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विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दिशा-दशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2021 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2020 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भी भारत 142वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है. नॉर्वे लगातार पांचवें वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग इरीट्रिया की है जो 180वें स्थान पर है. उत्तर कोरिया 179वें और तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर था.

भारत के पडोसी देशों में चीन 177वें, श्रीलंका 127वें, नेपाल 106वें, म्यांमार 140वें, बांग्लादेश 152वें और पाकिस्तान 145वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.

ARWU रैंकिंग: IISC देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर

शिक्षण संस्थानों की ARWU (Academic Ranking of World Universities) 2020 रैंकिंग हाल ही में जारी की गयी है. इस रैंकिंग में लगभग 15 भारतीय विश्वविद्यालयों को स्थान मिला है.

भारत में शीर्ष संस्थानों की ARWU रैंकिंग 2020 के अनुसार, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर रहा है. इस रैंकिंग में IIT मद्रास दुसरे स्थान पर है. कलकत्ता विश्वविद्यालय ने भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच पहला स्थान और देश के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में तीसरा स्थान हासिल किया.

ARWU रैंकिंग में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान दिया गया है. दूसरे स्थान पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी है जबकि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी नेतीसरा स्थान प्राप्त किया है.

ARWU रैंकिंग को शंघाई रैंकिंग के रूप में भी जाना जाता है. इसे शंघाई रैंकिंग कंसल्टेंसी द्वारा तैयार किया जाता है. यह 2009 से विश्व विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग जारी कर रहा है.

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग जारी, IIT मद्रास भारतीय संस्थानों में शीर्ष पर

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ने 4 मार्च को लंदन में 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग (QS World University Rankings by Subject) जारी की. इस रैंकिंग में भारत के 14 शिक्षण संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों की सूची में शामिल हो गए हैं.

भारतीय संस्थानों में IIT मद्रास पहले, IIT बॉम्बे दूसरे, IIT खड़गपुर तीसरे और दिल्ली विश्वविद्यालय को चौथा स्थान मिला है. IIT दिल्ली 10वें स्थान पर है.

क्यूएस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बेन स्वॉटेर के मुताबिक, भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है. इसका असर कुछ महीनों में ही दिखने लगा है. अब भारतीय शिक्षण संस्थान शिक्षा और पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में समझौता नहीं कर रहे हैं, यही वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल की रैंकिंग में विषयों की संख्या कम रही है.

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों में भारतीय संस्थानों की रैंकिंग

संस्थानरैंकिंगविषय
आईआईटी मद्रास30पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे41इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
आईआईटी खड़गपुर44इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय50डेवलपमेंट स्ट्डीज
आईआईटी बॉम्बे50आर्ट एंड डिजाइन
आईआईटी गुवाहाटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
आईआईटी दिल्ली51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
जेएनयू51एंथ्रोपोलॉजी
अन्ना यूनिवर्सिटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी दिल्ली51इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक
ओपी जिंदल76लॉ
आईआईएम अहमदाबाद79बिजनेस एंड मैनेजमेंट स्टडीज
आईआईएससी बंगलूरू93केमिस्ट्री

लोकतंत्र सूचकांक 2020 में भारत 53वें स्थान पर

भारत 2020 के लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) की वैश्विक रैंकिंग में 53वें स्थान पर है. यह सूचकांक रिपोर्ट यूनाइटेड किंगडम की कंपनी द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (EIU) द्वारा 4 फरवरी को जारी की गयी है. रिपोर्ट का शीर्षक ‘Democracy in sickness and in health?’ है.

भारत पिछले वर्ष इस सूचकांक में 51वें स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार, लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने और नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई को लेकर भारत पिछले साल की तुलना में दो पायदान फिसला है. हालांकि भारत पड़ोसी देशों से ऊपर है. भारत को पिछले साल 6.9 अंक मिले थे, जो अब घटकर 6.61 अंक रह गए हैं.

नॉर्वे शीर्ष स्थान पर

EIU के इस सूचकांक में नॉर्वे को शीर्ष स्थान मिला है. इसके बाद आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा का स्थान है. 167 देशों के इस सूचकांक में 23 को पूर्ण लोकतंत्र, 52 को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, 35 को मिश्रित शासन और 57 को सत्तावादी शासन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारत को अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम और ब्राजील के साथ त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका 68वें, बांग्लादेश 76वें, भूटान 84वें और पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा. श्रीलंका को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान ‘मिश्रित शासन’ के वर्ग में है.

इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान 139वें स्थान पर है और उसे ‘सत्तावादी शासन’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. उत्तर कोरिया अंतिम 167वें स्थान पर बरकरार है.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021: भारत 85वें स्थान पर, जापान शीर्ष स्थान पर

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स (Henley Passport Index) 2021 रिपोर्ट 12 जनवरी को जारी की गयी थी. 199 देशों की इस पासपोर्ट रैंकिंग रिपोर्ट में भारत 85वें स्थान पर है. भारत की रैंकिंग में जनवरी 2020 में जारी पिछले रैंकिंग रिपोर्ट से एक स्थान की गिरावट आई है. इस सूचकांक में शीर्ष तीन स्थानों पर एशियाई देश हैं. ये तीन देश जापान, सिंगापुर, जर्मनी व कोरिया हैं.

हेनले पासपोर्ट रैंकिंग क्या है?

  • हेनले पासपोर्ट रैंकिंग को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार पर प्रतिवर्ष हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी किया जाता है.
  • यह रैंकिंग देशों के पासपोर्ट की ताकत पर निर्भर करती है. इस रैंकिंग में स्कोर का मतलब है कि कितने देशों में उस पासपोर्ट के जरिए वीजा मुक्त या वीजा आन-अराइवल प्रवेश मिल सकता है.
  • जिस देश के पासपोर्ट के जरिए बगैर वीजा या वीजा ऑन अराइवल सबसे अधिक देशों में आने-जाने की छूट होती है, उसकी रैंकिंग सबसे अच्छी होती है.

भारत के पासपोर्ट पर 58 देशों में बिना वीजा यात्रा

रैंकिंग में भारत 85 वें स्थान पर है. भारतीय पासपोर्ट धारक भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मकाऊ, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, केन्या, मॉरिशस, सेशेल्स, जिम्बॉब्वे, यूगांडा, ईरान और कतर सहित 58 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021: एक दृष्टि

  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021 में जापान पहले स्थान पर है. जापान के पासपोर्टधारक 191 देशों की यात्रा बिना वीजा के यात्रा कर सकते है.
  • रिपोर्ट में सिंगापुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है. सिंगापुर क़े पासपोर्टधारक 190 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते हैं.
  • शक्तिशाली पासपोर्ट की इस रैंकिंग में तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया और जर्मनी हैं. इन दोनों देशों के पासपोर्टधारक 189 देशों में वीजा के बिना यात्रा कर सकते हैं.
  • अमेरिका इस रैंकिंग में 7वें स्थान पर है. अमेरिका के पासपोर्टधारक को 185 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते है.
  • पड़ोसी देश चीन के पासपोर्ट का रैंकिंग में 70वां स्थान है. चीन के पासपोर्ट का 75 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है और पाकिस्तान का पासपोर्ट जो 107वें स्थान पर है, उसका 32 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है.
  • इस रैंकिंग में सीरिया, इराक और अफगानिस्तान सबसे खराब पासपोर्ट वाले देश बने हुए. अफगानिस्तान अंतिम 110वें स्थान पर है.

रिश्वत जोखिमों की वैश्विक सूची में भारत दुनिया में 77वें स्थान पर

ट्रेस (TRACE) इंटरनेशनल ने हाल ही में व्यापार में रिश्वत जोखिमों की वैश्विक सूची (Bribery Risk Matrix) 2020 जारी की है. इस सूची के अनुसार दुनिया के 194 देशों में भारत 45 अंकों के साथ 77वें स्थान पर है. 2019 की अपेक्षा भारत ने एक स्थान का सुधार किया है. 2019 में भारत की रैंकिंग 78वीं थी. भारत के अलावा पेरू, जॉर्डन, कोलंबिया और मॉन्टेग्रो ने भी 45 अंक हासिल किए हैं.

‘ट्रेस’ के इस सर्वे के मुताबिक न्यूजीलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों में बिजनेस करने में रिश्वतखोरी का रिस्क सबसे कम है. वहीं नॉर्थ कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, दक्षिणी सूडान जैसे देशों का स्थान सबसे नीचे है.

यह सर्वे चार चीजों के आधार पर किया जाता है. पहला है बिजनेस का सरकार से संवाद कैसा है, दूसरा रिश्वतखोरी रोकने के लिए कानून, पारदर्शिता, अनुपालन कितना होता है.

ट्रेस ने सबसे पहले 2014 में यह सर्वे जारी किया था. इसमें संयुक्त राष्ट्र, वर्लड बैंक, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम जैसे संस्थानों का डाटा निकालकर अध्ययन किया जाता है.

वर्ष 2020 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट जारी, भारत 94वें स्थान पर

वर्ष 2020 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) रिपोर्ट हाल ही में जारी किया गया था. यह इंडेक्स वेलहंगर लाइफ और कंसर्न वर्ल्डवाइड द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

इस वर्ष के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट के लिए 132 देशों का आकलन किया गया था. इनमें से 107 देशों के लिए GHI स्कोर और रैंक करने के लिए पर्याप्त डेटा थे.

रिपोर्ट में भारत

इस रिपोर्ट में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट ने 27.2 के स्कोर के साथ भारत को गंभीर श्रेणी में डाला है. 2018 में भारत 103वें और 2019 में 102वें स्थान पर रहा था.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग दर 37.4 प्रतिशत है. भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है. वहीँ पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत है.

भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल 73वें स्थान पर बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमशः 75वें और 88वें स्थान पर हैं.

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया 2030 तक शून्य भूखमरी को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगी. शून्य भूखमरी संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों में से एक है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में चार संकेतक जैसे कि अल्पपोषण, चाइल्ड वेस्टिंग, चाइल्ड स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर के आधार पर देशों की रैंकिंग की जाती है. चाइल्ड वेस्टिंग से तात्पर्य उन बच्चों से है जिनका वजन कम होता है. चाइल्ड स्टंटिंग में वे बच्चे शामिल होते हैं, जिनकी ऊंचाई उनके वजन के अनुसार नहीं होता है.

वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ सूचकांक 2020 जारी, सिंगापुर पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का स्मार्ट सिटी सूचकांक (SCI) 18 सितम्बर को जारी किया गया. यह सूचकांक इंस्टिट्यूट फॉर मैनेजमेंट डिवेलपमेंट (IMD) ने सिंगापुर यूनिवर्सिटी फॉर टेक्नालॉजी एंड डिजाइन (SUTD) के साथ मिलकर जारी किया है. इसमें कुल 109 शहरों का सर्वेक्षण किया गया है.

इस सूचकांक में सिंगापुर पहले स्थान पर है, उसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः हेलसिंकी और ज्यूरिख रहे हैं. वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ की लिस्ट में चार भारतीय शहरों – नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु के स्थान में गिरावट आई है. इस सूचकांक में हैदराबाद 85वें, नई दिल्ली 86वें, मुंबई 93वें और बेंगलुरु को 95वें स्थान पर है.

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स: भारत पहली बार शीर्ष 50 में शामिल हुआ

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), कॉर्नेल विश्वविद्यालय और इनसीड बिजनेस स्कूल ने संयुक्त रूप से हल ही में वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index- GII) 2020 की सूची जारी की थी. इस सूचकांक के मुताबिक शीर्ष स्तर पर स्थिरता बनी हुई है, लेकिन नवाचार का केंद्र पूरब के देशों की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है. भारत, चीन, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़े हैं.

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में स्विटजरलैंड, स्वीडन, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं.

GII सूचकांक में भारत

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में भारत पहली बार शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ है. भारत ने चार पायदान की छलांग लगाई और 48वें स्थान पर पहुंच गया है. मध्य और दक्षिण एशियाई देशों में वह इस सूचकांक में शीर्ष पर बना हुआ है.

भारत नवाचार के क्षेत्र में दुनिया की तीसरी सबसे निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. WIPO के मुताबिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), सेवाओं के निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाओं और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों जैसे नवाचार के सूचकांक में भारत शीर्ष 15 देशों में शामिल है.

WIPO का अनुसार मुंबई और दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT), बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) और इसके शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों की बदौलत ही भारत उच्चतम नवाचार गुणवत्ता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बना है.

वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020: भारत 34वें और ब्रिटेन पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक (Global Real Estate Transparency Index 2020) हाल ही में जारी किया गया है. इसमें दुनिया भर में रियल्टी (अचल संपत्ति) बाजार में पारदर्शिता के के अनुसार रैंकिंग की गयी है.

भारत 34वें स्थान पर

इस सूचकांक में भारत ने अपनी रैंकिंग में एक अंक का सुधार करते हुए 34वें स्थान पर रहा है. रियल एस्टेट बाजार से जुड़े नियामकीय सुधार, बाजार से जुड़े बेहतर आंकड़े और हरित पहलों के चलते देश की रैंकिंग में सुधार हुआ है.

वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी JLL इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है. भारत की रैंकिंग वर्ष 2018 में 35, 2016 में 36 और 2014 में 39 थी.

ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शीर्ष तीन देशों में शामिल

वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020 में ब्रिटेन पहले पायदान पर रहा है. इसके बाद क्रमश: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा देश शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं. भारत के पड़ोसी देश चीन की इस सूचकांक में 32वें, श्रीलंका की 65वें और पाकिस्तान की 73वें स्थान पर है.

भारत का बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में

इस सूचकांक में कुल 99 देशों की रैंकिंग की गयी है. इनमें से शीर्ष 10 पायदान पर रहे देशों को उच्च पारदर्शी, 11वें से 33वें पायदान पर रहे देशों को पारदर्शी श्रेणी में रखा गया है. इसके बाद के देशों को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है. इस प्रकार भारत का रियल एस्टेट बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है.

रियल्टी पारदर्शिता के लिए भारत द्वारा किये गये उपाय

केंद्र सरकार ने 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने का लक्ष्य रखा है. इस उद्देश्य से किफायती आवास में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार ने रियलटी क्षेत्र में ‘रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट-2016’ के तहत Real Estate Regulatory Authority (RERA) का गठन किया गया है.

भारत में जीएसटी, बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2016, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों ने अधिक पारदर्शिता लाई है.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2021: शीर्ष 500 में भारत से 8 संस्थान, अमेरिका का MIT शीर्ष पर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2021 हाल ही में जारी की गई है. QS हर साल वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी करता है. इस साल कुल 1029 यूनिवर्सिटीज की लिस्ट तैयार हुई थी.

अमेरिका का MIT लगातार 9वें साल पहले स्थान पर

इस क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2021 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 9वें साल पहला स्थान हासिल किया है. जबकि स्टैनफर्ड, हावर्ड और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को क्रमशः दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान मिला है. ये सभी अमेरिकी यूनिवर्सिटीज हैं. पांचवां स्थान यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मिला है.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021: भारत के सन्दर्भ में

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021 में दुनिया के शीर्ष 500 संस्थानों में भारत से 8 संस्थानों को जगह मिली है. भारतीय संस्थानों में IIT बॉम्बे शीर्ष पर है. इस वर्ष की रैंकिंग में यह 172वें स्थान पर है, जबकि पिछले वर्ष की रैंकिंग में यह 152वें स्थान पर था.

इस वर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट ऑप साइंस (IISc), बंगलुरू को 185वें और IIT दिल्ली 193वें पायदान पर है. IIT मद्रास 275वें, IIT खड़गपुर 314वें, IIT कानपुर 350वें, IIT रूड़की 383वें, IIT गुवाहाटी 470वें स्थान पर है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी को वैश्विक स्तर पर 501 से 510 रैंक के बीच में जगह मिली है. जबकि IIT हैदराबाद दुनिया के टॉप 650 संस्थानों में जगह बना पाया है. जादवपुर यूनिवर्सिटी, सावित्रिबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और हैदराबाद यूनिवर्सिटी शीर्ष 1000 संस्थानों में जगह बना पाए हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 जारी, भारत 168वें और डेनमार्क पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने हाल ही में ‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ (Environment Performance Index- EPI) 2020 जारी किया है.

भारत 168वें स्थान पर

EPI-2020 में भारत में 168वें स्थान पर है. भारत 2018 में 177वें जबकि 2016 में 141वें स्थान पर था. EPI-2020 में भारत का प्रदर्शन वायु गुणवत्ता, स्वच्छता एवं पेयजल, भारी धातु, अपशिष्ट प्रबंधन आदि में अन्य देशों की तुलना में खराब रहा है.

डेनमार्क पहले स्थान पर

180 देशों के जारी इस सूचकांक में डेनमार्क पहले और लक्ज़मबर्ग दूसरे स्थान पर है. सूचकांक में अमेरिका 42वें और चीन 120वें स्थान पर रहा है. लाइबेरिया सबसे अंतिम 180वें स्थान पर है.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI): एक दृष्टि

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में जारी किया जाता है. यह सूचकांक येल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है.

‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ 11 विभिन्न श्रेणियों तथा 32 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर तैयार किया जाता है. इनमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन तीव्रता, जंगलों (वनों की कटाई) और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं.