मिजोरम के लुंगफुन रोपुई को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मिजोरम के लुंगफुन रोपुई (Lungphun Ropui) को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय महत्व का स्मारक का दर्जा दिया है.
  • वांगछिया में स्थित कवछुआ रोपुई के बाद यह राज्य का दूसरा महापाषाण (मेगालिथ) युग का स्थल है जिसे ASI ने राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित किया गया है.

लुंगफुन रोपुई स्मारक: एक दृष्टि

  • लुंगफुन रोपुई स्मारक, मिजोरम के चंपई ज़िले के लियानपुई नामक गाँव में स्थित है एक महापाषाण स्थल (बड़े पत्थरों से बने प्राचीन स्मारक या संरचनाएँ) है.
  • यह स्थल अपनी प्राचीन नक्काशीदार पत्थर की संरचनाओं (मेनहिर) के लिए जाना जाता है, जिनका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक माना जाता है.
  • यहाँ पायी जाने वाली मेनहिर में मानव आकृतियों, जानवरों, पक्षियों, छिपकलियों और अन्य सांस्कृतिक रूपांकनों की विस्तृत नक्काशी है.
  • यह इस क्षेत्र में रहने वाली जनजातियों की सांस्कृतिक प्रथाओं को दर्शाती है.
  • इनमें से सबसे बड़े स्मारक पत्थर की ऊँचाई 1.87 मीटर और चौड़ाई 1.37 मीटर है.

प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958

  • लुंगफुन रोपुई को प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है.
  • यह अधिनियम भारत में प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों के संरक्षण और विनियमन के लिए बनाया गया एक कानून है.
  • यह अधिनियम प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने का अधिकार देता है, यदि वे ऐतिहासिक, पुरातात्विक या स्थापत्य महत्व के हैं.
  • यह अधिनियम स्मारकों और स्थलों को नष्ट करने, क्षति पहुंचाने, या उनका दुरुपयोग करने से रोकता है, और उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान करता है.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख संगठन है. यह देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है.
  • ASI का मुख्य कार्य राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का रखरखाव और संरक्षण करना है. इसकी स्थापना 1861 में हुई थी.