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सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की अंतरिक्ष से सफल वापसी

  • अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की 18 मार्च को अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सफल वापसी हो गई. ये अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार होकर धरती पर वापस आए.
  • उनके स्पेसएक्स कैप्सूल ने पैराशूट से मेक्सिको की खाड़ी के लिए उड़ान भरी. फ्लोरिडा पैनहैंडल में तल्हासी के तट पर स्पलैशडाउन हुआ, जिससे दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की नौ महीने की कठिन परीक्षा समाप्त हो गई.
  • अमरीकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से वापस लाने के लिए स्पेसएक्स और नासा ने ‘क्रू-9’ मिशन शुरू किया था.
  • क्रू-9 मिशन के लिए ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के साथ फाल्कन-9 रॉकेट का 14 मार्च को प्रक्षेपण हुआ था. मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष स्‍टेशन के लिए चार क्रू सदस्यों को भी भेजा गया है.
  • नासा के अंतरिक्ष यात्री ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री किरिल पेसकोव इस अभियान पर गये थे.
  • विलियम्स और विल्मोर जून 2024 से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर थे. दोनों ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए जो अनुमान से 278 दिन अधिक हैं.
  • दोनों को करीब एक सप्ताह तक अंतरिक्ष स्‍टेशन पर रहना था. लेकिन उनके चालक दल को बोइंग स्टारलाइनर में अप्रत्याशित तकनीकी समस्याओं के कारण उनकी वापसी में देरी हुई.

सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से वापस लाने के लिए नासा ने मिशन शुरू किया

  • अमरीकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से वापस लाने के लिए स्पेसएक्स और नासा ने ‘क्रू-10’ मिशन शुरू किया है. सुनीता और बुच नौ महीने से अंतरिक्ष स्टेशन में फंसे हैं.
  • क्रू-10 मिशन के लिए ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के साथ फाल्कन-9 रॉकेट का 14 मार्च को प्रक्षेपण हुआ. मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष स्‍टेशन के लिए चार क्रू सदस्यों को भी भेजा गया है.
  • नासा के अंतरिक्ष यात्री ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री किरिल पेसकोव इस अभियान पर गये हैं.
  • सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जून 2024 में अंतरिक्ष स्‍टेशन में गये थे. दोनों को करीब एक सप्ताह तक अंतरिक्ष स्‍टेशन पर रहना था.
  • विलियम्स और उनके चालक दल को बोइंग स्टारलाइनर में अप्रत्याशित तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनकी वापसी में देरी हुई.

NASA के इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने मंगल पर पर्सेवेरेंस रोवर के मलबे की तस्वीरें भेजीं

नासा के इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने हाल ही में  मंगल ग्रह पर पर्सेवेरेंस रोवर के मलबे की तस्वीरें भेजीं है. दरअसल पर्सेवरेंस रोवर का कुछ हिस्सा मंगल की सतह पर लैंड करते समय उससे अलग हो गया था. पर्सेवरेंस रोवर को साल 2020 में लॉन्च किया गया था और यह 18 फरवरी 2021 में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर लैंड हुआ था. यह इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर को साथ लेकर गया था.

इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर ने रोवर से अलग हुये पैराशूट और कोन के आकार वाले बैकशेल की 10 तस्वीरें खीचकर भेजीं हैं. पैराशूट रोवर को मंगल की सतह पर उतरने में मदद करने के लिये था जबकि बैकशेल का काम रोवर के उतरते समय उसकी रक्षा करना है.

मुख्य बिंदु

  • मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance rover) को 2020 में भेजा था. इन्जेन्यूटी हेलीकॉप्टर भी इसी के साथ भेजा गया था.
  • फरवरी 2021 में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था. यह उसी की तस्‍वीर है.
  • अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं. इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है.

नासा ने शुक्र ग्रह के वातावरण की जांच करने के लिए दो नए मिशन की घोषणा की

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा शुक्र ग्रह के वातावरण और भूगर्भीय विशेषताओं की जांच करने के लिए दो नए मिशन भेजने की घोषणा की है. पहले मिशन का नाम ‘डेवेंसी प्‍लस’ (Davinci Plus) और दूसरा मिशन का नाम ‘वेरिटास’ (Veritas) है. 2028 और 2030 के बीच भेजे जाने वाले इन दोनों मिशन पर पचास करोड़ डॉलर का खर्च आयेगा.

नासा का शुक्र ग्रह पर मिशन: मुख्य बिंदु

  • 30 वर्ष से अधिक समयावधि के बाद शुक्र ग्रह पर दो नये अंतरिक्ष यान भेजे जा रहे हैं. शुक्र ग्रह पर अंतिम बार 1990 में मैगलन ऑर्बिटर भेजा गया था.
  • शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है जिसकी सतह का तापमान 500 डिग्री सेल्सियस है. यह तापमान सीसा पिघलाने के लिए पर्याप्त माना जाता है.
  • डेविंसी प्‍लस मिशन के जरिए ग्रह के वायुमंडल को मापकर यह पता लगाया जायेगा कि शुक्र ग्रह कैसे बना और विकसित हुआ. इसका उद्देश्य यह निर्धारित करना भी होगा कि क्या शुक्र के पास कभी महासागर था.
  • डेवेंसी प्‍लस मिशन के जरिए शुक्र ग्रह के भू-वैज्ञानिक विशेषताओं युक्‍त पहली उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्‍वीरें मिलने की उम्मीद है.
  • दूसरा मिशन, वेरिटास शुक्र ग्रह भूगर्भीय इतिहास को समझने के लिए ग्रह की सतह का नक्शा तैयार करेगा और यह जांच करेगा कि यह पृथ्वी की तुलना में इतना अलग कैसे विकसित हुआ.

NASA का इन्जेन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल की सतह पर उतरा

अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) का हेलिकॉप्टर ‘इन्जेन्यूटी’ (Ingenuity) मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने में सफलता पाई है. इसके साथ ही पृथ्वी के अलावे किसी दूसरे ग्रह पर उतरने वाला यह पहला रोटरक्राफ्ट बन गया है.

मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है जहां न ऑर्बिटर देख सकते हैं और न रोवर जा सकते हैं. ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके.

NASA के मुताबिक अगर एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट के दौरान हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा. अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी.

मंगल पर रात को 130 डिग्री F तक तापमान गिर सकता है और पहली रात इसे झेलने के बाद अगले दिन टीम देखेगी कि Ingenuity का प्रदर्शन कैसा रहा. न सिर्फ यह देखा जाएगा कि क्या हेलिकॉप्टर चल रहा है, बल्कि इसके सोलर पैनल, बैटरी की हालत और चार्ज चेक करेगी और अगले कुछ दिन तक इन पैमानों को ही टेस्ट किया जाएगा.

नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर का नाम ‘इन्जेन्यूटी’

नासा के पहले मंगल हेलीकॉप्टर का नाम इन्जेन्यूटी (Ingenuity) रखा गया है. यह नाम भारतीय मूल की 17 वर्षीय छात्रा वेनिजा रुपानी ने दिया था. रूपानी ने नासा के ‘नेम द रोवर’ प्रतियोगिता में भाग लेकर इस विषय पर एक निबंध लिखा था. उनके निबंध से ही उनके द्वारा बताए गए नाम को तय किया गया.

NASA ने सूर्य के ध्रुवों की तस्वीर लेने के लिए सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट प्रक्षेपित किया

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) ने 9 फरवरी को संयुक्त रूप से ‘सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट’ प्रक्षेपित किया है. इस महत्वाकांक्षी मिशन का उद्देश्य पहली बार सूर्य के ध्रुवों की तस्वरी लेना है. 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले इस स्पेसक्राफ्ट को फ्लॉरिडा के केप कैनावरल एयर फोर्स स्टेशन से ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस 5’ रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया.

सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट 7 साल में कुल 4 करोड़ 18 लाख किलोमीटर दूरी तय करेगा. प्रक्षेपण के बाद पहले दो दिनों में इसके सोलर ऑर्बिटर अपने तमाम उपकरणों और ऐंटिना को तैनात करेगा जो धरती तक संदेश भेजेंगे और वैज्ञानिक आंकड़ों को जुटाएंगे. वैज्ञानिक सोलर ऑर्बिटर से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल कर सकेंगे.

सोलर ऑर्बिटर से पहले यूलिसेस मिशन प्रक्षेपित किया था

ESA और NASA ने इससे पहले 1990 में ‘यूलिसेस मिशन’ प्रक्षेपित किया था, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य के चारों तरफ के अहम क्षेत्र को पहली बार मापने में मदद की थी. यूलिसेस में कैमरा नहीं लगा था लेकिन सोलर ऑर्बिटर पर कैमरे लगे हैं जो सूर्य के ध्रुवों की पहली बार तस्वीर मुहैया कराएंगे.

क्रिस्टीना कोच ने किसी माहिला द्वारा सबसे लंबे समय तक अन्तरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर लगभग 11 महीने बिताने के बाद 6 फरवरी को सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आईं. अंतरिक्ष में उनका यह मिशन किसी महिला का अब तक का सबसे लंबा मिशन था. कोच ने अंतरिक्ष में 328 दिन व्यतीत किये. इससे पहले नासा की पेगी व्हिटसन के पास था सबसे अधिक 289 दिन रहने का रिकॉड था.

क्रिस्टीना कोच के साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के लुका परमितानो और रूसी अंतरिक्षक एजेंसी के अलेक्जेंडर स्कोवोर्तसोव भी थे. कोच 14 मार्च 2019 को पृथ्वी से रवाना हुई थीं. अपने मिशन के दौरान कोच ने 210 अनुसंधानों में हिस्सा लिया जो नासा के आगामी चंद्र मिशन और मंगल पर मानव को भेजने की तैयारियों में मददगार होंगे.

पेगी व्हिटसन का रिकॉर्ड तोडा, स्कॉट केली पहले स्थान पर

अमेरिकी की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच ने पिछले वर्ष 28 दिसम्बर को किसी महिला द्वारा एक ही अंतरिक्ष उड़ान में 289 दिन रहने के पूर्ववर्ती रिकार्ड को तोड़ दिया था. उक्त रिकार्ड नासा की पेगी व्हिटसन ने 2016-2017 में बनाया था. अपने पहले ही मिशन में कोच लगातार सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में स्कॉट केली के बाद दूसरे स्थान पर पहुँच गयी हैं जो 340 दिन तक लगातार अंतरिक्ष में रहे थे.

328 दिन में की 13.9 करोड़ किलोमीटर की यात्रा

अंतरिक्ष में 328 दिन के अपने प्रवास के दौरान कोच ने धरती के 5,248 चक्कर लगाते हुये 13.9 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की है. उन्होंने अपने अंतिम स्पेसवॉक में जेसिका मीर के साथ बाहर निकली थीं. इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी स्पेसवॉक में पूरी तरह महिलाओं का दल अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर गया हो.

अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) क्या है?

  • अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station) मानव निर्मित एक उपग्रह है. यह बाहरी अन्तरिक्ष (पृथ्वी से करीब 350 किलोमीटर ऊपर) में औसतन 27724 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा कर रहा है. ISS एक अन्तरिक्ष शोध स्थल जिसे बनाने की शुरुआत 1998 में हुआ था और यह 2011 तक बन कर तैयार हो गया था.
  • ISS कार्यक्रम, संयुक्त राज्य की नासा, रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है.

नासा ने सौरमंडल के बाहर पृथ्वी जैसा पहला ग्रह ‘HD-21749-C’ की खोज की