प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा, SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जापान और चीन की यात्रा पर थे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर इस यात्रा के दूसरे चरण में वे 31 अगस्त और 1 सितम्बर को चीन गए थे.
प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक में हिस्सा लेने के प्रयोजन से चीन गए थे.
SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक
- SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक चीन के तियानजिन में 1 सितम्बर को आयोजित किया गया था. यह पाचंवी बार था, जब SCO की बैठक चीन में हुई.
- चीन वर्तमान में SCO का अध्यक्ष देश है. ‘अप होल्डिंग द शंघाई स्पिरिट: एससीओ ऑन द मूव’ थीम के तहत, चीन ने वर्ष 2025 को ‘एससीओ सतत विकास का वर्ष’ घोषित किया है.
SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 25वीं बैठक: मुख्य बिन्दु
- इस बैठक की अध्यक्षता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की. सम्मेलन में बीस से अधिक देशों के शीर्ष नेता और दस अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए.
- सम्मेलन में संगठन की 25 वर्षों की उपलब्धियों की समीक्षा की गई. दस वर्षीय विकास रणनीति को अपनाया गया और क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, संपर्क, आतंकवाद-रोधी प्रयास तथा सांस्कृतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया. उन्होंने SCO देशों से आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया है.
- श्री मोदी ने सदस्य देशों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने को कहा.
- इस सम्मेलन का सफलतापूर्वक नई ऊर्जा और मजबूत संकल्प के साथ हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय भागीदारी और रणनीतिक संवादों ने भारत की भूमिका को एक स्थिरकारी शक्ति और वैश्विक शांति एवं विकास में एक प्रमुख साझेदार के रूप में और भी सशक्त किया.
प्रधानमंत्री मोदी की विश्व नेताओं से मुलाकात
- सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी ने कई विश्व नेताओं से मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता की. उन्होंने मालदीव, ताजिकिस्तान, कजाखस्तान और बेलारूस के राष्ट्रपतियों तथा मिस्र और नेपाल के प्रधानमंत्रियों सहित विश्व नेताओं से मुलाकात की.
- प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के राज्य सुरक्षा और शांति आयोग के अध्यक्ष, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की.
- प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी पड़ोसी प्रथम, एक्ट ईस्ट और हिंद-प्रशांत नीतियों के तहत म्यांमार के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है.
प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 31 अगस्त को सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता की.
- दोनों नेताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर सहमति व्यक्त की और आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
- इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और चीन विकास में भागीदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए.
- आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर, दोनों नेताओं ने विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार किया.
- भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए.
- उल्लेखनीय है कि, जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था. पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने संबंध नए सिरे से मजबूत करने के उपाय शुरू किए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता
- सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक, वित्तीय तथा ऊर्जा क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय सहयोग पर विचार विमर्श किया.
- दोनों नेताओं ने युक्रेन से जुडे ताजा घटनाक्रमों सहित क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया. श्री मोदी ने युक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए हाल में किये गये प्रयासों के प्रति समर्थन दोहराया.
संयुक्त घोषणा-पत्र
- सम्मेलन में तियानजिन घोषणा पत्र को अपनाया गया. इस घोषणा-पत्र में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एक दृढ़ और एकजुट संदेश दिया है.
- आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंडों को अस्वीकार करते हुए, सीमा पार आतंकियों की आवाजाही को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया.
- सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, और इस जघन्य कृत्य के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
- इस दस्तावेज़ में भारत की वैश्विक दृष्टिकोण ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ को भी मान्यता दी गई, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने में भारत की नेतृत्व भूमिका को पुनः पुष्ट करता है.
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का गठन
- शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) जून 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) के विस्तार के बाद अस्तित्व में आया था.
- ‘शंघाई फाइव’ का गठन रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान ने साथ मिलकर वर्ष 1996 में किया था. वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया.
- साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में SCO में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
- वर्ष 2023 में ईरान को SCO के 9वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया. इससे पहले ईरान पर्यवेक्षक के रूप में SCO में शामिल था.
- वर्ष 2024 में बेलारूस को SCO के 10वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया. उससे पहले बेलारूस को 2015 में SCO में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था.
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) क्या है?
- शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है. वर्तमान में यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है.
- SCO के दो मुख्य निकाय हैं- SCO राष्ट्राध्यक्ष परिषद और SCO शासनाध्यक्ष परिषद. SCO राष्ट्राध्यक्ष की परिषद SCO की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
- SCO की अध्यक्षता रूसी वर्णमाला के अनुसार सदस्य देशों के बीच सालाना बारी-बारी से आयोजित की जाती है.
- यह समूह अपने सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है.
- SCO के स्थायी सदस्य (10 देश): कजाकिस्तान, चीन, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस.
- SCO के पर्यवेक्षक: मंगोलिया, बेलारूस और अफगानिस्तान (2021 से निलंबित) SCO में पर्यवेक्षक (Observer) के रूप में शामिल हैं.
- SCO के वार्ता भागीदार: आर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, श्रीलंका, तुर्की, मिस्र, नेपाल, कतर और सऊदी अरब
- SCO का मुख्य स्थायी कार्यकारी मुख्यालय बीजिंग चीन में है. क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) मुख्यालय ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में है. रूसी तथा मंडारिन, SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं.
- SCO, शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है.
- बहुत सारे पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का यह मानना है की SCO को चीन और रूस के द्वारा एक पश्चिम विरोधी गठबंधन के रूप में बदला जा रहा है.