Tag Archive for: mauritius

ब्रिटेन ने मॉरीशस को चागोस द्वीप समूह सौंपने की घोषणा की

ब्रिटेन ने हिंद महासागर में सुदूर चागोस द्वीपों की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते की घोषणा 3 अक्तूबर को की.

लगभग 60 द्वीपों से बने सुदूर चागोस की ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) स्थिति पर कई वर्षों से विवाद चल रहा है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने दो साल की बातचीत के बाद चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने का फैसला किया.

चागोस द्वीपसमूह: मुख्य बिन्दु

  • चागोस द्वीपसमूह 19वीं शताब्दी की शुरुआत से ब्रिटिश नियंत्रण में था. दो साल की बातचीत के बाद अब डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीपों की वापसी आखिरकार मॉरीशस को तय हो गई. हालांकि, ब्रिटेन डिएगो गार्सिया पर संयुक्त यूके-अमेरिका सैन्य अड्डे को बरकरार रखेगा.
  • चागोस, 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ 58 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जिसे चागोस द्वीपसमूह के नाम से जानते हैं.
  • ये मॉरीशस से लगभग 2,200 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और भारत के तिरुवनंतपुरम से 1,700 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
  • ये द्वीप 18वीं शताब्दी से मॉरीशस का हिस्सा रहे हैं, जब यह फ्रांसीसी उपनिवेश था और तब इसे आइल डी फ्रांस के नाम से जाना जाता था. बाद में ब्रिटेन का इस पर कंट्रोल हो गया.
  • 1965 में ब्रिटेन ने मॉरीशस को तो आजादी दे दी लेकिन ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) बनाने के लिए चागोस द्वीपसमूह को अपने पास ही रखा.
  • ब्रिटेन चागोस के सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर एक सैन्य अड्डा स्थापित करना चाहता था. इसके लिए उसने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक गुप्त सौदा किया हुआ था.
  • लिहाजा 1960 के दशक में यहां रह रहे स्वदेशी चागोसी लोगों को द्वीपों से जबरन हटा दिया गया, तब से ये विवाद और अंतरराष्ट्रीय कानूनी चुनौतियों का विषय रहा है. फिर मॉरीशस इस पूरे मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तक लेकर गया.
  • 2019 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन का कंट्रोल और प्रशासन अवैध था. उसने इन द्वीपों को वापस मॉरीशस को लौटाने के लिए कहा.
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने भी इसके बाद चागोस पर मॉरीशस की संप्रभुता की पुष्टि करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ब्रिटेन से इसे लौटने की मांग की गई.

भारत की भूमिका

  • भारत ने चागोस द्वीपसमूह का अधिकार मॉरीशस को वापस दिलाने में मध्यस्थ के तौर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
  • भारत चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के दावे का दृढ़ समर्थक रहा है. आखिरकार भारत के प्रयासों से ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच इस विवाद को सुलझाने की बातचीत शुरू हुई. दोनों ने इस मामले में भारत की मध्यस्थता की भूमिका को मंजूर किया.
  • भारत का रुख साफ था कि उपनिवेशवाद के अंतिम अवशेषों भी मिटाने की जरूरत है.
  • भारत के इस कूटनीतिक पहल का सबसे बड़ा असर वैश्विक उपनिवेशीकरण खत्म होने की दिशा में पड़ेगा. इससे हिंद महासागर की सुरक्षा भी बेहतर हो सकेगी.
  • ब्रिटेन और मॉरीशस दोनों ने एक संयुक्त वक्तव्य में भारत की भागीदारी को औपचारिक रूप से मान्यता दी.

डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डा

  • यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से उपयोग किया जाने वाला यह बेस हिंद महासागर, फारस की खाड़ी और यहां तक ​​कि व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रक्षा और खुफिया अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  • ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच हुए अंतिम समझौते में, डिएगो गार्सिया पर संप्रभुता अब मॉरीशस की रहेगी लेकिन बेस संचालन से संबंधित कुछ संप्रभु अधिकार ब्रिटेन के पास रहेंगे.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉरिशस की यात्रा संपन्न की

विदेश मंत्री एस. जयशंकर 15-16 जुलाई तक मॉरिशस की यात्रा पर थे. उन्होंने मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविन्‍द कुमार जुगनौथ से मुलाकात की और वहाँ के वरिष्‍ठ मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच आपसी संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्‍द कुमार जगनॉथ से पोर्ट लुइस में मुलाकात की. दोनों नेताओं ने 12 सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया.
  • विदेश मंत्री ने मॉरीशस के नागरिकों की सातवीं पीढी को ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया के प्रमाणपत्र भी वितरित किये.
  • डॉ. जयशंकर ने संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मॉरीशस उन देशों में है जहां वे विदेशमंत्री के मौजूदा कार्यकाल में सबसे पहले यात्रा कर रहे हैं.
  • डॉ. जयशंकर मॉरीशस के मंत्री अंजीव रामधानी के साथ रेडिट में नये लोक सेवा महाविद्यालय परियोजना स्थल पर गये.
  • डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत-मॉरीशस मैत्री परियोजना से मॉरीशस के लोक सेवकों की प्रशिक्षण आवश्‍यकताएं पूरी होंगी और यह लोक प्रशासन में उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र के रूप में काम करेगा.
  • डॉ0 जयशंकर और मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन भारत-मॉरीशस मैत्री उद्यान के शिलान्‍यास कार्यक्रम में शामिल हुए.

जापान के जहाज से तेल रिसाव के बाद मॉरीशस ने पर्यावरण आपातकाल की घोषणा की

मॉरीशस ने हाल ही में ‘पर्यावरणीय आपातकाल’ (Environmental emergency) की घोषणा की है. जापानी जहाज से कई टन ईंधन के रिसाव के कारण यह घोषणा की गयी है. मॉरीशस ने इस मुद्दे पर फ्रांस से मदद की अपील की है.

मॉरीशस के पास हिंद महासागर में एक मूंगा चट्टान से जापानी शिप एमवी वाकाशिओ (MV Wakashio) के टकराने के बाद ईंधन लीक होने की वजह से यह पर्यावरण संकट पैदा हुआ. मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने कहा था कि रिसाव के रूप में आई ये आपदा करीब 13 लाख आबादी वाले उनके देश के लिए ‘खतरा’ है जो पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है.

मॉरीशस की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करता है. 2019 में मॉरीशस ने पर्यटन से 63 अरब मॉरीशस रुपये पर्यटन से कमाए गए थे. यहां की जैव-विवधता, खासकर समुद्री जीवन पूरी दुनिया में मशहूर है. ऐसे में इस पर्यावरण संकट से न सिर्फ जलीय जीवन बल्कि उस पर निर्भर लोगों की आर्थिक स्थिति पर भी खतरा पैदा हो सकता है.

पृथ्वीराज सिंह रूपन मॉरीशस के नये राष्ट्रपति चुने गये

मॉरीशस में सांसदों ने 2 दिसम्बर को पूर्व कला एवं संस्कृति मंत्री पृथ्वीराज सिंह रूपन को इस द्वीपीय राष्ट्र का राष्ट्रपति चुना. उनकी पूर्ववर्ती अमीना गुरिब फकीम ने एक विवाद के बाद मार्च 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन पर विलासिता की निजी वस्तुएं खरीदने के लिये क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने का आरोप है.

पृथ्वीराज सिंह रूपन एक वकील हैं और पहली बार 2000 में नेशनल असेंबली के लिये चुने गए थे. वह क्षेत्रीय प्रशासन, सामाजिक एकीकरण और कला एवं संस्कृति मंत्री रह चुके हैं. मॉरीशस में नवंबर में चुनाव हुए थे जिसमें प्रविंद जगन्नाथ को एक बार फिर पांच साल के लिये प्रधानमंत्री चुन लिए चुना गया था.

मॉरीशस में राष्ट्रपति का पद काफी हद तक एक औपचारिक पद है. यहाँ प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और उसे ही सबसे ज्यादा राजनीतिक शक्ति होती हैं जबकि राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है लेकिन उसकी कोई कार्यकारी भूमिका नहीं होती है और उसे संविधान का संरक्षक माना जाता है.

प्रविंद जगन्‍नाथ ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली

प्रविंद जगन्‍नाथ ने 12 नवम्बर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. वह अगले पांच साल और पद पर बने रहेंगे. प्रविंद ने अपने पिता के पद छोड़ने के बाद 2017 में प्रधानमंत्री का पद संभाला था.

हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में उनकी सत्तारूढ़ मिलिटेंट सोशलिस्ट मूवमेंट (MSM) पार्टी ने आधी से ज्यादा संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की थी. चुनाव में MSM ने 62 में से 38 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उसकी प्रतिद्वंदी लेबर पार्टी और मॉरीशियन मिलिटेंट मूवमेंट (MMM) ने क्रमश: 13 और 9 सीटें हासिल की थी.

इस चुनाव में देश के 13 लाख लोगों के बीच धन का निष्पक्ष वितरण एक अहम मुद्दा था. प्रधानमंत्री प्रविंद पहले ही धन वितरण सुधारने के लिए न्यूनतम मजदूरी लागू कर चुके हैं.

मॉरीशस: एक दृष्टि

  • मॉरीशस गणराज्य (Republic of Mauritius), हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है. मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुईस में स्थित है.
  • मारीशस पहले फ्रांस के आधीन और बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में था. मॉरीशस ने 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त की और देश सन् 1992 में एक गणतंत्र बना.
  • मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है.

भारत के सहयोग से मॉरिशस में बने दो महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं का संयुक्‍त रूप से उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविन्‍द जगन्‍नाथ ने 3 अक्टूबर को वीडियो कांर्फ्रेंसिंग के माध्यम से मॉरिशस में दो महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं का संयुक्‍त रूप से उद्घाटन किया. ये परियोजनाएं हैं– मेट्रो एक्‍सप्रेस प्रथम चरण और नये ENT अस्‍पताल की स्‍थापना. 2016 में भारत ने मॉरिशस को पांच परियोजनाओं के लिए 35 करोड़ 30 लाख डॉलर का विशेष आर्थिक पैकेज उपलब्‍ध कराया था.


मॉरीशस मेट्रो परियोजना के तहत क्योर पाइप से पोर्ट लुई तक 26 किलोमीटर लंबे लाइन पर कुल 19 स्टेशन और छह शहरी टर्मिनल हैं. यह पहली विदेशी मेट्रो परियोजना है, जिसे किसी भारतीय कंपनी स्वतंत्र रूप से बनाया है. भारत सरकार ने मेट्रो एक्सप्रेस के लिए $275 मिलियन डॉलर की सहायता राशि दी है.

मार्च 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ईएनटी अस्पताल की आधारशिला रखी थी जो अब बनकर लोगों के लिए तैयार हो चुका है. अस्पताल पर कुल 14 मिलियन डॉलर की लागत आई है. दरअसल, 2017 में पीएम मोदी ने मॉरिशस यात्रा के दौरान वहां की 5 परियोजनाओं के लिए कुल 353 मिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा किया था.