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भारत ने नई पीढ़ी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-P का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 21 अक्तूबर को नई पीढ़ी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-P (Agni-P Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडि़सा के बालासौर के निकट डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम द्वीप से किया था. यह अग्नि प्राइम मिसाइल का तीसरा परीक्षण था. इसका पहला परीक्षण जून 2021 में किया गया था.

अग्नि-P मिसाइल: एक दृष्टि

  • अग्नि-P (अग्नि प्राइम) एक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1000 किमी से 2000 किलोमीटर है. यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जो लगभग 1000 किलोग्राम का पेलोड या परमाणु शस्त्र ले जा सकती है.
  • यह मिसाइल दो स्टेज और सॉलिड फ्यूल पर आधारित है जिस कारण यह सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है.
  • भारत ने पहली बार साल 1989 में मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि 1 का परीक्षण किया था. अब अग्नि-P मिसाइल अग्नि 1 की जगह लेगा. अब तक अग्नि सीरीज की पांच मिसाइलों का सफलतापूर्वक विकास और परीक्षण किया जा चुका है.
  • अत्याधुनिक अग्नि प्राइम मिसाइल को 4000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि 4 (Agni-4) और 5000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि 5 मिसाइल (Agni-5 Missile) में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों को मिलाकर बनाया गया है.

गांधीनगर में 12वीं भारतीय रक्षा प्रदर्शनी आयोजित की गई

12वीं भारतीय रक्षा प्रदर्शनी (DefExpo 2022) का आयोजन 19 से 22 अक्तूबर तक गुजरात के अहमदाबाद और गांधीनगर में किया गया था. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था. इस बार यह प्रदर्शनी ‘गौरव पथ’ (Path to Pride) विषय पर आयोजित की गई थी.

डिफेंस-एक्सपो (DefExpo) 2022: मुख्य बिन्दु

  • इस वर्ष के डिफेंस-एक्सपो का फोकस अफ्रीका और IOR (Indian Ocean Region) के देशों को रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना था.
  • इस प्रदर्शनी में रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पाद विभाग के भारतीय मंडप में स्वदेशी रक्षा उत्पाद, स्टार्ट-अप, रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन किया गया.
  • प्रदर्शनी में निजी उद्योग, स्टार्टअप और कई राज्य सहित एक हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. यह देश का ऐसा पहला डिफेंस एक्सपो था जिसमें केवल भारतीय कंपनियों ने ही हिस्सा लिया.

भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता

  • इस डिफेंस-एक्सपो  के दौरान भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता (IADD) का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न अफ्रीकी देशों के रक्षा मंत्रियों ने भाग लिया था.
  • केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने IADD के दौरान भारत-अफ्रीका सुरक्षा फैलोशिप कार्यक्रम शुरू किया. यह फेलोशिप अफ्रीकी विद्वानों को भारत में रक्षा और सुरक्षा पहलुओं पर शोध करने का अवसर देगी.

भारतीय रक्षा प्रदर्शनी: एक दृष्टि

भारतीय रक्षा प्रदर्शनी का आयोजन दो वर्ष में एक बार किया जाता है. प्रदर्शनी में सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के रक्षा उपक्रम और उद्योग, सशस्त्र बलों के लिए रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन किया जाता है. यह रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करता है.

स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर LCH भारतीय वायुसेना में शामिल

देश में बने हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर LCH को 3 अक्तूबर भारतीय वायुसेना को सौपा गया था. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन हेलिकॉप्टरों को राजस्‍थान के जोधपुर में भारतीय वायु सेना को सौंप था. इस हेलिकॉप्टर का नाम ‘प्रचंड’ दिया गया है.

LCH हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’

  • LCH हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’ का डिजाइन और विनिर्माण हिन्‍दुस्‍तान वैमानिकी लिमिटेड (HAL) ने किया गया है.
  • यह हेलिकॉप्टर दुनिया में एकमात्र लड़ाकू हेलिकॉप्टर है जो पांच हजार मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.
  • यह 5.5 टन वर्ग का लड़ाकू हेलिकॉप्टर कई स्टेल्थ फीचर्स, बख्तरबंद सुरक्षा, रात में हमला करने की क्षमता से लैस है.
  • इसमें पर्याप्त मात्रा में हथियार और ईंधन ले जाने की क्षमता है. यह सेनाओं की विशेष आवश्यकताओं के अनुकूल भी है.

राष्ट्रपति HAL के एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण संयंत्र का शुभारंभ किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 27 सितम्बर को बेंगलुरु में हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण संयंत्र का शुभारंभ किया.

क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के उपग्रह प्रक्षेपण में किया जाता है. राष्ट्रपति ने इस दौरान हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड में दक्षिण क्षेत्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की आधारशिला भी रखी.

रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस मिसाइल के खरीद अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस मिसाइल के खरीद के लिए 22 सितम्बर को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत भारतीय नौसेना के लिए 1700 करोड़ रुपये की लागत से इस मिसाइल की खरीद ब्रह्मोस एयरोस्‍पेस प्राइवेट लिमिटेड से की जाएगी. ब्रह्मोस एयरोस्‍पेस प्राइवेट लिमिटेड भारत और रूस का एक संयुक्त उपक्रम है.

यह अनुबंध रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और गति देगा. इससे महत्वपूर्ण शस्त्र प्रणाली के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और स्वदेशी उद्योगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी.

स्टील्थ युद्धपोत INS तारागिरी को मुंबई में लॉन्च किया गया

भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के तीसरे स्टील्थ युद्धपोत तारागिरी (Warship Taragiri) को मुंबई में लॉन्च किया गया था. लॉन्चिंग समारोह मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में आयोजित किया गया था.

इस युद्धपोत का मूल्य लगभग 25,700 करोड़ रुपये है. इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन की ओर से डिजाइन किया गया है.

मुख्य बिन्दु

  • इस जहाज को एकीकृत निर्माण पद्धति के द्वारा बनाया गया है. यानी जहाज के हिस्सों का निर्माण अलग-अलग जगहों पर हुआ है और फिर इसे एक जगह लाकर जोड़ दिया गया.
  • यह जहाज P17 फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) का उन्नत संस्करण हैं, और यह बेहतर स्टील्थ फीचर्स, अत्याधुनिक हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है.
  • तारागिरी पूर्ववर्ती तारागिरी, लिएंडर क्लास ASW फ्रिगेट का पुनर्निर्माण है. पूर्ववर्ती तारागिरी 16 मई 1980 से 27 जून, 2013 तक सेवा में था.
  • प्रोजेक्ट 17A का पहला जहाज ‘नीलगिरी’ 28 सितंबर, 2019 को लॉन्च हुआ था. वह 2024 के शुरुआती छह महीनों में समुद्री परीक्षणों के लिए अपेक्षित है. वहीं परियोजना के तहत दूसरे जहाज ‘उदयगिरी’ को 17 मई 2022 को लॉन्च किया गया था. इसके 2024 के मध्य में समुद्री परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है.
  • युद्धपोत ‘तारागिरी’ 3510 टन वजनी है. 149 मीटर लंबा और 17.8 मीटर चौड़ा ये जहाज दो गैस टर्बाइन और दो मुख्य डीजल इंजनों के संयोजन से संचालित होगा. इसकी गति 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी प्रति घंटे) से अधिक होगी.
  • INS तारागिरी का डिस्प्लेसमेंट 6670 टन है. इस स्वदेशी युद्धपोत पर 35 अधिकारियों के साथ 150 लोग तैनात किए जा सकते हैं.

भारत ने QRSAM मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 8 सितम्बर को त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल (QRSAM) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा ओड़िसा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया था. यह प्रणाली अब सेना के बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार है.

इस परीक्षण में उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ उड़ान परीक्षण किए गए थे. इसमें लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य, छोटी रेंज वाले लक्ष्य, ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य, राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्य शामिल थे.

QRSAM मिसाइल: मुख्य बिन्दु

  • यह सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल है. इसे दागो और भूल जाओ की तकनीकी के साथ विकसित की गई है.
  • इस मिसाइल प्रणाली में सभी स्वदेशी उपकरण लगे हैं, जिसमें स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी वाली मिसाइल, सचल लॉन्चर, पूरी तरह स्वचालित कमान एवं नियंत्रण प्रणाली तथा निगरानी रडार शामिल हैं.

कैबिनेट ने ‘LCA तेजस मार्क 2’ मल्टीरोल फाइटर जेट विकसित करने की परियोजना को मंजूरी दी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने ‘LCA तेजस मार्क-2’ मल्टीरोल फाइटर जेट (Multirole fighter jet) विकसित करने की परियोजना को 2 सितम्बर मंजूरी दी थी. इसे 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया जाएगा.

LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तेजस मार्क-2: एक दृष्टि

  • तेजस मार्क-2, तेजस मार्क-1 स्वदेशी विमान का अधिक सक्षम और शक्तिशाली संस्करण है. तेजस मार्क-1, एक एकल इंजन और अत्यधिक गति वाला मल्टीरोल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किया गया है.
  • तेजस मार्क-2 में 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्लास का शक्तिशाली GE-414 इंजन लगाया गया है जो तेजस मार्क 1 के जीई-404 इंजन से अधिक क्षमता रखता है.
  • तेजस मार्क-1 की तुलना में तेजस मार्क- 2 का वजन थोड़ा ज्यादा होगा. तेजस मार्क-1 जहां 13.5 टन का है, वहीं मार्क-2 17.5 टन का है.
  • तेजस 2.0 जेट का पहला हाई-स्पीड परीक्षण 2023 में शुरू होगा और उत्पादन 2025 के आसपास शुरू होने की उम्मीद है.
  • तेजस हवाई युद्ध और आक्रामक हवाई ऑपरेशन के लिए एक शक्तिशाली जेट है, जिसमें टोही और एंटी-शिप ऑपरेशन इसकी ताकत है.

प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘INS विक्रांत’ नौसेना में शामिल, नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण

भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) ‘INS विक्रांत’ को 2 सितमबर को नौसेना में शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में इसे नौसेना को समर्पित किया था.

इस उपलब्धि के साथ ही भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं. फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का नाम शामिल है.

INS विक्रांत: एक दृष्टि

  • 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ INS विक्रांत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है. यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. यह चार जनरल इलेक्ट्रिक गैस टर्बाइन द्वारा संचालित है.
  • INS विक्रांत को स्वदेशी विमान वाहक वन (IAC-1) के रूप में भी जाना जाता है. इसका निर्माण भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड, केरल द्वारा किया गया है. इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर रखा गया है.
  • इसका आदर्श वाक्य “जयमा सम युधि स्पर्धाः” है. यह ऋग्वेद से लिया गया है. इसका अर्थ है “मैं उनको हराता हूं जो मेरे खिलाफ लड़ते हैं”.
  • इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है. यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है.
  • इस विशाल जहाज में कुल 18 फ्लोर हैं, जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है. यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकती है. इसपर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस एक किचन है, जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है.
  • इसके मेडिकल कॉम्प्लैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं. साथ ही यहां फिजियोथैरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं मौजूद हैं.
  • INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है. मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं. इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकती है.
  • इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है. यह एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है.
  • भारत के पास अब दो विमानवाहक पोत हैं- INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य. INS विक्रमादित्य को भारत ने 2004 में रूस से 2.35 बिलियन डॉलर में खरीदा था.

भारतीय नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के लिए नए ध्वज का भी अनावरण किया. पुराने झंडे में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस (अंग्रेजों की निशानी) को भी रखा गया था. नए ध्वज में छत्रपति शिवाजी महाराज के चिन्ह को अपनाया गया है. नए निशान पर भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘सम नो वरुणः’ अंकित है.
  • 15 अगस्त, 1947 को देश जब आजाद हुआ तो भारतीय रक्षा बलों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक झंडे और बैज को जारी रखा था. 26 जनवरी, 1950 को नौसेना के ध्वज में यूनियन जैक की जगह तिरंगा लगाया गया था. जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा गया था. सफेद बैकग्राउंड पर लाल क्रॉस को सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में जाना जाता है.
  • नए ध्वज के ऊपरी कैंटन पर राष्ट्रीय ध्वज है. राष्ट्रीय प्रतीक के साथ एक नीला अष्टकोणीय आकार भी है. यह नौसेना के आदर्श वाक्य के साथ ढाल पर लगाया जाता है.

नौसेना की महिला अधिकारियों ने पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा किया

भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों के दल ने डोर्नियर 228 विमान पर सवार होकर उत्तरी अरब सागर में पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा कर इतिहास रच दिया है.

मिशन को गुजरात के पोरबंदर में नौसेना एयर एन्क्लेव स्थित नौसेना की एयर स्क्वाड्रन INAS-314 की पांच महिला अधिकारियों ने पूरा किया.

मिशन की कप्तानी लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा ने की. इस दल में लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा, लेफ्टिनेंट शिवांगी, लेफ्टिनेंट अपूर्वा गीते, लेफ्टिेनेंट पूजा पांडा और सब-लेफ्टिनेंट पूजा शेखावत शामिल थीं.

INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपा गया

स्वदेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत को 27 जुलाई को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया गया. यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है जिसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड ने किया है. इन्हें अगस्त 2022 में नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.

INS विक्रांत: एक दृष्टि

  • विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है जो देश में ही विमान वाहक समुद्री जहाज का निर्माण करते हैं.
  • इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के सम्मान में रखा गया है. भारत के पहले विमान वाहक जहाज का नाम भी विक्रांत था जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस विक्रांत को 31 जनवरी 1997 को कार्य मुक्त किया गया था.
  • INS विक्रांत, भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 45,000 टन भारी है. यह विमानवाहक पोत 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है.

सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा की. इस कमान का उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच समन्वय बढ़ाना है. उन्होंने यह घोषणा जम्मू में 24 जुलाई को करगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा.

रक्षा मंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु

  • भारत रक्षा उपकरणों के मामले में दुनिया के सबसे बड़े आयातक से एक निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
  • भारत (रक्षा उत्पादों का) दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था. आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक नहीं है, बल्कि रक्षा निर्यात में शामिल शीर्ष 25 देशों में से एक है.
  • देश ने 13,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात शुरू कर दिया है और 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 35,000 रुपये से 40,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है.