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शुभांशु शुक्ला को इसरो और नासा के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना गया

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘एक्सिओम-4’ के लिए चुना गया है.

मुख्य बिन्दु

  • अगर कैप्टन शुक्ला इस मिशन के तहत अंतरिक्ष जाते हैं तो वो भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे. राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले और एकमात्र भारतीय हैं. 3 अप्रैल 1984 को उन्होंने सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष की यात्रा की थी.
  • इसरो ने 2 अगस्त को एक्सिओम-4 मिशन के लिए कैप्टन शुभांशु शुक्ला (39 साल) के साथ ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर (48 साल) का चयन किया है.
  • शुभांशु शुक्ला प्राथमिक (प्राइम) अंतरिक्ष यात्री होंगे जबकि नायर को बैकअप के लिए चुना गया है. यानि शुभांशु अगर किसी वजह से इस मिशन पर नहीं जा पाए तो बालाकृष्णन नायर उनकी जगह लेंगे.
  • ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जाएंगे. यह अमेरिका की एक निजी स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस का चौथा मिशन होगा.
  • यह मिशन स्पेसएक्स रॉकेट के ज़रिये लॉन्च होगा. नासा ने एक्सिओम-4 मिशन के लिए कोई तारीख निर्धारित नहीं की है.
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने वाले इस अंतरिक्ष यान में ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ पौलेंड, हंगरी और अमेरिका के भी अंतरिक्ष यात्री होंगे.
  • साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस मिशन पर सहमति बनी थी.

गगनयान मिशन

  • शुभांशु शुक्ला और बालाकृष्णन नायर इसरो के ‘गगनयान’ मिशन में भी शामिल हैं. गगनयान मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों का चयन किया गया है. गगनयान मिशन में अन्य दो पायलट अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप हैं.
  • गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा जिसके तीन दिन बाद उन्हें वापस आना होगा.
  • वर्तमान में, केवल तीन देश- रूस, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने की क्षमता है.

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)

  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) एक प्रकार का अंतरिक्ष यान है जो अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा करता है और जहां अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रह सकते हैं.
  • अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का उपयोग विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाता है. यह पृथ्वी से लगभग 400 किमी ऊपर है.
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को 1998 में लॉन्च किया गया था. यह यूरोप, अमेरिका, रूस, कनाडा और जापान की एक संयुक्त परियोजना है.

गगनयान मिशन में मानव से पहले रोबोट ‘व्‍योम मित्र’ को अन्तरिक्ष भेजा जायेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) गगनयान मिशन के अंतर्गत मानव को अन्तरिक्ष भेजने से पहले दो मानवरहित मिशनों का प्रक्षेपण करेगा. मानवरहित मिशन में ISRO ने अंतरिक्ष की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए ह्यूमैनोयड मॉडल (मानव की तरह दिखने वाला रोबोट) भेजने की योजना बनाई है. इस ह्यूमनॉयड रोबोट को इसरो ने ‘व्योम मित्र’ नाम दिया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने कहा कि दिसंबर 2021 में भारत के प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्षयान ‘गगनयान’ के प्रक्षेपण के मद्देनजर इसरो दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशनों का प्रक्षेपण करेगा. व्योम मित्र उसी का हिस्सा है.

गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा होगा

गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा किया जायेगा. दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन और उसके बाद दिसंबर 2021 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान. व्योम मित्र, वैज्ञानिक की तरह हर हलचल पर नज़र रखेगी. यह एक इंसान की तरह काम करेगा और वहां की जानकारियां उपलब्ध कराएगा.

गगनयान मिशन का उद्देश्य

गगनयान मिशन के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य है. इस मिशन का उद्देश्य न केवल अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना है, बल्कि ‘निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति’ के लिए नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है. गगनयान इसरो के ‘अंतर-ग्रहीय मिशन’ के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी मदद करेगा. अंतर-ग्रहीय मिशन दीर्घकालिक एजेंडे में शामिल है.

फ्रांस में दो हफ्ते का प्रशिक्षण

गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है. ये अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायुसेना के हैं. इन चुने गए अंतरिक्षयात्रियों की सेहत की निगरानी के लिए फ्रांस, भारतीय फ्लाइट सर्जनों को प्रशिक्षण देगा. दो हफ्ते का यह प्रशिक्षण गगनयान अभियान का अहम पहलू है.

मानव अंतरिक्ष उड़ान पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्‍ठी आयोजित की गयी

मानव अंतरिक्ष उड़ान और अन्‍वेषण, वर्तमान चुनौतियां और भावी रूझान विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्‍ठी बेंगलूरू में 22-24 जनवरी को आयोजित किया गया. भारतीय अं‍तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने संयुक्‍त रूप से इसका आयोजन किया था. 2022 तक भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के मद्देनजर यह संगोष्‍ठी महत्त्वपूर्ण है.

ISRO मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कर्णाटक के चल्लकेरे में केंद्र स्थापित करेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मानव मिशन के लिए कर्णाटक के चल्लकेरे (चित्रदुर्गा) में विश्वस्तरीय “मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र” (HSFC) स्थापित करेगा. इस केंद्र में अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण से लेकर मानव मिशन से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित होंगी. ISRO ने इस केंद्र के विकास के लिए 2700 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार किया है.

यह नया केंद्र योजना के मुताबिक अगले तीन साल में तैयार होगा. इसके तैयार हो जाने के बाद मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (HSP) से जुड़ी तमाम गतिविधियां चल्लकेरे स्थित केंद्र में स्थानांतरित हो जाएंगी.

ISRO के मौजूदा मानव मिशन “गगनयान” मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए रूस भेजा जा रहा है लेकिन भविष्य में यहां ऐसी सुविधाएं होंगी कि विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दरअसल, विदेशों से सहायता के लिए भारत को भारी-भरकम राशि का भुगतान करना पड़ता है.

क्या है गगनयान मिशन?

गगनयान मिशन के तहत वर्ष 2022 तक तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जा चुका है जिन्हें जनवरी के तीसरे सप्ताह में प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा. हालांकि, चल्लकेरे केंद्र के तैयार होने में अभी कम से कम तीन साल का समय लगेगा और संभवत: यह केंद्र पहले मानव मिशन के बाद ही अस्तित्व में आ पायेगा.

चल्लकेरे साइंस सिटी: एक दृष्टि

चल्लकेरे साइंस सिटी के उपनाम से मशहूर है. यहां रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) और इसरो के केंद्र हैं जो लगभग 10 हजार एकड़ क्षेत्र में फैले हैं.