डेली कर्रेंट अफेयर्स
केरल के कप्पड़ और चाल समुद्रतट को ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन’ दिया गया
डेनमार्क के फाउंडेशन फॉर एनवायर्नमेंटल एजुकेशन (FEE) ने केरल के कप्पड़ और चाल समुद्रतट को ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन’ प्रदान किया है. कप्पड़ समुद्रतट केरल के कोझिकोड में और चाल समुद्रतट कन्नूर में है.
ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन (प्रमाणन) समुद्र तटों, मरीनाओं और नौकायन संचालकों को दिया जाता है जो फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंटल एजुकेशन (FEE) द्वारा स्थापित 33 कड़े मानदंडों को पूरा करते हैं.
ब्लू फ्लैग प्रमाणन वाले भारतीय समुद्र तट
भारत का पहला ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट ओडिशा में स्थित चंद्रभागा समुद्र तट है. भारत में अब 13 ब्लू फ्लैग प्रमाणित समुद्र तट हैं:
- ओडिशा: गोल्डन समुद्र तट
- गुजरात: शिवराजपुर समुद्र तट
- केरल: कप्पड़ समुद्र तट, चाल समुद्र तट
- दीव: घोघला समुद्र तट
- अंडमान और निकोबार: राधानगर समुद्र तट
- कर्नाटक: कसारकोड समुद्र तट, पडुबिद्री समुद्र तट
- आंध्र प्रदेश: रुशिकोंडा समुद्र तट
- तमिलनाडु: कोवलम समुद्र तट
- पुदुचेरी: ईडन समुद्र तट
- लक्षद्वीप: मिनिकॉय थुंडी समुद्र तट, कदमत समुद्र तट
भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए संयुक्त राष्ट्र के UN-CEBD में शामिल हुआ
- भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए ‘बिग डेटा और डेटा विज्ञान पर प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समिति’ (UN-CEBD) में शामिल हो गया है. इसकी घोषणा सांख्यिकी मंत्रालय ने हाल ही में की थी.
- समिति के हिस्से के रूप में, भारत आधिकारिक सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए बड़े डेटा और डेटा विज्ञान का उपयोग करने में वैश्विक मानकों और प्रथाओं को आकार देने में योगदान देगा.
- बिग डेटा से तात्पर्य बृहत्, जटिल डेटासेट से है, जिनका डेटा की परंपरागत प्रबंधन प्रणालियाँ कुशलतापूर्वक संग्रहीत, संसाधित या विश्लेषण नहीं कर सकती हैं.
- UN-CEBD (UN Committee of Experts on Big Data and Data Science for Official Statistics) संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष निकाय है जिसकी स्थापना वैश्विक सांख्यिकीय प्रणालियों को मज़बूत करने के क्रम में बिग डेटा एवं डेटा विज्ञान का लाभ उठाने के लिये की गई है.
- इसका गठन वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (UNSC) के तत्वावधान में किया गया था. ऑस्ट्रेलिया इसका प्रथम अध्यक्ष था. UN-CEBD में 31 सदस्य देश और 16 अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं.
भारत में ‘जेनरेशन बीटा’ के पहले बच्चे का जन्म मिजोरम में हुआ
भारत में ‘जेनरेशन बीटा’ के पहले बच्चे का जन्म मिजोरम में हुआ है. बच्चे का नाम फ्रेंकी रखा गया है और उसके पिता का नाम जेड्डी रेमरुअत्संगा और मां का नाम रामजिरमावी है. बच्चे का जन्म 1 जनवरी 2025 को रात के 12:03 में हुआ.
जेनरेशन बीटा क्या
साल 2025 से 2039 के बीच पैदा हुए बच्चे को जनरेशन बीटा कहा जाएगा. जेनरेशन बीटा उस पीढ़ी को कहा गया है, जो इंटरनेट से जुड़ी तमाम सुविधाओं के बीच पैदा हुई है और जिनके लिए हर सुविधा महज एक क्लिक की दूरी पर ही है. जेनरेशन बीटा शब्द मार्क मैक्रिंडल ने गढ़ा है, जो समाजविज्ञानी हैं.
अन्य जेनरेशन
- ग्रेटेस्ट जेनरेशन: 1901 से 1924 के दौर में पैदा हुई पीढ़ी को ग्रेटेस्ट जेनरेशन कहा गया था क्योंकि इन लोगों ने महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपना जीवनयापन किया था.
- साइलेंट जेरनेशन: साइलेंट जेरनेशन की अवधि 1925 से 1945 तक मानी गई थी. महामंदी और दूसरे विश्व युद्ध के परिणामों के चलते इस पीढ़ी को यह नाम मिला था.
- बेबी बूमर: 1946 से 1964 के बीच के जेनरेशन को बेबी बूमर कहा गया था. माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में ही बड़े पैमाने पर आबादी में इजाफा हुआ था.
- जेनरेशन एक्स: 1965 से 1980 तक के पैदा हुए लोगों को जेनरेशन एक्स (या सैंडविच जनरेशन) कहा गया था. इस पीढ़ी के दौर में ही इंटरनेट की शुरुआत हुई और इन्होंने खुद को तेजी से बदला था.
- जेनरेशन वाई: 1981 से 1996 तक जेनरेशन वाई (या मिलेनियल्स) थी, इस पीढ़ी के लोगों के बारे में माना जाता है कि इन्होंने तकनीक के साथ खुद को तेजी से बदला और हर चीज से अपडेट होते रहे.
- जेनरेशन जेड: यह वह जेनरेशन है, जिनका जन्म 1996 से लेकर 2012 के बीच हुआ है. इस जेनरेशन के समय में ही सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स ने अधिक पैर फैलाए हैं.
- ‘जेनरेशन अल्फा: 2013 से 2024 तक पैदा हुए बच्चों को जेनरेशन अल्फा कहा जाता है.
पिछले पांच दशकों में भारत की तटरेखा लगभग 50% तक बढ़ी
- गृह मंत्रालय (MHA) की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच दशकों में भारत की तटरेखा लगभग 50% तक बढ़ गई है. 1970 में यह 7,516 किलोमीटर थी, जो 2023-24 तक बढ़कर 11,098 किलोमीटर हो गई.
- गुजरात, बंगाल और गोवा जैसे राज्यों में तटरेखा में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. गुजरात में सबसे अधिक विस्तार दर्ज किया गया, जहां इसकी तटरेखा 1970 के 1,214 किलोमीटर से लगभग दोगुनी होकर पिछले 53 वर्षों में 2,340 किलोमीटर हो गई.
- बंगाल में प्रतिशत के आधार पर सबसे अधिक वृद्धि हुई, जहां तटरेखा 157 किलोमीटर से बढ़कर 721 किलोमीटर हो गई, जो 357% की वृद्धि दर्शाती है.
- राष्ट्रीय स्तर पर, तटरेखा 1970 के आंकड़ों की तुलना में 47.6% बढ़ी है.
बदलाव का मुख्य कारण
- इस बड़े बदलाव का मुख्य कारण भारत की तटरेखा को मापने के लिए अपनाई गई नई कार्यप्रणाली है, जिसे राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (National Maritime Security Coordinator) द्वारा परिभाषित किया गया है.
- पुरानी विधियों में जहां सीधी रेखाओं में दूरी मापी जाती थी, वहीं नई विधि में खाड़ी (bays), नदीमुख (estuaries), जलमार्ग (inlets) और अन्य भू-आकृतिक संरचनाओं (geomorphological formations) जैसे जटिल तटीय संरचनाओं को मापने को शामिल किया गया है.
- इस अद्यतन तकनीक ने तटरेखा की वास्तविक लंबाई को अधिक सटीक और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
अमरीका ने तीन परमाणु अनुसंधान प्रतिष्ठानों पर लागू प्रतिबंध हटा
अमरीका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र सहित तीन भारतीय प्रतिष्ठानों पर लागू प्रतिबंध हटा दिया है. अन्य दो कंपनियां में इंडियन रेयर अर्थ्स और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र शामिल हैं. इस निर्णय से साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों में सहयोग बढेगा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा.
2026 में भारत 28वें CSPOC सम्मेलन की मेजबानी करेगा
भारत साल 2026 में राष्ट्रमंडल देशों के संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 28वें सम्मेलन (CSPOC) की मेजबानी करेगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यूनाइटेड किंगडम में ग्वेर्नसे में CSPOC स्थायी समिति की बैठक में इसकी घोषणा की. भारत इससे पहले 1970-71, 1986 और 2010 में CSPOC सम्मेलन की मेजबानी कर चुका है.