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सामाजिक प्रगति सूचकांक 2022 जारी: पुडुचेरी पहले और झारखंड अंतिम स्थान पर

वर्ष 2022 का सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) रिपोर्ट 20 दिसंबर को जारी किया गया था. रिपोर्ट में पुडुचेरी, लक्षद्वीप और गोवा को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है. वहीं बिहार और झारखंड सबसे पीछे है.

SPI रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • SPI रिपोर्ट को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) जारी करती है. इस रिपोर्ट में कई मापदंडों के आधार पर ये तय किया गया है कि सामाजिक प्रगति के मामले में कौन-सा राज्य किस स्तर पर है.
  • इस सूचकांक को तैयार करते वक्त सर्वे कर पता लगाया जाता है कि किन राज्यों में पोषण और स्वास्थ्य देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और रहने की स्थिति कैसी है.
  • इस रिपोर्ट में 36 राज्यों एवं संघ-शासित प्रदेशों और देश के 707 जिलों को सामाजिक प्रगति के विभिन्न मानकों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर आंका जाता है.
  • सर्वे के दौरान सभी राज्यों में रहने वालों के जीवन स्तर के मामले में मूल ज्ञान, सूचना तक पहुंच, संचार, स्वास्थ्य और पर्यावरण की गुणवत्ता भी देखी जाती है.
  • SPI रिपोर्ट 2022 के अनुसार सभी राज्यों की तुलना में पुडुचेरी का SPI स्कोर सबसे ज्यादा 65.99 रहा. दूसरे स्थान पर 65.89 स्कोर के साथ लक्षद्वीप रहा और तीसरे स्थान पर स्कोर के साथ गोवा का नाम दर्ज है. वहीं आइजोल (मिजोरम), सोलन और शिमला (हिमाचल प्रदेश) सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले तीन जिले हैं.
  • SPI स्कोर 43.95 के साथ लिस्ट में सबसे कम प्रगति वाले राज्य के रूप में झारखंड का नाम दर्ज किया गया है. वहीं 44.47 स्कोर के साथ बिहार अंतिम से दूसरे स्थान पर रहा.

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2022: भारत 136वें स्थान पर, फिनलैंड शीर्ष पर

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Report) 2022 हाल ही में जारी की गयी थी. रिपोर्ट में विभिन्न पैमानों के आधार पर 146 देशों को रैंकिंग दी गई है. भारत इस रैंकिंग में 136वें स्थान पर है.

मुख्य बिंदु

  • फिनलैंड ने लगातार पांचवी बार पहला स्थान हासिल किया है, जबकि अफगानिस्तान सबसे निचले पायदान पर है. इस रिपोर्ट में डेनमार्क दूसरे, आइसलैंड तीसरे, स्विट्जरलैंड चौथे और नीदरलैंड्स पांचवे स्थान पर है.
  • सूची में शीर्ष पांच देश यूरोप से हैं. इस सूची में अमरीका 16वें स्थान पर है. लक्जमबर्ग, नॉर्वे, इस्राइल और न्यूजीलैंड शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं.
  • इस रिपोर्ट में कोविड काल में सकारात्मक और नकारात्मक भावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि यह पता लग सके कि कोविड ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को कितना बदल दिया है.

SIPRI ने विश्व के परमाणु हथियारों पर एक रिपोर्ट जारी की

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने हाल ही में ईयरबुक 2021 जारी किया था. इस ईयरबुक में विश्व के परमाणु हथियारों पर एक रिपोर्ट जारी की गयी है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • परमाणुशक्ति संपन्न देश परमाणु हथियारों को पहले से अधिक घातक बना रहे हैं. भारत, चीन और पाकिस्तान लगातार अपने परमाणु हथियार बढ़ाने में जुटे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान से मुकाबले के लिए भारत ने भी हथियारों को बढ़ाना शुरू कर दिया है.
  • पिछले एक साल में चीन ने 30 और पाकिस्तान ने 5 नए परमाणु बम बनाए हैं, जबकि भारत ने 6 नए परमाणु बम बनाए हैं. उत्तर कोरिया ने पिछले साल की तुलना में 10 नए परमाणु बम बनाए हैं.
  • साल-2021 में परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया के पास कुल 13,080 परमाणु बम हैं. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 13,400 था यानी इस साल 320 कम हुए हैं.
  • परमाणु बमों की कुल संख्या में भले कमी आई हो, लेकिन तुरंत इस्तेमाल के लिए सेना के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या में बढ़ गई है. वर्ष 2020 में 3,720 परमाणु बम तैनात थे. वहीं वर्ष 2021 में 3,825 परमाणु हथियार कभी भी हमले के लिए बिल्कुल तैयार हालत में हैं. इनमें 2,000 परमाणु बम रूस और अमेरिका के हैं.

2020 और 2021 में परमाणु बमों की तुलना

देश2021 में2020 में
अमेरिका5,5505,800
रूस6,2556,375
ब्रिटेन225215
फ्रांस290290
चीन350320
भारत156150
पाकिस्तान165160
इजरायल9090
उ. कोरिया40-5030-40

अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-2020 जारी किया गया

भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय की तरफ से 10 जून को अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (All India Survey on Higher Education- AISHE) 2019-20 रिपोर्ट जारी किया गया. यह सर्वेक्षण देश में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी देता है.

AISHE सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • AISHE सर्वे में कुल 1,019 यूनिवर्सिटी, 39,955 कॉलेजों और 9,599 अन्य संस्थानों को शामिल किया गया था.
  • राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी सबसे कम है वहीं शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की तुलना में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिला भागीदारी कम है.
  • रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2019-20 के बीच 5 वर्षों में स्टूडेंट के नामांकन में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसी अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में छात्राओं के नामांकन में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • 2019-20 में उच्च शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक (GPI) 1.01 रहा जो 2018-19 में 1.00 था. यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच में सुधार का संकेत देता है.
  • राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम (24.7 प्रतिशत) है, इसके बाद डीम्ड विश्वविद्यालय (33.4 प्रतिशत) और राज्य के निजी विश्वविद्यालयों (34.7 प्रतिशत) का स्थान है. राज्य विधानमंडल कानून के तहत संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी 61.2 प्रतिशत है.
  • राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में छात्राओं की हिस्सेदारी 50.1 फीसदी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 48.1 फीसदी है.
  • पिछले 5 साल के दौरान एमए, एमएससी और एमकॉम स्तरों पर भी महिअलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है.
  • हालांकि, बीसीए, बीबीए, बीटेक या बीई और एलएलबी जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी अब भी बहुत कम है.

AISHE सर्वेक्षण: एक दृष्टि

AISHE सर्वेक्षण भारत में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है. इस सर्वेक्षण में शैक्षिक विकास के संकेतकों में संस्थान घनत्व, छात्र-शिक्षक अनुपात, सकल नामांकन अनुपात, लिंग समानता सूचकांक, प्रति छात्र व्यय, शिक्षकों की संख्या, छात्र नामांकन, परीक्षा परिणाम, कार्यक्रम, शिक्षा वित्त और बुनियादी ढांचे जैसे मापदंडों पर आंकड़े प्रस्तुत किया जाता है.

ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में 76.1 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट (Rural Health Statistics Report) जारी किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 76.1 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे 5,183 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 76.1 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है.
मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरत की तुलना में 78.9 फीसदी सर्जन, 69.7 फीसदी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 78.2 फीसदी फिजीशियन और 78.2 फीसदी बच्चों के डॉक्टरों की कमी है.

ग्रामीण क्षेत्रों के CHC में विशेषज्ञों की कुल स्वीकृत पद की तुलना में 63.3 फीसदी पद खाली पड़े हैं. ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे केंदों पर 5,183 फिजिशियन की जरूरत है, जिसमें 3,331 पद खाली पड़े हैं. इसी तरह इन स्वास्थ्य केंदों में 5,183 सर्जन और 5,183 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की जरूरत है, लेकिन इन श्रेणियों में 4,087 और 3,611 पद खाली हैं.

भारतीय मौसम विभाग ने वर्ष 2020 के दौरान देश की जलवायु पर रिपोर्ट जारी किया

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के जलवायु अनुसंधान और सेवाओं (CRS) ने 2020 के दौरान भारत की जलवायु को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • भारत में 2020 के दौरान मुख्य सतह का औसत वार्षिक तापमान +0.29 नैनो सेल्सियस रहा जो सामान्य से अधिक है. साल 2020, 1991 के बाद से आठवां सबसे ज्यादा गर्म साल रहा था.
  • साल 2020 के दौरान बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे बुरी तरह से प्रभावित राज्य रहे, जहां प्रत्येक राज्य में बिजली गिरने और ठंड की वजह से कई लोगों की मौत हुई.
  • साल 2020 के दौरान, उत्तर हिंद महासागर में 5 चक्रवाती तूफान आए. इन पांच में से निसर्ग और गति नाम के चक्रवाती तूफान अरब सागर में उठे जबकि बांकि के तीन तूफान- अम्फान, निवार और बुरेवी बंगाल की खाड़ी में आए थे.

2020 में आये गंभीर तूफानों की सूची

  1. इन पांच सबसे विनाशकारी चक्रवातों में से भीषण चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ मानसून से पहले ही आ गया और इसने 20 मई को सुंदरवन के ऊपर पश्चिम बंगाल तट को पार किया. शेष सभी तूफान मानसून सीजन के दौरान आए थे.
  2. गंभीर चक्रवाती तूफान निसर्ग ने 3 जून को महाराष्ट्र तट को पार किया था.
  3. गंभीर चक्रवाती तूफान निवार ने तमिलनाडु और पुदुचेरी तटों को पुदुचेरी के उत्तर में पार किया.
  4. चक्रवाती तूफान बुरेवी की वजह से तमिलनाडु काफी नुकसान हुआ था.
  5. चक्रवाती तूफान ‘गति’ सोमालिया तट से टकराया था.

विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी वित्तीय वर्ष 2020 में सबसे दानवीर भारतीय बने

एडेलगिव हुरून इंडिया (EdelGive Hurun India Philanthropy List) की रिपोर्ट 2020 हाल ही में जारी की गयी है. इस रिपोर्ट के अनुसार दिग्गज सूचना तकनीक कंपनी विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी वित्तीय वर्ष 2020 में सबसे दानवीर भारतीय बन गए हैं. प्रेमजी ने इसी के साथ परोपकारियों की सूची में भी पहला स्थान हासिल किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेमजी ने HCL टेकनोलॉजी के शिव नाडर को बड़े अंतर से पीछे छोड़ा है. नाडर इससे पहले परोपकारियों की सूची में शीर्ष पर चल रहे थे. नाडर ने वित्त वर्ष 2020 में 795 करोड़ रुपये दान किए, जबकि इससे एक साल पहले उन्होंने 826 करोड़ परोपकार पर खर्च किए थे.

प्रेमजी ने इसे पहले यानी वित्त वर्ष 2018-19 में महज 426 करोड़ रुपये दान पर खर्च किए थे. लेकिन वित्त वर्ष 2020 में उन्होंने किए गए दान को 175 फीसदी बढ़ाते हुए 12,050 करोड़ रुपये पर पहुंचा दिया.

सबसे अमीर भारतीय और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी दानवीर भारतीयों की सूची में तीसरे नंबर पर हैं. उन्होंने वित्त वर्ष 2018-19 में 402 करोड़ रुपये दान देने के मुकाबले वित्त वर्ष 2020 में 402 करोड़ रुपये परोपकार पर खर्च किए हैं.

‘टीबी रिपोर्ट 2020’ जारी किया गया, 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य

स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने 24 जून को ‘टीबी रिपोर्ट’ (Tuberculosis Report) 2020 जारी किया था. रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. लेकिन कुछ राज्य लक्ष्य से पहले ही टीबी उन्मूलन करना चाहते हैं. उनमें केरल 2020, हिमाचल प्रदेश 2021 में सिक्किम और लक्षद्वीप 2022 में, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, पुडुचेरी, दादर अगर हवेली, दमन और दीव ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है.

टीबी रिपोर्ट 2020 के मुख्य बिंदु

  • भारत 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने जनवरी 2020 में ‘राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ का नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम’ कर दिया था.
  • टीबी उन्मूलन की दिशा में बेहतरीन काम करने वाले राज्य गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, दमन दीव और दादर नगर हवेली को सम्मानित किया गया है.
  • टीबी मरीजों को बेहतर पोषण मिले इसके लिए 45 लाख से ज्यादा मरीजों को 533 करोड़ रुपये सीधे उनके खाते में भेजा गया है.
  • टीबी के मरीजों का ऑनलाइन डेटा बनाया जा रहा है, देश मे 23.9 लाख टीबी मरीजों को अधिसूचित किया गया है. इनमें 6.2 लाख रोगी निजी क्षेत्र से है.
  • पहले हर साल 10 लाख केस जांच से छूट जाते थे लेकिन जांच प्रक्रिया को बढ़ाने से अब करीब 2 लाख लोग ही जांच से वंचित रह पाते हैं.
  • इस साल 23 राज्यों के 337 जिलों में 27 करोड़ से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 62 हजार से ज्यादा टीबी मरीज की पहचान हुई.

ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट: झरिया देश का सबसे प्रदूषित शहर, लुंगलेई देश का सबसे कम प्रदूषित शहर

ग्रीनपीस इंडिया ने भारत में प्रदूषण पर हाल ही में रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में देश में प्रदूषित शहरों की सूची जारी की गयी है. इस रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड का झरिया शहर देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है. अपने कोयले रिजर्व के लिए मशहूर झारखंड का धनबाद देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है.

रिपोर्ट में भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 6 शहर सिर्फ उत्तरप्रदेश के हैं. उत्तरप्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, बरेली, इलाहाबाद, मुरादाबाद, फिरोजाबाद देश के टॉप 10 प्रदूषित शहरों में शामिल हैं. दिल्ली देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 10वें नंबर पर है, जबकि एक साल पहले यह आठवें नंबर पर था. रिपोर्ट के अनुसार, मिजोरम का लुंगलेई शहर देश का सबसे कम प्रदूषित शहर बताया गया है.

इस रिपोर्ट में वायु की गुणवत्ता को आधार बनाया गया है. इस रिपोर्ट के लिए 52 दिनों तक देश के विभिन्न शहरों में डाटा इकट्ठा किया गया.

भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर

  1. झरिया (झारखण्ड)
  2. धनबाद (झारखण्ड)
  3. नोएडा (उत्तर प्रदेश)
  4. गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
  5. अहमदाबाद (गुजरात)
  6. बरेली (उत्तर प्रदेश)
  7. इलाहबाद (उत्तर प्रदेश)
  8. मोरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
  9. फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)
  10. दिल्ली (दिल्ली)

भारत में वन की स्थिति रिपोर्ट-2019 जारी, वनों के क्षेत्रफल में पांच हजार वर्ग किलोमीटर की वृद्धि

पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 30 दिसम्बर को ‘भारत में वन क्षेत्र की स्थिति रिपोर्ट 2019’ (India State of Forest Report) जारी किया. यह रिपोर्ट भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India) द्वारा तैयार की गयी है.

भारत में वन क्षेत्र की स्थिति रिपोर्ट 2019: मुख्य तथ्य

  • इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले दो वर्ष में देश के हरित क्षेत्र में 5,188 वर्ग किमी की बढ़ोतरी हुई है जिसमें वन क्षेत्र और वन से इतर वृक्षों से आच्छादित हरित क्षेत्र भी शामिल है.
  • देश में कुल वन और वृक्षावरण 80.73 मिलियन हेक्टेयर हो गया है. यह देश के कुल क्षेत्रफल का 24.56 प्रतिशत है.
  • हरित क्षेत्र में बढ़ोतरी वाले दुनिया के अग्रणी देशों में भारत शामिल है और इसमें सरकार की पर्यावरण हितैषी विकास नीतियों का प्रमुख योगदान है.
  • बांस का हरित क्षेत्र 2.06 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 3229 वर्ग किमी हो गया है. देश में मैनग्रोव क्षेत्र 54 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया. यह पिछले आकलन की तुलना में 1.1 प्रतिशत अधिक है.
  • 2017 में आकलन की तुलना में देश का कार्बन स्‍टॉक 42 करोड़ 60 लाख टन बढ़ गया है.
  • इस रिपोर्ट से भरोसा होता है कि भारत पैरिस समझौते का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए सही दिशा में बढ़ रहा है.
  • वर्तमान आकलन से पूर्वोत्‍तर भारत में वनों का दायरा 765 वर्ग किलोमीटर घटने का पता चला है. यह पिछले आकलन की तुलना में 0.45 प्रतिशत कम है. असम और त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्‍तर के सभी राज्‍यों में वनक्षेत्र घटा है.

भारतीय वन सर्वेक्षण

भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India) दो साल के अंतराल पर ISFR रिपोर्ट प्रकाशित करता है. पहला रिपोर्ट 1987 में जारी किया गया था. तब से अब तक 16 आकलन पूरे हो चुके हैं. इस बार के आकलन में सबसे खास बात ये रही कि पहली बार ऑर्थो-रेक्टिफाइड सैटेलाइट आंकड़ों का उपयोग वनावरण मैपिंग के लिए किया गया है.

नीति आयोग ने भारत के सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक 2019-20 जारी किया

नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने 30 दिसम्बर को भारत के सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक (Sustainable Development Goals Index- SDG) का दूसरा संस्‍करण (2019-20) जारी किया. इस सूचकांक में देश के समग्र रैंक में सुधार हुआ है और यह 57 से 60 हो गया है. यह उपलब्धि जल, स्‍वच्‍छता, ऊर्जा और उद्योग क्षेत्रों में बेहतर काम के कारण हासिल की है.

सूचकांक की राज्‍यों की सूची में केरल, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना सबसे ऊपर हैं. इस वर्ष किसी भी राज्‍य को 100 अंकों में से 50 से कम नहीं मिले हैं. कुपोषण और स्‍त्री-पुरूष असमानता देश के लिए समस्‍या बनी हुई है जिस पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत है. स्वच्छ भारत अभियान, उज्जवला योजना सहित तमाम जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के चलते भी भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.

इस बार के सूचकांक के मुताबिक लैंगिक समानता और पोषण जैसे विषयों पर अभी राज्यों को और ज्यादा मेहनत की जरुरत है तो बिहार और झारखंड जैसे राज्यों को अन्य राज्यों की तरह तमाम पैमानों पर और काम करना होगा. उत्तर प्रदेश और असम जैसे राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, भूख जैसे तमाम मानकों पर पिछले साल अच्छा काम हुआ है, जिससे इन राज्यों की रैंकिंग और ज्यादा सुधरी है.

सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक: एक दृष्टि

  • सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वर्ष 2030 के सतत विकास के लक्ष्‍य प्राप्‍त करने की दिशा में देश के राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में हुई प्रगति का लेखा जोखा होता है.
  • इस सूचकांक में 100 मानकों के आधार पर राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों की प्रगति का आंकलन किया गया है.
  • ये सूचकांक बताते हैं कि देश और राज्‍य तथा केन्‍द्र शासित प्रदेश सतत विकास के लक्ष्‍यों को पाने के दिशा में क्‍या कर रहे हैं और इसे पाने के लिए कितना और समय लगेगा.