Tag Archive for: Africa

नाइजर, ऑन्कोसेरसियासिस बीमारी को खत्म करने वाला पहला अफ्रीकी देश बना

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नाइजर को ऑन्कोसेरसियासिस (Onchocerciasis) बीमारी से मुक्त घोषित कर दिया है.
  • नाइजर, ऑन्कोसेरसियासिस को ख़त्म करने वाला दुनिया का पांचवां और अफ्रीका का पहला देश बन गया.
  • इससे पहले कोलंबिया, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला और मैक्सिको में इस बीमारी को खत्म किया जा चुका है.

ऑन्कोसेरसियासिस क्या है?

  • ऑन्कोसेरसियासिस एक बीमारी है जो गर्म जगहों पर पाए जाने वाले परजीवी से होती है, जो त्वचा और आंखों पर असर करती है.
  • ऑन्कोसेरसियासिस को आमतौर पर रिवर ब्लाइंडनेस के नाम से जाना जाता है. यह ट्रेकोमा के बाद दुनिया भर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा संक्रामक कारण है.
  • यह बीमारी, संक्रमण फैलाने वाली काली मक्खियों के बार-बार काटने से होती है. यह Onchocerca volvulus नामक परजीवी कृमि से होता है.

पूर्व फुटबॉलर मिखाइल कवेलशविली ने जॉर्जिया के राष्ट्रपति पद की शपथ ली

  • जॉर्जिया में 29 दिसम्बर 2024 को सत्तारूढ़ जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के नेता मिखाइल कवेलशविली (Mikheil Kavelashvili) ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने निवर्तमान राष्ट्रपति सैलोम जुराबिश्विली का स्थान लिया है.
  • इससे पहले 14 दिसंबर शनिवार को जॉर्जियन ड्रीम पार्टी ने मिखाइल कवेलशविली को सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था.
  • जॉर्जिया में अक्तूबर में हुए चुनावों को विपक्षी समूहों की तरफ से उनके चुनाव को अवैध घोषित किया गया था. जॉर्जिया में तमाम विपक्षी दलों का आरोप है कि रूस की मदद से चुनाव में धांधली हुई थी.

कौन हैं मिखाइल कवेलशविली?

  • मिखाइल कावेलशविली 1990 के दौर में फुटबॉल खिलाड़ी रहे हैं. वे मैनचेस्टर सिटी के लिए प्रीमियर लीग और स्विस सुपर लीग के कई क्लबों में स्ट्राइकर थे.
  • उन्होंने 2022 में ही जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के दो सांसदों के साथ मिलकर पीपुल्स पावर नाम का समूह शुरू किया था. यह समूह अपने पश्चिम विरोधी एजेंडे के लिए काफी चर्चित रहा है.

19वां सीआईआई भारत-अफ्रीका व्यापार सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित

19वां सीआईआई भारत अफ्रीका व्यापार सम्मेलन (19th CII India Africa Business Conclave) 20-22 अगस्त 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था. सम्मेलन में भारत और अफ्रीका के कई वरिष्ठ मंत्री, नीति निर्माता और व्यापारिक नेताओं ने भाग लिया. इस सम्मेलन का विषय था – एक भविष्य का निर्माण.

19वां सीआईआई भारत-अफ्रीका व्यापार सम्मेलन: मुख्य बिन्दु

  • 19वें सीआईआई इंडिया अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव में 65 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
  • सम्मेलन में  बुरुंडी के उपराष्ट्रपति, प्रोस्पर बाज़ोम्बन्ज़ा; गाम्बिया के उपराष्ट्रपति मुहम्मद बीएस जलो; लाइबेरिया के उपराष्ट्रपति, जेरेमिया केपान कोंग; मॉरीशस के उपराष्ट्रपति,. मैरी सिरिल एडी बोइसेज़ोन और ज़िम्बाब्वे के उपराष्ट्रपति, डॉ. सी.जी.डी.एन. चिवेंगा ने भाग लिया.
  • इस व्यापार सम्मेलन में क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्य श्रृंखला एकीकरण में भारत-अफ्रीका साझेदारी की भूमिका के बारे में चर्चा हुई.
  • भारत-अफ्रीका साझेदारी के कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा, हेल्थकेयर फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल साझेदारी, बिजली और ऊर्जा, वित्तीय साझेदारी, बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र, कौशल क्षमता विकास और अन्य क्षेत्रों में उभरते अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

सीआईआई भारत अफ्रीका व्यापार सम्मेलन

  • सीआईआई भारत अफ्रीका व्यापार सम्मेलन विदेश मंत्रालय, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की एक संयुक्त पहल है. इस सम्मेलन का पहला संस्करण 2005 में आयोजित किया गया था.
  • सीआईआई भारत अफ्रीका व्यापार सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ाना, अफ्रीका में चिन्हित क्षेत्रों में भारतीय निवेश को प्रोत्साहित करना है.

भारत-अफ़्रीका व्यापारिक संबंध

भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. 2022-23 में भारत और अफ़िका के बीच कुल व्यापार 98 बिलियन डॉलर था. अफ्रीका में अभी तक भारत का कुल निवेश लगभग 73.9 बिलियन डॉलर है. भारत का व्यापार मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, टोगो और मोज़ाम्बिक जैसे अफ्रीकी देशों के साथ है.

सिरिल रामफोसा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति पुनः निर्वाचित

सिरिल रामफोसा दक्षिण अफ्रीका के पुनः राष्ट्रपति चुने गए हैं. दक्षिण अफ्रीकी संसद ने 14 जून 2024 को 7वीं संसद की नेशनल असेंबली की पहली बैठक में सिरिल रामफोसा को राष्ट्रपति चुना.

मुख्य बिन्दु

  • अफ्रीका में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में 30 साल से सत्तारुड  अफ्रीकी कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला था. रामफोसा अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.
  • राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए मुख्य विपक्षी दल और अन्य दलों के अफ्रीकी कांग्रेस की व्यापक सहमति बनी है.
  • अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद मदुमसेनी एनटुली ने राष्ट्रपति पद के लिए रामफोसा के नाम का प्रस्ताव रखा और मुख्य न्यायाधीश रेमंड जोंडो की अध्यक्षता में हुई प्रक्रिया के दौरान इंकाथा फ्रीडम पार्टी के नेता और सांसद वेलेंकोसिनी हलाबिसा ने समर्थन किया.
  • 1994 में दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले लोकतांत्रिक चुनाव के बाद से अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस प्रमुख राजनीतिक ताकत रही है.
  • रामफोसा ने पहली बार 15 फरवरी 2018 और इसके बाद 22 मई 2019 को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति को पाँच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है.

पापुआ न्‍यू गिनी में विनाशकारी भू-स्‍खलन, भारत द्वारा 1 मिलियन डॉलर की सहायता

पापुआ न्‍यू गिनी के एंगा प्रांत में 24 मई को एक विनाशकारी भू-स्‍खलन हुआ था. इस भू-स्‍खलन में सैकड़ों लोग दब गए और जानमाल को काफी नुकसान हुआ था. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) के अनुसार अभी भी 2000 से अधिक लोगों के मिट्टी के नीचे फंसे होने की आशंका है.

मुख्य बिन्दु

  • भारत ने पापुआ न्यू गिनी में राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के प्रयासों को समर्थन देने के लिए एक मिलियन अमरीकी डॉलर की सहायता राशि देने की घोषणा की है.
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) का एक मुख्य स्तंभ है. इसकी घोषणा नवंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने की थी.
  • पैसिफ़िक रिंग ऑफ़ फायर पर स्थित होने के कारण पापुआ न्यू गिनी में भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट का खतरा बना रहता है.

पापुआ न्यू गिनी: एक दृष्टि

  • पापुआ न्यू गिनी दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप देश है. यह ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रशासित था और 1975 में स्वतंत्र हो गया. ब्रिटिश सम्राट, पापुआ न्यू गिनी का प्रमुख होता है. जेम्स मारापे यहाँ के वर्तमान प्रधान मंत्री हैं. पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोर्स्ले और मुद्रा किना है.
  • पापुआ न्यू गिनी दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जिसकी आबादी लगभग 1 करोड़ है. खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, यह देश विकास के मामले में अपने पड़ोसी देशों से काफी पीछे है.

भारत ने 16 देशों में सैन्य प्रतिनिधि ‘सैन्य अताशे’ की नियुक्ति की

भारत सरकार ने 16 देशों में सैन्य प्रतिनिधियों ‘सैन्य अताशे’ (military attache) की नियुक्ति की है. ये वो देश है जहां भारत हथियारों निर्यात करता है या जहां निर्यात किए जाने की संभावनाएं हैं. इन देशों में पोलैंड आर्मेनिया जिबूती पोलैंड तंजानिया मोजाम्बिक इथियोपिया और फिलीपींस आदि शामिल हैं.

मुख्य बिन्दु

  • सैन्य अताशे एक उच्च-रैंकिंग सैन्य अधिकारी होते हैं जो दूतावासों में राजदूत के मातहत काम करते हैं. यह दोनों देशों के द्विपक्षीय सैन्य और रक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
  • सैन्य अताशे इन देशों के साथ न सिर्फ भारत का सैन्य तालमेल बढ़ाने में मदद करेंगे बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव से भी निपटने में मदद करेंगे.
  • भारत ने अप्रैल 2024 में अफ्रीका के कई देशों, पोलैंड, आर्मेनिया और फिलीपींस सहित करीब 16 देशों में पहली बार अपने डिफेंस अताशे (सैन्य प्रतिनिधि) की नियुक्ति की है. जबकि कुछ ही दिनों पहले भारत ने रूस, यूके समेत कुछ देशों से डिफेंस अताशे की संख्या में कमी की थी.
  • पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में 21,083 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड रक्षा निर्यात होने से भारत सरकार इस सेक्टर को लेकर उत्साहित है.
  • 2023-24 में देश से रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये (2.63 अरब डॉलर) तक पहुंच गया. छह साल पहले इसका आकार 5 हजार करोड़ रुपए से भी कम था. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2025 तक 5 अरब डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है.
  • भारत सरकार की योजना इन देशों के साथ अपने रणनीतिक संबंध मजबूत करने और हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने की है. इन देशों में डिफेंस अताशे की मौजूदगी से हमें अपना डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
  • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, म्यांमार भारतीय हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है, जिसका भारत के निर्यात में 31 फीसदी हिस्सा है. श्रीलंका (19%) दूसरे स्थान पर है. मॉरीशस, नेपाल, आर्मेनिया, वियतनाम और मालदीव अन्य प्रमुख आयातक हैं.
  • जहाज भारत से सबसे अधिक निर्यात होने वाली रक्षा सामग्री है, जिसकी देश के कुल रक्षा निर्यात में करीब 61% हिस्सेदारी है. इसके बाद विमान, सेंसर, बख्तरबंद, तटीय निगरानी प्रणाली, कवच एमओडी लॉन्चर और एफसीएस, रडार के लिए स्पेयर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और लाइट इंजीनियरिंग मैकेनिकल पार्ट्स आदि आते हैं.

अंगोला उत्पादन लक्ष्यों पर मतभेद के मुद्दे पर ओपेक से बाहर हुआ

अंगोला ने उत्पादन लक्ष्यों पर मतभेद के मुद्दे पर तेल उत्पादक देशों के संगठन ‘ओपेक’ छोड़ दिया है. अंगोला अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया और राष्‍ट्रपति जोआंओ लौरेन्‍सो ने इसे स्‍वीकृति दे दी.

अंगोला 2007 में ओपेक में शामिल हुआ था, लेकिन तेल उत्‍पादन घटने के प्रयासों पर हाल की बैठकों में सऊदी अरब से उसका विवाद बढ़ गया था.

ओपेक (OPEC): एक दृष्टि

  • ओपेक या OPEC, Organization of the Petroleum Exporting Countries का संक्षिप्त रूप है. यह पेट्रोलियम उत्पादक देशों का संगठन है. इस संगठन का मुख्यालय ऑस्ट्रिया के विएना में है.
  • OPEC की स्थापना सितम्बर 1960 में हुई थी तथा 1961 से इस संगठन ने अपना काम करना शुरू कर दिया था. इसका वर्तमान अध्यक्ष सऊदी अरब है.
  • इसके सदस्य हैं: अल्जीरिया, अंगोला, ईक्वाडोर, इरान, ईराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, लीबिया तथा वेनेजुएला, गबोन, इक्वेटोरियल गिनी.
  • OPEC देश विश्व के कुल 43% तेल का उत्पादन करते हैं, विश्व के तेल भंडार का 73% हिस्सा OPEC देशों में स्थित है.
  • OPEC का उद्देश्य पेट्रोलियम नीति पर सदस्य देशों के साथ समन्वय करना तथा पेट्रोलियम की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तंजानिया की आधिकारिक यात्रा संपन्न की

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 3 से 6 जुलाई तक तंजानिया की आधिकारिक यात्रा पर ज़ंज़ीबार में थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डॉ हुसैन अली म्विनी और ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात किए थे.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीय नौसेना के जहाज ‘त्रिशूल’ के स्वागत समारोह में भी शामिल हुए.
  • भारत-अफ्रीका संबंधों को और मजबूत करने के लिए, भारतीय नौसेना का जहाज त्रिशूल ने तंजानिया सहित कई देशों की यात्रा पर गए थे.
  • विदेश मंत्री ने किदुथानी परियोजना का दौरा किया. यह परियोजना तंजानिया के जांजीबार के तीस हजार घरों में पेयजल पहुंचाएगी.
  • भारत जांजीबार में छह परियोजनाओं का निर्माण कर रही है, जो दस लाख लोगों को पेयजल की सुविधा प्रदान करेगी.
  • डॉ. जयशंकर ने दारा-अस-सलाम में भारत-तंजानिया व्यापार सम्मेलन में हिस्सा लिया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में तंजानिया का सबसे भरोसेमंद व्यापारिक भागीदार है.

विदेश मंत्री की युगांडा और मोजांबिक की यात्रा

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर डॉ. जयशंकर 10 से 15 अप्रैल तक युगांडा और मोजांबिक की यात्रा पर थे.

  1. इस यात्रा के दौरान उन्होंने मोजांबिक के विदेश मंत्री के साथ संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक की सह अध्यक्षता की थी.
  2. उन्होंने युगांडा में भारतीय व्यापार समुदाय के साथ विचार-विमर्श किया. उन्होंने भारत और युगांडा के द्विपक्षीय संबंधों में योगदान के लिए व्यापारी समुदाय की सराहना की तथा दोनों देशों के विकास के लिए व्यापारिक संबंध और मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित किया.

आठवें डकार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सम्मेलन सेनेगल में आयोजित किया गया

आठवां डकार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सम्मेलन 2022 हाल ही में सेनेगल की राजधानी डकार में आयोजित किया गया था. सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल ने इस बैठक का उद्घाटन किया था.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था. भारत ने पहली बार डकार मंच में मंत्री स्तर पर भाग लिया.
  • श्री मुरलीधरन ने वैश्विक संकट और अफ्रीका में संप्रभुता विषय पर मंच को संबोधित किया. उन्होंने विकास का ऐसा आदर्श प्रस्तुत करने का आहवान किया जो अफ्रीका के नेतृत्व में  जनता की प्रगति और विकास के लिये अफ्रीका केंद्रित हो.
  • डकार इंटरनेशनल फोरम अफ्रीका में नीति निर्माताओं के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है.

राष्ट्रपति ने जमैका तथा एसवीजी की यात्रा संपन्न की

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 14 से 21 मई तक जमैका तथा सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनेडीन्‍स (एसवीजी) की यात्रा पर थे. यह किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की इन दो कैरेबियाई देशों की पहली यात्रा थी.

राष्‍ट्रपति कोविंद की दोनों देशों की यह यात्रा खास है क्योंकि यह दोनों देश कैरेबियन क्षेत्र में काफी अहम स्‍थान रखते हैं. इन देशों राज्‍य प्रमुख स्‍तर की यह पहली यात्रा भारत और कैरिबियन क्षेत्र के बढते परस्‍पर संबंधों की प्रतीक हैं.

जमैका

  • राष्ट्रपति 14 से 18 मई तक जमैका में थे. इस दौरान उन्होंने जमैका के गवर्नर जनरल सर पैट्रिक एलन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की.
  • जमैका और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत और जमैका के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई.
  • राष्‍ट्रपति राम नाथ‍ कोविन्‍द ने 17 मई को जमैका की संसद के दोनों सदनों की संयुक्‍त बैठक को संबोधित किया. उन्होंने जमैका के प्रधानमंत्री एन्‍ड्रयू होलनैस से मुलाकात भी की.

सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडीन्स (एसवीजी)

  • श्री कोविंद 18 मई से 21 मई तक सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडीन्स (एसवीजी) की यात्रा पर थे. इस दौरान श्री कोविंद सेंट विंसेंट औऱ ग्रेनाडहन्स की गवर्नर जनरल सूसन डौगन और प्रधानमंत्री डॉ. रॉल्फ गोंजाल्विस सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों से भी भेंट की.
  • सांस्कृतिक और एतिहासिक रूप से भी भारत सेंट विंसेंट और ग्रेनेडीन्स से जुड़ा हुआ है. भारतीय मूल के लोग 19वीं शताब्दी में गिरमिटिया मजदूर के रूप में इस द्वीप पर लाए गए थे. उन व्यक्तियों के वंशज अब स्थानीय समुदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
  • यात्रा के दूसरे दिन कल वहां की गवर्नर जनरल डेम सुज़न डॉगन से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा की.
  • दोनों पक्षों ने कर संग्रह से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान और सहयोग तथा प्राचीन कालडेर समुदाय के उन्नयन की परियोजना के लिए सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए.

फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने रवांडा नरसंहार के लिए माफी मांगी, जानिए क्या है रवांडा नरसंहार

फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 1994 में रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका के लिए रवांडा से माफी मांगी है. इस नरसंहार में करीब आठ लाख जातीय तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग मारे गए थे. रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार मेमोरियल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मैक्रों ने रवांडा से माफी मांगी. उन्होंने कहा है कि फ्रांस ने नरसंहार की चेतावनी पर ध्‍यान नहीं दिया और सच्‍चाई की जांच को लेकर लंबे समय तक मौन बना रहा.

माफी मांगने का दबाव

रवांडा नरसंहार को लेकर फ्रांसीसी जांच पैनल की हाल की एक रिपोर्ट ने तत्कालीन फ्रांसीसी सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद से फ्रांस के ऊपर इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने का दबाव बढ़ने लगा था.

रवांडा नरसंहार क्या है?

रवांडा में अप्रैल 1994 से जून 1994 के बीच के करीब 100 दिनों के अंदर करीब 8 लाख लोगों को मार डाला गया था. इस नरसंहार का निशाना बना था रवांडा के अल्पसंख्यक तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग.

नरसंहार की पृष्ठभूमि

  • रवांडा की कुल आबादी में हूतू समुदाय का हिस्सा 85 प्रतिशत है लेकिन देश पर लंबे समय से तुत्सी अल्पसंख्यकों का दबदबा रहा था.
  • कम संख्या में होने के बावजूद तुत्सी राजवंश ने लंबे समय तक रवांडा पर शासन किया था. साल 1959 में हूतू विद्रोहियों ने तुत्सी राजतंत्र को खत्म कर देश में तख्तापलट किया. जिसके बाद हूतू समुदाय के अत्याचारों से बचने के लिए तुत्सी लोग भागकर युगांडा चले गए.
  • अपने देश पर फिर से कब्जा करने को लेकर तुत्सी लोगों ने रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (RPF) नाम के एक विद्रोही संगठन की स्थापना की जिसने 1990 में रवांडा में वापसी कर कत्लेआम शुरू कर दिया.
  • 6 अप्रैल 1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा को ले जा रहा विमान किगाली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई. दोनों ही समुदायों ने इस हादसे के लिए एक दूसरे पर आरोप लगते हुए हिंसा शुरू कर दिया.

रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका

दरअसल, रवांडा लंबे समय तक फ्रांस का उपनिवेश रहा है. उस समय भी हुतू सरकार को फ्रांस का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रपति की मौत के बाद हुतू सरकार के आदेश पर सेना ने अपने समुदाय के साथ मिलकर तुत्सी समुदाय के लोगों को मारना शुरू किया.

युगांडा ने ख़त्म कराया नरसंहार

1994 में इस नरसंहार को देखते हुए पड़ोसी देश युगांडा ने अपनी सेना को रवांडा में भेजा. जिसके बाद उसके सैनिकों ने राजधानी किगाली पर कब्जा कर इस नरसंहार को खत्म किया.