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RBI ने DHFL के बोर्ड को निलंबित किया, सुब्रह्मण्य कुमार नये एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के बोर्ड को निलंबित कर इसकी शक्तियां अपने हाथ में ले ली हैं. कंपनी नए दिवालियापन कानून के तहत जल्द ही समाधान योजना शुरू करने वाली है.

DHFL पहली वित्तीय कंपनी होगी, जो दिवालिया होने जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आर सुब्रह्मण्य कुमार को DHFL का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है. सुब्रह्मण्य कुमार इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ रह चुके हैं.

RBI जल्द ही इनसॉल्वंसी एंड बैंक्रप्सी रूल्स 2019 (दिवालियापन का कानून) के तहत कंपनी की समाधान प्रक्रिया शुरू करना चाहता है. वह NCLT के पास आवेदन करेगा कि एडमिनिस्ट्रेटर को ही दिवालियापन समाधान अधिकार दिया जाए.

DHFL भारत के शीर्ष डिफॉल्टर्स में शामिल है. कंपनी को अपने कर्जदाताओं का करीब 85,000 करोड़ रुपये चुकाना है, जिसमें बैंक और म्यूचुअल फंड शामिल हैं. इसमें से करीब 38,000 करोड़ रुपये अलग-अलग सरकारी और निजी बैंकों को चुकाना है.

चालू वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4 अक्टूबर को मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2019-20) की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी. बैठक में मौद्रिक नीति समिति ने अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के लिए उदार नीति जारी रखने का फैसला किया है ताकि मुद्रास्‍फीति की दर नियंत्रण में रहे.

रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती

इस बैठक में RBI ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 5.40% से घटाकर 5.15% कर दिया है. समीक्षा बैठक में सभी सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का पक्ष लिया. RBI ने लगातार पांचवीं बार रेपो दर में कटौती की है. रेपो दर वह रेट होता है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है. रेपो दर में कमी का उद्देश्‍य आवास और वाहन ऋण की दरों में कमी लाना है.

रिवर्स रेपो और बैंक दर में भी कमी

इस बैठक में RBI ने रिवर्स रेपो रेट को 5.15% से घटाकर 4.90% कर दिया है. यह वह रेट है जिस पर बैंकों को RBI में जमा किए गए धन पर ब्याज मिलता है. इस बैठक में RBI ने बैंक रेट को 5.65% से घटा कर 5.40 प्रतिशत किया है.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 6.9% से घटाकर 6.10% कर दिया है. वर्ष 2020-21 के लिए यह अनुमान संशोधित करके 7.2% कर दिया गया है.

मुद्रास्फीति का अनुमान

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) के लिए सीपीआई मुद्रास्‍फीति का अनुमान संशोधित कर 3.4% किया. दूसरी छमाही का खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान 3.5 से 3.7% पर बरकरार रखा.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर5.15%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर4.90%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर5.40%
बैंक दर5.40%
CRR4%
SLR18.75%

RBI ने बैंकों द्वारा दिए गये लोन को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों को होम लोन, पर्सनल लोन और MSMI सेक्टर को दिए गये लोन को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों तक जल्दी पहुंचने की उम्मीद है.

वास्तव में RBI ने नीतिगत दरों में कई बार कमी की है, लेकिन बैंक इसका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुँचने दे रहे हैं. इसी के मद्देनजर RBI ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले पर्सनल या खुदरा ऋण और MSMI को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को 1 अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है.

RBI साल 2019 में चार बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.10 फीसदी कटौती कर चुका है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक RBI नीतिगत दरों में 0.85% की कटौती कर चुका है. RBI का कहना है कि उसकी रेपो दर में 0.85 फीसदी कटौती के बाद बैंक अगस्त तक अपनी ब्याज दरों में केवल 0.30% तक ही कटौती कर पाए हैं.

लोन देने वाले बैंकों का कहना है कि उसकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देना संभव नहीं है.


भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29 अगस्त को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक (RBI) के कामकाज तथा संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है.
  • केंद्र सरकार को अधिशेष कोष (सरप्लस रिजर्व) से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद RBI के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है.
  • संकटग्रस्त परिसम्पत्तियों का जल्दी पता लगाकर समाधान करने से बैंकों को अपने फंसे ऋण का अनुपात नीचे लाने में मदद मिली है. यह पिछले वर्ष के ग्यारह दशमलव दो प्रतिशतसे कम होकर नौ दशमलव एक प्रतिशत पर आ गया है.
  • वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं, जो पिछले वर्ष से 15 प्रतिशत अधिक है.
  • घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है.
  • IL&FS संकट के बाद NBFC से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 फीसदी की गिरावट आई है.
  • कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है.

RBI ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी
उल्लेखनीय है कि RBI ने हाल ही में अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा की है. RBI इस रकम में से 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकी 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा.


रिजर्व बैंक सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपए लाभांश और अधिशेष के तौर पर हस्तांतरित करेगा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपए हस्तांतरित करने की फैसला किया है. यह राशि लाभांश और अधिशेष के रूप में दिया जायेगा. इस राशि में से 1,23,414 करोड़ रुपये वर्ष 2018-19 के लिए सरकार को मिलने वाला अधिशेष है, जबकि 52,637 करोड़ रुपए को अतिरिक्त प्रावधानों के रूप में चिन्हित किया गया है.

बिमल जालान समिति की सिफारिशों पर राशि को हस्तांतरित करने का निर्णय

  • RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई में रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मंडल ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों को मानते हुए यह राशि सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया.
  • RBI के अतिरिक्त रिजर्व को सरकार को स्थानांतरित करने पर विचार करने के लिए RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर 2018 को इस समिति का गठन किया गया था.
  • बिमल जालान समिति को RBI के वर्तमान इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई थी. इस समिति ने RBI के गवर्नर को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.


चालू वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 अगस्त से 7 अगस्त तक मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2019-20) की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी.

RBI ने नेशनल इलेक्‍ट्रोनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) की सुविधा चौबीसों घंटे जारी करने की घोषणा की है. यह सुविधा दिसम्‍बर 2019 से शुरू हो जायेगी.

रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट की कटौती

RBI ने इस समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 5.75% से घटकर 5.40% हो गया है. RBI की इस समीक्षा बैठक में सभी 6 सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का पक्ष लिया. RBI ने लगातार चौथी बार रीपो रेट में कटौती की है. रेपो रेट वह रेट होता है, जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है.

रिवर्स रेपो और बैंक दर में भी कमी

इस बैठक में RBI ने रिवर्स रेपो रेट को 5.50 से घटाकर 5.15% कर दिया है. यह वह रेट है जिस पर बैंकों को RBI में जमा किए गए धन पर ब्याज मिलता है. इस बैठक में RBI ने बैंक रेट को 6 से घटा कर 5.65 प्रतिशत किया है.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये GDP वृद्धि का पूर्वानुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.

मुद्रास्फीति का अनुमान

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) के लिए सीपीआई मुद्रास्‍फीति 3.1% अनुमानित की है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर5.40%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर5.15%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर5.65%
बैंक दर5.65%
CRR4%
SLR18.75%


भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक आफ चाइना को देश में नियमित बैंक सेवायें देने की अनुमति दी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक आफ चाइना (BOC) को देश में नियमित बैंक सेवायें देने की 1 अगस्त को अनुमति दे दी. RBI ने BOC को भारतीय रिजर्व बैंक कानून, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल किया है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI), HDFC बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और ICICI बैंक समेत सभी वाणिज्यिक बैंक दूसरी अनुसूची में शामिल हैं. इस अनुसूची में आने वाले बैंकों को RBI के नियमों का अनुपालन करना होता है.

चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा

चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

रेपो रेट

जैसा कि आप जानते हैं कि बैंकों को अपने रोज के काम लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है। अक्सर यह होता है कि इसकी मियाद एक दिन से ज्यादा नहीं होती। तब बैंक केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और तब ही बैंक ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।

रिवर्स रेपो दर

रिवर्स रेपो रेट ऊपर बताए गए रेपो रेट से उल्टा होता है। बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

वैसे कई बार रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं।

कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर)

सभी बैंकों के लिए जरूरी होता है कि वह अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखें। इसे नकद आरक्षी अनुपात यानी कि कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) कहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएं तो बैंक डिफॉल्ट न कर सके।

आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बिना बाजार से लिक्विडिटी कम करना चाहता है, तो वह सीआरआर बढ़ा देता है। इससे बैंकों के पास बाजार में कर्ज देने के लिए कम रकम बचती है। वहीं सीआरआर को घटाने से बाजार में नकदी की सप्लाई बढ़ जाती है।

स्टैच्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो (एसएलआर)

कैश रिजर्व रेश्यो की तरह कमर्शियल बैंकों को रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार एक निश्चित राशि, नकदी, सोना या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त बॉन्डों में निवेश करना होता है। इस पर रिजर्व बैंक नजर रखता है, ताकि बैंकों के उधार देने पर नियंत्रण रखा जा सके। अगर सीधे शब्दों में समझें तो एसएलआर वो नकदी होती है जिससे बैंकों को लोन बांटने से पहले सरकारी बॉन्ड या फिर सोना खरीदना होता है। एसएलआर में कटौती के बाद बैंक सरकारी बॉन्ड बेच सकते हैं और इस रकम का इस्तेमाल बैंक लोन बांटने में कर सकते हैं।