रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत भारत के दो और ऐतिहासिक आर्द्रभूमि स्थलों को रामसर धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है. इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों की संख्या 91 हो गई है.
राजस्थान के फलौदी में खीचन और उदयपुर में मेनार आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया गया है.
रामसर सूची का उद्देश्य वैश्विक जैव विविधता का संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखना है.
रामसर स्थल: एक दृष्टि
अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (वेटलैंड) को रामसर स्थल कहा जाता है. रामसर स्थल पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं.
इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं.
आर्द्रभूमियां प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं.
आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं. 1 बिलियन से अधिक लोग जीवनयापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं.
रामसर स्थल का दर्जा
रामसर स्थल का दर्जा उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के मानकों को पूरा करते हैं.
रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि है. यह आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है.
रामसर स्थल नाम कैस्पियन सागर पर स्थित ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है क्योंकि यहीं 02 फरवरी 1971 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारत ने इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किये थे.
रामसर स्थलों की सूची रामसर सम्मेलन के सचिवालय द्वारा रखी जाती है, जो स्विट्जरलैंड के ग्लैंड में स्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) मुख्यालय में स्थित है.
रामसर साइट का दर्जा प्राप्त आर्द्रभूमि अंतरराष्ट्रीय महत्व रखते हैं और उनके संरक्षण और उनके संसाधनों के इस्तेमाल के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त होता है.
दुनिया भर में रामसर साइट की संख्या 2,500 से ज्यादा है, जो करीब 25 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र में फैले हैं.
भारत और विश्व में रामसर स्थल
भारत में अब कुल 91 रामसर स्थल हैं जो देश की कुल भूमि का लगभग 5% है. ये क्षेत्र देश के 13.58 लाख हैक्टेयर भूमि में फैले हैं.
आर्द्रभूमि के राज्य-वार वितरण में तमिलनाडु (20 रामसर स्थल) पहले और गुजरात दूसरे स्थान पर है (एक लंबी तटरेखा के कारण). इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है.
प्रथम भारतीय रामसर स्थल- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) और चिल्का झील (ओडिशा) है, जिसे 1981 में शामिल किया गया था.
भारत में सबसे बड़ा रामसर स्थल पश्चिम बंगाल का सुंदरबन और सबसे छोटा रामसर हिमाचल प्रदेश में रेणुका है.
भारत के इंदौर और उदयपुर को ‘वेटलैंड (आर्द्र भूमि) सिटी’ का दर्जा दिया गया है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले ये भारत के पहले शहर हैं. दुनिया भर में कुल 31 शहरों को ‘वेटलैंड सिटी’ का दर्जा प्राप्त है.
रामसर सूची के अनुसार, सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मेंक्सिको (144) हैं.
विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल 150,000 वर्ग किमी से अधिक है. विश्व में सबसे बड़ा आर्द्रभूमि का क्षेत्र ब्राजील का है, जिसका 267,000 वर्ग किमी क्षेत्र आता है.
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