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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी, जानिए क्या है NPR और NRC में अंतर

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दी है. यह मंजूरी 24 दिसम्बर को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में दी गयी. NPR के तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा. मंत्रिमंडल ने NPR के लिए 3941.35 करोड़ रुपये के बजट आवंटन मंजूर किया है.

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) क्या है?

नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (National Population Register- NPR) जनसंख्या का रजिस्टर है. यह हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही एक प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान कर उसका डेटाबेस बनाया जाता है. इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होती है.

NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होती है और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है. इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है. NPR से सरकारी योजनाओं के सही लाभार्थियों की पहचान हो पाएगी और यह भी पता चल पाएगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंच रहा है या नहीं?

16वीं जनगणना से पहले NPR तैयार किया जायेगा

भारत में अब तक 15 बार जनगणना का काम हुआ है. आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत की आठ बार जनगणना करवाई थी, फिर आजादी के बाद सात जनगणना हो चुकी है.

देश में 2021 में होने वाले 16वीं जनगणना से पहले NPR अपडेट किया जाएगा. इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी NPR को अपडेट किया गया था. असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक NPR को अपडेट करने का काम किया जाएगा.

NPR पहली बार 2004 में मंजूरी दी गयी थी

सरकार ने NPR को पहली बार 2004 में मंजूरी दी थी और 2010 की जनगणना के साथ NPR सर्वे हुआ. चूंकि जनगणना का काम हर 10 साल में होता है, इसलिए 2021 के जनगणना से पहले NPR को अपडेट किया जायेगा.

NPR और NRC में अंतर

NPR और NRC में अंतर है. NRC (National Register of Citizens) केबल भारतीय बैध नागरिकों (Citizens) के लिए है. NRC में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं. इसका मकसद देश में रह रहे अवैध लोगों (घुसपैठियों) की पहचान करना है.

NPR (National Population Register) देश के जनसंख्या का रजिस्टर है. इसमें देश में रहने वाले सभी लोगों को शामिल किया जाता है और उनकी सूची तैयार की जाती है. छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में पंजीकरण करना होता है.

असम में राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर की अं‍तिम सूची जारी की गई

असम में 31 अगस्त को राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर (NRC) की अं‍तिम सूची जारी की गई. इस सूची में 3.11 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं. 19.06 लाख लोगों के नाम सूची में शामिल नहीं किये गये हैं. इनमें वे लोग भी हैं, जिन्‍होंने नाम सूची में शामिल करने के लिए अपने दावे प्रस्‍तुत नहीं किये थे. सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्‍त तक NRC की अंतिम सूची जारी करने की अंतिम समय सीमा तय की थी.

असम की राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर (NRC) की सूची: एक दृष्टि

  • असम में राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर (NRC) को अपडेट करने का मकसद असम के वैध निवासियों की पहचान करना है और अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है.
  • असम के लोगों के लिए NRC का बड़ा महत्व है क्योंकि राज्य में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लेने और उन्हें वापस भेजने के लिए छह साल तक (1979-1985) आंदोलन चला था.
  • असम में पहली बार 1951 में NRC की सूची तैयार की गयी थी उस वक्‍त राज्‍य में 80 लाख लोग रह रहे थे.
  • राज्‍य में वैध और प्रामाणिक नागरिकों की पहचान के लिए NRC को संशोधित करने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2013 में शुरू हुई थी. इसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किया गया.
  • NRC को असम समझौते के अनुसार निर्धारित 24 मार्च 1971 की कट-ऑफ तिथि के अनुसार तैयार किया गया है. इसकी अपडेशन प्रक्रिया नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत की गई.
  • NRC आवेदन फॉर्म ग्रहण करने की प्रक्रिया मई 2015 से शुरू हुई थी और 31 अगस्त 2019 तक जारी रही.
  • अपडेट के बाद पहला NRC मसौदा 31 दिसम्‍बर, 2017 को जारी किया गया था जिसमें 3 करोड़ 29 लाख लोगों में से 1 करोड़ 9 लाख लोगों के नाम थे.
  • 30 जुलाई, 2018 को दूसरा मसौदा जारी किया गया जिसमें 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 6 सौ 77 नागरिकों के नाम शामिल थे जबकि लगभग 40 लाख 7 हजार लोगों के नाम सूची में नहीं थे.

NRC सूची में शामिल नहीं किये गये लोगों के लिए विकल्प

  • सरकार ने NRC की अंतिम सूची से बाहर रह गये लोगों को विदेशियों के लिए स्‍थापित ट्राइब्‍यूनलों (अधिकरण) में अपील और उच्‍चतर न्‍यायालयों में आवेदन करने का अवसर दिया है.
  • पहले अपील करने की समायावधि 60 दिन की थी लेकिन लोगों की सुविधा के लिए इस अवधि को बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है. जब तक अपील की अवधि है तब तक किसी भी व्‍यक्ति को विदेशी नहीं माना जायेगा.
  • राज्‍य सरकार ने उन लोगों को निशुल्‍क कानूनी सहायता उपलब्‍ध कराने के आवश्‍यक प्रबंध किए हैं जिनके नाम NRC में नहीं हैं.