बानू मुस्ताक की हार्ट लैंप को 2025 का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला
- बानू मुश्ताक द्वारा लिखित लघु कहानी संग्रह ‘हार्ट लैंप’ को 2025 का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (Booker International Prize) मिला है.
- बानू मुश्ताक ने अपनी लघु कहानी संग्रह हार्ट लैंप को मूल रूप से कन्नड़ में ‘हृदय दीपा’ नाम से लिखा है. हृदय दीपा का अंग्रेज़ी में अनुवाद दीपा भास्ती ने ‘हार्ट लैंप’ नाम से किया है. दीपा भास्थी अंतर्राष्ट्रीय बुकर जीतने वाली पहली भारतीय अनुवादक भी हैं.
- बानू मुश्ताक और दीपा भास्थी को इंग्लैंड के लंदन में एक समारोह में £50,000 की पुरस्कार राशि प्रदान की गई. बानू मुशराक और दीपा भास्थी दोनों पुरस्कार राशि को समान रूप से साझा करेंगी.
- हार्ट लैंप, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ कृति बन गई है. यह भारतीय क्षेत्रीय साहित्य के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
- हार्ट लैंप में पितृसत्ता के अधीन महिलाओं के संघर्ष को चित्रित करने वाली कहानियाँ हैं, जो बंदया साहित्य आंदोलन की प्रतिध्वनि हैं और लैंगिक भेदभाव पर प्रकाश डालती हैं.
- बंदया आंदोलन (Bandaya Movement) कन्नड़ साहित्य का एक प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन था. इसकी शुरुआत 1974 में डीआर नागराज और शूद्र श्रीनिवास ने की थी.
- गीतांजलि श्री के बाद बानू मुश्ताक अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गई हैं.
बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि
- बुकर पुरस्कार का पूरा नाम ‘मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन’ (Man Booker Prize for Fiction) है. इसकी स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी.
- यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित अंग्रेजी भाषा के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है.
- इस पुरस्कार विजेता को 60,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है.
- पहला बुकर पुरस्कार वर्ष 1969 में इंगलैंड के उपन्यासकार पी एच नेवई (P. H. Newby) को ‘Something to Answer For’ के लिए दिया गया था.
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
- बुकर पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से अलग है. अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार को पहले मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के नाम से जाना जाता था. अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार वर्ष 2005 में प्रारंभ किया गया था.
- 2005 से 2015 तक यह पुरस्कार हर दो साल में किसी भी राष्ट्रीयता के जीवित लेखक को अंग्रेजी में प्रकाशित या आम तौर पर अंग्रेजी अनुवाद में उपलब्ध कार्यों के लिए दिया जाता था.
2016 से, यह पुरस्कार अंग्रेजी में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित एकल कथा या लघु कथाओं के संग्रह को प्रतिवर्ष दिया जाता है. - पहला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार वर्ष 2005 में अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था.
- इस पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है. नियमों के अनुसार यह ईनाम राशि लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है.
बुकर पुरस्कार पाने वाले भारतीय: एक दृष्टि
लेखक | उपन्यास | वर्ष |
1. वी एस नाइपॉल | इन ए फ़्री स्टेट | 1971 |
2. सलमान रश्दी | मिडनाइट्स चिल्ड्रेन | 1981 |
3. अरुंधति राय | द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स | 1997 |
4. किरण देसाई | द इनहैरिटैंस ऑफ लॉस | 2006 |
5. अरविन्द अडिग | द व्हाइट टाइगर | 2008 |
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार पाने वाले भारतीय
भारतीय हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया था. उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए दिया गया.
गीतांजलि श्री न केवल हिंदी की पहली पुरस्कार विजेता हैं, बल्कि यह पहली बार है कि किसी भारतीय भाषा में लिखी गई पुस्तक ने बुकर पुरस्कार जीता है.
गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया है.
गीतांजलि श्री के बाद बानू मुश्ताक अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गई हैं.
लेखक | उपन्यास (अंग्रेजी अनुवाद – अनुवादकर्ता) | वर्ष |
1. गीतांजलि श्री | रेत समाधि (टॉम्ब ऑफ सैंड – डेजी रॉकवेल) | 2022 |
2. बानू मुश्ताक | हृदय दीपा (हार्ट लैंप – दीपा भास्थी) | 2025 |