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WEF ने वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक जारी किया, भारत 74वें और स्वीडन पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने हाल ही में वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index- ETI) 2020 जारी किया है. इस सूचकांक में दुनिया के 115 देशों को शामिल किया गया है. यह सूचकांक इन देशों में उपयोग हो रहे ऊर्जा प्रणाली पर सर्वेक्षण किया गया है.

सूचकांक में स्वीडन अपनी पिछले साल की रैंकिंग को बरकरार रखते हुए प्रथम स्थान पर है, जबकि स्विट्जरलैंड और फिनलैंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है. हैती को सबसे आख़िरी स्थान प्राप्त हुआ है. इस सूचकांक में संयुक्त राज्य अमेरिका 32वें, कनाडा 28वें, ब्राजील 47वें और ऑस्ट्रेलिया 36वें स्थान पर है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) 2020 में भारत का प्रदर्शन

इस सूचकांक में भारत 74वें स्थान पर है. भारत ने पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 2 स्थान का सुधार किया है और यह दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जिसने साल 2015 से लगातार प्रगति की है.
भारत ने अपने ऊर्जा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं. ये सुधार LED बल्ब और स्मार्ट मीटर के उपयोग और उपकरणों की ऊर्जा लेबलिंग करके प्राप्त किया है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI): एक दृष्टि

  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) को प्रत्येक वर्ष विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी किया जाता है. इसके अंतर्गत दुनिया के देशों द्वारा ऊर्जा सुरक्षा, प्रदूषण स्तर और सतत पर्यावरण को बनाए रखने का आकलन किया जाता है.
  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) में आर्थिक विकास, पर्यावरण स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा, सुरक्षित, टिकाऊ, सस्ती और समावेशी ऊर्जा प्रणालियों के मानकों पर सर्वेक्षण किया जाता है.

विश्व आर्थिक मंच (WEF)

  • विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच प्रदान करना है.
  • WEF की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब ने की थी. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है.
  • WEF की बैठक प्रत्येक वर्ष दावोस में आयोजित की जाती है. इस बैठक में परस्पर बातचीत में अनेक समस्याओं का समाधान निकला जाता है.

IDMC रिपोर्ट: 2019 में आपदाओं के कारण सबसे अधिक भारत में विस्थापित हुए

आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों पर एक वैश्विक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में 50 लाख लोग चक्रवात और बाढ़ सहित विभिन्न आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे. यह संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है.

IDMC रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • जिनेवा स्थित IDMC की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में आपदाओं के कारण दक्षिण एशिया में 95 लाख विस्थापित हुए. यह संख्या 2012 के बाद सबसे ज्यादा है.
  • इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन के कारणों में भारत और बांग्लादेश में मानसून के कारण आई बाढ़ तथा फोनी और बुलबुल जैसे चक्रवात भी थे जिनकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा.
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50,37,000 लोग विस्थापित हुए जबकि बांग्लादेश में ऐसे लोगों की संख्या 40,86,520 रही. अफगानिस्तान में 5,78,000 लोग विस्थापित हुए जबकि नेपाल में 1,21,000 और पाकिस्तान में 1,16,000 लोग विस्थापित हुए.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष और हिंसा के कारण 2019 में भारत में लगभग 19,000 लोग विस्थापित हुए. इसमें मुख्य रूप से त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पहली छमाही में राजनीतिक और चुनावी हिंसा के कारण 7,600 से अधिक लोग विस्थापित हुए.

सैन्य खर्च के मामले में SIPRI रिपोर्ट जारी, भारत पहली शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ

ग्लोबल थिंक-टैंक ‘SIPRI’ (Stockholm International Peace Research Institute) ने वर्ष 2019 में किये गये सैन्य खर्च पर हाल ही में एक वैश्विक अध्‍ययन रिपोर्ट जारी की है. इस अध्‍ययन के अनुसार साल 2019 में वैश्विक सैन्य खर्च 1,917 बिलियन डॉलर रहा जो साल 2018 के वैश्विक सैन्य खर्च की तुलना में 3.6 प्रतिशत अधिक है. यह मौजूदा दशक की सबसे ऊंची वार्षिक बढ़ोत्तरी है.
इस अध्‍ययन रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में विश्व में अमेरिका पहले, चीन दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है. यह पहली बार है जब भारत अधिक सैन्य खर्च करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ है. 2018 में भारत चौथे स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में रूस चौथे और सऊदी अरब पांचवे स्थान पर है.

SIPRI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  1. 2019 के वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी दर (3.6 प्रतिशत) साल 2010 के बाद सबसे अधिक है. सैन्‍य खर्च के क्षेत्र में साल 1989 से ही हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.
  2. अमेरिका ने साल 2019 में 732 बिलियन डॉलर सैन्य खर्च किए जो 2018 की तुलना में 5.3 प्रतिशत ज्‍यादा है. यह रकम दुनियाभर में होने वाले सैन्‍य खर्च की 38 प्रतिशत है.
  3. सैन्‍य खर्चों के मामले में एशिया का दबदबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है. चीन का सैन्य खर्च 2018 के मुकाबले 2019 में 5.1 प्रतिशत बढ़कर 261 बिलियन डॉलर है.
  4. भारत ने भी अपने सैन्य खर्च में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है. साल 2019 में भारत का सैन्य खर्च 71.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.4% हिस्सा है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनाव के कारण सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी स्‍वाभाविक है.
  5. सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वाले यदि दुनिया के पांच शीर्ष देशों में अमेरिका, चीन और भारत के बाद रूस (65.1 बिलियन डॉलर) चौथे और सऊदी अरब (बिलियन डॉलर) पांचवें स्थान पर हैं. विश्व में कुल सैन्य खर्च में इन पांच देशों का हिस्सा 62 प्रतिशत है.
  6. एशियाई देशों में चीन और भारत के अलावा सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वालों में जापान और दक्षिण कोरिया भी शामिल हैं. साल 2019 में जापान और दक्षिण कोरिया का सैन्य खर्च क्रमश: 47.6 बिलियन डॉलर और 43.9 बिलियन डॉलर रहा है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2020 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2019 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 140वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर है. नॉर्वे लगातार चौथे वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग उत्तर कोरिया की है जो 180वें स्थान पर है वहीं तुर्कमेनिस्तान 179वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.

‘फोर्ब्स’ पत्रिका ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की ताजा सूची जारी की, जेफ बेजोस शीर्ष पर

प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की वार्षिक सूची 9 अप्रैल को जारी की. यह सूची ऐसे वक्त में जारी की गई है, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है.

विश्व में सबसे अमीर

इस सूची में अमेजन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जेफ बेजोस पहले स्थान पर हैं. उनकी मौजूदा संपति 113 बिलियन डॉलर आंकी गयी है. जेफ बेजोस के बाद माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स कुल संपत्ति 98 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर और LVVH (LVMHF) के अध्यक्ष और CEO बर्नार्ड अर्नाल्ट 76 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं.

विश्व में सबसे अमीर भारतीय

‘फोर्ब्स’ की इस सूची के अनुसार HCL के शिव नाडर, कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक तथा अडाणी समूह के गौतम अडाणी अब फोर्ब्स की 100 अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए हैं.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में 17वें स्थान पर हैं. अंबानी की इस समय कुल संपत्ति 44.3 बिलियन डॉलर है. इसके साथ ही वह सबसे अमीर भारतीय बने हुए हैं. मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं.

इस सूची में दूसरे अमीर भारतीय मुंबई के बड़े निवेशक राधाकृष्ण दमानी हैं, जो विश्व रैंकिंग में 34वें पायदान पर हैं. ‘इंडिया के रिटेल किंग’ नाम से मशहूर दमानी की कुल संपत्ति 16.6 बिलियन डॉलर है. दमानी सुपर मार्केट चेन डी-मार्ट के मालिक हैं.

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2020 जारी: फिनलैंड पहले और भारत 144वें स्थान पर

संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) 2020 जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में फिनलैंड ने तीसरी बार पहला स्थान हासिल किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व के शीर्ष 10 खुशहाल देशों में से 9 यूरोप के हैं. जबकि विश्व के शीर्ष 20 खुशहाल देशों में एशिया का एक भी देश नहीं है.

2020 के इस रिपोर्ट में 156 देशों को शामिल कर सूची जारी की गयी है. की इस सूची में शीर्ष में फिनलैंड के बाद डेनमार्क, स्वीट्जरलैंड, आइसलैंड और नॉर्वे शामिल हैं. इस रिपोर्ट में अमेरिका को 18वां और यूनाइटेड किंगडम को 13वें स्थान पर है. इस सूची में सबसे निचले पायदान पर अफगानिस्तान, दक्षिणी सूडान, जिम्बाब्वे और रवांडा हैं.

भारत 144वें स्थान पर

भारत इस रिपोर्ट में 144वें स्थान पर है. वर्ष 2019 के रिपोर्ट में भारत को 140वां स्थान प्राप्त हुआ था. वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 66वें, चीन 94वें, बांग्लादेश 107वें, नेपाल 92वें, मालदीव 87वें स्थान पर है. पाकिस्तान पिछली बार 67वें और चीन 93वें स्थान पर था.

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट: एक दृष्टि

किसी देश की खुशहाली मापने के लिए 6 मानकों पर सवाल तैयार किए जाते हैं. इनमें संबंधित देश के प्रति व्यक्ति की GDP, सामाजिक सहयोग, उदारता और भ्रष्टाचार, सामाजिक स्वतंत्रता, स्वस्थ जीवन के जवाब के आधार पर रैंकिंग की जाती है.

विश्व में सबसे खुशहाल देशों को सूचीबद्ध करने के लिए भूटान ने 2011 में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव रखा था. इसे मंजूरी मिलने के बाद से हर साल 20 मार्च को ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ मनाया जाता है.

BBC सर्वेक्षण में महाराजा रणजीत सिंह को ‘अब तक का सबसे महान नेता’ चुना गया

BBC वर्ल्ड हिस्ट्री मैगजीन द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में भारत में सिख साम्राज्य के 19वीं सदी के शासक महाराजा रणजीत सिंह को ‘ग्रेटेस्ट लीडर ऑफ ऑल टाइम’ (अब तक का सबसे महानतम नेता) चुना गया है.

  1. रणजीत सिंह: BBC के इस सर्वेक्षण में 38 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ एक नया सहिष्णु साम्राज्य बनाने के लिए रणजीत सिंह की सराहना की गई. उनके शासनकाल को पंजाब और उत्तर-पश्चिम भारत में स्वर्ण युग कहा जाता है तथा जिसे सहिष्णुता, स्वाधीनता और सहयोग का आदर्श माना जाता था.
  2. अमलकर कैब्राल: 25 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता सेनानी अमलकर कैब्राल रहे. उन्होंने पुर्तगाली कब्जे से देश को मुक्त करने के लिए दस लाख से अधिक गिनियन को एकजुट किया और बदले में कई अन्य उपनिवेशी अफ्रीकी देशों को स्वतंत्रता के लिए उठने और लड़ने के लिए प्रेरित किया.
  3. विंस्टन चर्चिल: ब्रिटेन के युद्ध के समय के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अपने त्वरित निर्णय और तेज राजनीतिक पैंतरेबाजी के लिए 7 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

इस सूची में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन चौथे स्थान पर और ब्रिटिश साम्राज्ञी एलिजाबेथ प्रथम पांचवें स्थान पर हैं. शीर्ष 20 नेताओं में यूके, यूएस, एशिया और अफ्रीका से दुनिया भर के इतिहास के कुछ सबसे प्रसिद्ध नेता शामिल हैं, जिनमें मुगल सम्राट अकबर, फ्रेंच सैन्य नेता जोन ऑफ आर्क और रूसी महारानी कैथरीन द ग्रेट शामिल हैं.

SIPRI की वर्ष 2015-19 की रिपोर्ट जारी: भारत दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश

हथियारों की निगरानी करने वाली संस्‍था SIPRI (Stockholm International Peace Research Institute) ने हाल ही में हथियार आयातक और निर्यातक देशों की वर्ष 2015-19 की रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. SIPRI के पिछले रिपोर्ट में भारत पहले स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार हथियारों की खरीद में खाड़ी देश सऊदी पहले स्थान पर है.

इस सूची में तीसरे स्थान पर मिस्र, चौथे स्‍थान पर आस्‍ट्रेलिया और पांचवें स्‍थान पर चीन है. ये शीर्ष 5 देश दुनिया के कुल हथियारों का 36 फीसदी आयात करते हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्‍यादा हथियार पश्चिम एशिया के देश खरीद रहे हैं. सऊदी अरब ने दुनिया के कुल हथियारों की बिक्री का 12 प्रतिशत हथियार खरीदा है. भारत ने इस दौरान 9.2 प्रतिशत खरीदे. हथियारों की खरीद में पाकिस्‍तान 11वें स्‍थान पर रहा.

अमेरिका दुनिया में सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश

SIPRI की इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्‍यादा हथियारों का निर्यात अमेरिका कर रहा है. इसके बाद रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन है.

हथियारों के निर्यात के मामले में अमेरिका और फ्रांस दोनों ने काफी बढ़त हासिल की है. अमेरिका का कुल हथियार निर्यात 23 प्रतिशत बढ़ गया है. दुनिया के कुल हथियार निर्यात में अमेरिका का हिस्‍सा बढ़कर 36 प्रतिशत हो गया है. 2015-19 के बीच अमेरिका का कुल हथियार निर्यात रूस से 76 प्रतिशत ज्‍यादा है.

ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स में भारत 77वें स्थान पर

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ (UNICEF) और मेडिकल जर्नल लैंसेट ने हाल ही में ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स और फ्लोरिशिंग इंडेक्स पर रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ‘ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स’ में भारत 77वें स्थान पर और फ्लोरिशिंग इंडेक्स में दुनिया के 180 देशों में 131वें नंबर पर है. इसे दुनिया भर के 40 से ज्यादा बाल एवं किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के आयोग ने तैयार किया है.

सस्टेनेबल इंडेक्स

सस्टेनेबल इंडेक्स या सतत सूचकांक (Sustainable Index) प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन से जुड़ा है. इस सूची में 2030 लक्ष्य के हिसाब से कार्बन उत्सर्जन के आधार पर देशों को रैंक दी गई है.

प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के मामले में चाड को छोड़कर बाकी देश बहुत पीछे हैं. जो देश 2030 के प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य के मुताबिक चल रहे हैं वे हैं- अल्बानिया, आर्मेनिया, ग्रेंडा, जॉर्डन, मोलदोवा, श्रीलंका, टूनीशिया, उरुग्वे तथा वियतनाम.

ग्लोबल फ्लोरिशिंग इंडेक्स

ग्लोबल फ्लोरिशिंग इंडेक्स या खुशहाली सूचकांक (Global Flourishing Index) मां-बच्चे का स्वास्थ्य पालन-पोषण और उसके कल्याण से जुड़ा है. रिपोर्ट में 180 देशों की क्षमता का आकलन किया गया है कि वे यह सुनिश्चित कर पाते हैं या नहीं कि उनके यहां के बच्चे पलें-बढ़ें और खुशहाल रहें.

नॉर्वे, फ्लोरिशिंग इंडेक्स इंडेक्स में पहले स्थान पर है. दक्षिण कोरिया और नीदरलैंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. इस इंडेक्स में मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड और सोमालिया सबसे नीचे हैं.

हिन्‍दी, विश्‍व में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा; बंगाली भाषा सातवें पायदान पर

विश्‍व भाषा डेटाबेस (वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस) ने हाल ही में अपना रिपोर्ट (एथनोलॉग का 22वां संस्करण) जारी किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार हिन्‍दी विश्‍व में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है. विश्व में 61 करोड़ 50 लाख लोग विश्‍व में हिंदी बोलते हैं.

अंग्रेजी ने सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा

इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में पहला स्थान अंग्रेजी का है. पूरी दुनिया में 113.2 करोड़ लोग अंग्रेजी बोलते हैं. दूसरे स्थान पर चीन में बोली जाने वाली मैंड्रेन भाषा है, जिसे 111.7 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं. जबकि चौथे नंबर पर 53.4 करोड़ लोगों के साथ स्पेनिस और 28 करोड़ लोगों के साथ पांचवें नंबर पर फ्रेंच भाषा है.

20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय

22वें संस्करण एथनोलॉग के मुताबिक दुनियाभर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं शामिल हैं, जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है. हिंदी के बाद बंगाली भाषा सातवें पायदान पर है, जिसे 26.5 करोड़ लोग बोलते है. इसके अलावा 17 करोड़ लोगों के साथ 11वें नंबर पर उर्दू, 9.5 करोड़ लोगों के साथ 15वें स्थान पर मराठी, 9.3 करोड़ के साथ 16वें नंबर पर तेलगू और 8.1 करोड़ लोगों के साथ तमिल भाषा 19वें पायदान पर है.

एथनोलॉग: एक दृष्टि

एथनोलॉग दुनिया में इस्‍तेमाल की जा रही भाषाओं का एक वार्षिक डेटाबेस तैयार करता है. इसकी स्थापन 1951 में हुई थी. मौजूदा डेटाबेस में विश्‍व में प्रयोग की जा रही सात हजार एक सौ ग्‍यारह भाषाओं को शामिल किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2020 में भारत को 40वें स्थान पर

अमेरिकी चैंबर आफ कॉमर्स के नियंत्रण नवोन्मेषण नीति केंद्र (GIPC) ने 5 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) सूचकांक 2020 जारी किया. इस सूचकांक में भारत को 40वें स्थान पर रखा गया है. 2019 के इस सूचकांक में भारत 36वें स्थान पर था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मजबूत आईपी संरक्षण की दिशा में अच्छी प्रगति की है लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ है.

इस सूचकांक में इस साल 53 नियंत्रण अर्थव्यवस्थाओं में बौद्धिक संपदा की स्थिति का विश्लेषण किया गया है. इस सूचकांक में अमेरिका पहले, ब्रिटेन दूसरे, स्वीडन तीसरे, फ्रांस चौथे और जर्मनी पांचवें स्थान पर रहा है. पिछले साल भी ये देश इन्हीं स्थानों पर थे.

GIPC ने यह सूचकांक 45 संकेतकों पर तैयार किया है. इनमें पेटेंट, कॉपीराइट और व्यापार गोपनीयता का संरक्षण आदि शामिल हैं. भारत की स्थिति में यह सुधार भारतीय नीति निर्माताओं द्वारा घरेलू उद्यमियों और विदेशी निवेशकों के लिए समान रूप से एक सतत नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के प्रयासों को दर्शाता है.

WEF के सामाजिक बदलाव सूचकांक में भारत 76वें पायदान पर

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने हाल ही में वैश्विक सामाजिक बदलाव सूचकांक (Global Social Mobility Index) 2020 रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत 82 देशों में से 76वें स्थान पर है. WEF की 50वीं वार्षिक बैठक से पहले यह सूचकांक जारी किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक अगर किसी देश के सामाजिक बदलाव में 10 प्रतिशत की भी बढ़ोतरी होती है, तो इससे उस देश की सामाजिक एकता मजबूत होगी. यही नहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी 2030 तक करीब पांच फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है. मगर रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ कुछ अर्थव्यवस्थाओं में ही ऐसी सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए सही परिस्थितियां हैं. अगर सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया जाए तो सबसे ज्यादा लाभ चीन, अमेरिका, भारत, जापान और जर्मनी को हो सकता है.

रैंकिंग के लिए आधार स्तंभ

रैंकिंग के लिए देशों को पांच आधार स्तंभ पर परखा गया है. ये हैं- स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, कामकाज और संरक्षण एवं संस्थान हैं. यह दर्शाता है कि उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और आजीवन शिक्षा का सामाजिक बदलाव में सबसे बड़ा योगदान है.

शिक्षा के मामले में भारत 41वें पायदान पर

शिक्षा के मामले में भारत 41वें और कामकाज की परिस्थिति के स्तर पर वह 53वें पायदान पर है. भारत को जिन क्षेत्र में बहुत सुधार करने की जरूरत है, उनमें सामाजिक सुरक्षा (76वें) और उचित वेतन वितरण (79वें) शामिल हैं.

शीर्ष 10 देश

इस सूची में डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और आइसलैंड क्रमशः शीर्ष पांच देश हैं. शीर्ष दस देशों की सूची में नीदरलैंड (6वें), स्विट्जरलैंड (7वें), ऑस्ट्रिया (8वें), बेल्जियम (9वें) और लक्जमबर्ग (10वें) हैं.