राष्ट्रपति ने 4 लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रख्यात वकील उज्ज्वल देवराव निकम, सामाजिक कार्यकर्ता सदानंदन मास्टर, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार तथा शिक्षाविद मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया. गृह मंत्रालय ने 13 जुलाई को एक अधिसूचना में इस निर्णय की जानकारी दी.
- उज्जवल निकम: उज्जवल निकम मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में सरकारी वकील रह चुके हैं. उन्होंने 1993 मुंबई बम धमाके प्रमोद महाजन हत्या और कई मामलों में भी अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया है.
- सदानंदन मास्टर: सदानंदन मास्टर का राज्य में शिक्षा जगत में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. केरल के कन्नूर जिले में उनके घर के पास एक हमले में राजनीतिक प्रतिद्वंदियों ने उनके दोनों पैर काट दिए थे. इस दर्दनाक घटना के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा और समाज सेवा में सक्रिय बने रहे.
- हर्षवर्धन श्रृंगला: भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत राजनयिक हर्षवर्धन श्रृंगला 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक के रूप में भूमिका निभाई थी. इससे पहले वह भारत की विदेश सचिव, अमरीका सहित कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके हैं.
- डॉ. मिनाक्षी जैन: डॉ. मिनाक्षी जैन दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की शासी परिषद की सदस्य रह चुकी है.
संविधान का अनुच्छेद 80
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत भारत के राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वे कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और अन्य क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले अधिकतम 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं.
- राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं. यह संख्या संविधान के अनुच्छेद 80 में निर्धारित की गई है.
- वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है. इनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, पुदुचेरी और जम्मू-कश्मीर) के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं.
- राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन है. राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है और एक-तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं. यह एक स्थायी निकाय है जिसे राष्ट्रपति द्वारा भंग नहीं किया जा सकता.