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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस की आधिकारिक यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8-10 जुलाई तक रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा पर थे. यात्रा के पहले चरण में, वे रुस गए थे जहां राजधानी मास्को में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे.

लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली विदेशी द्विपक्षीय यात्रा थी. इससे पहले वे 14 जून 2024 को इटली में जी 7 शिखर बैठक की आउटरीच बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन वह द्विपक्षीय यात्रा नहीं थी.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की. बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-रूस स्थायी और विस्तारित साझेदारी शीर्षक से एक संयुक्त घोषणा जारी की.
  • दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नौ समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए.
  • संयुक्त घोषणा में भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना; 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य हासिल करना शामिल है. साथ ही रूस उर्वरक आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनियों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध करेगा.
  • दोनों देश चेन्नई-व्लादिवोस्तोक (पूर्वी समुद्री) कॉरिडोर और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर को लागू करने और उत्तरी समुद्री मार्ग की क्षमता का पता लगाने के लिए काम करेंगे.
  • परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग जारी रहेगा. रूस तमिलनाडु के कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रहा है.

22वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक

  • प्रधानमंत्री मोदी 22वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक में भाग लेने के लिए रूस गए थे. यह बैठक मॉस्को के क्रेमलिन में आयोजित की गई थी.
  • यह बैठक तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित की गई थी. रूस के यूक्रेन युद्ध और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध में व्यस्तता के कारण द्विपक्षीय वार्षिक शिखर बैठक स्थगित कर दी गई थी.
  • 21वीं भारत-रूस शिखर बैठक दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी. आम तौर पर, दोनों देश बारी-बारी से वार्षिक शिखर बैठक की मेजबानी करते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी को रूस का सर्वोच्च राजकीय सम्मान

यात्रा के दौरान, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च राजकीय सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ (Order of St. Andrew The Apostle) से सम्मानित किया. इस पुरस्कार की घोषणा 2019 में की गई थी लेकिन इसे 2024 में प्रदान किया गया.

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर की रूस यात्रा

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर 25 से 29 दिसम्बर तक रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे. यात्रा के दौरान दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान मॉस्‍को में रूस के उप-प्रधानमंत्री तथा उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से भारत-रूस द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग पर व्यापक चर्चा हुई.
  • दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग को अधिक संतुलित और सतत बनाने पर चर्चा की. दोनों मंत्रियों की उपस्थिति में परमाणु ऊर्जा और औषधि, फार्मास्‍युटिकल तथा चिकित्‍सा उपकरणों से संबंधित समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये गये.
  • विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और कई मुद्दों पर बातचीत की. श्री पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले वर्ष रूस आने का निमंत्रण दिया.

पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित ग्यालस्‍रास रिनपोछे की कांस्य प्रतिमाएँ मॉस्को में लगाई गई

मंगोलिया में भारत के पूर्व राजदूत और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित ग्यालस्‍रास बकुला रिनपोछे की दो कांस्य प्रतिमाएँ मॉस्को में लगाई गई हैं.

मुख्य बिन्दु

  • मॉस्को के बौद्ध मंदिर में बैठी हुई मुद्रा में उनकी 6 फीट की प्रतिमा लगाई गई है. शहर के एक पार्क में खड़ी मुद्रा में उनकी 9 फीट की एक और प्रतिमा भी लगाई गई है.
  • ग्यालस्‍रास बकुला रिनपोछे लद्दाख के जाने-माने नेता थे, जो एक दशक तक मंगोलिया में भारत के राजदूत रहे. वे दो बार लोकसभा सदस्य बने और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में मंत्री भी रहे.
  • तत्कालीन सोवियत संघ और मंगोलिया में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने के उनके प्रयासों के कारण मंगोलिया और रूस के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं.

विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रमण्‍यम जयशंकर की रूस यात्रा

विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रमण्‍यम जयशंकर 8-9 नवंबर को रूस की यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने, मॉस्‍को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ के साथ विदेश मंत्री स्तर की द्विपक्षीय वार्ता की.

भारत-रूस विदेश मंत्री स्तर की वार्ता: मुख्य बिन्दु

  • इस वार्ता में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दों, विभिन्‍न क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर विदेश मंत्री स्तर की वार्ता हुई.
  • दोनों नेता प्रमुख क्षेत्रों में संयुक्‍त परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किए. व्‍यापार और निवेश, माल-परिवहन और आपूर्ति, आपसी लेन-देन में राष्‍ट्रीय मुद्राओं का इस्‍तेमाल और ऊर्जा क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई.
  • दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की भारत की अध्यक्षता, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और अनेक क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की.

भारत और रूस के नौसेना के बीच समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ का आयोजन किया गया

भारत और रूस के नौसेना के बीच 28  से 29  जुलाई तक समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन बाल्टिक सागर में किया गया था. यह INDRA NAVY का 12वां संस्करण था.

इस युद्ध-अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी ताल-मेल और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना तथा समुद्री सुरक्षा के लिए आपसी समझ को विकसित करना था.

समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’

समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ भारत और रूस के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है. यह अभ्यास “INDRA NAVY” दोनों नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंध का प्रतीक है.

इंद्र नौसेना अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी. भारतीय वायु सेना ने 2014 में रूसी वायु सेना के साथ अभ्यास ‘एविया इंद्र’ में भाग लिया था. 2017 में पहली बार त्रि-सेवा अभ्यास का आयोजन किया गया था.

भारतीय और रूसी नौसेना के बीच PASSEX अभ्यास आयोजित किया गया

भारत और रूस के बीच 4-5 दिसम्बर को PASSEX नौसैन्य अभ्यास आयोजित किया गया. इसका आयोजन पूर्वी हिंद महासागर में किया गया था.

इस अभ्यास में रूस की नौसेना ने गाइडेड मिसाइल क्रूजर वर्याग, बड़ा पनडुब्बी-रोधी जहाज एडमिरल पेंटेलेयेव और मध्यम दूरी का महासागरीय टैंकर पचेंगा को तैनात किया था. अभ्यास में भारतीय नौसेना की ओर से स्वदेश निर्मित गाइडेर मिसाइल युद्धपोत शिवालिक और पनडुब्बी-रोधी टोही युद्धपोत कदमत्त अपने अभिन्न हेलिकॉप्टरों के साथ हिस्सा लिया.

इस अभ्यास का मकसद दोनों मित्र देशों की नौसेनाओं के बीच संपर्क बढ़ाना, तालमेल को बेहतर करना और बेहतरीन कार्यप्रणाली को अपनाना है. इस अभ्यास में पनडुब्बी-रोधी और उन्नत युद्ध अभ्यास, हथियारों से फायरिंग, नाविक कला का अभ्यास और हेलिकॉप्टर संचालन शामिल है.

PASSEX अभ्यास

PASSEX (पैसेज) अभ्यास का आयोजन नियमित रूप से भारतीय नौसेना द्वारा अपने मित्र देशों की नौसेनाओं के साथ किया जाता है. इस अभ्यास में एक-दूसरे के बंदरगाहों या समुद्र में किसी निश्चित स्थान पर जाते हैं.

द्वितीय विश्‍व युद्ध में रूस और मित्र देशों की विजय प्राप्‍त करने की 75वीं वर्षगांठ पर विजय परेड

रूस की राजधानी मॉस्‍को में 24 जून को विजय परेड का आयोजन किया गया. यह परेड द्वितीय विश्‍व युद्ध में रूस और मित्र देशों की विजय प्राप्‍त करने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की गयी थी. इस परेड में भारत और चीन को भी आमंत्रित किया गया था.

भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परेड में हिस्सा लिया. वह 22-24 जून तक रूस की यात्रा पर थे. भारत की तीनों सेनाओं के 75 सदस्यों ने इस परेड में हिस्सा लिया था. परेड में हिस्सा लेने वाली टुकड़ी का नेतृत्व वीर सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के एक अधिकारी द्वारा किया गया था. इस रेजिमेंट ने द्वितीय विश्‍व युद्ध में भाग लिया था.

श्री राजनाथ सिंह ने इस मॉस्को यात्रा में रूस के उप-प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोफ के साथ बैठक वार्ता की थी. बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की समीक्षा हुई और इसे विस्‍तार देने पर विचार-विमर्श हुआ.

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सशस्त्र बल की भूमिका

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ‘ब्रिटिश भारतीय सशस्त्र बल’ मित्र देशों की सबसे बड़ी टुकड़ियों में से एक थे. भारतीय सशस्त्र बल ने उत्तरी और पूर्वी अफ्रीकी अभियान, पश्चिमी रेगिस्तान अभियान और यूरोपीय थिएटर में एक्सिस शक्तियों के खिलाफ हिस्सा लिया था. इस अभियान के दौरान 87 हज़ार से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान दिया और क़रीब 34,354 सैनिक इसमें घायल हुए थे.

इस युद्ध में भारतीय सेना ने न केवल सभी मोर्चों पर लड़ाई लड़ी, बल्कि दक्षिणी, ट्रांस-ईरानी लेंड-लीज मार्ग पर लॉजिस्टिक समर्थन भी सुनिश्चित किया था. इसमें हथियार, गोला-बारूद, उपकरण और भोजन सोवियत संघ, ईरान और इराक में भेजे गए थे.

भारतीय सैनिकों की वीरता को चार हज़ार से अधिक अलंकरणों से सम्मानित किया गया था, जिसमें 18 विक्टोरिया और जॉर्ज क्रॉस भी शामिल है. तत्कालीन सोवियत संघ ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना की और सूबेदार नारायण, राव निक्कम और रॉयल इंडियन आर्मी सर्विस कोर के हवलदार गजेंद्र सिंह चंद को USSR के सर्वोच्च सम्मान ‘आडर आफ द रेड स्टार’ से सम्मानित किया था.

रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक, राष्ट्र सुरक्षा परिषद सीट के लिए भारत का समर्थन

रूस, भारत और चीन (RIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक 23 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के (वर्चुअल) माध्यम आयोजित की गयी. इस त्रिपक्षीय बैठक की मेजबानी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ द्वारा की गयी.

इस बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के संभावित सुधारों पर चर्चा हुई. बैठक में रुसी विदेश मंत्री ने संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया.

बैठक में विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय कानून का सम्‍मान, सहयोगी देशों के वैध हितों का ध्‍यान, बहुपक्षवाद को समर्थन और साझा हितों को बढावा देना ही टिकाऊ विश्‍व व्‍यवस्‍था कायम करने का एकमात्र तरीका है.

डॉ. जयशंकर ने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र 50 सदस्‍यों के साथ शुरू हुआ था और आज 193 देश इसके सदस्‍य हैं. इसलिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया को पहले की तरह जारी नहीं रखा जा सकता.

भारतीय विदेश मंत्री ने तत्‍कालीन राजनीति परिस्थितियों में भारत को उचित सम्‍मान नहीं जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अन्‍याय पिछले 75 वर्ष में भी ठीक नहीं किया गया, जबकि दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है. इसलिए विश्‍व के लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि भारत के योगदान का सम्‍मान किया जाए और अतीत की भूल सुधारी जाए.

द्वारकानाथ कोटनिस के योगदान को याद किया गया

विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस के योगदान के बारे में याद दिलाया. 1938 में जापान-चीन युद्ध के समय द्वारकानाथ कोटनिस के नेतृत्व में भारतीय मेडिकल मिशन ने बिना किसी नींद के 72 घंटे तक ऑपरेशन किया था. इस मिशन द्वारा 800 से अधिक घायल चीनी सैनिकों का इलाज किया गया था.

भारत और रूस के बीच इंद्र युद्ध-अभ्यास आयोजित किया गया

भारत और रूस के बीच 10 से 19 दिसम्बर तक त्रि-सेवा युद्ध-अभ्यास ‘इंद्र’ (INDRA) का आयोजन किया गया. यह अभ्यास झांसी, पुणे और गोवा में आयोजित किया गया था. इस युद्ध-अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी ताल-मेल और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना तथा समुद्री सुरक्षा के लिए आपसी समझ को विकसित करना था.

इंद्र (INDRA) युद्ध-अभ्यास: एक दृष्टि

  • इंद्र युद्ध-अभ्यास भारत और रूस के बीच एक त्रि-सेवा अभ्यास है. इसमें दोनों देशों की थल सेना, वायुसेना तथा नौसेना हिस्सा लेती हैं.
  • इंद्र नौसेना अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी. भारतीय वायु सेना ने 2014 में रूसी वायु सेना के साथ अभ्यास ‘एविया इंद्र’ में भाग लिया था. 2017 में पहली बार त्रि-सेवा अभ्यास का आयोजन किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित 5वी पूर्वी आर्थिक मंच में हिस्सा लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 4 से 5 सितम्बर तक रूस की यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के व्लादिवोस्तोक में आयोजित 5वी पूर्वी आर्थिक मंच (5th Eastern Economic Forum) की बैठक में भाग लिया. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर मुख्‍य अतिथि के रूप में इस मंच में शामिल हुए थे. इससे पहले उन्होंने व्लादिवोस्तोक में ही आयोजित रूस और भारत के बीच 20वें वार्षिक शिखर सम्‍मेलन में रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के साथ शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता की थी.

पूर्वी आर्थिक मंच का पूर्ण सत्र

रूस के व्‍लादिवोस्‍तोक में 5 सितम्बर को पूर्वी आर्थिक मंच का पूर्ण सत्र आरम्‍भ हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने इस मंच के पूर्ण सत्र को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी एक्‍ट ईस्‍ट नीति में पूर्व एशिया पर सक्रियता से विचार किया है. इस घोषणा से ‘एक्‍ट फार ईस्‍ट’ नीति भी शुरू हो गई है.

भारत ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के विकास के लिए एक अरब अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट) देने की घोषणा की. यह पहला मौका है कि जब भारत ने किसी देश के क्षेत्र विशेष को लाइन ऑफ क्रेडिट दिया है. भारत पहला देश है जिसने व्‍लादिवोस्‍तोक में वाणिज्‍य दूतावास स्‍थापित किया है.

पूर्वी आर्थिक मंच: एक दृष्टि

  1. पूर्वी आर्थिक मंच एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग का विस्‍तार करने और रूस की सुदूर पूर्व अर्थव्‍यवस्‍था विकसित करने संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है.
  2. 2015 में रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के विकास के लक्ष्य से बना EEF अब व्यापार और निवेश के अवसर प्रदान करने वाले एक बहुपक्षीय मंच के रूप में उभरा है.
  3. यह क्षेत्र चीन, जापान, कोरिया से निवेश प्राप्त कर रहा है लेकिन भारतीय उपस्थिति अभी तक सीमित थी.
  4. पुतिन के निमंत्रण पर श्री मोदी की इस यात्रा से अब भारतीय व्यापारियों को संसाधन संपन्न सुदूर पूर्वी रुसी क्षेत्र में अवसरों का दोहन करने का अवसर प्राप्‍त होगा.
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कई द्विपक्षीय बैठक की

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने व्‍लादिवोस्‍तोक में पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक से अलग कई द्विपक्षीय बैठक की.

जापान: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ द्विपक्षीय बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए इसे मुक्‍त क्षेत्र बनाए जाने का आह्वान किया. दोनों नेताओं ने यह फैसला भी किया कि दिसम्‍बर 2019 में नई दिल्‍ली में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्‍मेलन से पहले दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक कराई जाए.

श्री मोदी और श्री आबे ने 16 देशों के बीच चल रहे क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समझौते पर और अफ्रीकी देशों के साथ त्रिपक्षीय संबंधों के महत्‍व पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने अफ्रीका में साथ-साथ काम करने की बात कही.

मलेशिया: प्रधानमंत्री ने मलेशिया के प्रधानमंत्री डॉक्‍टर महातिर बिन मोहम्‍मद से मुलाकात में विवादास्‍पद इस्‍लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्‍यर्पण सहित अनेक मुद्दों पर बातचीत की. दोनों नेताओं ने किसी भी तरह के आतंकवाद से कड़ा संघर्ष जारी रखने का दृढ़ संकल्‍प व्‍यक्‍त किया.

मंगोलिया: प्रधानमंत्री मोदी मंगोलिया के राष्‍ट्रपति खल्‍तमागीन बट्टुल्‍गा से भी मिले. राष्‍ट्रपति बट्टुल्‍गा सितम्बर 2019 में भारत आने वाले हैं.

रूस और भारत के बीच 20वां वार्षिक शिखर सम्‍मेलन

रूस और भारत के बीच 20वां वार्षिक शिखर सम्‍मेलन 4 सितम्बर को रूस के व्‍लादिवोस्‍तोक में आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्‍द मोदी के इस सुदूर-पूर्व क्षेत्र का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गये. इस बैठक में रूस की यात्रा पर गये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता की.

दोनों देशों के बीच कई समझौतों और सहमति पर हस्‍ताक्षर किए गए

प्रधानमंत्री मोदी और राष्‍ट्रपति पुतिन के बीच वार्ता के दौरान दोनों देशों में विभिन्‍न क्षेत्रों में 15 समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए. चार समझौते तेल और गैस, तरल प्राकृतिक गैस और कोकिंग कोल पर और पांच समझौते व्‍यापार तथा निवेश से जुड़े हैं. दो समझौते बुनियादी ढांचा क्षेत्र से संबंधित हैं. रक्षा और श्रव्‍य-दृष्‍य कार्यक्रम तैयार करने के क्षेत्र का एक-एक समझौता भी हुआ.

चेन्नई से व्लादिवोस्तोक के बीच नौवहन सम्पर्क

दोनों देशों के बीच परिवहन के क्षेत्र में चेन्नई से व्लादिवोस्तोक के बीच नौवहन सम्पर्क स्थापित करने पर भी सहमति बनी है. रूस में श्रमिकों की कमी है इस सिलसिले में चेन्नई और व्लादिवोस्तिक मार्ग बहुत उपयोगी है. इससे दो प्रमुख बंदरगाह जुड़ जाएंगे, जिससे भारत और रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र के बीच सहयोग को बल मिलेगा.

रूस के राष्‍ट्रपति ने भारत में बड़ी बुनियादी ढांचा तथा अन्‍य परियोजनाओं में भाग लेने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की. रक्षा क्षेत्र में हुआ समझौता ज्ञापन संयुक्‍त उद्यम के जरिए मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत रूस में निर्मित हथियारों के लिए अतिरिक्‍त पुर्जों के उत्‍पादन के बारे में है.

संयुक्त संवाददाता सम्‍मेलन

प्रधानमंत्री मोदी और राष्‍ट्रपति पुतिन ने संयुक्‍त रूप से संवाददाता सम्‍मेलन किया. इस सम्मेलन के मुख्य बिंदु हैं:

  • श्री मोदी ने कहा कि बात-चीत का उद्देश्‍य भारत-रूस सहयोग के नये आयाम का पता लगाना था. इनमें व्‍यापार, सुरक्षा, समुद्री सहयोग और पर्यावरण संरक्षण के लिए मिलकर काम करना शामिल है.
  • हमने भारत की फ्री ओपन और इन्‍क्‍लुजिव इंडो-पेसिफिक के कॉनसेप्‍ट पर भी उपयोगी चर्चा की. हम सहमत हैं कि साइबर सिक्‍योरिटी, काउंटर टेरेरिज्‍म, इनवॉयरमेंट प्रोटेक्‍शन जैसे क्षेत्रों में भारत और रूस का सहयोग और मजबूत करेंगे.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और रूस किसी देश के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्‍तक्षेप के खिलाफ हैं. रूस ने जम्‍मू-कश्‍मीर के मुद्दे पर भारत के कदम का यह कहते हुए समर्थन किया कि राज्‍य के दर्जे में बदलाव भारतीय संविधान के अनुरूप है.
  • दोनों नेताओं ने मौजूदा वैश्विक वास्‍तविकताओं के अनुरूप संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों का आह्वान किया. रूस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थाई सदस्‍यता की उम्‍मीदवारी पर अपना समर्थन व्‍यक्‍त किया.
  • रूस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्‍यता का भी पुरजोर समर्थन किया. दोनों नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा की.

भारत-रूस व्‍यापार: एक दृष्टि

  • वर्तमान में दोनों देशों का कुल व्‍यापार लगभग 11 बिलियन अमरीकी डालर है जबकि दोनों देशों में 2025 तक 30 बिलियन अमरीकी डालर के व्‍यापार का लक्ष्‍य रखा है.
  • श्री मोदी और श्री पुतिन इस अवधि में 50 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश का लक्ष्‍य भी प्राप्‍त करने का इरादा रखते हैं.
  • रूस का सुदूर पूर्व भारतीय निवेशों के लिए मजबूत क्षमता प्रदर्शित करता है जबकि रूसी कंपनियां मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में निवेश की संभावनाएं तलाश रही है.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द मोदी की रूस यात्रा: मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया और योग ऐप की भी शुरूआत की.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन व्‍लादिवोस्‍तोक के पास ज्‍वेज़दा पोत निर्माण संयंत्र देखने गये.
  • रूस के राष्‍ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दूसरे विश्‍व युद्ध में USSR की विजय के 75वें विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. यह समारोह मई 2020 में मॉस्‍को में होगा.