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रूस ने वर्ष 2024 के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्‍द्र छोड़ने का फैसला किया

रूस ने वर्ष 2024 के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्‍द्र (The International Space Station) छोड़ने का फैसला किया है. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमोस के अध्‍यक्ष यूरी बोरि सोफ ने इस निर्णय की घोषणा की.

यूक्रेन में रूस की सैन्‍य कार्रवाई और उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों से रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह घोषणा की गई. रूस और अमरीका पृथ्वी की कक्षा में 1998 में स्‍थापित अंतरिक्ष केन्‍द्र के लिए मिलकर काम करते रहे हैं.

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन क्या है?

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में मानव निर्मित उपग्रह है. इसे अनुसंधान और शोध के लिए बनाया गया है. इसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया गया है.

ISS विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है. इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) काम कर रही हैं.

दूसरे विश्व युद्ध में विजय की स्मृति में रूस में 77वां विजय दिवस मनाया गया

रूस में 9 मई को 77वां विजय दिवस (Victory Day) मनाया गया था. यह दिवस दूसरे विश्व युद्ध में तत्कालीन सोवियत संघ (USSR) के विजय की स्मृति में मनाया जाता है. इस अवसर पर एक समारोह का आयोजन मॉस्‍को में किया गया था. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन देश को संबोधित किया था.

मुख्य तथ्य

  • ये 8 मई 1945 को नाजी जर्मनी की हार और आत्मसमर्पण के साथ यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत का भी प्रतीक माना जाता है.
  • पश्चिमी सोवियत संघ को जीतने के उद्देश्य से 22 जून 1941 को जर्मन सेना ने सोवियत संघ पर आक्रमण शुरू किया था. इस आक्रमण का कोड ऑपरेशन बारब्रोसा (Operation Barbarossa) था.
  • उस समय एडोल्फ़ हिटलर (1889–1945) जर्मन शासक था. वे “राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी” (NSDAP) के नेता थे. इस पार्टी को प्रायः “नाज़ी पार्टी” के नाम से जाना जाता है.
  • दूसरे विश्व युद्ध में 2.7 करोड़ सोवियत नागरिक मारे गए थे जो किसी भी देश में होने वाली सबसे अधिक जनहानि थी. रूसी इस युद्ध को ग्रेट पेट्रिओटिक वॉर के रूप में याद करते हैं.

संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस को खिलाफ प्रस्‍ताव पारित, भारत ने प्रस्ताव का वहिष्कार किया

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए रूस को जिम्‍मेदार ठहराते हुए एक प्रस्‍ताव पारित किया है तथा तत्‍काल संघर्ष विराम का अनुरोध किया है. 140 देशों ने इस प्रस्‍ताव के पक्ष में और पांच देशों ने इसके विरोध में मतदान किया. 38 देशों ने मतदान में हिस्‍सा नहीं लिया.

भारत का रुख

  • भारत ने प्रस्‍ताव पर मतदान में यह कहते हुए हिस्‍सा नहीं लिया कि संघर्ष खत्‍म करने और तत्‍काल मानवीय सहायता उपलब्‍ध कराने पर ध्‍यान देना अधिक आवश्‍यक है. संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थाई प्रतिनिधि टी एस तिरूमूर्ति ने कहा कि प्रस्‍ताव के मसौदे में इन चुनौतियों से निपटने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
  • यूक्रेन की स्थिति पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए भारत ने कहा कि इस संघर्ष में नागरिकों की जानें गई हैं और करीब एक करोड लोग विस्थापित हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने यूक्रेन और पडोसी देशों में मानवीय सहायता के लिए 90 टन से अधिक वस्तुओं की आपूर्ति की है.
  • श्री तिरूमूर्ति ने कहा कि मानवीय गतिविधियां सदैव मानवीय सहायता के सिद्धांतों के आधार पर होनी चाहिए और इन उपायों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.

रूस ने गैर मित्र देशों की सूची जारी की, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, यूक्रेन का नाम शामिल

रूस ने गैर मित्र देशों की सूची जारी की है. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व वाली सरकार ने उन देशों और क्षेत्रों की सूची को मंजूरी दे दी जो रूस, उसकी कंपनियों और उसके नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की है.

सूची में उन देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है जिन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं या शामिल हुए हैं. इस लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, यूक्रेन, जापान और यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के नाम हैं. यूरोपियन यूनियन में 27 देश शामिल हैं.

सूची में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा, यूरोपीय संघ के सभी 27 देश, ब्रिटेन, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, अल्बानिया, आइसलैंड, नॉर्वे, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और ताइवान के नाम हैं.

यूक्रेन-रूस तनाव: यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्‍वतंत्र देश के रूप में मान्‍यता

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन से अलग हुए क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्‍वतंत्र देश के रूप में मान्‍यता देने की घोषणा की है. ये दोनों पूर्वी यूक्रेन के क्षेत्र थे. राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों क्षेत्रों के स्वतंत्रता की मान्यता देने के बाद वहां सैनिक टुकड़ियां तैनात कर दी है.

रूस के इस कदम के बाद बाद से यूक्रेन और रूस के बीच तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस के साथ सभी राजनीयिक संबंध तोड़ने की बात कही है. रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा (Russia Annexed Crimea From Ukraine) कर लिया था. जिसके बाद से ही दोनों देशों में तनाव बरकरार है.

अमरीका और यूरोप ने उनके इस कदम की निंदा की है और नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. यूक्रेन के दो इलाकों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वघोषित पीपुल्स रिपब्लिक की मान्यता देने पर अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने तीखी प्रतिक्रिया भी दी है.

डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्र क्या हैं?

डोनेट्स्क और लुहान्स्क पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं. इन इलाकों को सम्मिलित रूप से डोनबास क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. इस इलाके में रूस के समर्थन वाले अलगाववादियों का कब्जा है. ये इलाके 2014 से ही यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं और खुद को स्वतंत्र पीपुल्स रिपब्लिक घोषित किया हुआ है. हालांकि, इन इलाकों को रूस और बेलारूस ने ही मान्यता दी है. डोनबास क्षेत्र में जारी संघर्ष में अबतक कई लोगों की मौत हो चुकी है.

डोनबास क्षेत्र में रूसी भाषी नागरिकों की संख्या ज्यादा है. ये लोग खुद को रूस के ज्यादा नजदीक मानते हैं, वहीं यूक्रेनी सरकार इन्हें अलगाववादियों के रूप में देखती है.

मिन्स्क शांति प्रक्रिया क्या है?

यूक्रेन और रूसी समर्थित अलगाववादियों के बीच हुए समझौते को मिन्स्क शांति प्रक्रिया नाम से जानते हैं. यह समझौता दो चरणों में हुआ था.

पहले चरण में यूक्रेन और रूसी समर्थित अलगाववादियों ने सितंबर 2014 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में 12-सूत्रीय युद्धविराम समझौते पर सहमति व्यक्त की थी. इसके प्रावधानों में कैदियों की अदला-बदली, मानवीय सहायता और भारी हथियारों की वापसी पर सहमति बनी थी.

दूसरे चरण में फरवरी 2015 में रूस, यूक्रेन, यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (OSCE) के प्रतिनिधियों और दो रूसी समर्थक अलगाववादी क्षेत्रों के नेताओं ने मिन्स्क में 13-सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

रूस की यूक्रेन के इलाकों को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता मिन्स्क शांति प्रक्रिया का उल्लंघन करती है. हालांकि, इस शांति प्रक्रिया को अभी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.

पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया

अमेरिका समेत अधिकतर पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हैं. ब्रिटेन ने रूस के पांच बैंकों और तीन बड़े बिजनेसमैन के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की है. जर्मनी ने भी नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन प्रॉजेक्ट को रद्द करने के संकेत दिए हैं. अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की तैयारी में जुटा हुआ है. अमेरिका ने रूस के इस कदम को यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन बताया है.

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का आपात सत्र

यूक्रेन-रूस तनाव पर 22 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का आपात सत्र आयोजित किया गया था. यह बैठक यूक्रेन ने अमरीका और ब्रिटेन के साथ मिलकर बुलाई थी.

इस आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति ने हिस्सा लिया था. बैठक में भारत ने यूक्रेन-रूस संकट का परस्‍पर स्‍वीकार्य समाधान निकालने पर बल दिया है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद क्यों?

यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का सदस्य देश बनना चाहता है और रूस इसका विरोध कर रहा है. नाटो अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच एक सैन्य गठबंधन है. नाटो देश यूक्रेन को पश्चिमी देशों का सैन्य अड्डा बनाना चाहता है.

रूस, यूक्रेन के साथ 450 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. अब रूस के सामने चुनौती यह है कि उसके कुछ पड़ोसी देश पहले ही NATO में शामिल हो चुके हैं. इनमें एस्टोनिया और लातविया जैसे देश हैं, जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे. अब अगर यूक्रेन भी NATO का हिस्सा बन गया तो रूस हर तरफ से अपने दुश्मन देशों से घिर जाएगा और अमेरिका जैसे देश उस पर हावी हो जाएंगे.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश- ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.

रूस और बेलारूस ने संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया

रूस और बेलारूस ने 10 फरवरी को संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया है. इस अभ्यास में 30 हजार से अधिक रूसी सैनिक अगले 10 दिनों तक सैन्य अभ्यास करेंगे. टैंक, लड़ाकू विमान और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के साथ ही हजारों सैनिक बेलारूस में 20 फरवरी तक ‘एलाइड रिजॉल्यूशन 2022’ अभ्यास में भाग ले रहे हैं.

मुख्य बिंदु

  • युद्ध अभ्यास यूक्रेन के साथ ही पोलैंड और लिथुआनिया के पास किए जा रहे हैं. पोलैंड और लिथुआनिया नाटो के सदस्य हैं.
  • यह युद्ध अभ्यास ऐसे वक्त में हो रहा है जब रूस ने एक लाख से अधिक सैनिक यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात किए हुए हैं.
  • इस अभ्यास को लेकर अमेरिका और नाटो ने चिंता जताई है. नाटो ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन पर हमला करने से पहले रूस युद्ध अभ्यास कर रहा है.
  • यूक्रेन ने इसके जवाब ने स्वयं का 10 दिनों का अभ्यास शुरू किया है. यूक्रेन के अभ्यास में करीब 10,000 सैनिक शामिल हैं.
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मॉस्को को धमकी दी है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो क्रेमलिन पर ऐसे-ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देखे नहीं होंगे.

रूस ने नई हाइपरसोनिक मिसाइल का पनडुब्बी से पहली बार सफल परीक्षण किया

रूस ने हाल ही में अपनी नई हाइपरसोनिक मिसाइल का पनडुब्बी से पहली बार सफल परीक्षण किया था. इस मिसाइल का नाम ‘जिरकॉन’ (Zircon) है जिसे सेवेरोडविंस्क पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया गया और बेरिंट सागर के तट पर स्थित एक नकली (मॉक) लक्ष्य को सटीक तरीके से निशाना बनाया.

जिरकॉन: एक दृष्टि

यह पहली बार है जब जिरकॉन मिसाइल का प्रक्षेपण पनडुब्बी के जरिये किया गया. इससे पहले जुलाई में नौसेना के युद्धपोत से इसका कई बार परीक्षण किया गया था. इसे 2022 में रूसी नौसेना में शामिल किया जाएगा.

जिरकॉन ध्वनि की गति से नौ गुना (मैक 9) तेज उड़ान भरने में सक्षम होगी और यह 1,000 किलोमीटर (620 मील) सीमा क्षेत्र में लक्ष्य को निशाना बना सकती है.

सॉलिड-फ्यूल इंजन के साथ बूस्टर स्टेज जिरकॉन को सुपरसोनिक गति तक बढ़ा देता है. इस चरण के बाद, तरल-ईंधन से युक्त एक स्क्रैमजेट मोटर इसे हाइपरसोनिक गति तक बढ़ा देता है.

जिरकॉन का उद्देश्य रूसी क्रूजर, युद्धपोत और पनडुब्बियों को बांटना है. यह रूस में विकसित कई हाइपरसोनिक मिसाइलों में से एक है.

प्रधानमंत्री ने रूस में पूर्वी आर्थिक मंच के छठे पूर्ण सत्र को सम्‍बोधित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 3 सितम्बर को रूस में आयोजित ‘पूर्वी आर्थिक मंच’ (Eastern Economic Forum) के छठे पूर्ण सत्र को वीडियो कांफ्रेंस के माध्‍यम से सम्‍बोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा है कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत-रूस की साझेदारी विश्‍व के ऊर्जा बाजारों में स्थिरता लाने में मदद कर सकती है. उन्होंने ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत रूस के साथ भारत की विश्वसनीय भागीदारी की प्रतिबद्धता को दोहराया.

संबोधन के मुख्य बिंदु

  • पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस गगनयान कार्यक्रम के माध्‍यम से अंतरिक्ष अन्‍वेषण में भागीदार हैं.
  • प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्‍लेख किया कि देश का सबसे बड़ा शिपयार्ड, मझगांव डॉक लिमिटेड दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक पोतों के निर्माण के लिए रूस के ज़्वेज़्दा के साथ साझेदारी करेगा.
  • श्री मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के विकास के लिए राष्ट्रपति पुतिन के दृष्टिकोण की सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत इस सपने को साकार करने में रूस का एक विश्वसनीय भागीदार होगा.
  • उन्‍होंने रूस के व्लादिवोस्तोक को सही मायने में यूरेशिया और प्रशांत का संगम बताया. श्री मोदी ने कहा कि भारतीय सभ्‍यता में संगम का एक विशेष महत्‍व है, जिसका अर्थ है नदियों, लोगों और विचारों का संगम.

पूर्वी आर्थिक मंच (EEF)

पूर्वी आर्थिक मंच एक वार्षिक बैठक है जिसका आयोजन रूस के सुदूर पूर्व स्थित व्लादिवोस्तोक में किया जाता है.

रूस ने S-500 वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया

रूस ने S-500 वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम (air defence missile systems) का हाल ही में परीक्षण कर इसका लाइव वीडियो जारी किया था. यह वीडियो दक्षिणी रूस में अस्त्रखान के पास कपुस्टिन यार (Kapustin Yar) में शूट किया गया है. इस दौरान एस-500 वायु रक्षा प्रणाली की मिसाइल ने अपने लक्ष्य एक दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल को पलक झपकते मार गिराया.

एस-500 मिसाइल सिस्टम के लगभग सभी टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं और इसे जल्द ही रूसी सेना में कमीशन करने की प्लानिंग की जा रही है.

S-500: मुख्य बिंदु

  • एस-500 मिसाइल सिस्टम की अधिकमत रेंज 595 किलोमीटर होगी. एस-500 सिस्टम की मिसाइलें फिक्स्ड साइलो में पैक रहती हैं.
  • इस सिस्टम के मिसाइलों को BAZ ट्रक की चेसिस पर 10 x10 ट्रांसपोर्टर-ईरेक्टर-लॉन्चर पर लगाया गया है. इससे इन मिसाइलों को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से और कम समय में तैनात किया जा सकता है.
  • एस-500 मिसाइल प्रणाली में वोरोनिश लॉन्ग रेंज अर्ली वॉर्निंग रडार लगाया गया है. लंबी दूरी तक नजर रखने वाला यह अर्ली वॉर्निंग रडार इस मिसाइल रक्षा प्रणाली की रीढ़ है जिनका प्रमुख लक्ष्य दुश्मन के टॉरगेट को सटीकता से मापना और उसकी जानकारी ऑपरेटर तक पहुंचाना है.
  • S-500 डिफेंस सिस्टम को S-400 के आधार पर ही विकसित किया गया है. S-500 डिफेंस सिस्टम में 77N6 मिसाइल सीरीज के अलावा कई अन्य मिसाइलें भी तैनात हैं.
  • इस मिसाइल सिस्टम को दुश्मन के किसी भी तरह से हथियार, हाइपरसोनिक एयरक्राफ्ट और मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाया गया है. S-500 को शुरू से ही बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ दुश्मनों के लड़ाकू विमानों,  क्रूज मिसाइलों सहित सभी प्रकार के हवाई खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग परियोजना का शुभारंभ किया गया

चीन और रूस ने परमाणु ऊर्जा सहयोग परियोजना का शुभारंभ किया है. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 19 मई को वर्चुअल माध्यम से इस परियोजना का शुभारंभ किया.

इस परियोजना में तियानवान (Tianwan) परमाणु ऊर्जा संयंत्र और शुदापु (Xudapu) परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण किया जायेगा. इसके तहत तियानवान परमाणु ऊर्जा संयंत्र के यूनिट 7 और यूनिट 8, तथा शुदापु परमाणु ऊर्जा संयंत्र के यूनिट 3 और यूनिट 4 का निर्माण होना है.

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता

चीन और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग से संबंधित यह एक अहम परियोजना है. इस परियोजना के लिए जून 2018 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था.

इन चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण पूरा होने और परिचालन में आने के बाद वार्षिक बिजली उत्पादन 37 अरब 6 करोड़ किलोवॉट तक पहुंच जाएगा. यह प्रति वर्ष 3 करोड़ 6 लाख 80 हज़ार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के बराबर है.

आर्कटिक की जलवायु की निगरानी के लिए रूस ने Arktika-M उपग्रह का प्रक्षेपण किया

रूस ने आर्कटिक की जलवायु और पर्यावरण की निगरानी के लिए अपना पहला उपग्रह ‘अर्कटिका-एम’ (Arktika-M) का सफल प्रक्षेपण किया है. यह प्रक्षेपण 28 फरवरी को रुसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) ने ‘Soyuz-2,1B’ अन्तरिक्ष यान (carrier rocket) के माध्यम से किया गया.

अर्कटिका-एम एक रिमोट सेंसिंग आपातकालीन संचार उपग्रह है. इस उपग्रह के द्वारा आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का बेहतर अध्ययन किया जा सकेगा. यह उपग्रह पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और आसपास के क्षेत्रों की छवियों को हर 15-30 मिनट में प्रसारित करेगा.

रूस ने जर्मनी, पोलैंड और स्‍वीडन के राजनयिकों को निष्‍कासित किया

रूस ने जर्मनी, पोलैंड और स्‍वीडन के राजनयिकों को निष्‍कासित कर दिया है. रूसी विदेश मंत्रालय ने जर्मनी, पोलैंड और स्‍वीडन के दूतावासों में अपना औपचारिक विरोध भी दर्ज कराया है.

एलेक्‍सी नवेलनी की रिहाई की मांग के लिए प्रदर्शन

जर्मनी, पोलैंड और स्‍वीडन के राजनयिकों ने एलेक्‍सी नवेलनी की रिहाई की मांग के लिए आयोजित प्रदर्शनों में भाग लिया था. एलेक्‍सी नवेलनी रुसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े आलोचक रहे हैं. दुनियाभर के नेताओं ने नवेलनी को मास्‍को की एक अदालत में सुनाई गई सजा की निंदा करते हुए उसकी रिहाई की मांग की है.

इन प्रतिनिधियों ने कथित रूप से उन सार्वजनिक प्रदर्शनों में भाग लिया था जिनके कारण रूस में पिछले दो सप्‍ताह के दौरान हजारों लोग सड़कों पर उतर आये थे.