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ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘गो-इलैक्ट्रिक’ अभियान

केंद्र सरकार ने 19 फरवरी को ‘गो-इलैक्ट्रिक’ (Go Electric) अभियान शुरू किया. इसका उद्देश्‍य देश में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इस अभियान का मकसद बिजली से चलने वाले वाहनों और खाना पकाने के उपकरणों को प्रोत्‍साहन देना है.

गो-इलैक्ट्रिक अभियान: मुख्य बिंदु

  • गो इलेक्ट्रिक अभियान एक अनूठी पहल साबित हो सकता है क्योंकि यह उन उत्पादों को अपनाने पर बल देगा जो अक्षय ऊर्जा की मदद से संचालित होते हैं.
  • सरकार बिजली से चलने वाले वाहनों और खाना पकाने वाले उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि आयातित जीवाश्‍म ईंधनों पर निर्भरता कम की जा सके और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके.
  • यह अभियान लोगों को जागरूक करेगा ताकि लोग पारंपरिक ईंधनों से संचालित होने वाले वाहनों को छोड़कर बिजली से चलले वाले वाहनों को अपनाए, साथ ही खाना बनाने के पारंपरिक तरीकों की बजाए बिजली से चलने वालों उपकरणों के ज़रिए खाना पकाएं.
  • इसकी मदद से जहां एक ओर कार्बन के उत्‍सर्जन में कमी आएगी, वहीं पेरिस समझौते के तहत किए गए वायदों को पूरा करने में मदद मिलेगी.

भारतीय संसद भवन के सौ साल पूरे, मुख्य तथ्यों पर एक दृष्टि

12 फरवरी 1921 को भारतीय संसद भवन के 100 साल पूरे हो गये. 1921 में इसी दिन मौजूदा संसद भवन की आधारशिला रखी गयी थी. 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र होने के बाद यह इमारत संसद भवन कहलाई.

भारतीय संसद भवन: एक दृष्टि

  • 12 फरवरी, 1921 को मौजूदा संसद भवन की आधारशिला ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ कनाट ने रखी थी. उन्होंने इस बनने वाली इमारत को भारत के पुनर्जन्म के साथ-साथ उज्जवल भविष्य का प्रतीक बताया था.
  • मौजूदा संसद भवन का नक्शा प्रख्यात डिजायनर सर हरबर्ट बेकर ने सर एडविन लुटियंस के साथ मिलकर तैयार किया था. सर लुटियंस ने ही रायसीना हिल के आसपास की नई दिल्ली की बसावट का खाका खींचा था.
  • इस इमारत की आधारशिला रखने वाले ड्यूक ऑफ कनाट प्रिंस आर्थर के पदनाम पर ही नजदीक का कनाट प्लेस मार्केट बना.
  • प्रिंस आर्थर ब्रिटिश साम्राज्य के किंग जॉर्ज पंचम के चाचा थे. भारत के महत्व को समझते हुए ही उन्होंने कहा था- भारत की राजधानी को रोम की राजधानी एथेंस जैसा ही महत्व मिलना चाहिए. यह पूर्व के महत्वपूर्ण शहरों में शुमार होना चाहिए, जो अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए जाना जाए. भारत खुद बहुमूल्य परंपराओं वाला देश है.
  • इसलिए इसकी राजधानी में सम्राट अशोक से जुड़ी कुछ चीजें समाहित की जानी चाहिए, कुछ समानताएं मुगलकालीन शासन वाली भी होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने प्रबुद्ध भारत पत्रिका के वार्षिक समारोह को संबोधित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 फरवरी को प्रबुद्ध भारत पत्रिका के 125वें वार्षिक समारोह को संबोधित किया. यह कार्यक्रम उत्तराखंड के मायावती स्थित अद्वैत आश्रम ने आयोजित किया है.

प्रबुद्ध भारत एक मासिक पत्रिका है. इसका प्रकाशन रामकृष्ण मिशन करता है. इसे 1896 में स्वामी विवेकानंद ने शुरू किया था. यह पत्रिका भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा के संदेश का प्रचार-प्रसार करने का महत्वपूर्ण माध्यम है.

प्रबुद्ध भारत का प्रकाशन मद्रास से आरंभ किया गया था, जहां से यह दो वर्षों तक प्रकाशित होता रहा. इसके बाद इसे अल्‍मोड़ा से प्रकाशित किया गया. बाद में अप्रैल 1899 से इस पत्रिका का प्रकाशन ‘अद्वैत आश्रम’ स्थानान्तरित कर दिया गया और तब से यह लगातार प्रकाशित हो रही है.

प्रबुद्ध भारत में सुभाष चन्द्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, सिस्टर निवेदिता, श्री अरविंदो, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसी महान विभूतियां लेख लिखते रहे हैं.

स्‍पेस एक्‍स ने एक ही रॉकेट से सबसे अधिक उपग्रहों को प्रक्षेपित कर नया विश्‍व कीर्तिमान बनाया

निजी अंतरिक्ष एजेंसी स्‍पेस एक्‍स (Space X) ने एक ही रॉकेट से सबसे अधिक उपग्रहों को प्रक्षेपित कर एक नया विश्‍व कीर्तिमान स्‍थापित किया है. स्‍पेस एक्‍स ने यह कीर्तिमान 25 जनवरी को एक साथ 143 उपग्रहों प्रक्षेपित कर बनाया. यह प्रक्षेपण फ्लोरिडा (अमेरिका) के केप कनेवरल स्पेस फोर्स स्टेशन से ‘Falcon-9’ रॉकेट के माध्यम से किया गया.

ISRO के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा

इस उपलब्धि के साथ ही स्‍पेस एक्‍स ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा है. ISRO ने फरवरी 2017 में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था.

स्‍पेस एक्‍स द्वारा प्रक्षेपित 143 उपग्रहों में व्‍यावसायिक और सरकारी क्‍यूबसेट, माइक्रोसेट और दस स्‍टारलिंक उपग्रह शामिल हैं. इन उपग्रहों के प्रक्षेपण से स्‍पेस एक्‍स ने 2021 तक समूचे विश्‍व में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य तय किया है. स्‍पेस एक्‍स ने ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह प्रक्षेपण के लिए बहुत कम शुल्‍क लिया है. उसने प्रत्‍येक उपग्रह के लिए प्रति किलोग्राम 15 हजार डॉलर लिया है.

स्‍पेस एक्‍स (Space X): एक दृष्टि

स्पेस एक्स अमेरिका में एक निजी अन्तरिक्ष एजेंसी है. इसकी स्थापना स्पेस एक्स के वर्तमान CEO एलॉन मस्‍क द्वारा 2002 में की गयी थी. स्पेस एक्स ने फाल्कन रॉकेट्स की श्रृंखला तैयार की है. अंतिरक्ष परिवहन की लागत को कम करने के लिए स्पेस एक्स ने पुनः इस्तेमाल किये जा सकने वाले राकेट निर्मित किये हैं.

DRDO ने बाइक एम्बुलेंस ‘रक्षिता’ विकसित की

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ‘बाइक एम्बुलेंस’ विकसित किया है. इस बाइक एम्बुलेंस का नाम ‘रक्षिता’ दिया गया है. इसे DRDO की ‘इनमास’ (इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज) प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया है. DRDO ने इस ‘बाइक एम्बुलेंस’ को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को सौंपी है.

यह बाइक एम्बुलेंस दूरदराज और संकरी गलियों में रहने वालों को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है. संघर्षरत क्षेत्रों में घायल व्यक्तियों का जीवन बचाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकेगा.

बाइक एम्बुलेंस ‘रक्षिता’ में एक स्वनिर्धारित रिक्लाइनिंग कैजुअल्टी इवैक्यूएशन सीट (CES) लगाई गई है. इसमें ड्राइवर के लिए वायरलेस मॉनिटरिंग क्षमता और ऑटो चेतावनी प्रणाली के साथ फ़िज़ियोलॉजिकल पैरामीटर मापने वाले उपकरण भी लगाये गये हैं.

गणतंत्र दिवस 2021 परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि नहीं होंगे

गणतंत्र दिवस 2021 परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं होंगे. वैश्विक कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

भारत ने इस साल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का न्योता भेजा था. लेकिन ब्रिटेन में कोरोना वायरस के मामले में एक बार फिर से तेजी आ जाने के कारण उन्होंने परेड में शामिल होने में असमर्थता जताई.

पिछले पांच दशकों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी की परेड देखने नहीं आ रहे हैं. हालांकि, इससे पहले तीन बार ऐसे मौके आए हैं. इससे पहले 1952, 1953 और 1966 में भी परेड में कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि नहीं था.

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश की राजधानी में राजपथ पर देश की सैन्य ताकत के साथ सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया जाता है. परेड में हर बार एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि बनाने की परंपरा रही है.

पहली बार 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे मुख्य अतिथि

पहली बार 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो 26 जनवरी पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे.

प्रधानमंत्री ने दिल्‍ली में देश की पहली चालक रहित मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने देश की पहली चालक रहित मेट्रो ट्रेन का 28 दिसम्बर को उद्घाटन किया. यह मेट्रो ट्रेन दिल्‍ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन पर चलेगी. यह लाइन जनकपुरी पश्चिम को बोटैनिकल गार्डन मेट्रो स्‍टेशन से जोड़ती है.

चालक रहित ट्रेनों की गति को कंट्रोल रूप से ही नियंत्रित किया जायेगा. यह चालक रहित रेलगाड़ी पूरी तरह स्‍वचालित होगी, जिससे मानवीय भूल की संभावना नहीं होगी. दिल्‍ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर इस ट्रेन की शुरूआत होने के बाद दिल्‍ली मेट्रो रेल निगम विश्‍व के उन सात प्रतिशत मेट्रो में शामिल हो जायेगी, जहां बिना ड्राईवर रेलगाडी चलाई जा रही है.

कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा का उद्घाटन

प्रधानमंत्री ने एयरपोर्ट एक्‍सप्रेस लाइन पर पूरी तरह संचालित नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा का भी उद्घाटन किया. देश के किसी भी भाग से जारी किए गए रुपे- डेबिट कार्ड धारक इसका इस्‍तेमाल कर एयरपोर्ट एक्‍सप्रेस लाइन में यात्रा कर सकेंगे. वर्ष 2022 तक यह सुविधा समूचे दिल्‍ली मेट्रो नेटवर्क पर उपलब्‍ध हो जाएगी. वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के 390 किलोमीटर के नेटवर्क में 285 स्टेशन है. दिल्ली मेट्रो ने 2002 में अपना परिचालन शुरू किया था.

अमेरिकी में हवाई के बिग आईलैंड पर स्थित किलाऊआ ज्वालामुखी में विस्फोट

अमेरिकी के किलाऊआ ज्वालामुखी (Mount Kilauea) में हाल ही में विस्फोट हो गया. दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक किलाऊआ ज्वालामुखी अपना विकराल रूप लेता जा रहा है. इस ज्वालामुखी के फटने के बाद आये भूकंप से आसपास के करीब 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं. इससे पहले इस ज्वालामुखी में साल 2018 में विस्फोट हुआ था.

किलाऊआ ज्वालामुखी

किलाऊआ ज्वालामुखी, अमेरिका के हवाई के बिग द्वीप (आईलैंड) पर वोल्केनोज नेशनल पार्क में स्थित है. यह विश्व का सबसे बड़ा सक्रिय ज्‍वालामुखी है. यह ज्वालामुखी हवाई पर स्थित पाँच ज्वालामुखियों में से एक है. मौना लोआ, कोहाला, हुलालाई और मौना किया ज्वालामुखी भी इसी द्वीप पर स्थित हैं.

हाल ही में इटली में स्थित माउंट एटना ज्‍वालामुखी (Mount Etna Volcano) में विस्फोट हुआ था. माउंट एटना यूरोप का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सक्रिय ज्‍वालामुखी है.

बृहस्पति और शनि अब तक के निकटतम दूरी पर आये

सौरमंडल में 21 दिसंबर 2020 को दो बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि एक दूसरे के बेहद नजदीक आ गये थे. दोनों ग्रहों के बीच की दूर 0.1 डिग्री रह गई थी. यह इनकी निकटतम स्थिति थी. यह स्थिति 397 साल बाद बनी थी.

इससे पहले दोनों ग्रह 1623 में इतने करीब आए थे. सूर्य के नजदीक होने के कारण तब उन्हें देख पाना लगभग असंभव था. इस बार सूर्यास्त के बाद यह दृश्य आसानी से देखा गया.

बृहस्पति और शनि मार्च 2020 से एक साथ हैं और ग्रहों का ये संयोग लगभग 21 अप्रैल 2021 तक बना रहेगा. इसके बाद ये नजारा 15 मार्च 2080 को दिखाई देगा.

यूरोप का सबसे बड़ा सक्रिय ज्‍वालामुखी माउंट एटना में विस्फोट

माउंट एटना ज्‍वालामुखी (Mount Etna Volcano) में हाल ही में विस्फोट हुआ था. मार्च 2017 में हुए विस्‍फोट के बाद यह सबसे बड़ा विस्‍फोट था. विस्फोट से पहले यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसकी तीव्रता रिक्‍टर पैमाने पर 2.7 थी. इस विस्‍फोट के बाद 325 फीट की ऊंचाई तक लावा उठा. विस्फोट इतना ज्यादा बड़ा था कि राख करीब 5 किलोमीटर के इलाके में फैल गई.

माउंट एटना: एक दृष्टि

  • माउंट एटना यूरोप का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सक्रिय ज्‍वालामुखी है. इटली में स्थित यह ज्‍वालामुखी 11 हजार फीट ऊंचा और करीब 38 किलोमीटर चौड़ा है. विश्व का सबसे बड़ा सक्रिय ज्‍वालामुखी हवाई (Hawaii) का माउंट किलुआ (Mount Kilauea) है.
  • माउंट एटना ज्‍वालामुखी अफ्रीकी और यूरोशियाई टैक्‍टोनिक प्‍लेटों के बीच स्थित है और इसमें लगातार विस्‍फोट होता रहता है. यह 7 लाख साल पुराना है.
  • माउंट एटना से हर साल इतना लावा निकलता है कि 108 मंजिला इमारत को भरा जा सकता है. माउंट एटना ज्‍वालामुखी से हर साल करोड़ों टन लावा और 70 लाख टन कार्बन डाई ऑक्‍साइड, पानी और सल्‍फर डाई ऑक्‍साइड निकलता है.
  • संयुक्त राष्ट्र ने माउंट एटना को ‘डिकेड वोल्केनो’ का खिताब दिया है तथा इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया है.

IMO ने भारतीय नेविगेशन सिस्टम को विश्व व्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली के रूप में मान्यता दी

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की समुद्री सुरक्षा समिति (MSC) ने इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को विश्व व्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली (WWRNS) के रूप में मान्यता दी है. IMO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है जो शिपिंग की सुरक्षा और जहाजों द्वारा समुद्री और वायुमंडलीय प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदार है.

अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश

भारत अपना स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम रखने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास अपना स्वयं का नेविगेशन सिस्टम था. GPS के विपरीत, हालांकि, IRNSS एक क्षेत्रीय है और वैश्विक नेविगेशन प्रणाली नहीं है.

IRNSS का नाम ‘नाविक’ रखा गया है

इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है. ये एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए ‘नाविक’ रखा है.

IRNSS नाविक: एक दृष्टि

IRNSS भारत विकसित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है. इसे हिंद महासागर में जहाजों के नेविगेशन में सहायता के लिए सटीक स्थिति सूचना सेवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. भारत अभी तक इस टेक्नॉलजी के लिए अमेरिका पर आश्रित था.

IRNSS देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना दे सकता है. यह भारतीय सीमा में लगभग 1500 किमी तक फैले हिंद महासागर में अमेरिका के स्वामित्व वाली ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जगह लेगा.

जहाजरानी मंत्रालय का नाम बदलकर अब मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज किया गया

सरकार ने जहाजरानी यानी शिपिंग मंत्रालय (Shipping Ministry) का नाम बदलकर ‘बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय’ (Ministry of Ports, Shipping and Waterways) कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नाम की घोषणा 8 नवम्बर को की.

सरकार ने हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय और कृषि मंत्रालय का नाम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) किया था.

सूरत में रो-पैक्स फेरी सेवा की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए नाम की घोषणा सूरत में हजीरा और भावनगर जिले के घोघा के बीच रो-पैक्स फेरी सेवा की शुरुआत करने के दौरान की. इस रो-पैक्स सर्विस से दोनों जगहों के बीच सड़क यात्रा की 370 किलोमीटर की दूरी जल मार्ग के जरिए 90 किलोमीटर कम हो जाएगी. इस सर्विस से लगभग 9,000 लीटर प्रति दिन की काफी बचत होगी

रो-पैक्स फेरी वीसल ‘वोयेज सिम्फनी’ DWT 2500-2700 MT, 12000 से 15000 GT विस्थापन के साथ एक तीन मंजिला जहाज है. इसकी मुख्य डेक की भार क्षमता 30 ट्रक, ऊपरी डेक की 100 यात्री कार और यात्री डेक की क्षमता 500 यात्रियों और 34 क्रू और कर्मचारियों की है.