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भारतीय रिजर्व बैंक ने करनाला नागरी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र के रायगढ़ में करनाला नागरी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. RBI ने इस बैंक को सभी कामकाज बंद करने के निर्देश दिये हैं. सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक बंद कराने और बैंक के लिए ऋणशोधक नियुक्त करने का आग्रह किया गया है. इस बैंक का लाइसेंस अपर्याप्त पूंजी और आय की संभावना न होने के कारण रद्द किया गया है.

बैंक के बंद होने पर हर जमाकर्ता को पांच लाख रुपए तक की सीमा के साथ जमा बीमा दावा हासिल करने का अधिकार होगा. 95 प्रतिशत जमाकर्ताओं को जमा बीमा और साख गारंटी निगम से अपनी पूरी जमा राशि मिल जाएगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 27 मई को अपना वार्षिक रिपोर्ट (RBI Annual Report) 2021 प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में कोविड संक्रमण का अर्थव्यवस्था पर असर और बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता पर जोर दिया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • बीते वित्त वर्ष में बैंकों के साथ धोखाधड़ी में गिरावट आई और उनकी संपत्ति की गुणवत्ता में इजाफा हुआ है. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती बनी हुई है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए बैंकों में पर्याप्त पूंजी है.
  • बीते वित्त वर्ष के दौरान विकास दर में 8 फीसदी गिरावट का अनुमान है, लेकिन पूंजी प्रवाह और विदेशी निवेशकों के बूते शेयर बाजार रिकॉर्ड बनाता जा रहा है.
  • रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट 31 मार्च 2021 तक 7 फीसदी बढ़कर 57.08 लाख करोड़ रुपये हो गई है. एक साल पहले यह 53.55 लाख करोड़ थी. पिछले 9 महीनों यानी जून से मार्च तक में ही बैलेंस शीट 7 फीसदी बढ़ी है.वृद्धि का कारण विदेशी और घरेलू निवेश रहा है. विदेशी निवेश में 11.48 फीसदी और घरेलू निवेश में 13.75 फीसदी इजाफा हुआ है.
  • अन्य देनदारियों में भी 43.05 फीसदी की बढ़त देखी गई है. घरेलू संपत्तियों में 26.42 फीसदी बढ़त रही. सबसे ज्यादा उछाल विदेशी मुद्रा में आया, जो कुल संपत्ति का 73.58 फीसदी पहुंच गया.
  • कोरोना की दूसरी लहर के कारन 2021-22 के लिए पूर्व में लगाए 10.5 फीसदी के विकास दर अनुमान को प्राप्त करना अब मुश्किल हो सकता है.
  • आरबीआई ने कहा, महामारी के दौरान नोटों का चलन मूल्य के हिसाब से 16.8 फीसदी बढ़ा, जबकि नोटों की संख्या में 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. कुल चलन में 500 और 2000 के नोटों की हिस्सेदारी 85.7 फीसदी पहुंच गई, जो एक वित्त वर्ष पहले 83.4 फीसदी थी.

RBI ने आकस्मिक जोखिम कोष कुल पूंजी के 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आकस्मिक जोखिम कोष (Contingency Risk Buffer) कुल पूंजी के 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत RBI ने आरक्षित कोष से केन्द्र सरकार को 99.122 हजार करोड़ रुपये अधिशेष के रूप में अंतरित करने की मंजूरी दे दी. RBI ने 31 मार्च 2021 को समाप्त नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की लेखा अवधि के लिए यह रकम दी है.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 21 मई को हुई केन्द्रीय बोर्ड की 589वें बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों तथा कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये हाल के नीतिगत उपायों की समीक्षा की.

RBI का अधिशेष क्या होता है?

RBI को अपनी आय में किसी तरह का आय कर नहीं देना पड़ता. इसलिए अपनी जरूरतें पूरी करने, जरूरी प्रावधान और जरूरी निवेश के बाद जो राशि बचती है वह अधिशेष राशि (सरप्लस फंड) होती है. इसे लेकर सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विवाद भी रहा है.

RBI के आय के मुख्य स्रोत

  • बैंकों व वित्तीय संस्थानों को दिए गए ऋण पर ब्याज
  • केंद्र व राज्य सरकारों को दिए गए पैसे पर ब्याज
  • विदेशी मुद्रा से होने वाली कमाई

RBI का मुख्य खर्च

  • नोटों की छपाई पर
  • एजेंसियों का शुल्क और कमीशन
  • कर्मचारियों की सैलरी व अन्य खर्च
  • आकस्मिक निधि (कंटिजेंसी फंड) के लिए तय प्रावधान

केंद्र सरकार और RBI के बीच मतभेद

पिछले वर्ष, RBI के रिजर्व के स्तर पर केंद्र सरकार और RBI के बीच मतभेद पैदा हुए थे. सरकार ने कहा था कि RBI के रिजर्व का स्तर एसेट्स के 26 फीसदी पर है, जबकि दुनिया भर में यह स्तर 16 फीसदी है. सरकार ने अतिरिक्त रिजर्व को अपने खाते में ट्रांसफर करने की मांग की थी.

RBI ने आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए RBI के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.

जालान समिति की सिफारिश

जालान समिति ने आकस्मिक जोखिम कोष रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट का 6.5 से 5.5 प्रतिशत तक सीमित रखने और इससे अतिरिक्त रकम को सरकार को सौंपे जाने की सिफारिश की थी.

RBI ने निजी बैंकों में कार्यरत अधिकारियों के लिए कार्यकाल संबंधी दिशानिर्देश जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने निजी क्षेत्र के बैंक में उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों के लिए अधिकतम कार्यकाल और आयुसीमा पर हाल ही में एक दिशानिर्देश जारी किया है. इसके अनुसार प्रबंध निदेशक (MD), मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और पूर्णकालिक निदेशक (WTD) का कार्यकाल 15 वर्षों तक और अधिकतम आयु 70 वर्ष निर्धारित किया है.

15 वर्षीय कार्यकाल के बाद एक व्यक्ति बैंक में तीन वर्ष के अंतराल के बाद पुनः प्रबंध निदेशक (MD), मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और पूर्णकालिक निदेशक (WTD) के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होगा. हालाँकि इस तीन वर्षीय अवधि के दौरान उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी क्षमता में बैंक या उसके समूह संस्थाओं के साथ नियुक्त या संबद्ध नहीं किया जाएगा.

RBI ने आधार दर में 0.15 प्रतिशत की कमी की, नया आधार दर 7.81 प्रतिशत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए नया औसत आधार दर (एवरेज बेस रेट) की घोषणा की है. घोषणा के अनुसार आधार दर में 0.15 प्रतिशत की कमी की गयी है. इस कमी के बाद नया आधार दर 7.81 प्रतिशत हो गया है.

नया औसत आधार दर, देश के 5 बड़े कमर्शियल बैंकों का औसत आधार दर है. इन बैंकों का औसत आधार दर 31 मार्च 2021 को खत्म हुई तिमाही के दौरान 0.15 प्रतिशत गिरा है. पहले यह दर 7.96 प्रतिशत थी, जो अब कम होकर 7.81 प्रतिशत हो गई है.

आधार दर (Base rate): एक दृष्टि

  • आधार दर वह न्यूनतम दर है जिसके नीचे बैंक को (कुछ अपवादों को छोड़कर) उधार देने की अनुमति नहीं होती है.
  • RBI हर तिमाही के आखिर में औसत आधार दर के आंकड़े जारी करता है. यह आधार दर देश के 5 बड़े कमर्शियल बैंकों के औसत आधार दर पर आधारित होता है.
  • आधार दर गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (MFI) के लिए बेंचमार्क रेट का काम करती हैं. आमतौर पर NBFC और MFI की ब्याज दरें ज्‍यादा होती हैं, जिसके चलते रिजर्व बैंक ने ये विशेष व्यवस्था की है.
  • औसत आधार दर में बदलाव से होम लोन (Home Loan) या कंज्‍यूमर लोन (Consumer Loan) ग्राहकों की ईएमआई पर सीधा असर पड़ता है.

RBI ने देशभर में डिजिटल भुगतान सूचकांक तैयार किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देशभर में भुगतान के डिजिटलीकरण के स्तर का पता लगाने के लिए एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक (Digital Payments Index-DPI) बनाया है. इसके लिए आधार अवधि मार्च 2018 को बनाया गया है. RBI के अनुसार, मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिए DPI क्रमश: 153.47 और 207.84 रहा. यह अच्छी वृद्धि का संकेत देता है.

RBI-DPI में पांच व्यापक मानदंड शामिल

RBI मार्च 2021 से चार महीने के अंतर के साथ RBI-DPI का प्रकाशन छमाही आधार पर अपनी वेबसाइट पर करेगा. इसका मकसद डिजिटल भुगतान के तौर-तरीकों की स्थिति का सटीक आकलन करना है. RBI ने विभिन्न समयावधि में डिजिटल भुगतान की स्थिति का आकलन करने के लिए पांच व्यापक मानदंड शामिल किये हैं. ये मानदंड हैं:

  1. भुगतान को सुगम बनाने वाले (25 फीसदी)
  2. भुगतान संबंधी बुनियादी ढांचा-मांग पक्ष कारक (10 फीसदी)
  3. भुगतान संबंधी बुनियादी ढांचा-आपूर्ति पक्ष कारक (15 फीसदी)
  4. भुगतान प्रदर्शन (45 फीसदी)
  5. उपभोक्ता केंद्रित (5 फीसदी)

सरकार ने मौद्रिक नीति समिति पैनल में तीन नये सदस्यों को नियुक्त किया

सरकार ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) पैनल में तीन सदस्यों को नियुक्त किया है. ये तीन सदस्य प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे हैं. नए सदस्य चेतन घाटे, पामी दुआ और रवींद्र ढोलकिया की जगह लेंगे हैं. उन्हें 29 सितंबर, 2016 को चार साल के लिए पैनल में नियुक्त किया गया था.

आशिमा गोयल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में अर्थव्यवस्था पर लगातार लिखते रहे हैं, उनके सौ से अधिक लेख छपे हैं. जयंत आर वर्मा, अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान में प्रोफेसर है. शशांक भिडे मौजूदा समय में वरिष्ठ सलाहकार, नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च है.

मौद्रिक नीति समिति: एक दृष्टि

मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम की धारा 54ZB के तहत भारत सरकार द्वारा किया गया था. इस समिति में कुल छह सदस्य होते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होते हैं.

MPC, बैंक दर, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात जैसे बेंचमार्क दरों और मौद्रिक नीतियों की समीक्षा करता है.

तनावग्रस्त लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए केवी कामत समिति का गठन किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तनावग्रस्त लोन (stressed assets) को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन किया है. केवी कामत को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

यह समिति लोन रीकास्ट विंडो पर RBI को सुझाव देगी और वित्तीय शर्तों और किसी खास सेक्टर के लिए खास मानक पर अपनी सिफारिश देगी. समिति की सिफारिश पर विचार करने के बाद RBI इस लोन रीकास्ट विंडो पर फाइनल नोटिफिकेशन 30 दिनों के अंदर जारी करेगा.

RBI ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए 6 अगस्त को बैंको को stressed assets को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग करने की सुविधा दी थी. बैंक इस सुविधा का इस्तेमाल 31 दिसंबर 2020 तक कभी भी कर सकेंगे.

केवी कामत समिति के सदस्य

केवी कामत की अध्यक्षता वाली इस कमिटी में एशियन डेवलपमेंट बैंक के वाइस प्रेसीडेंट दिवाकर गुप्ता, कैनरा बैंक के चेयरमैन टीएन मनोहरन और इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ अश्विन पारेख भी होंगे. अश्विन पारेख इस समिति के सेक्रेटरी होंगे.

सहकारी बैंकों को RBI की निगरानी में लाने के लिए अध्यादेश पारित

सरकार ने सभी सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की निगरानी में लाने के लिए 24 जून को एक अध्यादेश पारित किया है. अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश के 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक RBI की निगरानी (सुपरवाइजरी पॉवर्स) के अंतर्गत आ जाएंगे.

यह अध्यादेश इन बैंकों में जमाकर्ताओं की राशि को सुरक्षित रखने का आश्वासन देने के लिए किया गया है. अब RBI की शक्तियां जैसे कि अनुसूचित बैंकों पर लागू होती हैं, वैसे ही अब सहकारी बैंकों के लिए भी लागू होंगी.

उर्जित पटेल को भारत के प्रमुख आर्थिक थिंक टैंक NIPFP का अध्यक्ष नियुक्त किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व-गवर्नर उर्जित पटेल को भारत के प्रमुख आर्थिक थिंक टैंक ‘राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान’ (NIPFP) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. पटेल विजय केलकर की जगह लेंगे. वह 22 जून को पद संभालेंगे और उनका कार्यकाल चार साल का होगा.

NIPFP की गवर्निंग काउंसिल की 19 जून को हुई बैठक में उर्जित पटेल को NIPFP के अध्यक्ष नियुक्त किये जाने का फैसला किया गया. इस बैठक में नीति आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और तीन राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया था. वहीं, रथिन रॉय ने NIPFP के निदेशक और सुमित बोस ने उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है.

राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP)

NIPFP वित्त मंत्रालय, पूर्ववर्ती योजना आयोग और कई राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक स्वायत्त निकाय है. यह एक स्वतंत्र गैर-सरकारी निकाय है और केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों को सलाह देते हुए सार्वजनिक नीति में अनुसंधान करता है.

उर्जित पटेल

उर्जित पटेल ने पांच सितंबर, 2016 को RBI के 24वें गवर्नर के रूप में पद संभाला था. उन्हें रघुराम राजन के उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था. निजी कारणों का हवाला देते हुए, पटेल ने 10 दिसंबर, 2018 को RBI के गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था.

RBI ने पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाने की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 जून को पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF) बनाने की घोषणा की. यह फंड 250 करोड़ रुपए के शुरुआती योगदान के साथ बनाया जाएगा. यह फंड कुल 500 करोड़ रुपए का होगा. शेष राशि कार्ड जारी करने वाले बैंक और कार्ड नेटवर्क लगाएंगे.

इस फंड से टीयर-3 से लेकर टीयर-6 तक के केंद्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में कारोबारियों को प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

POS मशीन से कारोबारी भुगतान स्वीकार सकते हैं

POS मशीन के जरिये कारोबारी डिजिटल तरीके से भुगतान स्वीकार सकते हैं. इससे उन्हें नकदी को संभालने की जरूरत नहीं रहती. पिछले कुछ समय से RBI देश में ई-भुगतान प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है.

RBI ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 22 मई को कई उपायों की घोषणा की. RBI ने COVID-19 (कोरोना वायरस) से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए ये घोषणाएं की.

RBI की घोषणा के मुख्य बिंदु

इन घोषणाओं में RBI ने बेंचमार्क ब्याज दरों में कमी किए जाने और सभी सावधि ऋण और पूंजीगत ऋण के मासिक भुगतान पर तीन महीने तक की राहत देने की घोषणा की.

RBI ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत की कमी करके उसे 4 प्रतिशत कर दिया है. रिवर्स रेपो दर में भी 40 आधार अंकों की कमी करके उसे 3.75 प्रतिशत किया गया है. इसी प्रकार बैंक दर को 4.65 प्रतिशत से घटाकर 4.25% कर दिया गया है.

RBI के अनुसार इस वित्त वर्ष (2020-21) की पहली छमाही (अप्रैल-सितम्बर) में महंगाई उच्च स्तर पर रह सकती है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और इस साल अर्थव्यवस्था वृद्धि दर (GDP) के निगेटिव रहने का खतरा है.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर3.65%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर4.25%
बैंक दर4.25%
CRR3%
SLR18%

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?