबित) SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.
  • भारत और पाकिस्तान साल 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे. उससे पहले भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
  • SCO के दो मुख्य निकाय हैं- SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद और SCO शासनाध्यक्ष परिषद. SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद के प्रमुखों और SCO शासनाध्यक्षों की परिषद की अध्यक्षता रूसी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के बीच सालाना बारी-बारी से आयोजित की जाती है.
  • SCO राष्ट्राध्यक्ष की परिषद एससीओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है. भारतीय प्रधानमंत्री इसमें भाग लेते हैं.
  • 24वीं एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक जुलाई 2024 को अस्ताना, कजाकिस्तान में आयोजित की गई थी, और 25वीं एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक 2025 में चीन में आयोजित की जाएगी.
  • यह समूह अपने सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है.
  • बहुत सारे पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का यह मानना है की SCO को चीन और रूस के द्वारा एक पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में तैयार किया जा रहा है.

23वीं एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट की बैठक

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शासनाध्यक्ष परिषद (CHG) की 23वीं बैठक 15 और 16 अक्टूबर 2024 को इस्लामाबाद में पाकिस्तान की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी.

SCO CHG की 23वीं बैठक: मुख्य बिन्दु

  • SCO शासनाध्यक्ष परिषद (काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट-CHG) की बैठक सालाना आयोजित की जाती है और इसमें संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. SCO CHG की 23वीं बैठक की मेजबानी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने की थी.
  • विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की 2015 की यात्रा के बाद यह किसी भारतीय मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा थी.
  • सुषमा स्वराज ने दिसंबर 2015 में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद, पाकिस्तान का दौरा किया था.
  • भारत ने बैठक के अंत में जारी संयुक्त विज्ञप्ति में उल्लिखित चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का समर्थन करने से इनकार कर दिया. इस परियोजना में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक हिस्सा है.
  • CPEC एक व्यापार और कनेक्टिविटी परियोजना है जो चीन के झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदरगाह और कराची बंदरगाह से जोड़ेगा.
  • यह परियोजना, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है और भारत ने इस कारण से हमेशा इस परियोजना का विरोध किया है.
  • भारत का मानना है की यह परियोजना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करती है क्योंकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत अपना अभिन्न अंग बताता है.
  • डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि क्षेत्र में व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए गठित SCO को तीन बुराइयों: आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद का समर्थन व्यापार, ऊर्जा प्रवाह और कनेक्टिविटी में बाधा डालता है.

SCO CHG की 23वीं बैठक में प्रतिभागी

23वीं SCO CHG (शासनाध्यक्ष परिषद) की बैठक में रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन, चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग, बेलारूसी प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, ताजिक प्रधानमंत्री कोहिर रसूलज़ोदा, कज़ाख प्रधानमंत्री ओलज़स बेक्टेनोव, किर्गिज़ प्रधानमंत्री अकिलबेक जापारोव, उज़्बेक प्रधानमंत्री अब्दुल्ला ने भाग लिया. भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर. ईरान का प्रतिनिधित्व व्यापार और उद्योग मंत्री सैय्यद मुहम्मद अताबक ने किया था.

इस बैठक में अफगानिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया था, क्योंकि SCO में उसका पर्यवेक्षक का दर्जा 2021 से निलंबित है. एससीओ का कोई भी देश अफगानिस्तान में वर्तमान तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता है.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है जो जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) के विस्तार के बाद अस्तित्व में आया था.
  • ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था.
  • वर्तमान में विश्व के 8 देश (कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस) SCO के सदस्य हैं. SCO का मुख्यालय बीजिंग में है.
  • मंगोलिया और अफगानिस्तान (2021 से निलंबित) SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.
  • SCO के दो मुख्य निकाय हैं- SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद और SCO शासनाध्यक्ष परिषद. SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद के प्रमुखों और SCO शासनाध्यक्षों की परिषद की अध्यक्षता रूसी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के बीच सालाना बारी-बारी से आयोजित की जाती है.
  • SCO राष्ट्राध्यक्ष की परिषद एससीओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है. भारतीय प्रधान मंत्री इसमें भाग लेते हैं.
  • 24वीं एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक जुलाई 2024 को अस्ताना, कजाकिस्तान में आयोजित की गई थी, और 25वीं एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक 2025 में चीन में आयोजित की जाएगी.

एससीओ का 24वां शिखर सम्मेलन कजाखस्‍तान के अस्ताना में आयोजित किया गया

शंघाई सहयोग संगठन का 24वां शिखर सम्मेलन (SCO Summit) 2024 कजाखस्‍तान के अस्ताना में 3-4 जुलाई को आयोजित किया गया था. सम्मेलन के दौरान SCO के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक हुई. इस शिखर बैठक की मेजबानी कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने की थी.

SCO शिखर सम्मेलन 2024: मुख्य बिन्दु

  • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस  सहित 16 विश्व नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया।
  • शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने किया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठक में शामिल नहीं हुए थे.
  • विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन पढ़ा.प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के किसी भी रूप या उसकी अभिव्यक्ति को उचित या माफ नहीं किया जा सकता है.
  • चीन और पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में, प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद से निपटने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो एससीओ के मूल लक्ष्यों में से एक है।
  • कजाकिस्तान की इस यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और कजाकिस्तान, रूस, बेलारूस, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की.उन्होंने अस्ताना के पुश्किन पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
  • सम्मेलन के दौरान यूरेशियाई देश बेलारूस को SCO के 10वें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.SCO शिखर सम्मेलन 2023 में ईरान को 9वें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
  • एससीओ का 25वां शिखर सम्मेलन चीन में आयोजित की जाएगी.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

  • शंघाई सहयोग संगठन एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी. जिसे रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित किया गया था.
  • साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
  • यह समूह अपने सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है.हालाँकि, बहुत सारे पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का यह मानना है की एससीओ को चीन और रूस के द्वारा एक पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में में तब्दील किया जा रहा है।
  • एससीओ के स्थायी सदस्य (10 देश): कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस.अफगानिस्तान और मंगोलिया देश हैं.SCO क मुख्यालय बीजिंग, चीन में है.

शंघाई सहयोग संगठन का 23वां शिखर सम्मेलन भारत की मेजबानी में आयोजित किया गया

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 23वां शिखर सम्मेलन 4 जुलाई को आयोजित किया गया था. वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस सम्मेलन की मेजबानी भारत ने की थी. इस सम्मेलन में सभी सदस्य देशों (चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान) के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

SCO शिखर सम्मेलन 2023: मुख्य बिन्दु

  • SCO राष्ट्राध्यक्षों ने नई दिल्ली घोषणा-पत्र का अनुमोदन किया. इनमें एक अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद की ओर ले जाने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने में सहयोग और दूसरा डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग है.
  • सदस्य देशों ने युद्ध और मादक पदार्थों से मुक्त एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के निर्माण पर बल दिया.
  • सदस्य देश वर्ष 2024 को एससीओ पर्यावरण वर्ष घोषित करने पर सहमत हुए. संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की अगली बैठक 2024 में कजाकिस्तान में होगी.
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और समूह के अन्य नेता शामिल हुए. ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को पर्यवेक्षक के रूप में आमंत्रित किया गया था.
  • इस शिखर सम्मेलन में ईरान को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का नया स्थायी सदस्य बनाया गया.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में हुई थी. जिसे रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित किया गया था.

साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.

शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के कृषि मंत्रियों की बैठक

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के कृषि मंत्रियों की बैठक (8th meeting of Agriculture Ministers of SCO) 12 मई को आयोजित की गई थी. वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता कृषि और परिवार कल्याण मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने की थी.

मुख्य बिन्दु

  • बैठक में SCO के सभी सदस्य देशों (रूस, उज्‍बेकिस्‍तान, कजाख्‍स्‍तान, किर्गिजस्‍तान, तजाकिस्‍तान, चीन और पाकिस्तान) ने भागीदारी की.
  • भारत की अध्यक्षता में संगठन के सदस्य देशों ने स्‍मार्ट कृषि परियोजना को मंजूरी दी.
  • कृषि और परिवार कल्याण मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा कि पिछले वर्षों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और इसने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान किया है.
  • अपने संबोधन में कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि देश से कृषि और अन्य संबंधित उत्पादों का निर्यात 4 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है.
  • श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि क्षेत्र में विश्व में सबसे अधिक‍ रोजगार देने वाला देश है, जहां आधी से अधिक जनसंख्या कृषि और सहयोगी क्षेत्र में कार्यरत है.

समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन की 22वीं बैठक आयोजित की गई

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 22वां शिखर सम्मेलन 2022 उज्‍बेकिस्‍तान के समरकंद में आयोजित किया गया था. इस बैठक में इसके सभी सदस्य देशों के नेताओं और अन्य निमंत्रित अतिथियों ने हिस्सा लिया था. सम्मेलन की अध्यक्षता उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव ने की थी.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के प्रयोजन से 15-16 सितम्बर को उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और इसके इतर कई बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकें भी की थी.

22वां SCO शिखर सम्मेलन 2022: मुख्य बिन्दु

  • 22वें SCO शिखर सम्मेलन में समसामयिक, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई. इसके अलावा संगठन में सुधार और विस्‍तार, सुरक्षा की स्थिति, क्षेत्र में विभिन्‍न देशों के साथ भारत के सहयोग, संपर्क को मजबूत बनाने और क्षेत्र में व्‍यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचा-विमर्श हुआ. शिखर सम्मेलन का समापन समरकंद घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ हुआ.
  • ईरान ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि उसे SCO में पूर्ण सदस्यता मिल सके. फिलहाल उसे पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है.
  • उज्बेकिस्तान ने SCO की अध्यक्षता भारत को सौंपी. भारत 2023 में संगठन के अध्यक्ष के रूप में SCO के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.
  • बैठक में वाराणसी को वर्ष 2022-2023 के लिए SCO की पहली पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी नामित किया गया. इससे भारत और SCO सदस्य देशों के बीच पर्यटन, सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की द्विपक्षीय बैठकें

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने SCO की 22वीं बैठक से अलग रूस, उजबेकिस्‍तान, ईरान और तुर्की के नेताओं से मुलाकात की. इन नेताओं के साथ विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने पर चर्चा हुई.
  • रूस के राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट जैसे मुद्दों को उठाया. इस अवसर पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन, द्पिक्षीय व्‍यापार, रूस के उर्वरकों की आपूर्ति, कृषि में सहयोग, तेल, गैस, परमाणु ऊर्जा और वीजा मुक्‍त पर्यटकों की आवाजाही के मुद्दे उठाए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को रूस आने का निमंत्रण दिया.
  • भारत-उजबेकिस्‍तान द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और उजबेकिस्‍तान के राष्ट्रपति शावकत मिरजियोयेव ने चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्‍ट्रीय उत्‍तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के अधिक उपयोग सहित कुछ संभावनाओं का पता लगाने के लिए कनेक्टिविटी को महत्वपूर्ण बताया.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा की और चाबहार बंदरगाह के विकास में प्रगति की समीक्षा की.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसिप तैय्यप अर्दोगन के साथ बातचीत की. बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और क्षेत्रीय तथा वैश्विक घटनाक्रमों पर चर्चा की.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

SCO की शुरुआत जून 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे.

वाराणसी को SCO की पहली सांस्कृतिक एवं पर्यटन राजधानी घोषित किया जाएगा

वाराणसी को एक वर्ष के लिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की पहली सांस्कृतिक एवं पर्यटन राजधानी घोषित किया जाएगा. यह घोषणा SCO के महासचिव झांग मिंग ने 15 जुलाई को की थी.

  • घोषणा के अनुसार वाराणसी को सितंबर 2022 से सितंबर 2023 तक के लिए सांस्कृतिक एवं पर्यटन राजधानी चुना गया है.
  • यह पहल आठ सदस्य देशों में लोगों से लोगों के बीच संपर्क और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है. इसके तहत सदस्य देशों को बारी-बारी से मौका मिलेगा.
  • इस साल 15-16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने वाले SCO के राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन के बाद नई पहल लागू होगी.
  • इसके बाद भारत अध्यक्षता का पदभार संभालेगा और अगले राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.

क्या है SCO?

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा गठबंधन है. चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान सहित इसके 8 देश हैं. SCO का मुख्यालय बीजिंग में है. 9 जून 2017 को भारत और पाकिस्तान ने इसकी सदस्यता ली थी.
  • जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन और सबसे बड़ा उपभोक्ताओं वाला बाजार भी है. आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय शांति के लिए SCO के सदस्य देश काम करते हैं.

SCO के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के परिषद की 21वीं बैठक दुशांबे में आयोजित की गयी

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)  के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के परिषद की 21वीं बैठक 17 सितम्बर को ताजिकिस्‍तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित की गयी थी. इस सम्मलेन की अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने की थी.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को वर्चुअल माध्‍यम से संबोधित किया था. इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व ताजिकिस्‍तान की यात्रा पर गये विदेश मंत्री जयशंकर ने किया था.

इस सम्मेलन में, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के सामयिक मुद्दों और पिछले दो दशकों की उपलब्धियों और भविष्य में सदस्‍य देशों के बीच सहयोग बढाने की संभावनाओं पर चर्चा हुई.

ईरान SCO का नया सदस्य बना

इस बैठक में ईरान को SCO के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. इसके साथ ही सऊदी अरब, मिस्र और कतर को संवाद भागीदार बनाया गया है. अब SCO के सदस्य देशों की संख्या 9 हो गई है.

क्या है SCO?

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका उद्देश्य संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना है. SCO को बनाने की घोषणा 15 जून, 2001 को हुई थी. शुरूआत में इसमें छह देश शामिल थे- किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, चीन, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान. वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान के शामिल होने के बाद इसके सदस्यों की संख्या आठ हो गई थी.

शंघाई सहयोग संगठन परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक 14-15 जुलाई को ताजिकिस्‍तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित की गयी थी. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

इस वर्ष शंघाई सहयोग संगठन परिषद के गठन के 20 वर्ष पूरे हो रहे हैं. विदेश मंत्रियों की इस बैठक में इस वर्ष संगठन की 20वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्‍य में इसकी उप‍लब्‍धियों पर विचार किया गया.

भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन के इस बैठक से अलग चीन के विदेश मंत्री वांग ई के साथ मुलाकात की. दोनों मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श किया और भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. दोनों विदेश मंत्रियों ने सभी अनसुलझे मुद्दों का परस्‍पर स्‍वीकार्य समाधान ढूढने की बात कही.

भारत की मेजवानी में SCO के शासनाध्‍यक्षों की परिषद की 19वीं बैठक आयोजित की गयी

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्‍यक्षों की परिषद की 19वीं बैठक भारत की मेजवानी में 30 नवम्बर को आयोजित की गयी. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इस वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की. भारत को 2017 में संगठन की पूर्ण सदस्यता मिली थी.

इस सम्मेलन में SCO के सभी आठ सदस्य देशों ने हिस्सा लिया. यह बैठक भारत की अध्यक्षता में पहली बार आयोजित की गयी थी. तुर्कमेनिस्तान को मेजबान भारत के विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

यह शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष प्रधानमंत्रियों के स्तर पर आयोजित किया जाता है. SCO में व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता है. भारत ने 2 नवंबर 2019 को उज्बेकिस्तान से इस संगठन की अध्यक्षता ग्रहण की थी. भारत का अध्यक्ष के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल 30 नवम्बर को पूरा हो गया है.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) यूरेशिया का राजनीतिक आर्थिक, और सैनिक संगठन है. इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने मिलकर की थी.
  • इस समय चीन, भारत, कजाकिस्‍तान, किर्गिस्‍तान, रूस, पाकिस्‍तान, ताजिकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान शंघाई सहयोग संगठन के सदस्‍य हैं.
  • 24 जून 2016 को अस्ताना में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर SCO का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया था.