भारत ने पहली जीनोम-संपादित चावल की किस्म विकसित की

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दुनिया की पहली जीनोम-संपादित (जीन एडिटिंग) चावल की दो उन्नत किस्में, ‘DRR धान 100 (कमला)’ और ‘पुसा DST राइस 1’ विकसित की हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 मई को इन दोनों किस्‍मों को जारी किया.
  • ये किस्‍मों को उगाने के लिए कम पानी की जरूरत होगी और ये जल्‍दी पककर तैयार होंगी. इतना ही नहीं इन किस्‍मों का उत्‍पादन भी पारंपरिक किस्‍मों के मुकाबले 20-30% तक ज्‍यादा होगा.
  • भारत जीन-संपादित, गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें विकसित करने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है.
  • इन किस्मों को आधुनिक CRISPR-Cas जीनोम-संपादन तकनीक से विकसित किया गया है. इस तकनीक में बिना किसी बाहरी डीएनए के पौधों के मूल जीन में परिवर्तन किया जाता है. यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है और भारत में इसे खेती के लिए मंजूरी मिल चुकी है.
  • ICAR के अनुसार, कम परिपक्वता अवधि (20 दिन जल्दी तैयार होने) के कारण पानी की बचत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाई जा सकेगी.
  • ICAR ने 2018 में चावल में जीनोम-संपादन अनुसंधान परियोजना की शुरुआत की थी. इसके तहत दो प्रमुख किस्मों ‘सांबा महसूरी (BPT5204)’ और ‘MTU1010 (कॉटन्डोरा सन्नालु)’ — को चुना गया था.
  • कमला किस्म को सांबा महसूरी में जीनोम-संपादित करके विकसित किया गया है. पुसा DST राइस 1 को कॉटनडोरा सन्नालू किस्म में जीनोम-संपादित करके विकसित किया गया था.
  • भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने कमला किस्म विकसित की है. पुसा DST राइस 1 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली ने विकसित किया है.