Tag Archive for: Defence

DRDO ने सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘VL-SRSAM’ के दो परीक्षण किए

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 22 फरवरी को सतह-से-हवा में कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल (VL-SRSAM) के दो सफल परीक्षण किए. ये परीक्षण ओडिसा तट के पास चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किये गये.

DRDO ने इसे विशेष तौर पर नौसेना के लिए देश में ही डिजाइन और विकसित किया है. यह मिसाइल समुद्र में नजदीकी लक्ष्य सहित विभिन्न हवाई हमलों के खतरे से निपटने में सक्षम है. परीक्षण में मिसाइलों ने अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्यों को भेद दिया. मिसाइलों को हथियार नियंत्रण प्रणाली के साथ तैनात किया गया था.

अत्याधुनिक अर्जुन टैंक को सेना में शामिल किया गया

स्वदेश विकसित अत्याधुनिक अर्जुन टैंक (MK-1A) को सेना में शामिल कर लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को चेन्‍नई में इस टैंक को सेना को सौंपा. नए अर्जुन टैंक पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाएगा.

  • अर्जुन युद्धक टैंक को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के CVRDE (Combat vehicle research and development establishment) ने देश में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया है.
  • यह स्वदेशी गोला-बारूद का भी उपयोग करता है. यह किसी भी इलाके में दिन और रात के समय लक्ष्य को सटीकता से भेद सकता है.

सतह-से-हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

भारत ने हाल ही में नई पीडी की Akash-NG मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण चांदीपुर परीक्षण परिसर LC-3 से किया गया था.

आकाश मिसाइल: एक दृष्टि

  • आकाश, स्वदेश में निर्मित मध्यम दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसे को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है. यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है.
  • इसको एंटी मिसाइल के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है. इसमें लड़ाकू जेट विमान क्रूज़ मिसाइलों और हवा-से-सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है.
  • आकाश 30 किलोमीटर की एक अवरोधक सीमा के साथ सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है. इसका वजन 720 किलोग्राम व्यास 35 सेंटीमीटर और लंबाई 5.78 मीटर है.
  • आकाश सुपर सोनिक गति पर 2.5 मैक के आसपास पहुंचती है यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकती है. इस मिसाइल को चरण बद्घ सारिणी फायर कंट्रोल रडार द्वारा निर्देशित किया जाता है, जिसे राजेंद्र कहा जाता है. यह बैटरी स्तर रडार (BLR) के रूप में लगभग 7 किलोमीटर तक के टारगेट की ट्रैकिंग कर सकता है.
  • आकाश मिसाइल का पहला परीक्षण 1990 में किया गया था. पिछले दिनों आकाश मिसाइल की खरीद में दक्षिण एशिया के नौ देशों एवं अफ्रीकी मित्र देशों ने रुचि दिखाई.

DRDO ने स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 21 जनवरी को स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर हॉक-1 विमान से किया गया. यह इस तरह का नौंवा सफल परीक्षण था. भारत ने SAAW का सफल परीक्षण कर एक और उपलब्धि हासिल की है.

स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन: मुख्य बिंदु

  • स्‍वदेशी स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वैपन (SAAW) का परीक्षण हॉक-1 विमान से किया गया. हॉक-1 का विकास हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने किया है. SAAW को पहले जगुआर विमान में लगाया गया था.
  • SAAW एक निर्देशित बम (गाइडेड बम) है. इसको DRDO के अनुसंधान केन्‍द्र RCI हैदराबाद ने विकसित किया है. इसका वजन 125 किलो हैं. इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.
  • 125 किलोग्राम वर्ग वाला यह स्‍मार्ट वैपन 100 किलोमीटर की रेंज में रडार और बंकर जैसे ठिकानों को मार सकता है.

DRDO ने पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल बनाई

भारत ने अपनी पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल विकसित की है. यह 9 मिमी मशीन पिस्टल (9 mm Machine Pistol) है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भारतीय सेना और इन्फैंट्री स्कूल महू (MHOW) ने मिलकर बनाया है. इस 9 मिमी मशीन पिस्टल का नाम अस्मि (Asmi) रखा गया है. यानी गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत.

9 मिमी मशीन पिस्टल: एक दृष्टि

  • आर्मी के ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसोड़ (Lt Col Prasad Bansod) ने इस पिस्टल को बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है.
  • इस पिस्टल की डिजाइनिंग DRDO के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (ARDE) और आर्मी इन्फैंट्री स्कूल, महू ने मिलकर की है.
  • इसे बनाने में DRDO को सिर्फ 4 महीने लगे हैं. इसके दो वैरिएंट हैं. पहला एक किलोग्राम वजन का दूसरा 1.80 किलोग्राम वजन का.
  • इस पिस्टल का ऊपरी हिस्सा एयरक्राफ्ट ग्रेड के एल्यूमिनियम से बना है, जबकि निचला हिस्सा कार्बन फाइबर से बनाया गया है.
  • इस पिस्टल को बनाने के लिए थ्रीडी प्रिटिंग डिजाइनिंग की भी मदद ली गई थी. एक पिस्टल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपए से कम है.
  • 100 मीटर की रेंज तक यह पिस्टल सटीक निशाना लगा सकती है. इसकी मैगजीन में स्टील की लाइनिंग लगी है यानी यह गन में अटकेगी नहीं. इसकी मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं.
  • इस पिस्टल का उपयोग क्लोज कॉम्बैट, वीआईपी सिक्योरिटी और आतंकरोधी मिशन में किया जा सकता है.

भारतीय नौसेना का तट रक्षक अभ्‍यास सी-विजिल-21 आयोजित किया गया

भारतीय नौसेना ने 12-13 जनवरी को तट रक्षक अभ्‍यास ‘सी-विजिल-21’ (Sea Vigil-21) आयोजित किया था. इसका उद्देश्य समुद्र के तटवर्ती इलाकों में चौकसी करना है. इससे पहले जनवरी 2019 में यह अभ्‍यास आयोजित किया गया था.

सी-विजिल-21: मुख्य बिंदु

  • इस अभ्‍यास में समुद्री तट की 7516 किलोमीटर सीमा को कवर किया गया. अभ्यास में देश का विशेष आर्थिक क्षेत्र भी शामिल था. इसमें अन्य समुद्री हितधारकों के साथ वह सभी 13 तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे जिनकी सीमाएं समुद्र के साथ लगी हैं.
  • इसमें शांतिकाल के साथ-साथ युद्ध के समय की जरूरतों को ध्‍यान में रखकर अभ्‍यास किया गया. इसके अलावा तटवर्ती इलाकों में सुरक्षा का उल्‍लंघन होने पर किये जाने वाले उपायों का भी अभ्‍यास किया गया.
  • इस अभ्‍यास में तटवर्ती इलाकों की सुरक्षा से संबंधित समूची प्रणाली के साथ-साथ भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के 110 से अधिक पोतों ने हिस्‍सा लिया.
  • समुद्री पुलिस और सीमाशुल्‍क विभाग को भी सुरक्षा अभ्‍यास में भागीदार बनाया गया था. अभ्‍यास के दौरान भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के विमानों और हेलीकॉप्‍टरों को भी तटवर्ती इलाकों में टोह लेने का अभ्‍यास कराया गया.

वायुसेना के लिए 83 तेजस लड़ाकू विमानों के रक्षा सौदे को मंजूरी

सरकार ने घरेलू रक्षा खरीद के तहत हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 83 तेजस विमान खरीदने को मंजूरी प्रदान की है. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 13 जनवरी को हुई सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति (CCS) की बैठक में दी गयी. इन विमानों की लागत करीब 48,000 करोड़ रुपए है. इस सौदे के तहत 73 हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK-1A और 10 तेजस MK-1 प्रशिक्षण विमान शामिल हैं.

तेजस लड़ाकू विमान: एक दृष्टि

  • तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. इसका डिजाइन एवं विकास स्वदेशी स्तर पर किया गया है. इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है.
  • तेजस की विशेषता यह है कि, कम ऊंचाई पर उड़कर यह दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है. यह दुश्मन के रडार की पकड़ से बचने में सक्षम है.
  • तेजस हवा-से-हवा में और हवा-से-सतह पर मिसाइल दागने में सक्षम है. इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं. आधुनिक रडार और मिसाइल जैमर से भी इस लड़ाकू विमान को लैस किया गया है.
  • डर्बी और अस्त्र मिसाइल से भी ‘तेजस’ लैस हो सकता है. इतना ही नहीं, ‘तेजस’ लड़ाकू विमान के जरिए लेजर गाइडेड बम से दुश्मनों पर हमला किया जा सकता है.
  • ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान ‘तेजस’ 2222 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भरने में सक्षम है.
  • ‘तेजस’ एक बार में 3850 किमी की दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम है. सभी तरह के हथियारों से लैस ‘तेजस’ का कुल वजन करीब 13,500 किलोग्राम, लंबाई 13.2 मीटर और ऊँचाई 4.4 मीटर है.

भारत ने हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी का पहला सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने नौसेना के साथ मिलकर हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी (SAHAYAK-NG) का पहला सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण गोवा के तट से किया गया. परीक्षण में इस कंटेनर को IL-38SD विमान से गिराया गया.

सहायक-एनजी क्या है?

सहायक-एनजी भारत का पहला स्वदेशी कंटेनर है. यह GPS से लैस है और 50 किलो भार के साथ विमान से गिराया जा सकता है. इसके माध्यम से दूर तैनात जहाजों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकती है. DRDO और निजी कंपनी एवांटेल की दो प्रयोगशालाओं में इसका विकास हुआ है. हवा से गिराया जाने वाला सहायक-एनजी कंटेनर सहायक MKI का एडवांस वर्जन है.

भारत ने नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागिर’ को जलावतरित किया

भारत ने हाल ही में भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागिर (Vagir) को जलावतरित किया.

इस पनडुब्बी का नाम ‘वागिर’ हिंंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली के नाम पर रखा गया है. पहली वागिर पनडुब्बी रूस से आई थी. उसे 3 दिसंबर 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था और 7 जून 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया था.

वागिर पनडुब्बी: एक दृष्टि

वागिर स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से पांचवीं पनडुब्बी है, जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है. इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है. अन्य तीन पनडुब्बियां खंडेरी, करंज व वेला हैं, जबकि छठी वागशीर को भी जल्द लांच किया जाएगा.

इस श्रेणी की पनडुब्बियों को फ्रांसीसी नौसेना एवं ऊर्जा कंपनी DCNS ने डिजाइन किया है. इनका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किया जा रहा है.

यह पनडुब्बी सतह व पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में सक्षम है. यह दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे सकती है.

भारत ने पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफल परीक्षण किया

भारत ने 4 नवम्बर को पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण (पिनाका MK-II) का सफल परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर से किया.

पिनाका रॉकेट प्रणाली: एक दृष्टि

पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण मौजूदा पिनाका MK-I का स्थान लेंगे. यह रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उसपर निशाना साधता है.

पिनाका MK-I रॉकेट की मारक क्षमता करीब 37 किलोमीटर जबकि पिनाका MK-II की सीमा 60 किमी है.
इसका डिजाइन और विकास DRDO प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (ARDI) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) ने किया है.

भारत ने नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया

भारत ने 22 अक्टूबर को नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Nag Anti-Tank Guided Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया.

नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इस मिसाइल का नवीनतम संस्करण बड़े टैंक्स को भी किसी भी मौसम में निशाना बना सकती है. इसकी मारक क्षमता 20 किमी तक की है.

इस मिसाइल में इंफ्रारेड का उपयोग कर लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक किया जाता है. इसके बाद नाग अचानक ऊपर उठती है और फिर तेजी से टारगेट के एंगल पर मुड़कर उसकी ओर चल देती है.

इससे पहले भी नाग मिसाइल के कई परीक्षण किये जा चुके हैं. हर बात कुछ नया इसमें जोड़ा जाता रहा है. साल 2017, 2018 और 2019 में अलग-अलग तरीके की नाग मिसाइलों का परीक्षण हो चुका है.

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक ‘SANT’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण 19 अक्टूबर को ओडिशा तट की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया. यह मिसाइल विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने किया है.

SANT एंटी-टैंक मिसाइल, हेलीकॉप्टर लॉन्चेड नाग (HeliNa) का उन्नत संस्करण है. यह वायु-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है.

भारत द्वारा किये गये हाल के परीक्षण

  • 18 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नौसेना संस्करण का परीक्षण स्वदेश निर्मित INS चेन्नई से किया गया.
  • 16 अक्टूबर को ओडिशा तट स्थित परीक्षण रेंज से परमाणु-सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का रात में परीक्षण सफलतापूर्वक किया. द्रव्य ईंधन द्वारा चालित पृथ्वी-2 की रेंज 250 किलोमीटर है. सतह से सतह पर मार करने वाली यह भारत की पहली स्वदेशी रणनीतिक मिसाइल है.
  • 10 अक्टूबर को भारत ने अपनी पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया. यह जमीन पर दुश्मन के राडार का पता लगा सकती है.
  • 5 अक्टूबर को स्वदेशी SMART टारपीडो प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह टारपीडो रेंज से परे एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) के संचालन के लिए आवश्यक है.
  • 3 अक्टूबर को भारत ने ओडिशा तट से परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल के नए संस्करण का सफल परीक्षण किया.
  • 1 अक्टूबर को लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक MBT अर्जुन टैंक से दागी गई.
  • 30 सितंबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज का परीक्षण किया गया.
  • 22 सितंबर को ABHYAS – हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) व्हीकल्सः का ओडिशा के तट से परीक्षण किया गया.
  • 7 सितंबर को स्वदेशी रूप से विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण ओडिशा के तट से किया गया.