नागरिकता (संशोधन) अधिनियम देश में लागू हुआ

नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship (Amendment) Act) 11 मार्च को देश में लागू हो गया. इसकी घोषणा गृह मंत्रालय ने की. यह अधिनियम, नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन कर लाया गया था.

इस अधिनियम में 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई समुदाय के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA): मुख्य बिन्दु

  • नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था. राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद यह विधेयक ने अधिनियम का रूप ले लिया.
  • इस अधिनियम में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है.
  • CAA 2019 के मुताबिक़ 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता मिल पाएगी.
  • CAA भारत के तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का कानून है. इससे किसी भी भारतीय नागरिक के नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म का हो.
  • यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई जगह नहीं है.
  • CAA 2019 से पहले किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समय अवधि 6 साल कर दी गई है.