अत्याधुनिक स्वदेशी स्टील्थ युद्धपोत ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ को 26 अगस्त को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विशाखापत्तनम स्थित नौसेना अड्डे पर इन दोनों युद्धपोतों का जलावतरण किया.
उदयगिरि और हिमगिरि दोनों युद्धपोतों को भारत सरकार के ‘प्रोजेक्ट 17A’ के तहत विकसित किया गया है.
‘उदयगिरि’ को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने, वहीं ‘हिमगिरि’ को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने बनाया है. ऐसा पहली बार है, जब दो युद्धपोतों का एकसाथ एक ही जगह पर जलावतरण किया गया.
प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरि श्रेणी)
सरकार ने वर्ष 2015 में ‘प्रोजेक्ट 17A‘ को मंज़ूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 50,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के सात स्टील्थ युद्धपोतों का निर्माण किया जाना है. इन युद्धपोतों को नीलगिरि श्रेणी के फ्रिगेट नाम से जाना जाता है.
इन सात युद्धपोतों में से, तीन का अनुबंध गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) को प्रदान किया गया था, जबकि अन्य चार युद्धपोतों का अनुबंध मझगांव डॉक्स लिमिटेड (MDL) को दिया गया था.
GRSE द्वारा बनाए जा रहे तीन स्टील्थ युद्धपोत- हिमगिरि, दूनागिरि और विंध्यगिरि हैं. MDL द्वारा बनाए जा रहे चार स्टील्थ युद्धपोत हैं- नीलगिरि, उदयगिरि, तारागिरि और महेंद्रगिरि.
प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरि श्रेणी) के तहत निर्मित युद्धपोत, ‘प्रोजेक्ट 17’ (शिवालिक श्रेणी) के तहत निर्मित किए गए तीन युद्धपोतों का उन्नत संस्करण है.
INS शिवालिक (F47), INS सतपुड़ा (F48), और INS सह्याद्री (F49) शिवालिक श्रेणी के तहत निर्मित किए गए तीन युद्धपोत हैं जो भारतीय नौसेना के सेवा में हैं.
‘हिमगिरि’ युद्धपोत, नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के अंतर्गत GRSE द्वारा बनाए जा रहे तीन स्टील्थ युद्धपोतों में से पहला है.
नीलगिरि और उदयगिरि युद्धपोत पहले ही MDL द्वारा भारतीय नौसेना को सौंपा जा चुका है.
प्रोजेक्ट 17A के तहत निर्मित सभी युद्धपोतों का डिज़ाइन और निर्माण देश में ही किया जा रहा है और इनमें 75% अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा.
स्टील्थ युद्धपोत क्या होता है?
स्टील्थ युद्धपोत अपनी निर्माण प्रक्रिया में स्टील्थ प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं, जिससे जहाज को विभिन्न पहचान तकनीकों, जैसे रडार, इन्फ्रारेड, सोनार और अन्य विधियों द्वारा पता लगाना कठिन होता है.
उदयगिरि और हिमगिरि: मुख्य विशेषताएं
दोनों युद्धपोत उदयगिरि और हिमगिरि करीब 6,700 टन के हैं और पूर्ववर्ती शिवालिक-क्लास युद्धपोतों से आकार में करीब 5% बड़े हैं.
इन स्टील्थ युद्धपोतों को बहुत सारे हथियारों से लैस किया जा सकता है. मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी इनसे आसानी से दागे जा सकते हैं.
इनकी डिजाइन ऐसी है कि रडार की पकड़ से बच जाते हैं. इन जहाजों के पास एंटी-सबमरीन हथियार भी हैं. ये ब्रह्मोस मिसाइल, टॉरपीडो और रॉकेटों आदि से भी लैस हैं.
यह युद्धपोत डीजल इंजनों और गैस टर्बाइनों के संयोजन से संचालित होता है. इसकी अधिकतम गति 30 नॉटिकल माइल्स है.
149 मीटर लंबा और 6,670 टन वजनी हिमगिरि, GRSE के 65 वर्षों के इतिहास में अब तक निर्मित सबसे बड़ा और सबसे उन्नत गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट है.
MDL और GRSE: एक दृष्टि
GRSE (गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स), कोलकाता में स्थित एक प्रमुख भारतीय जहाज निर्माण कंपनी है. यह रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है. यह भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए युद्धपोतों और अन्य जहाजों का निर्माण करती है.
MDL (माझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड) मुंबई में स्थित भारत का एक प्रमुख शिपयार्ड है. यह भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत, पनडुब्बियां और अपतटीय प्लेटफार्मों का निर्माण करता है. 1774 में स्थापित, यह भारत का सबसे बड़ा शिपयार्ड है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2025-08-27 09:33:432025-08-28 14:41:32स्वदेशी स्टील्थ युद्धपोत उदयगिरि और हिमगिरि भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल