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तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के बीच लंबित मु्द्दों के समाधान के लिए समितियों का गठन

तेलंगाना और आंध्रप्रदेश ने विभाजन के बाद से लंबित मु्द्दों के समाधान के लिए उच्‍च स्‍तरीय समितियों के गठन का निर्णय लिया है.

मुख्य बिन्दु

  • तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और आंध्रप्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन. चन्‍द्रबाबू नायडू ने लंबित मुद्दों को लेकर 6 जुलाई को हैदराबाद में बैठक की थी.
  • बैठक में, आंध्रप्रदेश के पुनर्गठन और तेलंगाना के गठन से जुडे सभी लंबित मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा की गई.
  • तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री के. रेवंत रेड्डी और आंध्रप्रदेश के मुख्‍यमंत्री एन. चन्‍द्रबाबू नायडू ने दोनों राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों और तीन अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों के नेतृत्‍व में एक समिति के गठन का निर्णय लिया.
  • यह समिति विभिन्‍न संस्‍थानों की परिसंपत्तियों के बंटवारे सहित सभी लंबित मुद्दों को देखेगी. यदि समिति किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाती है, तो उस मामले को मंत्रियों की समिति के पास भेजा जाएगा.
  • मंत्रियों की समिति में भी मामले का निपटारा न हो पाने की स्थिति में, उस विषय को दोनों मुख्‍यमंत्रियों के पास भेजा जाएगा.
  • दोनों राज्‍यों में मादक पदार्थों के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक स्‍तर के अधिकारियों की समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया है.

‘हैदराबाद’ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी नहीं रहा

हैदराबाद, 2 जून 2024 से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी नहीं रह गया है. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अनुसार, 2 जून 2024 से हैदराबाद केवल तेलंगाना की राजधानी होगा.

मुख्य बिन्दु

  • वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय हैदराबाद को 10 वर्षों के लिए दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनाया गया था. तेलंगाना 2 जून, 2014 को अस्तित्व में आया था.
  • फरवरी 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित होने के बाद 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था. तेलंगाना राज्य के गठन की मांग दशकों से की जा रही थी.
  • अब तक आंध्र प्रदेश की अपनी कोई राजधानी नहीं बन पाई है. आंध्र प्रदेश में अमरावती और विशाखापत्तनम के बीच लड़ाई है. दोनों शहरों में राजधानी वहां बनाए जाने को लेकर आंदोलन चल रहे हैं.
  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के पारित होने के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश राज्य के लिए नई राजधानी के विकल्पों का अध्ययन करने के लिए के.सी.शिवरामकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी. समिति ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाने का सुझाव दिया था.
  • आंध्र के मौजूदा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने विशाखापत्तनम को प्रशासनिक राजधानी होगी, अमरावती को विधानमंडल की सीट और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाए जाने की बात कही थी.

कृष्णा-गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित किया गया

केंद्र सरकार ने कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB) और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (GRMB) के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित कर दिया है. यह अधिसूचना आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है. जल शक्ति मंत्रालय ने 16 जुलाई को यह जानकारी दी.

इस अधिसूचना में गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड को इन दोनों नदियों पर सूचीबद्ध परियोजनाओं के क्रियान्वयन, नियमन, संचालन और रखरखाव के लिए शक्तियां दी गयी हैं. केंद्र सरकार ने 2 जून 2014 को गोदावरी और कृष्णा नदियों पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन, नियमन, रखरखाव और संचालन के लिए दो नदी बोर्ड का गठन किया था.

अधिसूचना का महत्व

इस अधिसूचना से दोनों राज्यों के बीच क्षेत्र में जल प्रबंधन को लेकर होने वाले टकराव के घटने की उम्मीद है. दो बोर्डों के अधिकार क्षेत्र अधिसूचित करने का फैसला नदी बोर्ड को APRA (आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम) 2014 में दी गई जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने में सक्षम बनाएगा तथा दोनों राज्यों के बीच जल संसधान के विषयों का समाधान करेगा.

आंध्रप्रदेश में ‘जगन्ना वासथी दीवेना’ योजना की शुरुआत की गयी

आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने ‘जगन्ना वासथी दीवेना’ (Jagananna Vasthi Deevena) योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत माध्यमिक शिक्षा के बाद विभिन्न पाठ्यक्रम के दौरान छात्रों को छात्रावास और भोजनालय खर्च के लिए वित्तीय मदद देने का प्रावधान है. इस योजना पर 2300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

मुख्यमंत्री ने 24 फरवरी को उत्तर तटीय आंध्र के विजयनगरम जिले से इस योजना की शुरुआत की. इस योजना से ITI, पॉलिटेक्निक, स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा लेने वाले 11,87,904 छात्रों को लाभ मिलेगा.

योजना के तहत प्रत्येक वर्ष फरवरी और जुलाई में दो किस्तों में लाभार्थी छात्रों की माताओं के बैंक खाते में राशि जमा किए जाएंगे. इसके तहत हर ITI छात्र को दस हजार रुपये, पॉलिटेक्निक के छात्रों को 15 हजार रुपये जबकि स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्रों को 20 हजार रुपये दिए जाएंगे.

आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य के विधान परिषद को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया

आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने विधानसभा में विधान परिषद को भंग करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. इसके बाद विधानसभा आगे की प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी. प्रस्ताव के पारित होने के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया है.
आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ताम्मिनेई सीताराम ने राज्यों में विधान परिषदों के गठन या निरस्तीकरण से संबंधित अनुच्छेद 169(1) के तहत प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार किया.

विधान परिषद भंग करने के उदेश्य

जगनमोहन रेड्डी की सरकार हाल ही में राज्य के उच्च सदन (विधान परिषद) में राज्य में तीन राजधानियों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों (आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और समावेशी विकास और एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी विधेयक) को पारित करवाने में विफल रही थी. इसी के बाद यह कदम उठाया गया है.

आंध्र प्रदेश की 58 सदस्यीय विधान परिषद में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल YSR कांग्रेस 9 सदस्यों के साथ अल्पमत में है. इसमें विपक्षी तेलगु देशम पार्टी के 28 सदस्य हैं. सत्तारुढ़ दल सदन में वर्ष 2021 में ही बहुमत प्राप्त कर पाएगा जब विपक्षी सदस्यों का छह साल का कार्यकाल खत्म हो जाएगा.

विधान परिषद (State Legislative Council): एक दृष्टि

भारत के छः राज्यों में विधान परिषद, विधानमंडल का अंग है. यानी इन राज्यों में विधानसभा निचला सदन और विधानपरिषद उच्च सदन के रूप में गठित है. राज्यसभा की तरह विधान परिषद के सदस्य सीधे मतदाताओं द्वारा निर्वाचित नहीं होते. इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 171 किसी राज्य में विधानसभा के अलावा एक विधान परिषद के गठन का विकल्प प्रदान करता है. संविधान का अनुच्छेद 169 राज्य में विधान परिषद को समाप्त करने की शक्ति प्रदान की गयी है.

विधान परिषद सदस्य (MLC) का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जहां प्रत्येक दो वर्ष की अवधि पर इसके एक-तिहाई सदस्य कार्यनिवृत्त हो जाते हैं.

छह राज्यों में विधान परिषद का अस्तित्व

वर्तमान में छह राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन किया गया हैं. जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने से पहले यहाँ भी विधान परिषद अस्तित्व में था.

विधानपरिषद सदस्यों का चुनाव प्रक्रिया

  • विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक तिहाई निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्य शामिल हैं, द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक बटा बारह (1/12) सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम-से-कम तीन वर्षों तक राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थाओं में अध्यापन में लगे रहे हों.
  • एक बटा बारह सदस्यों का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं.
  • शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं.

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने ‘आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक, 2019’ पारित किया

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने 13 दिसम्बर को ‘आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक, 2019’ (आंध्र प्रदेश आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2019) पारित किया. इस कानून के तहत दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को 21 दिनों के अंदर ट्रायल पूरा कर मौत की सजा देने का प्रावधान है. मौजूदा समयसीमा को मौजूदा चार महीना है.

इस कानून के अनुसार ऐसे मामलों में जहां संज्ञान लेने लायक साक्ष्य उपलब्ध हों, उसकी जांच सात दिनों में और ट्रायल को 14 कार्यदिवसों में पूरा करना होगा. इस कानून में भारतीय दंड संहिता की धारा 354(e) और 354(f) को भी रखा गया है. 354 (f) धारा में बाल यौन शोषण के दोषियों के लिए 10 से 14 साल तक की सजा का प्रावधान है.

न्यायमूर्ति पी लक्ष्मण रेड्डी को आंध्र प्रदेश के पहले लोकायुक्त के रूप में शपथ दिलायी गयी

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी लक्ष्मण रेड्डी को 16 सितम्बर को राज्य के पहले लोकायुक्त के रूप में शपथ दिलायी गयी. राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने विजयवाड़ा में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रेड्डी को पद की शपथ दिलायी. रेड्डी का बतौर लोकायुक्त पांच साल का कार्यकाल होगा.