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राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए चार सांसदों को मनोनीत किया

राज्यसभा में राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले 12 सांसदों को मनोनीत करते हैं. इस श्रेणी में 6 जुलाई को  राष्ट्रपति ने चार सांसदों को मनोनीत किया. ये सांसद हैं- पीटी उषा, इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और वी विजेंद्र प्रसाद. ये सांसद क्रमशः खेल, फिल्म, संगीत और समाजसेवा क्षेत्रों में विशिष्ट स्थान रखते हैं.

मुख्य बिन्दु

  • नए मनोनीत चारों सांसद दक्षिण भारत से आते हैं. पीटी उषा केरल से हैं, 1984 ओलंपिक खेलों में चौथा स्थान हासिल कर पूरे देश में लोकप्रिय हो गईं. उन्होंने 1986 के सिओल एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते.
  • संगीतकार इलैया राजा ने 1400 फिल्मों के 7000 गाने संगीतबद्ध किए. तमिल के साथ-साथ तेलुगु फिल्मों में भी संगीत दिया
  • विजयेंद्र प्रसाद ने बाहुबली, आरआरआर, बजरंगी भाईजान, राउडी राठौड़, मणिकर्णिका और मार्शल जैसी फिल्मों की कहानी लिखी.
  • वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक में धर्मस्थल मंजुनाथ स्वामी मंदिर के अनुवांशिक ट्रस्टी हैं. हेगड़े का परिवार कई हिंदू मंदिरों का ट्रस्टी है.

भारतीय संविधान में प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद- 80 राज्यसभा के गठन का प्रावधान करता है. राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है, परंतु वर्तमान में यह संख्या 245 है. इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा से संबंधित क्षेत्रों से मनोनीत किया जाता है.

हरिवंश नारायण सिंह दोबारा राज्यसभा के उपसभापति चुने गये

हरिवंश नारायण सिंह को राज्यसभा का उपसभापति (deputy speaker) चुना गया है. उनके उपसभापति निर्वाचन की घोषणा राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडु ने की.

हरिवंश नारायण सिंह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार थे. उन्होंने आरजेडी नेता मनोज झा को ध्वनिमत से हराया. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने मनोज झा को संयुक्त उम्मीदवार बनाया था. दोनों ही बिहार से राज्यसभा सांसद हैं. हरिवंश नारायण सिंह पहली बार अगस्त 2018 में राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे.

पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राज्‍यसभा के मनोनीत सदस्‍य के रूप में शपथ ली

उच्‍चतम न्‍यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने 19 मार्च को राज्‍यसभा के मनोनीत सदस्‍य के रूप में शपथ ली. राज्‍यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडु ने उन्‍हें शपथ दिलाई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित किया था. उन्होंने 3 अक्तूबर 2018 से 15 नवंबर 2019 तक देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवा दी थी.

ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति ने किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश को राज्यसभा के लिए मनोनित किया हो. इससे पहले पूर्व प्रधान न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह और रंगनाथ मिश्रा भी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं, लेकिन ये राज्यसभा चुनाव द्वारा चुने गये थे.

केंद्र सरकार ने गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था और गृह मंत्रालय ने इस आशय की अधिसूचना जारी की थी. जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (a) और इसी अनुच्छेद के खंड (3) के तहत राष्ट्रपति ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनित किया था. राष्ट्रपति ने राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों में से एक के कार्यकाल पूरा होने की वजह से रिक्त हुई सीट पर रंजन गोगोई का मनोयन किया है. यह सीट केटीएस तुलसी के कार्यकाल पूरा होने की वजह से रिक्त हुई थी.

राज्यसभा: एक दृष्टि

  • राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन जबकि लोकसभा निम्न सदन है. राज्य सभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है. जिनमें 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं. अन्य सदस्यों का चुनाव होता है.
  • राज्यसभा के सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमें एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं. भारत के उप-राष्ट्रपति (वर्तमान में वैकेया नायडू) राज्यसभा के सभापति होते हैं. राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था.
  • संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है. जिनमें 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं. राज्यसभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है.
  • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है.
  • संविधान के अनुच्छेद 84 के अनुसार राज्यसभा का सदस्य चुने जाने वाले उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए और उसे कम से कम 30 वर्ष की आयु का होना चाहिए.

रंजन गोगोई: मुख्य बिंदु

  • रंजन गोगोई पूर्वोत्तर (असम) के पहले व्यक्ति बने जिन्हें भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. उनके पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे.
  • गोगोई सुप्रीम कोर्ट की उस पांच सदस्यीय पीठ के अध्यक्ष थे जिसने नौ नंवबर 2019 को संवेदनशील अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था. यह इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई रही थी.
  • उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उन पीठों की भी अध्यक्षता की थी जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे जैसे मसलों पर फैसले सुनाए थे.
  • गोगोई सुप्रीम कोर्ट के 25 न्यायाधीशों में से उन 11 न्यायाधीशों में शामिल रहे जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का विवरण दिया था.
  • जस्टिस गोगोई का 16 दिसंबर 2015 को दिया गया एक आदेश उन्हें इतिहास में खास मुकाम पर दर्ज कराता है.
  • देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के जरिए किसी राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया था.
  • जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस वीरेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश जारी किया था.

चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के संकट से निपटने के लिए एक रिपोर्ट संसद को सौंपी गयी

चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के संकट से निपटने के लिए बनी संसदीय समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपी. राज्य सभा सदस्य और कांग्रेस नेता जयराम रमेश इस समिति के अध्यक्ष हैं.

इस रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के संकट से निपटने के लिए भी प्रधानमंत्री को ‘वैश्विक राजनीतिक गठजोड़’ बनाने की पहल करना चाहिए. रिपोर्ट में प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की गई है कि वो ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ के विरुद्ध ‘अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस’ (ISA) की तर्ज़ पर देशों को एकजुट करें.

इंटरनेट के ज़रिए अश्लीलता ख़ासकर, सोशल मीडिया पर ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ के व्यापक प्रसार की समस्या से निपटने के लिए इस समिति ने सुझाव भी दिया है कि प्रधानमंत्री इस दिशा में जी-20 या संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कारगर पहल कर सकते हैं.

जयराम रमेश की अगुवाई में 14 सदस्यीय समिति का गठन

पिछले वर्ष 2019 में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी का मुद्दा राज्य सभा जोर-शोर से उठा था, जिसके बाद सभापति ने इस समस्या से निपटने के उपाय सुझाने के लिए जयराम रमेश की अगुवाई में 14 सदस्यीय समिति का गठन कर एक महीने में रिपोर्ट देने को कहा था.

समिति ने इस दौरान तीन बैठक की और विस्तार से चर्चा के बाद 40 सुझावों वाली इस रिपोर्ट में सिफ़ारिश की है कि सरकार को यौन अपराधों से बच्चों को बचाने वाले पोक्सो क़ानून, सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून और भारतीय दंड संहिता में उचित बदलाव करने की तत्काल पहल करना चाहिए. साथ ही राज्य सरकारों को भी सिफ़ारिश की है कि वे राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सक्षम बनाएं.

लोकसभा ने बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (पोक्सो) 2019 पारित किया

लोकसभा ने 1 अगस्त को बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (The Protection of Children from Sexual Offences Act- POCSO) 2019 पारित किया. राज्‍यसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. पोक्सो विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाले लोगों को मृत्यु दण्ड सहित सजा की अवधि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

बच्चों की अश्लील फिल्म बनाने पर रोक लगाने के लिए विधेयक में ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल तक की कैद की सजा और जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. दोबारा यही अपराध करने पर सात साल तक की सजा होगी और जुर्माना लगेगा. विधेय़क में बाल पोर्नोग्राफी को परिभाषित भी किया गया है.


गैर-कानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019 राज्यसभा से पारित

राज्यसभा ने 2 अगस्त को गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक (Unlawful Activities (Prevention) Amendment- UAPA) 2019 को पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. सदन ने इस विधेयक को 42 के मुकाबले 147 वोट से पारित किया. विधेयक में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम, 1967 में संशोधनों का प्रावधान है.

गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस संशोधन विधेयक के अंतर्गत केन्द्र सरकार को आतंकी गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार है. इससे पहले, सरकार सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी घोषित कर सकती थी.
  • इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) के महानिदेशक को भी यह अधिकार दिया गया है कि वे एजेंसी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में अभियुक्तों या संगठनों की सम्पत्ति की कुर्की का आदेश जारी कर सकते हैं.


राज्‍यसभा ने मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 को पारित किया

राज्‍यसभा ने 31 जुलाई को ‘मोटर वाहन संशोधन विधेयक (The Motor Vehicles Amendment Bill) 2019’ पारित कर दिया. इस विधेयक को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने प्रस्तुत किया था. विधेयक के पक्ष में 108, जबकि विरोध में 13 वोट पड़े. लोकसभा ने यह विधेयक पहले ही पारित कर चुकी थी. इस विधेयक को फिर से मंजूरी के लिए लोकसभा भेजा जाएगा, क्‍योंकि इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं. विधेयक में सड़क सुरक्षा के लिए मोटर वाहन कानून, 1988 में संशोधन का प्रावधान है. यह विधेयक यातायात नियमों के उल्‍लंघन के लिए जुर्माने में वृद्धि, थर्ड पार्टी बीमा मुद्दे का निपटारा और सड़क सुरक्षा से जुड़ा है.

मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस विधेयक में सड़क सुरक्षा में सुधार और यातायात को नियंत्रित करने में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने का प्रावधान है.
  • सड़क दुर्घटना में मृत्‍यु के मामले में मुआवजे की राशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के मामले में साढ़े बारह हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्‍ताव है.
  • विधेयक में सड़क दुर्घटनाओं के, पहले एक घंटे के भीतर पीडि़त के लिए नकदी रहित चिकित्‍सा सुविधा भी उपलब्‍ध कराना शामिल है.


राष्‍ट्रपति ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31 जुलाई को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2019’ (The Muslim Women Protection of RIghts on Marriage Bill) को मंजूरी दे दी. इस विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्‍ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था. इस विधेयक में मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक बोलने को अपराध माना गया है.

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक संसद से पारित हो गया है और कानून बन गया है. यह कानून 21 फरवरी 2019 को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह लेगा. सरकार ने सितम्‍बर 2018 में और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक पर अध्‍यादेश जारी किया था. लोकसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक के राज्‍यसभा में लम्बित होने के कारण ये अध्‍यादेश लाने पड़े थे. यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा.

भारत से पहले विश्व के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पर प्रतिबंध है. तीन तलाक प्रतिबन्ध लगाने वाला विश्व का पहला देश मिस्र है.

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण कानून: एक दृष्टि

  • इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने की कुप्रथा अमान्य और अवैध होने के साथ संज्ञेय अपराध बन जाएगी.
  • विधेयक में तीन तलाक को दण्डनीय अपराध ठहराया गया है और अपराधी को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.
  • मौखिक, लिखित यो किसी अन्य माध्यम से कोई पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
  • तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे. इस विधेयक में ये प्रावधान भी है कि अपराधी को जमानत देने से पहले मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला की सुनवाई करेगा.
  • जिस मुस्लिम महिला को तलाक दिया जाता है, अगर वह मजिस्ट्रेट से मुकदमा वापस लेने का अनुरोध करती है और मजिस्ट्रेट उसे स्वीकृति दे देता है तो मुकदमा वापस लिया जा सकता है.
  • विधेयक के अंतर्गत पीड़ित मुस्लिम महिला स्वयं और अपने बच्चों के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है.


राज्‍यसभा ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को पारित किया

राज्‍यसभा ने 1 अगस्त को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (National Medical Commission Bill) 2019 को पारित कर दिया. लोकसभा से इसे पहले ही पारित किया जा चुका है. लेकिन राज्यसभा में कुछ संशोधनों की मंजूरी के बाद इसे फिर से लोकसभा की मंजूरी लेनी होगी. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने राज्यसभा में इस विधेयक को प्रस्तुत किया था.

यह विधेयक भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम 1956 का स्‍थान लेगा. इसका उद्देश्‍य चिकित्‍सा शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और इसे किफायती बनाना है. इस विधेयक से देश के सभी भागों में पर्याप्‍त और उच्‍च गुणवत्‍ता के चिकित्‍सक की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी.

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (NMC Bill): एक दृष्टि

  • विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा (नीट) का प्रावधान है. देश का प्रत्‍येक छात्र इस परीक्षा के माध्‍यम से एम्‍स और किसी भी अन्‍य चिकित्‍सा महाविद्यालय में जा सकता है.
  • मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए MBBS पाठ्यक्रम के अंतिम सत्र में एक संयुक्त परीक्षा नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’ का प्रस्ताव है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.
  • विधेयक में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है. इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है.
  • इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने का उल्लेख है.