भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए अपनी पहली राष्ट्रीय भूतापीय ऊर्जा नीति (National Policy on Geothermal Energy) 2025 जारी की है. इस नीति को 17 सितम्बर को केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने जारी किया.
इसके साथ ही भारत उन देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया है जो 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए भूमिगत ताप ऊर्जा उत्पादन की दिशा कर रहे हैं.
राष्ट्रीय भूतापीय ऊर्जा नीति 2025: मुख्य उद्देश्य
यह नीति देश की नवीकरणीय ऊर्जा संरचना का उन्नयन करने और 2070 तक ‘नेट ज़ीरो उत्सर्जन’ लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक अहम पहल है.
भारत के भूतापीय संसाधनों को स्वच्छ, विश्वसनीय और सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित करना इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है.
भारत में भूतापीय संसाधन का उपयोग अभी तक ऊर्जा उत्पादन में नहीं लिया जाता था.
इस नीति का लक्ष्य लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे क्षेत्रों में 381 गर्म झरनों और 10 भूतापीय क्षेत्रों को विकसित करना है.
इसमें कर छूट, आयात शुल्क में छूट और व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण जैसे प्रोत्साहन शामिल हैं.
भूतापीय ऊर्जा क्या है?
भूतापीय ऊर्जा, पृथ्वी की सतह के नीचे से प्राप्त होने वाली ऊष्मा ऊर्जा है. यह एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि पृथ्वी के अंदर गर्मी का प्रवाह लगातार बना रहता है.
इसमें पृथ्वी के आंतरिक भाग में गर्मी, मैग्मा, रेडियोधर्मी तत्वों के क्षय, या गर्म भूजल का उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिया किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2025-09-19 18:33:142025-09-19 18:33:14भारत ने अपनी पहली राष्ट्रीय भूतापीय ऊर्जा नीति जारी की