भारत और अमेरिका के बीच 10-वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते

भारत और अमेरिका ने अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए 31 अक्टूबर 2025 को एक 10-वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

  • इस समझौता, को आधिकारिक तौर पर ‘यूएस-इंडिया मेजर डिफेन्स पार्टनरशिप फ्रेमवर्क’ कहा गया है. यह अगले दशक (2025-2035) के लिए दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की रूपरेखा और नीतिगत दिशा तय करेगा.
  • यह समझौता मलेशिया के कुआलालंपुर में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) के मौके पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच हुई बैठक के दौरान किया गया.

समझौते के मुख्य बिन्दु

  • दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास और साथ मिलकर काम करने की क्षमता (इंटरऑपरेबिलिटी) को बढ़ाना.
  • सूचना और खुफिया आदान-प्रदान को बढ़ाना, साथ ही रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी और नवाचार पर जोर देना.
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साझेदारी महत्वपूर्ण रहेगी, जो चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक मजबूत संदेश है.
  • अमेरिका से भारत को अत्याधुनिक रक्षा तकनीकें मिलेंगी, जिससे भारत के रक्षा आधुनिकीकरण को बल मिलेगा.
  • ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा देते हुए रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन और सहयोगात्मक अनुसंधान किया जाएगा.
  • सैन्य नेटवर्क के बीच डेटा साझाकरण को और अधिक विस्तारित और सुव्यवस्थित किया जाएगा.
  • भारत को लॉजिस्टिक्स, रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) हब के रूप में विकसित करने में सहायता करना.
  • अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इस समझौते को ‘क्षेत्रीय स्थिरता और निवारण का आधार’ बताया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश अपने रक्षा संबंधों को अब तक के सबसे मजबूत स्तर पर ले जा रहे हैं.

समझौते से भारत को लाभ

  • भारत को जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें, MQ-9B ड्रोन, P-8I समुद्री गश्ती विमान, और अपाचे हेलिकॉप्टर जैसी उन्नत अमेरिकी तकनीकें और हथियार प्राप्त करने में आसानी होगी.
  • GE F-404 जेट इंजन जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के भारत में निर्माण से स्वदेशी लड़ाकू विमानों (जैसे तेजस) के उत्पादन में तेजी आएगी.
  • चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में भारत की रणनीतिक और सैन्य स्थिति मजबूत होगी.