अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस करने की मांग की
अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस करने की मांग की है. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान को धमकी देते हुए कहा है कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे.
अफगानिस्तान ने बगराम एयरबेस पर कब्ज़ा करने की अमरीका की धमकियों को अस्वीकार करते हुए कहा है कि एयरबेस पर अमरीका के फिर से नियंत्रण स्थापित करने के किसी भी प्रयास का सख्ती से विरोध किया जाएगा.
बगराम एयरबेस
- बगराम एयरबेस काबुल के उत्तर में 60 किलोमीटर दूर परवान प्रांत में स्थित है. वर्तमान में यह अफगान रक्षा मंत्रालय के अधीन है.
- इसे सबसे पहले 1950 के दशक में सोवियत संघ ने बनाया था और 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े के दौरान यह सोवियत संघ का मुख्य सैन्य अड्डा बन गया.
- 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया और ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान रूस से अलग होकर अलग देश बन गए, तो सोवियत चुनौती तो ख़त्म हो गई.
- साल 2001 में जब अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से हटाया तो उसने इस अड्डे पर नियंत्रण कर लिया. बगराम अमेरिका का सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे मज़बूत एयरबेस में से एक था.
इस एयरबेस का महत्व
- यह एयरबेस मध्य एशिया में अमेरिकी हवाई दबदबे के लिए भी अहम है. इस बेस से ईरान, चीन पाकिस्तान और रूस के अलावा दूसरे मध्य एशियाई देशों पर नज़र रखी जा सकती है.
- पिछले तीन सालों से बगराम एयरबेस पर तालिबान की सेनाएं अमेरिकी सैनिकों के छोड़े गए सैन्य साज़ो-सामान का इस्तेमाल करते हुए सैनिक परेड और दूसरे समारोह आयोजित कर रही हैं.
चीन की प्रतिक्रिया
- चीन ने कहा कि, चीन अफ़ग़ानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और उसका भविष्य अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के हाथों में होना चाहिए.
तालिबान सरकार को मान्यता नहीं
- इस समय अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार को रूस को छोड़कर दुनिया के किसी अन्य देश ने मान्यता नहीं दी है.
- चीन और तालिबान के बीच अच्छे संबंध हैं. अफ़ग़ानिस्तान में अधिकतर देशों का कोई कूटनीतिक मिशन नहीं है लेकिन चीन ने अपना राजदूत यहां भेज रखा है.
- दोनों पक्षों ने अफ़ग़ानिस्तान में एक तांबे की खदान के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो दुनिया की सबसे बड़े तांबे की खदानों में से एक है.
अफ़गानिस्तान में दूतावास
- चीन, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के साथ रूस दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक था, जिसने 2021 में अफ़गानिस्तान में अपना दूतावास बंद नहीं किया था.
- 2021 के तालिबान हमले के बाद अगस्त 2021 में काबुल में भारतीय दूतावास का परिचालन बंद कर दिया गया था जिसे 15 अगस्त 2022 को पुनः खोल दिया गया था. भारत काबुल में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता है.
अफ़गानिस्तान में तालिबान: घटनाक्रम
- तालिबान, अफगानिस्तान में सक्रिय एक इस्लामी कट्टरपंथी समूह है. यह समूह विभिन्न गुटों से लड़ते हुए 1996 में अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी इस्लामी सरकार की स्थापना की थी.
- अल-कायदा के आतंकवादियों द्वारा 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला करने के बाद, अमेरिका ने अफ़गानिस्तान पर हमला कर, तालिबान को सत्ता से बाहर कर दिया था.
- तालिबान ने पाकिस्तान में शरण ली और अमेरिकी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध शुरू कर दिया. अमेरिकी सेना अंततः फरवरी 2020 में अफ़गानिस्तान से वापस चली गई.
- अगस्त 2021 में अफ़गानिस्तान में तालिबान ने अमेरिका समर्थित अशरफ़ ग़नी सरकार को उखाड़ फेंका और सत्ता पर पुनः कब्जा कर लिया.