Tag Archive for: Indian Economy

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 28 फरवरी 2025 को पिछले वित्त वर्ष (2024-25) की तीसरी तिमाही (सितंबर-दिसंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया.
  • NSO द्वारा जारी इस अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (सितंबर-दिसंबर) में 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी.
  • भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा, बरकरार रखा है.
  • NSO ने वित्त वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर को भी संशोधित किया.
  • NSO के अनुसार 2023-24 में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 9.2 प्रतिशत रही. यह पिछले 12 वर्षों में, 2021-22 को छोड़कर, भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा हासिल की गई उच्चतम विकास दर है. 2022-1-22 में वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत रही थी.
  • NSO ने वित्त वर्ष 2024-25 में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर को 6.4 प्रतिशत के पहले अनुमान से संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित विकास दर: एक दृष्टि

  • वास्तविक जीडीपी विकास दर: 6.5%
  • वास्तविक जीडीपी: 187.95 लाख करोड़ रुपये
  • नाममात्र जीडीपी विकास दर: 9.9%
  • नाममात्र जीडीपी: 331.03 लाख करोड़ रुपये
  • पहली तिमाही (अप्रैल-जून) विकास दर: 6.5 प्रतिशत,
  • दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) विकास दर: 5.6 प्रतिशत
  • तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) विकास दर: 6.2 प्रतिशत
  • पहले नौ महीनों में जीडीपी की विकास दर: 6.1 प्रतिशत

नाममात्र जीडीपी किसी देश के आर्थिक उत्पादन को मौजूदा बाज़ार कीमतों पर मापता है. वहीं, वास्तविक जीडीपी को मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया जाता है.

2024-25 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों का प्रदर्शन

कृषि क्षेत्र में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि, विनिर्माण क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि, निर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत की वृद्धि, सेवा क्षेत्र में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि.

गुवाहाटी में एडवांटेज असम निवेश शिखर सम्मेलन 2025 आयोजित किया गया

  • एडवांटेज असम निवेश शिखर सम्मेलन 2.0 (Advantage Assam Investors’ Summit 2.0) 2025 असम के गुवाहाटी में 25-26 फ़रवरी को आयोजित किया गया था.
  • यह एडवांटेज असम शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण था. पहला संस्करण 2018 में आयोजित किया गया था.
  • सम्मेलन का उद्देश्य असम को वैश्विक और भारतीय निवेशकों के लिए एक अनुकूल निवेश गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करना था.
  • इस सम्मेलन में, राज्य के औद्योगिक विकास, वैश्विक व्यापार साझेदारी, तेजी से बढ़ते उद्योगों और जीवंत एमएसएमई क्षेत्र को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
  • सम्मेलन का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के इस यात्रा के दौरान गुवाहाटी में स्थित सरुसजाई स्टेडियम में आयोजित झुमोइर बिनंदिनी 2025 कार्यक्रम में भाग लिया.
  • असम में चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित पारंपरिक झुमोइर या झूमर नृत्य में लगभग 8000 कलाकारों ने भाग लिया.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6.25 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 5-7 फ़रवरी को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2024-25) की छठी द्विमासिक (जनवरी-फ़रवरी) मौद्रिक नीति (6th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अगस्त 2024: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर में 0.25% की कटौती की है. इस कटौती के बाद रेपो रेट अब घटकर 6.25% रह गई है. करीब 5 वर्ष में पहली बार है जब मुख्‍य दरों में कटौती की गई है. पिछली बार मई 2020 में रेपो रेट में 0.40% की कमी की गई थी. MPC ने अंतिम बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी और इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था. वर्तमान में रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी और बैंक दर 6.50 फीसदी है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.25%
रिवर्स रेपो दर3.35%
स्थायी जमा सुविधा (SDF)6.00%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.50%
बैंक दर6.50%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.00%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

नई दिल्‍ली में डीप ओशन मिशन संचालन समिति की बैठक

  • नई दिल्ली स्थित पृथ्वी भवन में 23 जनवरी 2025 को डीप ओशन मिशन संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई थी.
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस समिति की बैठक में कहा‍ कि इस वर्ष पहला मानव सबमर्सिबल यान (डीप-सी मैनड व्हीकल) को लांच कर दिया जाएगा.
  • समुद्रयान मिशन के तहत शुरुआत में यह सबमर्सिबल यान 500 मीटर की गहराई पर  काम करेगा. अगले वर्ष इसकी पहुंच 6000 मीटर तक करने की योजना है.
  • इस मिशन के तहत भारत का लक्ष्य तीन व्यक्तियों को  अन्वेषण के लिए समुद्र सतह से 6000 मीटर नीचे गहराई में भेजना  है.
  • डीप ओशन मिशन का उद्देश्‍य जलीय संसाधनों का पता लगाना और देश की समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देना है. इसका उद्देश्‍य ऐसी दुर्लभ धातुओं और समुद्री जैव-विविधता का पता लगाना भी है जिनके आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हैं.
  • पानी के नीचे की इन संपदाओं का दोहन करके, भारत अपनी अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक समुदाय और पर्यावरणीय रेजिलिएंस के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित कर सकता है.
  • इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल अपने महासागरों की गहराई का पता लगा रहा है, बल्कि एक मजबूत ब्लू इकोनॉमी का निर्माण भी कर रहा है, जो भारत के भविष्य को आगे बढ़ाएगी.

RBI ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया है. तरलता (लिक्विडिटी) की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने ट्रेजरी बिल की आपूर्ति में वृद्धि की है.
  • ट्रेजरी बिल के माध्यम से एकत्रित धन का उपयोग आमतौर पर सरकार की अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग, देश के समग्र राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जाता है.
  • RBI द्वारा ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए जारी कैलेंडर के अनुसार, केंद्र सरकार 91-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.68 लाख करोड़ रुपये, 182-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.28 लाख करोड़ रुपये और 364-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 98,000 करोड़ रुपये उधार लेगी.
  • सरकारी प्रतिभूति (G-Secs) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी खरीद-बिक्री (ट्रेड) योग्य इंस्ट्रूमेंट है. यह वास्तव में सरकार के ऊपर एक प्रकार का ऋण दायित्व होता है.
  • ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पावधि (आमतौर पर एक वर्ष से कम समय में मैच्योर होने वाली जैसे कि ट्रेजरी बिल) या दीर्घकालिक (आमतौर पर एक वर्ष या उससे अधिक की मच्योरिटी वाले सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ) होती हैं.
  • G-Sec भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा आयोजित नीलामी के माध्यम से जारी की जाती हैं. यह नीलामी आरबीआई के कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) प्लेटफॉर्म ‘ई-कुबेर’ नामक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती है.
  • ट्रेजरी बिल शून्य-कूपन प्रतिभूतियाँ होती हैं, यानी इनमें ब्याज का भुगतान नहीं होता. इसकी बजाय, उन्हें अंकित मूल्य पर डिस्काउंट पर जारी किया जाता है और मैच्योरिटी पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है.
  • यह भारत सरकार द्वारा वचन-पत्र के रूप में जारी किया जाता, जिनकी बाद की तारीख में पुनर्भुगतान की गारंटी होती है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 बिलियन डॉलर के स्तर को पार किया

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 बिलियन डॉलर के स्‍तर को पार कर गया. 27 सितम्‍बर 2024 को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में यह भंडार 704.89 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था.

मुख्य बिन्दु

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष मध्य जुलाई से विदेशी मुद्रा भंडार में 12.59 अरब डॉलर की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़ोतरी दर्ज की गई.
  • इस उपलब्धि के साथ ही भारत चीन जापान और स्विट्जरलैंड जैसी तीन अन्य अर्थव्यवस्थाओं के ग्रुप में शामिल हो गया है जिनके पास 700 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. चीन (3,626 बिलियन डॉलर) दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा धारक देश है, इसके बाद क्रमशः जापान (1,272 बिलियन डॉलर), स्विट्जरलैंड (890 बिलियन डॉलर)  और भारत हैं.

भारत की विदेशी मुद्रा संरचना: एक दृष्टि

  • भारत की विदेशी मुद्रा की संरचना का प्रावधान RBI अधिनियम 1934 में है. इस अधिनियम के अनुसार RBI विदेशी मुद्रा भंडार का एकमात्र संरक्षक और प्रबंधक है.
  • RBI अधिनियम 1934 के अनुसार, भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, विशेष आहरण अधिकार (SDR), IMF के साथ एक रिजर्व किश्त स्थिति (RTP) और स्वर्ण भंडार शामिल हैं.
  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, अन्य देश के केंद्रीय बैंकों और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के पास आरबीआई की जमा राशि, और विदेशी वाणिज्यिक बैंकों में जमा राशि शामिल हैं.
  • SDR, 1969 में IMF द्वारा निर्मित एक अंतरराष्ट्रीय प्रकार की मौद्रिक आरक्षित मुद्रा को संदर्भित करता है. इन्हें कागजी सोना भी कहा जाता है.
  • RTP का मतलब है, देश का विदेशी मुद्रा भंडार जिसमें IMF से कोटे का कुछ हिस्सा बिना ब्याज़ के निकाला जा सकता है.

एनएचपीसी, एसजेवीएन और सेकी को नवरत्न का दर्ज दिया गया

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तीन उद्यम (सीपीएसई) – एनएचपीसी, एसजेवीएन और सेकी को नवरत्न का दर्जा दिया है. इस आशय की आधिकारिक आदेश सार्वजनिक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा 30 अगस्त 2024 को जारी किया था.

मुख्य बिन्दु

  • एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) फरीदाबाद स्थित केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के तहत मिनी रत्न श्रेणी-1 इकाई के रूप में काम कर रही थी.
  • एनएचपीसी भारतीय विद्युत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कंपनी है और इसने देश की पनबिजली क्षमता का दोहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
  • शिमला स्थित सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) को भी नवरत्न का दर्जा मिला है. इससे पहले एसजेवीएन लिमिटेड को मिनी रत्न, श्रेणी-1 का दर्जा प्राप्त था. इसे 24 मई, 1988 को भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार (जीओएचपी) के संयुक्त उद्यम के रूप में शामिल किया गया था.
  • सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) को भी नवरत्न का दर्जा दिया है. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सेकी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी के लिए केंद्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है.

नवरत्न कंपनी: एक दृष्टि

  • ‘मिनीरत्न-श्रेणी 1’ का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) को ही नवरत्न का दर्जा दिया जाता है.
  • नवरत्न दर्जा मिलने से कंपनी के प्रबंधन को अधिक परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता मिलती है. नवरत्न दर्जा प्राप्त कंपनी को केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना किसी परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या उनकी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश करने की छूट होती है.
  • केंद्र सरकार की अनुमति के बिना प्रौद्योगिकी संयुक्त उद्यम या अन्य कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकती है.

नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE)

  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल)
  • कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल)
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)
  • महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL)
  • नेशनल एल्युमिनियम कंपनी (नाल्को)
  • राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी)
  • नेशनल कैल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी)
  • एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल)
  • ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल)
  • पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी)
  • राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल)
  • ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी)
  • भारतीय शिपिंग निगम (एससीआई)
  • नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचपीसी)
  • शिमला स्थित सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन)
  • सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी)

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 6-8 अगस्त को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2024-25) की तीसरी द्विमासिक (अगस्त-सितंबर) मौद्रिक नीति (3rd Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी. मौद्रिक नीति समिति (MPC) में RBI के तीन अधिकारी और तीन बाहरी सदस्‍य हैं. MPC ने 4:2 के बहुमत से नीतिगत दर को अपरिवर्तित बनाए रखने का फैसला लिया.

MPC की बैठक, अगस्त 2024: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. यह लगातार 9वीं बार है जिसमें RBI ने मुख्‍य दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है. रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर है और बैंक रेट 6.75 फीसदी पर स्थिर रखा गया है. MPC ने अंतिम बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी और इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था.

2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अपेक्षित विकास दर के पूर्वानुमान 7.2 प्रतिशत को नहीं बदला है. 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
स्थायी जमा सुविधा (SDF)6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

वित्‍त वर्ष 2024-25 के लिए केन्द्रीय आम बजट का सार

वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने 23 जुलाई को लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट (Union Budget) प्रस्तुत किया. नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला बजट था. वर्ष 2019 में कार्यभार संभालने के बाद से यह वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की लगातार सातवीं बजट प्रस्तुति थी.

वित्‍त वर्ष 2024-25: एक दृष्टि
  • वित्त वर्ष 25 में कुल प्राप्तियां ₹32.07 लाख करोड़ और कुल व्यय ₹48.21 लाख करोड़ अनुमानित हैं. शुद्ध कर प्राप्तियां ₹25.83 लाख करोड़,  सकल बाजार उधारी ₹14.01 लाख करोड़ और शुद्ध बाजार उधारी ₹11.63 लाख करोड़ अनुमानित हैं. वित्त वर्ष 25 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% अनुमानित है.
रुपया कहाँ से आया और कहाँ गया
सरकार की आमदनी (रुपया कहां से आता है)सरकार का खर्च (रुपया कहां जाता है)
  • ऋण से इतर पूंजी प्राप्तियां: 1%
  • कर से इतर राजस्व: 9%
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) : 18%
  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क: 5%
  • सीमा शुल्क: 4%
  • आय कर: 19%
  • निगम कर: 17%
  • उधार और अन्य देयताएं: 27%
  • ब्याज: 19%
  • रक्षा: 8%
  • सब्सिडी: 6%
  • वित्त आयोग और अन्य खर्च: 9%
  • करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा: 21%
  • पेंशन: 4%
  • केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं: 8%
  • केन्द्रीय क्षेत्र की योजना: 16%
  • अन्य खर्च: 9%
प्रमुख क्षेत्रों पर बजट व्यय
मंत्रालयआवंटित राशि
(करोड़ रुपये)
आईटी और दूरसंचार₹1,16,342
स्वास्थ्य₹89,287
कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ₹1,51,851
ऊर्जा₹68,769
गृह मंत्रालय₹1,50,983
वाणिज्य एवं उद्योग₹47,559
सामाजिक कल्याण₹56,501
रक्षा₹6,21,940
ग्रामीण विकास₹2,65,808
शिक्षा₹1,25,638

आम बजट 2024-25: मुख्य बिन्दु

  • इस बजट के प्राथमिकताओं में- कृषि, रोजगार, सामाजिक कल्याण, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा के अलावा गरीब, महिला, किसान युवा शामिल हैं.
  • बिहार को 58.9 हजार करोड़ और आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की गई. बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल मे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए विशेष स्कीम की घोषणा.
  • केंद्र बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए ‘पूर्वोदय’ योजना भी लाएगा. बिहार में विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर बनेगा. नालंदा विश्वविद्यालय को पर्यटन केंद्र बनाएंगे.
  • केंद्रीय बजट 2024 में युवाओं के लिए रोजगार व कौशल प्रशिक्षण से जुड़ी पांच योजनाओं के लिए दो लाख करोड़ आवंटित किए गए.
  • सरकार हर साल एक लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर उपलब्ध कराएगी, जिसमें ऋण राशि का तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान भी शामिल होगा.
  • सरकार 500 शीर्ष कंपनियों एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू करेगी. इस योजना में 5000 रुपये प्रतिमाह मानदेय और 6000 रुपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी.
  • पहली जॉब ज्वाइन करने वाले युवाओं के लिए एक लाख रुपये से कम सैलरी होने पर EPFO में 15 हजार रुपये की मदद तीन किस्तों में दी जाएगी.
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए लोन गारंटी योजना लाई जाएगी, जिसमें 100 करोड़ रुपये तक के कर्ज के लिए गारंटी की जरूरत नहीं होगी.
  • वेतनभोगियों के आयकर में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 से बढ़ाकर 75 हजार किया है. आयकर स्लैब में भी बदलाव किया गया है.
  • 3 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगेगा. 3-7 लाख रुपये तक 5% टैक्स, 7 से 10 लाख रुपये तक 10% टैक्स, 10 से 12 लाख रुपये तक 15% टैक्स और 12 से 15 लाख रुपये तक 20% टैक्स लगेगा. 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% टैक्स देना होगा.
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को  5 साल के लिए बढ़ाया गया. इस योजना का लाभ 80 करोड़ अधिक लोगो को लाभ मिल रहा है.
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और नेट-जीरो एमिशन के लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए भारत सरकार रिन्‍यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रही है. इसी के तहत सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत एक करोड़ घरों को 300 यूनिट तक हर महीने बिजली फ्री दी जाएगी.
  • देश की सेनाओं को खर्च के लिए 6,21,940 करोड़ रुपये बजट से मिले हैं. यह रकम 6 महीने पहले पेश हुए अंतरिम बजट से महज 400 करोड़ रुपये यानी, 0.064% ज्यादा है. इस बार कुल बजट का 12.9% हिस्सा रक्षा बजट है.
  • सोने, चांदी पर आयात शुल्क घटाकर 6% करने की घोषणा की. भारत दुनिया में सर्राफा का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. ऐसे में सरकार ने सोने और चांदी पर आयात शुल्क 15% से घटाकर 6% कर दिया है.
  • 2.66 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए रखे गए हैं. कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का बजट.

वित्तीय वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में प्रस्तुत किया गया

वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट से पहले 22 जुलाई को संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया. वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने मुख्‍य आर्थिक सलाहकार डॉक्‍टर वी. अनंत नागेश्‍वरन की देख-रेख में यह सर्वेक्षण दस्‍तावेज तैयार किया गया था.

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24: मुख्य बिन्दु

  • इस आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्‍यवस्‍था के कार्यप्रदर्शन का अवलोकन दिया गया है. इसके अनुसार वैश्विक स्‍तर पर राजकोषीय घाटा और ऋण का बोझ बढता जा रहा है वहीं भारत में राजकोषीय स्थिरता की प्रक्रिया बनी हुई है.
  • केन्‍द्र सरकार वित्‍त वर्ष 2023 के राजकोषीय घाटे को 6.4 प्रतिशत से घटाकर 2024 में सकल घरेलू उत्‍पाद के 5.6 प्रतिशत तक ले आई है.
  • वित्‍त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद की वृद्धि दर साढे छह से सात प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है.
  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के विकास में सेवा क्षेत्र का उल्‍लेखनीय योगदान जारी है और वर्ष 2024 में सेवा क्षेत्र का योगदान 55 प्रतिशत रहा. सेवा क्षेत्र में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
  • सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों (MSME) की पहचान अर्थव्‍यवस्‍था के आधार के रूप में की गई है. MSME क्षेत्र के डिजिटिकरण और अविनियमन पर बल दिया गया है.
  • आर्थिक वृद्धि को बढावा देने के लिए अमृत काल में नवीकृत नीति में छह क्षेत्रों पर ध्‍यान देने की बात कही गई है. ये छह क्षेत्र हैं – कृषि, MSME, निजी निवेश, हरित परिवर्तन वित्त, शिक्षा और रोजगार के बीच अंतर दूर करना और सरकारी नीतियों के प्रभावशाली कार्यान्‍वयन के लिए क्षमता बढाना.

आर्थिक सर्वेक्षण: एक दृष्टि

अर्थव्‍यवस्‍था और आर्थिक वृद्धि के भावी परिदृश्‍य का रिपोर्ट कार्ड आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की स्थिति, संभावनाओं और नीतिगत चुनौतियों का विस्तृत ब्योरा देता है. यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के विश्लेषण के साथ रोजगार, सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि, मुद्रास्‍फीति और बजट घाटे से संबंधित डेटा उपलब्ध कराता है.

विपणन वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा

मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ की 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 17 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था. नए MSP पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.

मुख्य बिन्दु

  • फसल वर्ष 2023-24 के लिए सामान्य श्रेणी के धान का MSP 117 रुपये बढ़ाकर 2300 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
  • कपास का नया MSP 7121 और एक दूसरी किस्म के लिए 7521 रुपए पर मंजूरी दी है जो पिछली MSP से 501 रुपए ज्यादा है. तिल 632 रुपये प्रति क्विंटल और अरहर दाल 550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है.
  • 2024-25 खरीफ के लिए हाल ही में घोषित MSP में, किसानों को उत्पादन लागत पर सबसे अधिक मार्जिन बाजरा (77 प्रतिशत), इसके बाद तुअर (59 प्रतिशत), मक्का (54 प्रतिशत), और उड़द ( 52 प्रतिशत) पर है.

14 फसलों पर MSP में कितनी हुई वृद्धि?

फसल2024-252023-24वृद्धि
धान (सामान्य)23002183117
धान (ए ग्रेड)23202203117
ज्वार (हाईब्रिड)33713180191
ज्वार (मालदंडी)34213225196
बाजरा26252500125
रागी42903846444
मक्का22252090135
अरहर75507000550
मूंग86828558124
उड़द74006950450
मूंगफली67836377406
सूरजमुखी72806760520
सोयाबीन48924600292
तिल92678635632
रामतिल87177734983
कपास (सामान्य)71216620501
कपास (उन्नत)75217020501

मुख्य खरीफ फसलें

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि. खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट लिया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

  • MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.
  • सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

NSO अनंतिम अनुमान: पिछले वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही

राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) ने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के अनंतिम अनुमान 31 मई को जारी किए थे. इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में GDP में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इससे पिछले वित्‍त वर्ष (2022-23) में GDP की वृद्धि दर 7 प्रतिशत दर्ज की गई थी. पिछले वित्‍त वर्ष में स्थिर कीमतों पर आधारित GDP 173 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का भी अनुमान है.

मुख्य बिन्दु

  • वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में GDP वृद्धि दर सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी. इसके साथ ही पूरे वित्त वर्ष में GDP की वृद्धि दर बढ़कर 8.2 प्रतिशत हो गई.
  • 1960-61 के बाद से यह नौवीं बार है जब भारतीय जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में 8 प्रतिशत या उससे अधिक वृद्धि दर रहा है.
  • वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में GDP वृद्धि दर सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत थी. हालांकि अक्टूबर-दिसंबर, 2023 की तुलना में मार्च तिमाही की वृद्धि रफ्तार में नरमी आई है. दिसंबर तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 8.6 प्रतिशत की उच्च दर से बढ़ी थी.
  • NSO ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी. आर्थिक मोर्चे पर भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में 5.3 प्रतिशत रही है.
  • सकल घरेलू उत्पाद GDP, किसी अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है, यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है.