25 जून: संविधान हत्या दिवस

  • 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाया गया. यह दिन हमें उन घटनाओं की याद दिलाता है, जब 25 जून 1975 को संविधान का गला घोंटकर देश पर आपातकाल थोप दिया गया था.
  • इस दिवस पर उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले. यह भारतीय इतिहास का सबसे काला समय था.
  • 1975 में, आज ही के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आंतरिक अशांति के खतरे का हवाला देते हुए अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी.
  • आपातकाल की घोषणा बढ़ती राजनीतिक अशांति और न्यायिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में की गई थी जिसने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सत्तारूढ़ नेतृत्व की वैधता को हिला कर रख दिया था.
  • आपातकाल के दौरान, अभिव्यक्ति की आजादी जैसे संवैधानिक व्यवस्था को निलंबित कर दिया गया. सभी समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दी गई. यहां तक ​​​​कि वैधानिक निगरानी संस्था, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी समाप्त कर दिया गया था.
  • इस दौरान कार्यपालिका को अत्यधिक शक्तियां प्राप्त हुई और करीबन सब कुछ केंद्रीय नियंत्रण में ले लिया गया था.
  • आपातकाल के दौरान हुए संवैधानिक संशोधनों ने अदालतों को आपातकाल घोषित करने के राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाने से रोक दिया था और प्रधानमंत्री तथा लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को न्यायिक जांच से बाहर कर दिया था.
  • आपातकाल देश के इतिहास का सबसे काला युग था जब लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर अत्याचार किए गए थे.
  • आपातकाल 21 महीने चला था. इस दौरान पूरे देश में आतंक, भय, अत्‍याचार और बेगुनाहों के साथ अन्‍याय हुआ.
  • लाखों लोग ने आपातकाल का पूरी ताक‍त से विरोध किया. हजारों लोग जेल गए. लोकतंत्र के समर्थकों पर इतना अत्‍याचार किया गया, यातनाए दी गई कि बहुत लोगों की मौत हो गई.