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बीटिंग रीट्रिट के साथ 72वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हुआ

हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाले समारोह ‘बीटिंग रीट्रिट’ (Beating Retreat) के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है. इस वर्ष बीटिंग द रिट्रीट समारोह नई दिल्‍ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर आयोजित किया गया. इसके साथ ही चार दिन का गणतंत्र दिवस समारोह संपन्‍न हो गया.

बीटिंग रिट्रीट में सेना, नौसेना, वायु सेना और केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों के बैंड मधुर संगीत के साथ कार्यक्रम प्रस्‍तुत किया गया. कार्यक्रम का प्रारंभ मास्‍डबैंड द्वारा स्‍वर्णिम विजय धुन के साथ और इसका समापन लोकप्रिय धुन सारे जहां से अच्‍छा के साथ हुआ.

बीटिंग रीट्रिट क्या है?

बीटिंग रिट्रीट सदियों पुरानी सैन्‍य परम्‍परा है जिसमें सेनाएं युद्ध के दौरान सूर्यास्‍त के बाद छावनी में लौट जाती हैं. जैसे ही बिगुल बजता है सैनिक लड़ना बंद कर देते हैं, हथियार म्‍यान में रख दिये जाते हैं और वे युद्ध के मैदान से वापस आ जाते हैं.

यह 1950 के दशक की शुरूआत में उस समय शुरू हुआ जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बैंड द्वारा प्रदर्शन का अनूठा तरीका विकसित किया था.

28 जनवरी 2021: लाला लाजपत राय की 156वीं जयंती

28 जनवरी 2021 को स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की 156वीं जयंती थी. उनका जन्म 1865 में इसी दिन पंजाब के फिरोजपुर जिले के धूदिकी गांव में हुआ था. उनकी देशभक्ति के लिए उन्हें ‘पंजाब केसरी’ और ‘लायन ऑफ़ पंजाब’ का खिताब दिया गया था.

लाला लाजपत राय: मुख्य तथ्य

  • लाला लाजपत राय 1880 में आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए थें. अक्टूबर 1917 में उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में ‘इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका’ नाम से एक संगठन की स्थापना की थी.
  • 1928 में साइमन कमीशन के विरोध करने के दौरान लाला लाजपत राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन साण्डर्स की हत्या की योजना बनाई गई थी. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने इस हत्या का बदला लेने का काम भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद और जयगोपाल को दिया था.
  • ‘लाल बाल पाल’ ने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को बलदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक तथा बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे. इन तीनों ने स्वदेशी आन्दोलन को मजबूत करने के लिए देश भर में लोगों को एकजुट किया था.

26 जनवरी 2021: भारत का 72वां गणतंत्र दिवस

देश में 26 जनवरी 2021 को 72वां गणतंत्र दिवस मनाया गया. इस अवसर पर मुख्‍य समारोह राष्‍ट्रीय राजधानी में राजपथ पर आयोजित किया गया. यहां हर साल की तरह देश की संस्कृति को दिखाने वाली झाकियों के साथ भारतीय सेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली.

गणतंत्र दिवस समारोह के तहत कार्यक्रमों की शुरूआत आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ हुई. इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण किया गया.

इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए परेड के गुजरने के मार्ग को छोटा कर दिया गया था. परेड की शुरूआत हमेशा की तरह विजय चौक से हुई लेकिन यह लालकिले की बजाय नेशनल स्टेडियम में जाकर संपन्न हुई.

72वां गणतंत्र दिवस: एक दृष्टि

  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में शामिल होना था लेकिन ब्रिटेन में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उन्‍हें अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
  • समारोह में 32 झांकियां प्रदर्शित की गई जिनमें से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की, 9 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तथा अर्धसैनिक बलों की और 6 रक्षामंत्रालय की थीं.
  • इन झांकियों में कार्बन न्यूट्रल लद्धाख की परिकल्पना को प्रदर्शित करने वाली झांकी प्रदर्शित की गई थी.
  • राफाल लड़ाकू विमान गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष रूप से प्रदर्शित किए गए. परेड का समापन इस विमान की उड़ान से हुआ था.
  • पहली बार बांग्लादेश के सशस्त्र बलों की टुकड़ी दिल्ली के राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लिया. इस सैन्य टुकड़ी में 122 जवान शामिल थे.

गणतन्त्र दिवस क्या है?

गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिवस 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के आधिकारिक रूप से लागू होने की याद में मनाया जाता है. इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था.

किसी देश को गणतंत्र तब माना जाता है जब उस देश के प्रमुख का निर्वाचन जनता द्वारा किया जाए. एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान-सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था.

आधुनिक गणराज्‍यों की स्‍थापना इस विचार के साथ की गई है जहां सम्‍प्रभुता लोगों में विद्यमान हो. गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग नवजागरण काल के लेखकों ने उन राज्‍यों के लिए किया जहां राजतंत्र नहीं थे. प्राचीन समय में सबसे उल्‍लेखनीय गणराज्‍यों में से एक रोमन गणराज्‍य था. 2017 तक दुनिया के 159 देश अपने अधिकारिक नामों के रूप में गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग करते हैं.

गणतन्त्र दिवस समारोह का इतिहास

पहला गणतंत्र दिवस समारोह 1950 में दिल्‍ली के इ‍रविन एम्‍पीथियेटर में मनाया गया था. जिसे वर्तमान में मेजर ध्‍यानचंद नेशनल स्‍टेडियम के रूप में जाना जाता है. बाद के वर्षों में यह समारोह परेड़ किंग्‍जवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई.

1955 में राजपथ परेड़ के लिए स्‍थायी स्‍थल बन गया. उस समय राजपथ को किंग्‍जवे नाम से जाना जाता था. 1955 में जब राजपथ पर परेड़ हुई तब पाकिस्‍तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्‍मद को मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

बीटिंग रीट्रिट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाले समारोह ‘बीटिंग रीट्रिट’ के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है. यह 1950 के दशक की शुरूआत में उस समय शुरू हुआ जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बैंड द्वारा प्रदर्शन का अनूठा तरीका विकसित किया था.

25 जनवरी 2021: हिमाचल प्रदेश स्थापना की स्वर्ण जयंती

हिमाचल प्रदेश 25 जनवरी 2021 को अपने स्थापना दिवस की स्वर्ण जयंती मनाई. ‘हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971’ के अन्तर्गत इसे 25 जून 1971 को भारत का 18वाँ राज्य बनाया गया था. इस राज्य के पूर्ण राज्‍यत्‍व दिवस के 50 वर्ष पूरे होने पर राज्य सरकार स्वर्णिम हिमाचल समारोह मनाई.

हिमाचल प्रदेश: एक दृष्टि

1948 में लगभग 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन मुख्य आयुक्त के प्रांत के रूप में किया गया था. 1 नवम्बर, 1956 को इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था.
यह प्रदेश पश्चिमी भारत में स्थित राज्य है. इस प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है. यह उत्तर में जम्मू और कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा है.
आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, हिमाचल प्रदेश ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया था. सन् 1857 तक यह पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा था.

25 जनवरी: राष्ट्रीय मतदाता दिवस

प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ (National Voters’ Day) के रूप में मनाया जाता है. इसे दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य लोगों को अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करना है.

मतदाता दिवस का विषय: राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2021 का विषय (theme) – देश के मतदाताओं को सशक्त, सतर्क, सुरक्षित और जागरूक बनाना है.

भारतीय चुनाव आयोग का स्थापना दिवस

‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के स्थापना दिवस के दिन मनाया जाता है. भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) का गठन 25 जनवरी 1950 को किया गया था. पहली बार यह दिवस 2011 में मनाया गया था. इस वर्ष 2021 में 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस है.

देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्‍था के रूप में स्‍थापित करने वाला संविधान का अनुच्‍छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्‍हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्‍बर 1949 को लागू कर दिया गया था. भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था.

डॉक्‍टर रनबीर सिंह को सुचारू चुनाव कराने के लिए पुरस्‍कृत किया गया

राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर दिल्‍ली के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी डॉक्‍टर रनबीर सिंह को सर्वोत्‍तम राज्‍य की श्रेणी में सुचारू चुनाव कराने के लिए पुरस्‍कृत किया गया. वहीं बिहार के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास को इसी श्रेणी में चुनाव प्रबंधन के लिए पुरस्‍कृत किया गया.

रेडियो-हैलो वोटर्स की शुरूआत

इस अवसर पर निर्वाचन आयोग के वैब रेडियो-हैलो वोटर्स की शुरूआत की गई. इसके माध्‍यम से मतदाताओं के बीच मतदान संबंधी जागरूकता पैदा की जाती है.

ई-एपिक कार्यक्रम का शुभारंभ

इस अवसर पर केन्‍द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ई-एपिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया. ई-एपिक फोटायुक्‍त मतदाता पहचान पत्र का डिजिटल स्‍वरूप है और इसे वोटर हेल्‍पलाइन ऐप तथा वेबसाइट पर देखा जा सकता है.

24 जनवरी: राष्‍ट्रीय बालिका दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्‍ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है. य‍ह दिन केन्‍द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 से प्रति वर्ष मनाया जाता है. राष्‍ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्‍य समाज में लोगों के बीच बेटियों के अधिकार को लेकर जागरूकता पैदा करना और बेटियों को सामाजिक व आर्थिक विकास के नए अवसर मुहैया कराना है.

राष्‍ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अलग-अलग तरह के अभियान चलाए जाते हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत

सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2015 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के जरिए लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जाता है. महिलाओं के प्रति होने वाली कई अमानवीय प्रथाओं जैसे भ्रूण हत्या अब कम हो गए हैं.

इन अभियानों से लोगों की मानसिकता को बदलने में मदद मिली है, खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर काफी जागरुकता आई है. समाज के लोगों की मानसिकता पर इन अभियानों का काफी असर हुआ है. अब लोग लड़कियों को लड़कों के बराबर सम्मान और अधिकार दे रहे हैं.

24 जनवरी: उत्तर प्रदेश स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को उत्‍तर प्रदेश अपना स्‍थापना दिवस (Uttar Pradesh Diwas) मनाता है. 1950 में इसी दिन उत्तर प्रदेश को यह नाम मिला था. इस वर्ष उत्तर प्रदेश दिवस की थीम ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश, महिला युवा किसान, सबका विकास सबका सम्मान’ है.

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में राज्‍य में सरकार बनने के बाद ही उत्‍तर प्रदेश दिवस मनाने का कार्यक्रम शुरू हुआ था. इस वर्ष यानि 24 जनवरी 2021 को उत्‍तरप्रदेश दिवस का यह चौथा संस्‍करण था जो 24 से 26 जनवरी तक मनाया गया.

उत्‍तरप्रदेश स्‍थापना दिवस के दौरान गौतमबुद्धनगर स्थित नोएडा हाट में 24 जनवरी से 10 फरवरी तक ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है.

उत्तरप्रदेश: एक दृष्टि

उत्तरप्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या (लगभग 20 करोड़) वाला राज्य है. यह 1 अप्रैल 1937 को ब्रिटिश शासन के दौरान संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के रूप में स्थापित किया गया था. ब्रिटिश शासनकाल में इसे यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था जो कि 1950 में बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया. 9 नवंबर 2000 को, उत्तरप्रदेश से अलग कर एक नया राज्य उत्तराखंड बनाया गया था.

24 जनवरी: अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ (International Day of Education) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य शांति और विकास में शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करना है.

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2021 का मुख्य विषय (theme) ‘Recover and Revitalize Education for the COVID-19 Generation’ है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 जनवरी को ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाने के लिए एक प्रस्ताव 3 दिसंबर 2018 को पारित किया था. 24 जनवरी 2019 को पहला अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था. इस प्रकार इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का तीसरा संस्करण था.

भारत में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है…»

21 जनवरी: मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 जनवरी को मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा अपना स्‍थापना दिवस मनाते हैं. वर्ष 1972 में इसी दिन तीनों राज्‍यों को उत्‍तर-पूर्व क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम 1971 के अन्‍तर्गत पूर्ण राज्‍य का दर्जा मिला था.

भारत की आजादी (15 अगस्त, 1947) से पहले, भारत की सीमाओं से लगे हुए लगभग सभी राज्यों को शांतिपूर्ण वार्ताओं के ज़रिये, भारतीय संघ में मिलाने का प्रयास किया गया. अधिकांश राज्यों के शासकों ने भारत में विलय के दस्तावेज (Instrument of Accession) दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये.

मणिपुर: सितंबर 1949 में भारत सरकार ने मणिपुर को भारत में शामिल करने के लिये विलय समझौते पर हस्ताक्षर करवाने में सफलता प्राप्त की थी.

त्रिपुरा: भारत संघ में त्रिपुरा रियासत का विलय 15 नवंबर 1949 को हुआ था. रानी कंचन प्रभा ने त्रिपुरा रियासत के भारतीय संघ के साथ विलय में अहम भूमिका निभाई थी.

मेघालय: मेघालय, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक छोटा पहाड़ी राज्य है जो 2 अप्रैल 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अस्तित्व में आया.

20 जनवरी 2021: गुरू गोबिन्द सिंह जी की 354वीं जयंती मनाई गयी

दसवें सिख गुरु, गुरू गोबिन्द सिंह जी की 354वीं जयंती पर प्रकाशोत्‍सव पूरे धार्मिक उल्‍लास के साथ मनाया गया. गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के 10वें तथा अंतिम गुरु थे. बिहार में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव पर मुख्य समारोह उनके जन्मस्थान पटना साहिब में तख्त हरमंदिर साहिब में आयोजित किया गया.

गुरू गोबिंद सिंह: एक दृष्टि

  • गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (05 जनवरी) 1666 को पटना में हुआ था. उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे गुरू बने.
  • सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है.
  • गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया.
  • बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है. यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है. दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है.
  • स्वयं इस्लाम न स्वीकारने के कारण 11 नवम्बर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया.
  • उन्होंने “5 क” — केश, कंघा, कड़ा, किरपान तथा कच्छा की शुरुआत की थी.

15 जनवरी 2021: 73वां सेना दिवस मनाया गया

प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस (Army Day) के रूप में मनाया जाता है. सेना दिवस को मनाने का उद्देश्य थल सेना के अदम्य साहस, उनकी वीरता, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करना है. भारतीय सेना का आदर्श वाक्य ‘service before self’ है.

केएम करियप्पा के सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता

यह दिवस फ़ील्ड मार्शल केएम करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. 1949 में इसी दिन देश के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ एफआरआर बुशर से सैन्य कमान अपने हाथों में ली थी. करियप्पा पहले ऐसे ऑफिसर थे जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी.

इस वर्ष यानी 2021 में 73वां सेना दिवस है. इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडिमरल करमबीर सिंह ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये.

दिल्‍ली कैंट के करियप्‍पा मैदान में सेना दिवस का आयोजन किया गया. सेना ने इस अवसर पर विभिन्‍न किस्‍म के टैंक और मिसाइल प्रणालियों का भी प्रदर्शन किया. भारतीय सेना ने पहली बार परेड में लड़ाकू स्‍वार्म ड्रोन प्रदर्शित किया. 10 पैरा विशेष बल इकाई के नायक संदीप को मरणोपरांत सेना मैडल से सम्‍मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान जम्‍मू कश्‍मीर में अपने स्‍क्‍वाड कमांडर की जान बचाने और दो आतंकवादियों को मार गिराने के लिए दिया गया है.

फसल कटाई का त्‍योहार: मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम

फसल कटाई का त्‍योहार मकर संक्रांति 14 जनवरी को देश के विभिन्‍न भागों में मनाया गया. यह पर्व ठंड की समाप्ति और जाड़े की फसलों की कटाई के बाद मनाया जाता है. मकर संक्रांति सूर्य के उत्‍तरायण होने के अवसर पर मनाया जाता है. यह त्‍योहार देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में कई नामों से जाना जाता है.

मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम

  1. तमिलनाडु — पोंगल
  2. गुजरात — उत्‍तरायण
  3. असम — भोगाली बीहू
  4. पश्चिम बंगाल — पौष संक्रांति